वो अक्षत योनि की क्षति -1

(Wo Akshat Yoni Ki Kshati-1)

अजय शर्मा 2006-03-05 Comments

This story is part of a series:

मैं अजय शर्मा इंदौर में रहता हूँ और अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ। लगभग सारी प्रकाशित कहानियाँ मैंने पढ़ीं हैं। आज मैं पहली बार अन्तर्वासना में अपने जीवन की एक वास्तविक घटना प्रकाशित करने के लिए भेज रहा हूँ। आशा है आदरणीय गुरूजी इसे प्रकाशित करेंगे।

आज से ठीक 3 माह पहले की घटना है। मुझे एक ईमेल मिला ‘मैं सपना (परिवर्तित नाम) हूँ और आपका यह ईमेल पता मुझे अपनी सहेली मीना से प्राप्त हुआ है और मैं आपसे मिलना चाहती हूँ।’

मैंने भी मेल किया- देखो, मैं एक कॉल-ब्वॉय हूँ और यदि आप मेरी सेवाएँ लेना चाहती हों तभी मुझसे सम्पर्क करें।

दूसरे दिन मुझे पुनः मेल मिला और मिलने का समय दोपहर के बाद 2 बजे ट्रेज़र आयलैंड पर तय हुआ और उसने यह भी लिखा कि मैं नीली जीन्स और पीले टीशर्ट में रहूँगी। टीशर्ट पर ‘कैच मी’ लिखा हुआ है। मैं भी निर्धारित समय पर पहुँच गया।

जैसे ही मैं पहुँचा सपना वहीं खड़ी मिली।

मैं जाते ही कहा- मैं अजय, आपने मुझे मेल किया था।
‘हाँ आप मेरे साथ चलिए, बाकी बातें हम गाड़ी में करेंगे।’

लिफ्ट से नीचे जाकर हम लाल रंग की स्कोडा कार में बैठ गए। जैसे ही हम वहाँ से बाहर आए, उतने बातें करनी शुरु कीं…

मैं शादीशुदा हूँ। शादी किए हुए मुझे 2 साल हो गए हैं पर मैंने अभी तक अपना कौमार्य नहीं खोया है। क्या आप मुझे वह सुख दे सकते हैं जो मुझे मिलना चाहिए था।

मैंने मन में सोचा कि अभी तक जितनी चूतें मिलीं हैं, सभी तो पहले से ही चुदी-चुदाई ही मिलीं हैं। अगर इसे मुफ़्त में भी चोदने को मिले जाए तो क्या यह सपने से कम है!!!’

‘क्या सोच रहे हो?’
‘नहीं… नहीं… कुछ भी नहीं।’
‘कुछ समस्या है क्या?’
‘नहीं…’
‘आपका शुल्क क्या है?’
‘1500 रुपये में एक स्त्री के साथ सम्भोग… और अगर स्त्रियों का समूह हो तो अलग… पूरी रात का पुनः अलग है…’

‘मैं इससे कहीं अधिक दूँगी… कृपया आप मेरे साथ चलिए, आप मेरी मज़बूरी समझ रहे हैं ना?’
‘हाँ… पर चलना कहाँ हैं?’
‘खंडवा रोड पर हमारा फार्म-हाउस है, हम वहीं चलेंगे।’
‘ठीक है… चलो…’

लगभग 50 मिनट बाद हम फार्म-हाउस पर पहुँचे। मेरे मन में एक ही बात चल रही थी कि आख़िर बात क्या है, जो ये हूर की परी होते हुए भी अभी तक चुदी नहीं?

उसने ताला खोला और उस आलीशान फार्म-हाउस के अन्दर ले जा कर सीधे बेडरूम में ले गई। एसी चालू किया और मुझे पानी पिलाया।

‘अजय कृपया बताओ, क्या हुआ? जब से तुम मुझे मिले हो, कुछ भी नहीं बोल रहे हो?’

‘नहीं… कुछ नहीं… मैं कम ही बोलता हूँ पर ये बात मुझे अभी तक समझ में नहीं आई कि आपने अभी तक सम्भोग नहीं किया?’

‘हाँ… हाँ… हाँ… मैं सच कह रही हूँ, मैं सब कुछ बताऊँगी, पर अभी मुझे संतुष्ट करो। क्योंकि शाम 8 बजे तक मेरे पति घर आ जाएँगे।’ और यह कहते हुए उसने अपनी टीशर्ट उतारी।

टीशर्ट उतारते ही उसकी फिगर देख कर मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं। मैंने भी अपने सारे कपड़े उतारे और अपने आप पर क़ाबू करते हुए उसकी जीन्स उतारी, अपनी बाँहों में खींच कर गालों पर चुम्बन लेते हुए बिस्तर पर लिटा दिया। सपना की आँखें अभी भी खुलीं थीं। मैंने उसे सिर से लेकर पाँव तक चूमा और धीरे से ब्रा के हुक भी खोल दिए। पेट पर चूमते हुए उसकी पैन्टी निकाल दी।

उसकी चूत से एक अलग ही महक आ रही थी। मैंने धीरे-धीरे उसकी चूत पर अपनी ज़बान घुमानी शुरु की। उसने मेरा सिर पकड़ लिया और कमर उठा कर चूत मेरे मुँह में धकेलने लगी। मैं अब उसकी चूत के काफी अन्दर तक अपनी जीभ को पहुँचा पा रहा था और उसकी चूत से निकलने वाले नमकीन पानी को बहुत अच्छी तरह महसूस कर रहा था। मैंने अपनी एक ऊँगली उसकी चूत में डाली और अन्दर-बाहर करने लगा।

चूत में जब मैंने गहराई तक अपनी ऊँगली पहुँचाई तो उसके कुँवारेपन को मैं महसूस कर चुका था। सपना अपना आपा खोती जा रही थी और मैं भी। पर मुझे तो स्व-नियंत्रण करना ही था वरना इसे संतुष्ट नहीं कर पाता और ना मुझे पैसे ही मिलते। सपना मुझे खींच कर अपने ऊपर ले आई और मेरे होठों को बुरी तरह से चूसना शुरु कर दिया।

उधर मेरे हाथ सपना के स्तनों को मसल रहे थे। सपना पूर्णतः उत्तेजित हो चुकी थी, साँसे गर्म हो चुकी थी, और उसने मुझे ज़ोर से पकड़ा और अपनी चूत को मेरे लण्ड पर रगड़ने लगी। मैं इस स्थिति में था कि अभी अपने अण्डरवियर से लंड निकाल कर इसकी चूत में डाल दूँ। किन्तु अभी ऐसा नहीं कर सकता था- कॉलब्वॉय जो ठहरा। जब तक पार्टनर कुछ कहे नहीं, अपनी मर्ज़ी से कुछ नहीं कर सकते।

मैं उसके स्तनों का मर्दन करता जा रहा था, और निप्पल को ऊँगलियों से दबा रहा था। सपना से अब रहा नहीं गया, उसने मेरे अण्डरवियर को नीचे किया और निकाल फेंका। मैं सपना के ऊपर नग्नावस्था में था। उसके हाथ में मेरा मोटा लण्ड आ चुका था, उसे जाने क्या सूझी, अचानक उसने एक पलटी मारी और वो मेरे ऊपर आ गई।

जैसे ही उसने मेरे लंड को देखा, ऊपर की चमड़ी हटा कर सुपाड़े को बाहर कर दिया और मेरे लंड को मुट्ठी में ज़ोर से पकड़ कर सुपाड़े को फचाक् करके मुँह में ले लिया। मैंने सपना से पूछा- क्या इसे पहली बार देखा है?
उसने कहा- अभी बात नहीं, सिर्फ काम।
और उसने पूरा लंड अपने मुँह में ले लिया, और कुल्फी की तरह चूसने लगी। उसके मुँह की गर्मी मेरी उत्तेजना को चरम तक पहुँचा रही थी।

मुझे लगा कि यदि यह दो मिनट और चूसती रही तो मैं यहीं ढेर हो जाऊँगा। मैंने अपना लंड उसके मुँह से निकालने की असफल कोशिश की, पर उसने दोनों हाथों से पकड़े हुए टूटी पड़ी रही और चूसती रही…

अब मुझसे रुकना सम्भव नहीं था और वो थी कि लंड को मुँह से बाहर निकलने नहीं दे रही थी, और मैंने आँखें बन्द कर लीं, मेरा लावा अन्दर से फूट पड़ा था, उसने गर्म लावे को अपने मुँह में एकत्रित किया और जब पिचकारी का वेग कम हुआ, तो उठकर उसने वॉश-बेसिन में थूक दिया।

जिस जगह उसकी चूत थी, वहाँ पर मलमल बेडशीट भी गीली हो चुकी थी। अब मुझे अपना असली काम शुरु करना था। झड़ने के बाद मेरे लंड की उत्तेजना थोड़ी कम हो गई थी, जो मेरे लिए अच्छी बात थी। वापिस आकर उसने मेरे लंड को फिर से मुँह में ले लिया और चटखारे ले-लेकर चूसना शुरु कर दिया।

मेरा लंड फिर से तन गया। इस बार 69 की मुद्रा थी। वह लंड को पूरा मुँह में लेकर चूस रही थी। मैं अपनी दोनों उँगलियों को उसकी चूत में डाल कर भग्नासा को जीभ से हिला रहा था। सपना की चूत अब तक फूल चुकी थी। मैंने उसे बिस्तर पर सीधा लिटाया और उठकर अपनी जेब में से मूड्स का पैकेट निकाल कर एक कॉण्डोम निकाला…

‘यह क्या कर रहे हो?’

‘कॉण्डोम है… इसे लगा रहा हूँ… मेरी और आपकी सुरक्षा के लिए यह ज़रूरी है।’

‘पर ये नहीं, प्लीज़ जो मैं लाई हूँ उसका प्रयोग करो।’

उसने अपना गुलाबी पर्स उठाया और उसमें से मेन-फोर्स का स्ट्राबेरी खुशबू वाला कॉण्डोम निकाला और मुझे दे दिया। मैंने अपने लंड पर चढ़ाया और उसे सीधा लिटाकर चूत को गहराई तक चाटकर अपनी लार से उसे तर कर दिया। वह अपनी दोनों टाँगों को उठाकर मेरे कंधे पर रख चुकी थी, और मेरे सिर को पकड़ कर अपनी पूरी चूत में मुँह में घुसेड़ने का प्रयास कर रही थी। मैं लगातार उसकी भग्नासा को जीभ से उत्तेजित कर रहा था।

जब मुझे नमकीन स्वाद का अहसास होने लगा, तब उसके पाँव कंधे से उतारकर चौड़े कर दिए, अपने लंड को उसकी चूत के मुहाने पर रख दिया और एक हल्का सा झटका दिया। लंड का कुछ भाग अन्दर गया और मुझे लगा कि किसी ने मेरे लंड को रोक दिया है। सपना ने आँखें बन्द कर रखीं थीं, और मेरी कमर उसके दोनों हाथों में थी। मैं पूर्णतः सन्तुष्ट हो गया था कि शादीशुदा होते हुए भी अभी तक यह कुँवारी है।

आज मैं इस अक्षत चूत को क्षतिग्रस्त करने वाला था। मैंने अपने दोनों हाथ उसकी कमर के पास रख दिए, और कहा कि अपने पाँव हाथों के बार निकाल कर चौड़े कर दो। उसने ऐसा ही किया। अब मेरे लंड पर चूत का कसाव थोड़ा कम हुआ। मैंने पूरी ताक़त से चूत में लंड डाला… वह अपने होंठ दाँतों तले दबाते हुए मुझे लगातार अपनी ओर खींच रही थी. मैंने बिना देर किए हुए पूरी ताक़त से झटका दिया।

लंड लगभग आधा अन्दर जा चुका था। उसने मेरी कमर ज़ोरों से पकड़ रखी थी, और लगातार अपनी ओर खींचने का प्रयास कर रही थी। मैंने भी उसके मन की बात भाँप कर एक और झटके के साथ पूरा लंड उसकी चूत में पहुँचा दिया। अब उसने दाँतों से अपने लबों को आज़ाद किया और कहा- 2 मिनट रुको।

मैं अपने लंड पर एक अजीब सी गरमाहट महसूस कर रहा था। मेरी आँखें उसकी गोरी बिना बालों वाली चूत पर एकटक देख रहीं थीं। जैसे ही उसने अपने पाँव मेरे हाथों से निकाल कर सीधे किए तब मेरे लंड पर लगा खून देखकर मैं सबकुछ सम्झ गया।

उसके चेहरे से ऐसा लग रहा था कि ये अपना दर्द छुपा रही है। ख़ैर मुझे तो उसे सन्तुष्ट करना था, सो मैं लम्बे धक्के मारने लगा। सपना ने मुझे अपनी बाँहों में मुझे जकड़ रखा था। मैं लगातार पूरा लंड बाहर करके फिर से अन्दर डाल रहा था।
कुछ समय बाद सपना ने भी नीचे से मुझे सहयोग दिना शुरु कर दिया। वह कमर उछाल-उछाल कर हर धक्के को प्रतिकार दे रही थी। 15 मिनट तक लगातार चोदते हुए मैंने अपनी गति बढ़ा दी। ए. सी. की ठंडक पूरे कमरे में होने के उपरांत भी हम पसीने में भीगे हुए थे।

मैं अपनी पूरी गति से चोदे जा रहा था, और नीचे सपना पागलों की तरह ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला रही थी -सीईईईसीई… आआआ… अजय और ज़ोर से डालो… बहुत मज़ा आ रहा है… और और और हम्म्म औरररर हाँ हाँ और… यस्स्स्ससस… यस्स्ससस फक्क… फक्क इट यार… यस… यस… ऑऑऑ यस यस यस गीव मी यस यस फक्क इट यार… फक्क इट प्लीज़…

मैं लगातार लम्बे-लम्बे धक्के लगाते जा रहा था। पूरे 15 मिनट तक यह चलता रहा। उसकी चूत से फच्च-फच्च की आवाज़ें आ रहीं थीं। वह 3 बार झड़ चुकी थी और मैं भी अब चरम उत्कर्ष पर आ गया था। उधर कॉण्डोम फटने का भी डर था सो मैंने भी अपनी पूरी रफ्तार बढ़ा कर वीर्य स्खलित कर दिया।

5 मिनट तक मैं सपना के ऊपर ही लेटा रहा। जब मेरा लंड अपने आप बाहर आया तो मैंने पाया कि पूरा कॉण्डोम खून से सना था।

मैंने सपना की ओर देखा, वह मुझे ही देख रही थी। वह मुझे ऐसे देख रही थी जैसे कोई बहुत ही बड़ा क़िला जीत लिया हो। थकान भरी आवाज़ में उसने कहा- आज मैं समझी कि पेट की भूख से अधिक सेक्स की भूख क्यों होती है! आज आपने मुझे वह अहसास दिलाया है जो शादी के बाद आज तक मेरा पति मुझे नहीं दे पाया।

मैंने बिना कुछ कहे अपने लंड से कॉण्डोम उतारा और बाथरूम में जाकर उसे साफ किया। सपना अपने स्कार्फ से चूत और आस-पास लगा खून साफ करने लगी। जैसे ही मैं बाहर आया, देखा सपना मोबाईल पर बातें कर रही थी।

‘हैलो… हाँ मैं… क्या कर रहे हो?… मैं अभी मीना के साथ बाहर हूँ, रात 9:30 तक घर आऊँगी… ओके!

मैं समझ गया कि वह अपने पति से बातें कर रही थी।

मैंने बिस्तर पर पड़ा मूड्स का पैक उठाया, तभी उसने कहा- इसे अन्दर क्यों रख रहे हो? भला कोई तीर को तरकश से निकालने के बाद वापस भी रखता है क्या?’ यह कहते हुए उसने मूड्स का पैकेट मेरे हाथ से ले लिया और घुटने के बल नीचे बैठकर मेरे सोए हुए लण्ड को अपने मुँह में ले लिया और खींच-खींच कर चूसने लगी।

उसके चूसने से मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। मेरा लंड पूरी तरह से तन गया। उसने कॉण्डोम चढ़ा दिया।

इस बार मैंने उसे कुतिया बना कर चोदा। उसकी गोरी गाँड उठ-उठ कर मुझसे टकरा रही थी। 10 मिनट तक लगातार चोदने के बाद मैंने लंड उसकी चूत ने निकाल कर ऊपर लगा कॉण्डोम निकाल दिया और लंड को उसके हाथ में पकड़ा दिया। उसने लंड को चूस-चूस कर हाथ से मुठ मारी और चूचियों पर सारा वीर्य निकाला, और फिर से मुँह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चाट कर साफ कर दिया।

बिस्तर पर थोड़ा आराम करने के बाद हमने कपड़े पहने। उसने पर्स से 1000 के चार नोट निकाले और मेरी तरफ बढ़ा दिए। मैंने कहा ‘सपना मैडम, मेरी फीस मात्र 1500 रुपये है। मैं ये नहीं ले सकता।’

उसने मेरे गाल पर चुटकी लेते हुए कहा- ‘अजय 1500 तो तुम्हारी फीस के बदले और बाक़ी दूध-रबड़ी के लिए हैं। 56 दुकान से पेट भर खाना क्योंकि परसों पूरी रात तुम्हें मेरे साथ बितानी है।’

‘अब चलें, क्योंकि मेरी सास घर आ गई होगी।’ उसने जाने के लिए पूछा।

हम ठीक 8:30 पर वहाँ से निकल गए। रास्ते भर मैंने उससे उसकी वास्तविकता जाननी चाही, किन्तु उसने सारी बातें परसों तक टाल दी।

सपना ने मुझसे मेरा मोबाईल नम्बर ले लया और अपना नम्बर भी मुझे देकर मुझे रीगल स्क्वेयर पर उतार कर क़ातिल मुस्कान चेहरे पर लिए हुए कहा- परसों मैं ठीक 7 बजे कॉल करूँगी और कहाँ मिलना है, कैसे मिलना है बताऊँगी।’

दोस्तों यह कहानी नहीं, एक सत्य घटना है। सपना की वास्तविकता क्या है? शादी के 2 वर्षों के बाद भी क्यों वह आज तक कुँवारी थी, मैं आपको अगले अंक में बताऊँगा।

आपको मेरा यह लघु-प्रयास कैसा लगा, कृपया मुझे बताएँ।
[email protected]
0948

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