वर्जिन आर्मी का ‘मिशन प्यार’

प्रेषक : वर्जिन जनरल

दोस्तो, मैं आपका वर्जिन जनरल आपके सामने फिर हाज़िर हूँ कहानी लेकर, मैं फिर से दोस्तों से कहना चाहता हूँ कि अगर मैं किसी के मेल का उत्तर न दे पाऊँ तो मुझे माफ़ करना !

एक और बात दोस्तो, मैं यह कहना चाहता हूँ कि ये कंपनी केवल प्यार के लिए बनी हैं और कृपा करके मुझसे जुगाड़ की उम्मीद न करें।

यह कहानी है मेरे सदस्य ‘AB’ की जो मेरा नया मेंबर है, उसी की जुबान में।

दोस्तो, मैं आपके सामने अपनी पहली कहानी लिखने जा रहा हूँ।

कंपनी ज्वाइन होने के दो दिन बाद मेरे पास जनरल साहब का फ़ोन आया और मुझसे कहा कि इस पते पर जाओ, वहाँ सर्विस देनी है, मुझे सारी सूचना दे दी थी।

ठीक समय पर मैं उनके घर पर था। डोर-बेल बजाई, एक औरत बाहर आई, कोई 35 साल, रंग गेहुंआ, थोड़ी सी मोटी, साड़ी नाभि से नीचे बंधी हुई थी, आँखें भूरी थी, बाल बंधे हुए थे।

वो बोली- कौन? किससे मिलना है आपको?

मैंने कहा- जी मुझे रेणुका जी से मिलना है, मुझे कोमल जी ने भेजा है।

उसने कहा- आप अंदर आओ, यहाँ इंतज़ार करो।

इतना कह कर वो अंदर चली गई।

उसका गेस्ट-रूम इतना प्यारा था कि क्या बताऊँ दोस्तो ! दीवार पर गुलाबी रंग, उस पर गहरे रंग के ही दिल बने हुए थे। उससे बगल में एक रेशमी कपड़े से ढकी हुई छोटी सी म्यूजिक लाइब्रेरी। उसमें देखा तो सारी की सारी रोमांटिक गानों के कलेक्शन थे।

उस म्यूजिक प्लेयर में धीमी आवाज़ में ‘मैं रंग शरबतों का, तू मीठे घाट का पानी’ गाना चल रहा था। उससे आगे एलसीडी टीवी जो कि उसकी सजावट से खूबसूरत लग रही थी। उसके सोफे जिस पर मैं बैठने लगा, तो ऐसा लगा मखमल है। ऐसी डिज़ाइन के सोफे आज तक नहीं देखे। बीच में टेबल इतनी साफ़ और उस पर भी सोफे के रंग से मिलते हुए मखमल का मेजपोश।

सोफे के बगल में एक डस्टबिन था। गलती से पैर लगने से वो खुल गया और उसमें एक कार्ड पर नज़र पड़ी जो कि फटा हुआ था। उसको जोड़ कर देखा, उसमे लिखा था इंग्लिश में, आपको हिंदी में बता रहा हूँ।

‘मेरे प्यार, मैंने आज तक तुम्हारे अलावा किसी से भी प्यार नहीं किया। लेकिन तुम मेरे प्यार को मजाक बना रहे हो। तुम्हारा किसी और के साथ भी चक्कर चल रहा था फिर भी मैंने तुम्हें माफ़ किया, आज तुमने मेरी सहेली के साथ गलत कर दिया, यह जख्म मुझे हमेशा खलता रहेगा। मुझे मालूम है तुम यह पढ़ने के बाद भी इस कार्ड को फाड़ कर फेंक दोगे, लेकिन इसकी सजा तुम्हें मैं देकर रहूँगी- रेणुका’

सच मानो दोस्तो, मैं बहुत ही सोलिड दिखने वाला लड़का आज दिल ही दिल में रो रहा था, मन ही मन रेणुका के पति को गालियाँ दे रहा था। उस समय मैं ही जानता हूँ, कैसे मैंने अपने आँसुओं पर काबू किया।

पता नहीं कब पाँच मिनट हो गए, वो नौकरानी वापिस आई और बोली- मेमसाब आने वाली हैं, तुम इंतज़ार करो।

इतना कह कर वो घर के बाहर चली गई और मैं उस कार्ड को देखता रहा और थोड़ी देर फ़िर उसे उसके ठिकाने पर डाल दिया।

थोड़ी देर बाद एक धीमी सी गुलाब के पाउडर की खुशबू हवा में महकी, गर्दन उठा कर देखा, तो अप्सरा थी मेरे सामने।

रंग गोरा, 34-30-38, 5’7″, हल्की सी लिपस्टिक, आँखों में काजल, बाल खुले, लाल रंग के सेंडल, लाल रंग की पारदर्शी नाइटी, अंदर उसी रंग की ही ब्रा और पैन्टी, उसकी सुंदरता में सब कुछ था ! बस उसकी आँखें जो कुछ लाल थीं, शायद रोने की वजह से या कल रात उसने तड़प-तड़प कर बिताई।

उसकी खूबसूरती का मुकाबला कोई भी नहीं कर सकता।

इतने में उसने चुटकी बजाई और मेरी आँखें उसकी आँखों से मिलीं।

रेणुका ने कहा- तुम्हें कोमल ने भेजा है न? उसी कंपनी से हो ना?

मैंने कहा- हाँ मैडम, आपकी खिदमत में।

रेणुका ने कहा- मैंने तुम्हें सेक्स के लिए नहीं बुलाया है, सेक्स के जरिये मैं कुछ करना चाहती हूँ, जिससे मुझे कुछ संतुष्टि मिले।

मैंने उसकी बात समझ ली थी कि वो क्या पाना चाहती है, लेकिन मैंने फिर भी अनजान बनते हुए कहा- जो भी आप चाहोगी, वो ही होगा।

वो धीरे से मेरे पास आई और मेरे एक हाथ को उठा कर अपनी पेट पर रख दिया और एक हाथ को अपने हाथ में लेते हुए खुद का दूसरा हाथ मेरे कंधे पर रख दिया और हम उसके इशारों पर हिल डुल कर डांस कर रहे थे।

मैं मन ही मन उसके लिए प्यार का तूफ़ान समेटे हुए था, उसके दिल में धोखे की बात का रखना जो कि उसके दिल की दशा बता रहे थे। उसकी आँखों में पता नहीं क्या कशिश थी, जो मेरे होंठ खुद ब खुद उससे जुड़ गए और उसके होंठों का रसपान करने लगे। उसने भी मुझे उसी अवस्था में होंठों को चूसना जारी रखा और दो मिनट बाद उसकी आँखों से आँसू झलक पड़े।

मैं उससे अलग उसके मुँह को अपने हाथों से साफ़ किया और पूछा- क्या हुआ?

उसने कहा- कुछ नहीं। आज प्यार का दिन है, करते रहो।

और उसने फिर से अपने होंठों से मेरे होंठों को जोड़ लिया और मेरे होंठों को ऐसे चूसने लगी जैसे पहली बार उसने चुम्बन किया हो। उसके हाथ मेरी पीठ पर घूम रहे थे और साथ ही साथ मुझे रेणुका की ओर धक्का भी लगा रहे थे।

उसका एक पैर घुटने से मुड़ कर ऊपर हो गया और अपने दूसरे पैर के पंजे को ऊपर उठा कर अपनी प्यास को मुझे बताने की कोशिश कर रही थी। मैं भी उसके गालों को पकड़ कर जोरों से चुम्बन कर रहा था और संतुलन बिगड़ने के कारण मैं सोफे पर गिर गया और उसके होंठ मुझसे अलग होते हुए मेरे सीने पर गिर गई।

मैंने उसे उठाने की कोशिश की लेकिन उसने कहा- रुको।

शायद वो मेरे सीने पर सर रख कर सुकून महसूस कर रही थी। उसने इससे पहले ये सब ना किया हो, मैं भी उसकी तकलीफ़ जानता था इसीलिए मैंने उसको उसी स्थिति में रहने दिया। उसका एक पैर मेरे पैरों के ऊपर था और मेरे लंड पर उसकी चूत थी लेकिन मेरे मन में उसे चोदने का ख़याल नहीं था, बस था तो उसे प्यार करने का।

मैंने उसको डिस्टर्ब नहीं किया और 5 मिनट बाद देखा तो वो सो गई थी। मैंने अपनी बाहें उसकी पीठ पर रखीं और दीवार पर देखा, तो घड़ी में 1 बज रहे थे। मैं मन ही मन उसको प्यार जताने का पूरा मौका देना चाहता था।

उसको आज का दिन याद रहे ऐसा कुछ करूँ मैं, इतनी मुलायम, इतनी प्यारी, इतनी सुन्दर लड़की बिना प्यार के कैसे? भगवान् को पूछ रहा था कि किस को क्या दे देता है? यह सब सोचते सोचते मेरी भी आँख लग गई।

ठीक तीन बजे मेरी आँख खुली, मैंने देखा तो वो मेरे पास में नहीं थी, अंदर जाकर रसोई में देखा तो वो चाय बना रही थी, मुझे देखकर वो मुस्कुराई।

मैंने उसको प्यार जताने के लिए कहा- अरे मैं बनाता हूँ चाय, तुम जाओ, हमारे हाथ की भी चाय पीकर देखिये।

उसने जगह छोड़ दी लेकिन मजाक में कहा- यह मेरी ज़िन्दगी की शायद सबसे बुरी चाय होगी।

और मुस्कुरा दी।

मैंने भी हँस कर कहा- मैडम पीकर तो देखिये, आगे आपका फैसला।

उसकी आँखों में अब ख़ुशी के पल थे शायद वो भी इस ख़ुशी से अनजान थी कि पति रसोई में हँसी मजाक में रोमांटिक हो जाता है तो ये भी पल याद रहे।

अब वो हँसने लगी थी, थोड़ी देर में चाय बना ली, उसने पी और एक चुस्की लेने के बाद मेरी ओर गुस्से से देखा, कप को साइड में रखा और गाल पर ज़ोर का किस किया और बोली- मस्त चाय।

मैंने उसका अभिवादन आँखों में कर दिया और वो मुझे अपने साथ अपने बेडरूम में ले गई वहाँ वो मुझ पर झपट पड़ी और मुझे किस करने लगी और उसके होंठ सुबह से भी ज्यादा वासना से लिप्त लगे। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

उसके हाथ मेरे पेट से होते हुए मेरी कमर पर जा रहे थे और उसकी चूत मेरे लंड को रगड़ रही थी, जो उसकी और मेरी उत्तेजना को बढ़ा रही थी। मैंने एक ही झटके में उसके नाइटी को उससे अलग कर दिया और अब वो केवल ब्रा और पैन्टी में थी, उसकी पैन्टी जो साइड से गांठ वाली थी, उस पर बहुत जंच रही थी।

उसकी हिलती हुई कमर मेरी भी तड़प बढ़ा रही थी। उसने मुझसे होंठ अलग करते हुए और अपनी गर्दन को ऊपर उठा दी,अपनी आँखें बंद करते हुए अपनी वासना को महसूस कर रही थी और उसके मुँह से निकला ‘म्म्म… अहम… अम्म्म अहा… आअह… बहुत बढ़िया…’

मैंने पलटी लेते हुए उसको अपने नीचे कर दिया और उसके गर्दन और कान को ऐसे चूमने लगा और अपनी जीभ को इस तरह नचा रहा था कि वो वासना से पागल हो रही थी। मेरे एक हाथ ने उसकी गर्दन को पीछे से पकड़ा हुआ था और एक हाथ उसकी पीठ पर ले जा कर मैं ब्रा के हुक को खोल रहा था।

उसके गालों पर कभी धीरे से चुम्बन करना, उसके होंठों से सिर्फ एक इंच दूर से होंठों को ले जाकर उसे चिढ़ाना, उसकी प्यास को और बढ़ा रहा था। उसकी कमर अभी से ही हिल रही थी और फिर इस पकड़म-पकड़ाई में उसने मेरे होंठों को पकड़ लिया और चूमने लगी। मेरा हाथ उसकी ब्रा निकालने में सफल हो गया और उसको साइड में फेंकते हुए मेरे हाथ उसके उरोजों को मसलने लगे।

‘इतने मुलायम इतने खूबसूरत, गुलाबी र के चूचे, आये हाय!’

मेरी इस हरकत ने उसे पानी छोड़ने पर मजबूर कर दिया जो उसकी पैन्टी को गीला कर रहा था।

उसने मुझे चूमा और कहा- मैं ज़िन्दगी में इतनी जल्दी नहीं झड़ी, थैंक यू, आई लव यू।

मैंने उसको फिर से चूमा और उससे अलग होकर उसकी पैन्टी हटाने लगा तो उसने रोक दिया और उठकर मेरी पैन्ट को अलग किया और मेरी टी-शर्ट और मेरी बनियान, अंडरवियर को उतार दिया। उसने और मेरे लंड को हाथों से छुआ और धीरे-धीरे अपने मुँह में लेने लगी।

उसके मुँह से ‘इइ… इइइ… इइ… इइइ… उम्म्म्म…’ निकल रहा था।

मैं भी तो कुंवारा था तो मैंने भी अपना लावा उगल दिया और साँसें ठीक करने लगा।

फिर मैं वापिस बेड पर आकर उसकी पीठ पर चूमने करने लगा और अपने हाथों को आगे ले जाकर उसके उरोजों को दबाने लगा। मुझे नहीं पता था कि वो इतनी जल्दी वापिस तैयार हो जायेगी। मैं उसकी चूत को देखने के लिए तरस रहा था।

मैंने उसे सीधा किया और उसके उरोजों को मुँह में ले लिया और धीरे-धीरे काट भी लेता, जिससे उसके मुँह से ‘इस्स्स्स्स’ निकल जाता। उसकी पैन्टी को धीरे से गांठ खोल के अलग कर दी।

उसकी चूत ! वाह क्या चूत थी !

उस पर उंगली रखी तो वो चिहुंक उठी। उसने देखा और अपनी चूत को ऊपर उठाया और आँखों में ही कहा, मैं उसकी आज्ञा मानते हुए उसकी चूत को चाटने लगा, जीभ को अंदर डाल कर घुमाने लगा और उसकी भग्नासा को भड़काने लगा।

उसने चिल्लाना शुरू कर दिया- अह्ह हाआआअ, काट डाल इसे… बहुत तड़पाया है इसने, सालीईईई बात ही नहीं मानती… ईईई, उम्म्म्म्म् तू करता जाआआ।

और 5 मिनट में फिर से पानी छोड़ दिया और फिर अपने लंड को उसकी चूत पर लगाकर रगड़ रहा था। दो मिनट बाद उसकी चूत ने उछलना शुरू कर दिया और बोली- डाल दो अंदर प्लीज, मत तड़पाओ !!

मैंने उसकी प्यास का सम्मान करते हुए लंड को चूत पर रख कर हल्का सा धक्का दिया और मेरा लंड आराम से उसकी चूत में चला गया और उसके मुँह से ‘उम्मम्म’ निकला।

मैंने धक्के लगाने शुरू किये और बोला- तुम कितनी सुन्दर हो, भगवान् नसीब वालों को ऐसी चूत मारने का मौका देता है।

वो लगातार मस्ती में सिसिया रही थी- मारता जाआअ… रुक मत, तू भी साला मस्त माल है, एक मेरा पति है साला, जिस साले ने मुझे कहीं का ही नहीं छोड़ा, साले ने मेरी सहेली को ही रगड़ दिया।

‘आज सारे गम भूल जाओ, अभी बसचुदाई का मज़ा लो। आज तक इतना प्यार नहीं किया होगा किसी ने तेरे साथ।’

“हाँ सही कहा तूने, करताअ जाआ, उम्म्म्म फ़क मी, ऐसे हीईई, मादरचोद गज़ब का है तू !”

मैंने कहा- तू भी कहाँ कम है, साली रांड की तरह मरवा रही है, तू आज से हर रोज़ मेरी सर्विस लेगी।

वो अपने अंतिम पड़ाव पर थी- करता जाआअ, मैं आईई !

इतना कहने के साथ वो झड़ गई और मेरे लंड ने भी उसकी चूत के बारह बजा कर अपना लावा उगल दिया और हम दोनों थक कर लेट गए।

उस दिन मैंने उसको तीन बार चोदा और जाते-जाते उसने कहा- आज का दिन मेरी ज़िन्दगी का सबसे हसीन दिन है, मैं कल शहर छोड़ कर जा रही हूँ, अपने पति से तलाक ले रही हूँ।

मैंने कहा- तुम्हें तुम्हारी ज़िन्दगी की नई शुरुआत करनी चाहिए, आल द बेस्ट, और हाँ कार्ड को कभी भी डस्टबिन में नहीं डालते।

इतना सुनने के बाद उसे पता चल गया कि मैंने उसके कार्ड को पढ़ लिया है।

उसने कहा- नहीं, तुम्हें लेने पड़ेंगे और जब भी मैं वापिस आऊँ, तुम्हें मेरे पास आना होगा।

और उसने मेरे जेब में पैसे डाल दिए, मैं वहाँ से चला आया।

बस इतनी सी है यह कहानी।

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