इसने मजा खूब दिया !

आपके सामने मैंने अपनी कहानी का पहला हिस्सा कानपुर से इलाहाबाद रखा था और इलाहाबाद से आगे बनारस का सफ़र अब लिख रहा हूँ।

कानपुर से हम लोग इलाहाबाद ट्रेन से गए लेकिन इलाहाबाद से बनारस प्राइवेट टैक्सी की और उससे गए। दो घंटे में बनारस पहुँच गए और घर मेन बाज़ार से लगा हुआ था।

बाहर से तो घर छोटा सा था लेकिन अंदर से बहुत बड़ा था, नीचे 5 और ऊपर 6 बड़े बड़े कमरे थे।

मैं पूछ बैठा- किराए पर मकन देतीं हैं क्या?

बोली- हाँ! किराये पर रहता है। ऊपर सब किरायेदार हैं, उनका रास्ता अलग से है।

क्या शानदार घर था!

यहाँ आकर हम लोगों ने नहा-धोकर खाना खाकर आराम किया।

रात को उसने कामवाली को बता दिया था समय पर आ गई और खाना बना कर चली गई।

हम लोग खान खाकर वहाँ से रिक्शा लेकर घाट की तरफ गए, घाट का नाम याद नहीं है, देखा- क्या जानदार जगह है!

लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि सारे घाट जाने के रस्ते गली से ही हैं और वहां आप पैदल ही जा सकते हैं।

रात हो रही थी, आरती देख कर हम लोग वापस आ गये।

घर पहुँच कर उसने कहा- एक बात पूछनी है।
मैं बोला- क्या?

वो बोली- क्या तुम ग्रुप में सर्विस दोगे?
मैं बोला- क्या मतलब?

वह बोली- मेरी सहेली यहाँ रहती है और वो भी मजा लेना चाह रही है! अगर तुम तैयार हो तो बताओ! पैसा मिल जायेगा।
मैं बोला- लेकिन मेरी पहचान गुप्त रहेगी?
बोली- उसकी गारेंटी!

और फिर अगले दिन उसने अपनी सहेली को दोपहर को बुला लिया क्योंकि उस वक्त कोई आता नहीं है, और घर पर भी कोई दिक्कत नहीं होगी।

सुबह नहा कर नाश्ता कर हम लोग टीवी देख रहे थे। घंटी बजी और उसकी सहेली (बदला नाम है) आरती आ गई।

क्या लड़की थी यार! यकीन नहीं हो रहा था! कोई नहीं कह सकता था कि वह चालीस साल की औरत है, उसे देख कर लगा जैसे कोई 25 साल की लड़की हो!

मैंने बोल भी दिया- आप तो 25 से ज्यादा की नहीं दिखती।

वह हंसने लगी। फिर इधर उधर की बात होने लगी, उसने मेरा नंबर लिया।

मैं उसके बगल में बैठा था, मैंने उसकी जांघ पर हाथ फेर कर उसको उत्तेजित कर दिया। मैडम बोली- मैं अभी आती हूँ!

कह कर कमरे से बाहर गई और 5 मिनट में वापिस आ गई। इस बीच मैं और आरती अपने में मस्त हो गये थे। आरती का ब्लाऊज़ उतर चुका था और मैं उसके पेटिकोट को खोल रहा था। उसने मेरा शर्ट हटा दिया था।

और जब मैडम आई तो उसने झट से मेरी पैंट खोल कर मुझे नंगा करने के लिए मेरी चड्डी नीचे खींच दी।

मैं दो औरतों के बीच में नंगा खड़ा था।
इस बीच मैडम ने अपने कपड़े उतारे और वो भी नंगी हो गई।

उसकी झांट के बाल तो साफ़ हो ही चुके थे, मेरे मुँह पर अपनी चूत सटा कर बोली- इसको चाटो!

और उसने अपनी चूत के फलक अपने हाथ से खींच कर खोल दिए तो बीच का छेद दिखने लगा और मैं उसके छेद पर अपनी जीभ रख चाटने लगा।

उधर आरती जब अपना नंगी हुई तो मैं मैडम को चाटना भूल गया।

यार उसने चड्डी तो पहनी थी या कहूँ नहीं!

कुछ नहीं कह सकता! एक डोर थी जो कमर पर थी और पतली सी डोर उसके बुर पर से होती हुई पीछे चली गई थी। उसकी बुर के अंदर वो घुस गई थी उसका पहना और न पहना होना बराबर था।

वो मैडम के साथ मुझे देख गीली हो रही थी क्योंकि डोर से उसकी गीली बुर चमक रही थी।

वो हमारे पास आ गई और मेरे मुँह पर अपने बुर लगा कर बोली- अब जरा इसकी सेवा कर दो!

और मैडम मेरे लिंग को अपने मुँह में लेकर चाटने लगी। कुछ देर में मैं अपना माल उनके मुँह में गिराने वाला ही था कि मैडम बोली- आरती, क्या तुम लोगी इसे अपने मुँह में?

और वो झट से चटवाना छोड़ मेरे लिंग को मुँह में लेकर जोर जोर से चूसने लगी। मैंने एक मिनट में उसके मुँह में अपना वीर्य उगल दिया और उसने उसको थोड़ा अन्दर कर लिया, थोड़ा बाहर निकाल दिया। जब बाहर निकला तो मैडम उसके मुँह से उसको चाट गई।

मैं थक गया था सो एक तरफ लेट गया। वो दोनों भी थक गई थी क्योंकि सभी ने अपना पानी गिरा दिया था।

थोड़ी देर आराम करने के बाद आरती उठी और मेरा लिंग चूसती हुई बोली- आओ!

और मैं उसके पास चला गया और उसकी बुर मे उंगली डाल कर उसको उत्तेजित करने लगा। वो उसमें इतना मस्त हो गई कि बोली- अब मुझे मत छोड़ो! डाल दो!

मैं उसको चाट रहा था कि फिर उसका पानी निकल पड़ा। वो और उत्तेजित हो गई, उसकी उत्तेजना आसमान छूने लगी तो अपनी सहेली से बोली- इसको कह ना कि चोद मुझे!

मैडम बोली- क्यों तरसा रहे हो उसको?

और फिर उसकी बुर में मैंने अपना लिंग डाल दिया। उसके अन्दर घुसते ही गनगना गई और बोल उठी- आह! रगड़ दे!

और फिर मैं उसको रगड़े मारने लगा, उसका पानी जल्दी निकल गया। मेरा पानी ये दोनों एक बार निकाल कर पी चुकी थी तो मैं इतनी जल्दी गिरने वाला नहीं था। कस कर रगड़ड़ आरती को तो फिर वो गिरने लगी, अकड़ गई और मुझे अपनी बाहों में कस लिया, उसके नाखून मेरी पीठ में चुभने लगे और उसने अपना पानी छोड़ दिया। उसकी बुर ने मेरे लिंग को अपने अंदर कस कर जकड़ लिया था।

मेरा अभी गिरा तो था नहीं और अलग से उसकी जकड़ ज्यादा मजा दे रही थी।

फिर वो निढाल हो गई। इस बीच मैडम आई और मुझे खींच लिया, बोली- अब आओ!

और लेट गई, मैं उसके चूचे चूसने लगा वो उसमें मजा ले रही थी। मेरा एक हाथ उसकी बुर के छेद पर था, उसकी बुर गीली हो रही थी, उसका पानी उतर रहा था।

फिर धीरे से चाटते हुए मैं उसकी बुर की फ़ांकों को खोल कर चाटने लगा। वो उचक-उचक कर अपनी बुर मेरे मुँह में घुसेड़ने लगी। उसकी बुर की फ़ांको को मैं अपने दांतों से हल्का सा दबा कर काट रहा था और वोह चिल्ला रही थी, बोल रही थी- लो, चबा जाओ!

फिर तो उसकी बुर खुल गई थी, उसने कहा- कुछ भी नया कर!

मैं गया, उसके फ़्रिज़ से मलाई निकाल लाया और उसकी बुर में भर दी और फिर उसको चाटने लगा। इससे उसको और आग लगी और फिर मेरे मुँह पर अपनी बुर दबाने लगी, बोली- तुम अपना लिंग डाल दो! अब नहीं रुका जा रहा है।

मैंने जैसे ही डाला, बोली- जल्दी करो! मैं जल्दी जाऊंगी!

और चार पांच धक्कों में अकड़ गई, बोली- अब गई! नहीं रुका जा रहा!

और उसने अपना पानी निकाल दिया। मैं भी कहाँ रुक पा रहा था, दो को चोदा था सो निकलने वाला था।

वो बोली- तुम अपना पानी मेरे मुँह में डाल दो!

और उसने रगड़ मारी और मेरा निकल गया। वो मेरा गाढ़ा वीर्य पी गई और हम दोनों थक कर गिर गए।

लेकिन उसकी सहेली आरती को देख मेरा मन हिल गया, उसके पास गया और उसकी बुर से खेलने लगा। उसकी कसी बुर फिर से जोर जोर से चाट डाला और फिर उसमें मलाई भरी और चाटा।

उसको मजा आ गया, बोली- वाह! और करो!

उसने अपने आप अपनी बुर में मलाई भर ली और बोली- चलो खाओ!

और मैंने उसको चाट डाला, उसको कहा- तुम मेरे लिंग पर लगा कर चाटो!

उसने वैसा ही किया और सोये लिंग पर मलाई लगा कर चाटा तो थोड़ी देर में उसमें जान आ गई, वो तनने लगा और आरती पागलपने में मेरे लिंग से खेलने लगी, कभी उसको खींचे और फिर ऊपर-नीचे रगड़े और कभी उसको दांतों से दबा कर काट ले, मेरे लटकन को मुँह में लेकर चाटे और उसी को खींच ले जोर से!

मेरी तो जान निकाल गई पर उसको यह सब करने में मजा आ रहा था। थोड़ी देर करने के बाद उसने अपना पानी छोड़ दिया और शांत हो गई।

शाम हो गई थी, छः बज गए थे, वो उठी, बोली- आज मजा आ गया! लड़का छोटा दीखता जरूर है लेकिन इसने मजा खूब दिया! स्टाइल है!

और फिर वो टॉयलेट गई, साफ़ होकर कपड़े पहन कर आई, मैडम से बोली- कब तक रहोगी?

मैडम बोली- मैं तो अभी रहूँगी पर यह कल चला जायेगा।
उसने मुझसे कहा- सम्पर्क में रहना!

और फिर अपने पर्स से एक सौ के नोटों का बंडल निकाल कर मेरे हाथ में रखा, बोली- अब जब बुलाऊँ तो आना जरूर!

और वो चली गई।

मैडम ने कहा- साफ़ हो लो! अभी काम वाली आयगी!

वो और मैं दोनों नहा धोकर कपड़े बदल कर बैठ गए।
कामवाली आई और काम करके चली गई।

मैडम ने मुझे शाम को संकट मोचन मन्दिर दिखाया, काशी विश्वनाथ ले गईं और फिर बनारस यूनीवर्सिटी में मंदिर था, वहाँ ले गई।

हम लोग वापस घर आ गये और खाना खा कर मैं मैडम के कमरे में उनके साथ सो गया। हमने सेक्स तो नहीं किया लेकिन हाँ हम दोनों नंगे ही सोये!

सुबह उठे, मैडम बोली- आओ नाश्ता कर लो! तुम्हें जाना है!

नाश्ता करने के बाद मैडम ने कहा- मजा तो आया! अब अगली बार ज्यादा समय के लिए आना। यहीं मिलेंगे!

मुझे रुपये दिए, कहा- जब कोई जरूरत हो तो फोन कर देना!

और मैं वहाँ से वापस आ गया।

आपको मेरी कहानी कैसी लगी, बताएं जरूर।

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