चूचियों से टपकता दूध

mayaraj7 2013-08-22 Comments

प्रेषिका : माया

मित्रो, मेरी कहानी शायद आपको थोड़ी अजीब लग सकती है, पर आप अपने विचार जरूर प्रकट करें।

मैं एक 35 वर्षीया घरेलू महिला हूँ। पति की कमाई से जब काम नहीं चला तो मैंने विश्व का सबसे पुराना धंधा शुरू कर दिया। मुझे इस धंधे में 5 साल हो गए हैं।

इस दौरान पता नहीं कितने लोगों का बिस्तर गर्म कर चुकी हूँ, पर एक आदमी ऐसा है जिसके बारे में कहानी लिखने की जरुरत है।

मैं उसे साब कहती हूँ। वो एक धनी सेठ हैं, उम्र कोई 48 के आस-पास की होगी। उनके साथ बिस्तर पर ऐसा लगा ही नहीं कि मैं एक रंडी हूँ।

वैसे तो हम जैसी औरतें इस काम में मज़े की परवाह नहीं करती और न ही इसमें मज़े की कोई संभावना है, फिर भी जाने क्यों उनके साथ चुदाई की इच्छा हमेशा बनी रहती है।

आजकल मैंने एक नया काम शुरू कर दिया है, लड़कियाँ उपलब्ध करवाने का। इस काम में मुश्किलें कम हैं और लाभ ज्यादा है।

मेरी यह कहानी मेरे बारे में नहीं है, यह एक ऐसी औरत की कहानी है जिसे मैं एक बार साब के पास ले गई थी। उसका नाम सीमा है, उसका पति एक नंबर का शराबी है और पैसे के मामले में इतना कमीना है कि अपने 6 माह के बच्चे के लिए कपड़े तक लाने की बजाय दारू लाना उसे मंज़ूर है।

सीमा इस कदर परेशान हो गई कि मुझे अपनी बात रखने का मौका मिल गया। उसे मनाने में मुझे कुछ टाइम लगा पर आखिर में वो तब मानी जब उसके बीमार बच्चे की दवा तक की व्यवस्था उसके नीच पति ने नहीं की। मैंने उसकी थोड़ी मदद की और वो मेरी बात मान गई। अपने बच्चे के लिए माँ क्या कुछ नहीं कर सकती?

सीमा के बारे में क्या बताऊँ, वो एक सामान्य भारतीय नारी है। उसका रंग सांवला, कद मध्यम, शरीर भरा हुआ, सबसे बड़ी बात वो एक 6 महीने के बच्चे की माँ है।

मैंने साब को उसके बारे में बताया तो साब ने तत्काल हाँ कर दी। मेरे लिए यह आश्चर्य की बात थी क्योंकि साब एक 6 महीने की माँ के साथ तुरंत तैयार हो गए। उनके लिए तो लड़कियों की लाइन लग सकती है, वो भी विदेशी लड़कियाँ। खैर मैंने साब से वादा किया और सीमा को पटाने में लग गई।

मैंने उसे सब कुछ गुप्त रखने और अच्छे पैसे मिलने का लालच देकर राज़ी कर लिया। सुबह दस बजे का वक्त तय कर दिया क्योंकि तब तक उसका पति बाहर चला जाता था। जो देर रात ही वापस आता था।

मैंने उसे अच्छे कपड़े पहनने और तैयार रहने को कहा।
साब ने मुझे एक और अजीब बात कही कि मैं सीमा से कहूँ कि वो सुबह अपने बच्चे को अपना दूध न पिलाए। उसकी व्यवस्था वो अपने घर में कर देंगे। मैंने यह बात भी सीमा को कह दी।

सही समय पर मैं सीमा से गली के मोड़ पर मिली, वो काफी सुन्दर लग रही थी और थोड़ी चिंतित भी, आखिर उसकी ज़िन्दगी का यह इस तरह का पहला दिन था, उसका बच्चा गोद में था, मैंने उसे दूध पिलाने के बारे में पूछा, उसने बताया कि उसने सुबह से ऐसा नहीं किया है।

हमने एक ऑटो किया और साब के बंगले की ओर चल दिए। वहाँ मुझे सब नौकर जानते थे। मैं उसे लेकर सीधे साब के बैडरूम में चली गई। साब अभी नहीं आये थे। हम वहाँ सोफे पर बैठ गए। मैंने देखा सीमा का ब्लाउज छाती पर उसके चूचुकों के पास थोड़ा गीला हो गया था।

सीमा ने मुझसे कहा- मेरी छातियों में दर्द होने लगा है।

मैंने उसकी चूची को छू कर देखा, वो बिलकुल चट्टान जैसी लग रही थी। मैंने उसे हिम्मत बंधाई कि एक बार साब आ जायें तो वो उन्हें देखने के बाद बच्चे को दूध पिलाने की इज़ाज़त दे देंगे। वास्तव में क्या होने वाला था यह तो मैं भी नहीं जानती थी।

खैर तभी साब आ गए। मैं उठ कर नीचे आ गई। बच्चे को सीमा ने सोफे पर ही लिटा दिया। आगे की घटना मुझे कुछ तो सीमा ने बताई और कुछ साब की नौकरानी ने बताई जो खिड़की में से कुछ-कुछ देख रही थी।

साब ने सीमा को बैड पर बुलाया। वो डरती-डरती बैड के पास आई। साब ने उसे प्यार से पास बिठाया। परिवार के बारे में पूछा, और हौले से उसके शरीर को हाथ लगाया। सीमा अंदर तक काँप गई।

साब ने उसके गाल को हौले से सहलाया और धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगे। नीचे ब्लाउज तक आते आते उन्हें भी गीलापन महसूस हुआ। उन्होंने हाथ से छू कर देखा। ये सीमा का दूध था, जो बच्चे को न पिलाने के कारण निकल रहा था।

सीमा को अजीब सा लग रहा था। उसने सोचा था कि कोई बुड्ढा मिलेगा जो सीधा उस पर झपट पड़ेगा और कुछ ही देर में वो वापस अपने घर होगी, पर यहाँ तो अलग ही नजारा था।

उधर सीमा का बच्चा भी अब भूख से परेशान हो चुका था और धीरे-धीरे रोना शुरू कर चुका था। उसके रोने की आवाज का सीमा पर क्या असर हुआ यह कोई भी औरत समझ सकती है।

उसकी चूचियाँ और कठोर हो गईं। साब ने सामने से उसके ब्लाउज के बटन खोलने शुरू किए। जल्दी ही उसका ब्लाउज बैड पर एक तरफ पड़ा था। उसने अंदर एक फटी ब्रा पहनी थी। साब ने उसे भी उसके तन से अलग कर दिया।

उसके भारी भरकम वक्ष खुले हुए थे। बच्चे का रोना अब भी जारी था और सीमा की चूचियों से दूध की बूंदें टपकने लगीं। साब ने निप्पल को होंठों की कैद में कर लिया। इधर बच्चा रो रहा था और उधर सीमा की चूचियाँ दूध उगल रही थी।

साब तो जैसे दीवाने ही हो गए थे। उन्होंने एक एक कर दोनों चूचियों को पीना शुरू कर दिया। सीमा की हालत उस वक़्त कैसी हो सकती थी, एक तरफ उसे अपने बच्चे की भूख और रोना दिख रहा था, तो दूसरी और साब के दूध पीने से उसे शांति भी मिल रही थी क्योंकि वो काफी देर से दूध भरी छाती ले कर बैठी थी।

पैसे मिलने की आशा सब चीजों पर भारी पड़ जाती है।

अचानक साब ने उसे बच्चे को बैड पर लाने को कहा सीमा खुश हो गई। बदहवास सी वो सोफे की और दौड़ पड़ी। साब तो केवल उसकी छाती ही देख रहे थे।

अपने बच्चे को लेकर वो बैड पर आई। साब ने उसे लेटने को कहा। उन्होंने बच्चे को भी साइड में लिटा दिया। अब तो उसकी चूचियाँ जैसे झरना बन चुकी थीं। उसे आश्चर्य तब हुआ जब साब ने उसके ऊपर आकर दूध पीना स्टार्ट कर दिया।

यह सिलसिला दो मिनट तक चला। अब उसका पूरा दूध खत्म हो चुका था। उसे राहत के साथ दुःख भी हुआ पर वो कर भी क्या सकती थी। उसे वो आदमी एक दानव नज़र आ रहा था।

साब ने एक बटन दबाया और एक नौकरानी अंदर आई। उसे बच्चे को ले जाने और दूध पिलाने को कहा। नौकरानी बच्चे को ले गई। साब बाथरूम में चले गए।

सीमा ने फटी ब्रा को किसी तरह पहनने की कोशिश की। अभी ब्लाउज पहन ही रही थी कि साब आ गए। उन्होंने फिर से ब्रा के ऊपर से ही चूची को दबाया।

अब सीमा को दर्द नहीं हो रहा था। बच्चे के रोने की आवाज भी नहीं आ रही थी अब, साब कमरे से बाहर निकल गए। मैं बच्चे को लेकर कमरे में गई तो सीमा ब्लाउज पहन रही थी।

बच्चे को देखते ही बिना बटन बंद किये ही दौड़ पड़ी। मैंने उसकी सुडौल छाती को देखा और पास ही बैठ गई। मैंने उसे बताया कि बच्चा बोतल से दूध पी चुका है।

उसका बच्चा आराम से खेल रहा था। सीमा अब कुछ ठीक लग रही थी। हम लोग एक घंटे तक टीवी देखते रहे। सीमा बार-बार मेरी ओर देख रही थी कि कब मैं चलने को कहूँगी।

उसे आश्चर्य हुआ जब मैंने बच्चे को उठाया और चलने लगी। उसने बच्चे को दूध पिलाने को कहा पर मैंने मना कर दिया क्योंकि साब मुझे ऐसा करने को कह चुके थे। मैं नीचे आ गई, साब रूम में आये। सीमा अब कुछ नॉर्मल लग रही थी।

उन्होंने पास में बैठकर नीचे से शुरुआत की, पेटीकोट को थोड़ा सा ऊपर करके हल्के हाथों से सहलाने लगे। अब सीमा को कुछ-कुछ अच्छा लग रहा था। हाथ अब और ऊपर की ओर सरकने लगे। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

उसकी फटी सी चड्डी अब एक करोड़पति के हाथ में थी। उन्होंने उसे निकाल कर बैड पर फेंक दी। पेटीकोट अभी भी उसके जिस्म पर था, पर थोड़ा ऊँचा उठा हुआ था।

साब ने उसकी चूत पर हल्के-हल्के हाथ फिराना चालू किया। अचानक वो नीचे झुके और उसकी चूत पर चूम लिया। सीमा ने आज तक इतनी कोमलता का व्यवहार नहीं देखा था। इसके बाद तो चूमने की बाढ़ ही आ गई।

चुम्बन की तीव्रता बढ़ती ही जा रही थी। चुम्बन धीरे-धीरे चाटने में बदल गया। उस दिन पहली बार सीमा को गुदगुदी महसूस हुई, न चाहते हुए भी उसके हाथ पहली बार साब के शरीर पर जा लगे।

साब ने अपनी स्पीड बढ़ा दी और सीमा ने अपनी कसावट। अचानक साब ने अपना एक हाथ ऊपर की तरफ किया और सीधा उसकी चूची पर जा लगा। उन्होंने उसे थोड़ा जोर से भींच दिया। अबकी बार सीमा को दर्द नहीं हुआ।

साब ने अपना मुँह ऊपर उठाया। एक बार सीमा की तरफ देखा पर वो आँखें बंद किये थी। वो ऊपर सरके और ब्लाउज के बटन खोले। ब्रा को थोड़ा जोर से खींचा। वो फट कर बाहर आ गई।

सीमा के दोनों कीमती मोती उनके सामने थे। उन्होंने फिर से पीना चालू कर दिया। पूरी तरह खाली करके उन्होंने सीमा को खड़ा किया और अपना लिंग उसके हाथ में सौंप दिया।

सीमा ने उसे सहलाने की कोशिश की पर साब ने उसका सर नीचे की ओर झुका दिया, उसने उसे होंठों के बीच दबा लिया। अब उसने इसे चूसना शुरू किया।

कुछ ही पलों में साब का पानी सीमा के होंठों पर था। साब बड़े खुश हुए और उठ कर बाथरूम में चले गए !
उनके बाथरूम से लौट आने तक सीमा अपने कपड़े पहन चुकी थी। साब ने एक हजार का नोट निकाला और सीमा के पास आए। उसके ब्लाउज में हाथ ड़ाला और नोट चूची में रख दिया।

साब ने झुक कर उसका चुम्बन लिया और कहा- सीमा मैंने जीवन में बहुत सी लड़कियों के साथ सैक्स किया है पर जो आनन्द मुझे आज आया उसकी बराबरी नहीं हो सकती, अपनी चूचियों का ख्याल रखना।

सीमा का मन किया कि वो कहे कि उसे भी अच्छा लगा पर वो कुछ नहीं बोली। साब ने फिर उसकी छाती पर चूम लिया। मैं ऊपर गई और सीमा को ले कर आ गई। उस दिन को हम में से कोई नहीं भूल पाया है।

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