तीन बुड्डों ने मेरी चूत की सील तोड़ी-2

Teen Buddon Ne Meri Seal Todi-2

मैंने अन्दर से दरवाजा बंद किया.. किताबें खोलीं और बिस्तर में लेटी हुई वही सब सोच रही थी कि किसी दिन ये बात बता दी गई.. तो मैं तो मर ही जाऊँगी।

मेरी किताब बस खुली ही थी.. पिछले तीन दिन से ना कुछ खाना अन्दर जाता था, ना सो पाती थी… बस यही डर लगा रहता था कि कहीं घर में किसी को पता ना चल जाए।

मैं जैक्सन से सब प्यार-व्यार भूल गई थी। बिस्तर पर लेटे-लेटे यही सब सोच ही रही थी कि तभी मेरे घर की घन्टी बजी।

मैंने दरवाजा खोला.. तो फिर घबरा गई। मेरी आँखें भय से खुली की खुली रह गईं…

दरवाजे पर वही बगल वाले दादा जी अपने उन्हीं हमउम्र साथी के साथ खड़े थे।

तीन बुड्डों ने मेरी चूत की सील तोड़ी-1

जिन्होंने उस दिन हम लोगों को पकड़ा था और उनके साथ एक बुजुर्गवार और थे.. उन अंकल ने ही घन्टी बजाई थी।

वे दूसरे अंकल भी मेरी कॉलोनी के ही रहने वाले थे.. उनकी उम्र करीब 50 साल थी।

ये सभी हमारी कॉलोनी के ही रहने वाले थे.. ये मुझे पता था।

फिर भी मेरे बगल वाले दादा जी ने मुझे बताया ये जैक्सन के अंकल हैं..

ये सुनते ही मैं कांप गई और मुझे लगा कि अब सबको ये पता हो गया है और अब मैं नहीं बचूंगी.. ये लोग मेरे पापा को और घर में भी सबको बता देंगे।

मैं इस पल बिल्कुल होश में नहीं थी।

तभी बगल वाले दादाजी हँसते हुए बोले- निकी.. क्या हमें अन्दर बैठने को नहीं कहोगी?

मैंने अचकचा कर कहा- ओह्ह.. आइए न.. बैठिए दादाजी…

सब लोग अन्दर आ गए और हॉल में सोफे पर बैठ गए। अब मुझसे मुँह से कुछ निकले ही ना.. वे लोग सब समझ गए थे।

तभी बगल वाले दादा जी बोले- देख निकी.. तू डर मत.. हमने जॉन्सन जी को सब बता दिया है.. ये अपने भतीजे की करतूत पर बहुत शर्मिन्दा हैं और उन्होंने उसको बहुत डांटा भी है.. वो अब कभी ऐसा ग़लत काम कभी नहीं करेगा। पहले तो हमने सोचा था कि तेरे पापा से भी बात करें.. फिर जॉन्सन जी ने ही कहा कि नहीं वो लड़की बेवजह अपने घर वालों की नज़र में गिर जाएगी.. हो सकता है उसका दोष ही ना हो.. मेरा भतीजा तो है ही ऐसा.. लड़की के घर पर बता देने से हो सकता है कि उसके पापा-मम्मी उसे मारें-पीटें.. पहले उस लड़की को समझाते हैं.. उससे बात करते हैं.. वो बात मान जाएगी.. तो अपन क्यूँ उसके घर में बताएँ… अब ये तू ही बता कि क्या हमारी बात मानेगी?

मैंने बिना सोचे ही कह दिया- आप जो बोलें दादा जी.. मैं सब मानूँगी.. मैं कभी फिर ऐसा काम नहीं करूँगी.. और अब आपको मेरे जीवन में कभी कोई शिकायत नहीं मिलेगी…

मैंने भावनाओं में बह कर ये भी कह दिया कि मैं वो सब करूँगी.. जो आप लोग कहेंगे.. जो समझाएँगे और मैंने उन सबके आगे हाथ जोड़ लिए और रो भी दी।

‘प्लीज़ मेरे पापा-मम्मी या घर में मत बताइए.. नहीं तो मैं मर जाऊँगी…’ जाने ये सब मैं कैसे कह गई।

तभी दादा जी ने कहा- रो मत निकी.. चुप हो जा, कोई सुन लेगा.. ये बहुत नाजुक और संवेदनशील बातें हैं.. इसीलिए हम तुम्हें अकेले में समझाने आए हैं.. जब तुम्हारे घर में कोई नहीं है.. तू दरवाजा बंद कर दे।

मैंने तुरन्त दरवाजा अन्दर से बंद कर लिया और दरवाजे में अन्दर से सिटकनी भी लगा दी।

तभी वो दादाजी के दोस्त.. जो उस दिन भी थे.. वे उठे और उन्होंने मुझे अपने सीने से लगा लिया.. मेरे आँसू पोंछने लगे और बोले- रुला दिया न.. इतनी सुन्दर लड़की को.. कोई नहीं बताएगा इसके पापा से.. देखो बेचारी कितनी घबराई हुई है…

ये कहते हुए उन्होंने मुझे बोला- चल निकी.. आ इधर बैठ तू.. कोई कभी नहीं बताएगा तेरे घर में…

उन्होंने मुझे अपने और जॉन्सन अंकल.. जो कि जैक्सन के अंकल थे उनके बीच में बैठा लिया।

मेरा बैठना हुआ ही था कि तभी दोनों मुझको सहलाने लगे.. मुझे बड़ा अपनापन सा लगा।
जॉन्सन अंकल भी मेरे पापा की उम्र के थे और वो दोनों तो मेरे बाबा की उम्र के थे.. करीब 60 साल के ऊपर के थे.. तो मुझे अपनापन सा लगा, अच्छा लगा, मन में आया कि जैक्सन नहीं तो उसके अंकल ही सही, अगर ये मुझे वही मज़ा दे दें तो कितना अच्छा होगा, मेरी उस दिन की अधूरी तमन्ना पूरी हो जायेगी।

तभी मेरी कुछ आँसू की बूँदें टी-शर्ट और लोवर पर गिरी थीं.. तो दोनों ने मेरे सीने पर हाथ रखे और उन्होंने मेरे होंठों पर.. आँखों पर हाथ फेरते हुए कहा- कितनी सुन्दर.. और मस्त लड़की है बेचारी.. इसके पापा को नहीं बताएँगे.. तू चिंता मत कर…

मुझे कुछ समझ नहीं आया.. मैं तो आज 4 दिन बाद थोड़ी रिलैक्स हुई थी.. जब उन्होंने कहा था कि हम कभी घर में कुछ नहीं बताएँगे.. तब मेरी जान में जान आई…

तभी बगल दादा जी ने कहा- तेरे तो पेपर हैं न निकी?

मैंने कहा- हाँ।

दादाजी- तो तू पढ़ नहीं रही थी?

मैंने कहा- लेटे-लेटे पढ़ने की कोशिश कर रही थी.. पर दादाजी मैं 4 दिन से ना सोई हूँ.. ना मुझसे कुछ खाया जा रहा था.. ना पढ़ने में मन लग रहा था.. बस लेटे हुए अभी बस किताब ही देख रही थी।

तो दादा जी ने बोला- अरे बाप रे.. हमारे पास आ जाती निकी.. बता तूने हमारे कारण इतनी तकलीफ़ सही…

तभी जॉन्सन अंकल बोले- बताओ निकी.. तुम्हें खाने में सबसे अच्छा क्या लगता है.. और कोल्ड ड्रिंक में और आइस्क्रीम में कौन सा फ्लेवर पसंद है।

मैंने शरमाते हुए थोड़ा मुस्करा के कहा-कोई नहीं अंकल.. मुझे कुछ नहीं चाहिए।

तभी दादा जी के जो साथी थे.. उन्होंने कहा- नहीं निकी.. ऐसा नहीं होगा.. तुमने अभी कहा है कि जो हम बोलेंगे.. तुम सब मानोगी.. हमारे डर की वजह से कि कहीं हम पापा से तुम्हारे बारे में ना बता दें.. तुम तीन दिन से सोई नहीं हो.. कुछ खाया नहीं है.. तो आज हमारी मर्ज़ी से खुश होकर खाओगी भी.. और सोना भी पड़ेगा.. हम अपने सामने खिलाएँगे भी और सुलाएँगे भी.. ओके…

मैंने हँस कर कहा- ठीक है अंकल.. अब कहा है.. तो मानूँगी भी.. आपको जो ठीक लगे ले आइए.. पर परेशान मत होइए।

तब जॉन्सन अंकल बोले- पापा लोग जल्दी तो नहीं आएँगे.. वक्त तो है ना निकी?

मैंने कहा- हाँ.. अंकल वो रात में 10 के पहले ना आ पाएँगे.. अभी बहुत वक्त है…

तभी जॉन्सन अंकल मेरे लिए कुछ लेने चले गए।

तब तक बगल वाले दादा जी और वो साथ वाले अंकल.. दोनों मुझे अपने गले से लगाने लगे और मेरा सीना उनके सीने से छूने लगा तो वो उसे हाथ से दबाते हुए बोले- तुम बहुत अच्छी बच्ची हो.. बेचारी परेशान हो गई…

अब तक मेरे मन में उनके लिए कुछ भी गलत विचार नहीं आया था.. क्योंकि मैं सिर्फ 18 साल की थी और वो 60-65 साल के मेरे बाबा की उमर के थे।

बल्कि मुझे तो ये लगा कि ये बेचारे मुझसे प्यार जता रहे हैं.. इतने में जॉन्सन अंकल ढेर सारा सामान लेकर आ गए.. उसमें पीज़ा.. टमाटर का सूप और सिर्फ़ मेरे लिए आमलेट भी था।

हम सबने खाया.. मुझे सब अपने हाथों से थोड़ा-थोड़ा खिला रहे थे और कभी मेरे कंधे में तो कभी होंठों में कुछ लग जाए तो निकालने के लिए उन्हें छू कर साफ़ कर रहे थे.. मैंने एक गिलास पी ली।

वो कोल्ड-ड्रिंक की बड़ी वाली बोतल थी.. उन सबने ज़्यादा पी.. फिर मुझे कुछ ही देर में बहुत अच्छा लगने लगा।

उन लोगों ने मेरी इतनी केयर की.. फिर मुझको बोले- चलो अब हमारी वजह से सोई भी नहीं हो.. हम तुम्हें सुला दें.. फिर जाएँगे।

अब तक 5 बज चुके थे।

मैं बोली- नहीं.. मैं अभी नहीं सोऊँगी.. बाद में सो जाऊँगी.. आप लोग बहुत अच्छे हैं.. आप परेशान मत होइए…

तभी वो बोले- चार दिन से सोई नहीं हो.. अभी कुछ खाया है… चलो सो जाओ.. हम तुम्हें बिना सुलाए नहीं जाएँगे।

मैंने कहा- ठीक है.. मैं सो जाती हूँ।

वे मुझे आदेशात्मक स्वर में बोले- चलो अपने बेडरूम में..

मैं जाने लगी तो वे तीनों मेरे पीछे-पीछे बेडरूम में आ गए।

मैंने कहा- दादाजी.. आप लोग बेवजह परेशान हो रहे हैं.. मैं सो जाऊँगी।

वो बोले- नहीं निकी.. तुम चुपचाप लेटो.. बाम वगैरह कुछ है?

तभी उन्हें वहीं सरसों का तेल दिख गया।

दादा जी बोले- तुम लेटो और सोने की कोशिश करो.. हम तुम्हारे सर में.. पैरों के तलवों में ये तेल लगा देते हैं.. सर भी ठीक हो जाएगा…

मैं जरा संकोच कर रही थी.. तभी जो दूसरे अंकल थे.. उन्होंने मुझे पकड़ा और बिस्तर पर लिटा दिया और बोले- तुमने कहा था.. तुम हमारी बात मानोगी…

मैं सीधे लेट गई। मैंने टी-शर्ट और लोवर पहना हुआ था। जब मैं सीधे लेटी तो मेरा पेट पूरा खुल गया।

मेरा आपसे निवेदन है कि मेरी कहानी के विषय में जो भी आपके सुविचार हों सिर्फ उन्हीं को लिखिएगा।

मेरी सील टूटने की कहानी जारी है।

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