तेरी याद साथ है-2

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प्रेषक : सोनू चौधरी

आंटी ने मेरे हाथ को अपने हाथों से पकड़ा और मेरी आँखों में देखा। उनकी आँखें कुछ अजीब लग रही थीं लेकिन उस वक्त मेरा दिमाग कुछ भी सोचने समझने की हालत में नहीं था। आंटी ने मेरे माथे पर एक बार चूमा और कहा,“ मैं तुमसे नाराज़ या गुस्से में नहीं हूँ लेकिन अगर तुमने नाश्ता नहीं किया तो मैं सच में नाराज़ हो जाऊँगी।”

मेरे लिए यह विश्वास से परे था, मैंने ऐसी उम्मीद नहीं की थी। लेकिन जो भी हुआ उससे मेरे अंदर का डर जाता रहा और मेरे चेहरे पर एक मुस्कान आ गई। पता नहीं मुझे क्या हुआ और मैंने आंटी के गाल पर एक चुम्मी दे दी और भाग कर बाथरूम में चला गया। मैं फ्रेश होकर बाहर आया, तब तक आंटी जा चुकी थीं। मैंने फटाफट अपना नाश्ता खत्म किया और बिल्कुल तरोताज़ा हो गया।

अचानक मुझे पप्पू और रिंकी की मुलाकात की बात याद आ गई, मैंने पप्पू को कह तो दिया था कि मैं इन्तजाम कर लूँगा लेकिन अब मुझे सच में कोई उपाय नज़र नहीं आ रहा था।

तभी मेरे दिमाग में बिजली कौंधी और मुझे एक ख्याल आया। मैंने फिर से अपने आप को अपने बिस्तर पर गिरा लिया और अपने इन्सटिट्यूट में भी फोन करके कह दिया कि मैं आज नहीं आ सकता।

मैं वापस बिस्तर पर इस तरह गिर गया जैसे मुझे बहुत तकलीफ हो रही हो।

थोड़ी ही देर में मेरी बहन मेरे कमरे में आई मेरा हाल चाल जानने के लिए। उसने मुझे बिस्तर पर देखा तो घबरा गई और पूछने लगी कि मुझे क्या हुआ।

मैंने बहाना बना दिया कि मेरे सर में बहुत दर्द है इसलिए मैं आराम करना चाहता हूँ।

दीदी मेरी हालत देखकर थोड़ा परेशान हो गई। असल में आज मुझे दीदी को शॉपिंग के लिए लेकर जाना था लेकिन अब शायद उनका यह प्रोग्राम खराब होने वाला था। दीदी मेरे कमरे से निकल कर सीधे आंटी के पास गई और उनको मेरे बारे में बताया। आंटी और सारे लोग मेरे कमरे में आ गए और ऐसे करने लगे जैसे मुझे कोई बहुत बड़ी तकलीफ हो रही हो।

उन लोगों का प्यार देखकर मुझे अपने झूठ बोलने पर बुरा भी लग रहा था लेकिन कुछ किया नहीं जा सकता था। दीदी को उदास देखकर आंटी ने उसे हौंसला दिया और कहा कि सब ठीक हो जायेगा, तुम चिंता मत करो।

दीदी ने उन्हें बताया कि आज उनको मेरे साथ शोपिंग के लिए जाना था लेकिन अब वो नहीं जा सकेगी। मैंने मन ही मन भगवान से प्रार्थना की और मांगने लगा कि आंटी दीदी के साथ शोपिंग के लिए चली जाये।

भगवान ने मेरी सुन ली। आंटी ने दीदी को कहा कि उन्हें भी कुछ खरीदारी करनी है तो वो साथ में चलेंगी।

अब दीदी और मेरे दोनों के चेहरे पर मुस्कान खिल गई। दीदी क्यूँ खुश थी ये तो आप समझ ही सकते हैं लेकिन मैं सबसे ज्यादा खुश था क्यूंकि दीदी और आंटी के जाने से घर में सिर्फ मैं और रिंकी ही बचते। प्रिया तो स्कूल जा चुकी थी।

करीब एक घंटे के बाद दीदी और आंटी शोपिंग के लिए निकल गईं। जाते जाते आंटी ने रिंकी को मेरा ख्याल रखने के लिए कह दिया। रिंकी ने भी कहा कि वो नहा कर नीचे ही आ जायेगी और अगर मुझे कुछ जरुरत हुई तो वो ख्याल रखेगी।

मैं खुश हो गया और पप्पू को फोन करके सारी बात बता दी। दीदी और आंटी को गए हुए आधा घंटा हुआ था कि पप्पू मेरे घर आ गया और हम दोनों ने एक दूसरे को देखकर आँख मारी।

“सोनू मेरे भाई, तेरा यह एहसान मैं जिंदगी भर नहीं भूलूँगा। अगर कभी मौका मिला तो मैं तेरे लिए अपने जान भी दे दूँगा।” पप्पू बहुत भावुक हो गया।

“अबे यार, मैंने पहले भी कहा था न कि दोस्ती में एहसान नहीं होता। और रही बात आगे कि तो ऐसे कई मौके आयेंगे जब तुझे मेरी हेल्प करनी पड़ेगी।” मैंने मुस्कुरा कर कहा।

“तू जो कहे मेरे भाई !” पप्पू ने उछल कर कहा।

हम बैठ कर इधर उधर की बातें करने लगे, तभी हम दोनों को किसी के सीढ़ियों से उतरने की आवाज़ सुनाई दी। हम समझ गए कि यह रिंकी ही है। मैं जल्दी से वापस बिस्तर पर लेट गया और पप्पू मेरे बिस्तर के पास कुर्सी लेकर बैठ गया।

रिंकी अचानक कमरे में घुसी और वहाँ पप्पू को देखकर चौंक गई। वो अभी अभी नहाकर आई थी और उसके बाल भीगे हुए थे। रिंकी के बाल बहुत लंबे थे और लंबे बालों वाली लड़कियाँ और औरतें मुझे हमेशा से आकर्षित करती हैं। उसने एक झीना सा टॉप पहन रखा था जिसके अंदर से उसकी काली ब्रा नज़र आ रही थी जिनमें उसने अपने गोल और उन्नत उभारों को छुपा रखा था।

मेरी नज़र तो वहीं टिक सी गई थी लेकिन फिर मुझे पप्पू के होने का एहसास हुआ और मैंने अपनी नज़रें उसके उभारों से हटा दी।

रिंकी थोड़ा सामान्य होकर मेरे पास पहुँची और मेरे माथे पर अपना हाथ रखा और मेरी तबीयत देखने लगी। उसके नर्म और मुलायम हाथ जब मेरे माथे पर आये तो मैं सच में गर्म हो गया और उसके बदन से आ रही खुशबू ने मुझे मदहोश कर दिया था।

अगर थोड़ा देर और उसका हाथ मेरे सर पर होता तो सच में मैं कुछ कर बैठता। मैं उसकी तरफ देखकर मुस्कुरा दिया और उसे बैठने को कहा।

रिंकी ने एक कुर्सी खींची और मेरे सिरहाने बैठ गई। पप्पू ठीक मेरे सामने था और रिंकी मेरे पीछे इसलिए मैं उसे देख नहीं पा रहा था। मैंने ध्यान से पप्पू की आँखों में देखा और यह पाया कि उसकी आँखें चमक रही थीं और वो अंकों ही आँखों में इशारे कर रहा था, शायद रिंकी भी उसकी तरफ इशारे कर रही थी। पप्पू बीच बीच में मुझे देख कर मुस्कुरा भी रहा था और तभी मैंने उसकी आँखों में एक आग्रह देखा जैसे वो मुझसे यह कह रहा हो कि हमें अकेला छोड़ दो।

उसकी तड़प मैं समझ सकता था, मैंने अपने बिस्तर से उठने की कोशिश की तो पप्पू भाग कर मेरे पास आया और मुझे सहारा देने लगा। हम दोनों ही बढ़िया एक्टिंग कर रहे थे।

मैंने धीरे से अपने पाँव बिस्तर से नीचे किये और उठ कर बाथरूम की तरफ चल पड़ा,“तुम लोग बैठ कर बातें करो, मैं अभी आता हूँ।” इतना कह कर मैं अपने बाथरूम के दरवाज़े पर पहुँचा और धीरे से पलट कर पप्पू को आँख मारी।

पप्पू ने एक कातिल मुस्कान के साथ मुझे वापस आँख मारी। मैं बाथरूम में घुस गया और उन दोनों को मौका दे दिया अकेले रहने का।

मैंने बाथरूम का दरवाज़ा बंद किया और कमोड पर बैठ गया। पाँच मिनट ही हुए थे कि मुझे रिंकी की सिसकारी सुनाई दी। मेरा दिमाग झन्ना उठा। मैं जल्दी से बाथरूम के दरवाज़े पर पहुँचा और दरवाजे के छेद से कमरे में देखने की कोशिश करने लगा।

“हे भगवान !!” मेरे मुँह से निकल पड़ा। मैंने जब ठीक से अपनी आँखें कमरे में दौड़ाई तो मेरे होश उड़ गए। पप्पू ने रिंकी को अपनी बाहों में भर रखा था और दोनों एक दूसरे को चूम रहे थे जैसे बरसों के बिछड़े हुए प्रेमी मिले हों।

मेरी आँखे फटी रह गईं। मैंने चुपचाप अपना कार्यक्रम जारी रखा और उन दोनो ने अपना।

पप्पू ने रिंकी को अपने आगोश में बिल्कुल जकड़ लिया था। उन दोनों के बीच से हवा के गुजरने की भी जगह नहीं बची थी। रिंकी की पीठ मेरी तरफ थी और पप्पू उसके सामने की तरफ। दोनों एक दूसरे के बदन को अपने अपने हाथों से सहला रहे थे।

तभी दोनों धीरे धीरे बिस्तर की तरफ बढ़े और एक दूसरे की बाहों में ही बिस्तर पर लेट गए। दोनों एक दूसरे के साथ चिपके हुए थे।

उनके बिस्तर पर जाने से मुझे देखने में आसानी हो गई थी क्यूंकि बिस्तर ठीक मेरे बाथरूम के सामने था।

पप्पू ने धीरे धीरे रिंकी के सर पर हाथ फेरा और उसके लंबे लंबे बालों को उसके गर्दन से हटाया और उसके गर्दन के पिछले हिस्से पर चूमने लगा। रिंकी की हालत खराब हो रही थी, इसका पता उसके पैरों को देख कर लगा, उसके पैर उत्तेजना में इधर उधर हो रहे थे। रिंकी अपने हाथों से पप्पू के बालों में उँगलियाँ फिरने लगी। पप्पू धीरे धीरे उसके गले पर चूमते हुए गर्दन के नीचे बढ़ने लगा। मज़े वो दोनों ले रहे थे और यहाँ मेरा हाल बुरा था। उन दोनों की रासलीला देख देख कर मेरा हाथ न जाने कब मेरे पैंट के ऊपर से मेरे लण्ड पर चला गया पता ही नहीं चला। मेरे लंड ने सलामी दे दी थी और इतना अकड़ गया था मानो अभी बाहर आ जायेगा।

मैंने उसे सहलाना शुरू कर दिया।

उधर पप्पू और रिंकी अपने काम में लगे हुए थे। पप्पू का हाथ अब नीचे की तरफ बढ़ने लगा था और रिंकी के झीने से टॉप के ऊपर उसके गोल बड़ी बड़ी चूचियों तक पहुँच गया। जैसे ही पप्पू ने अपनी हथेली उसकी चूचियों पर रखा, रिंकी में मुँह से एक जोर की सिसकारी निकली और उसने झट से पप्पू का हाथ पकड़ लिया।

दोनों ने एक दूसरे की आँखों में देखा और फ़ुसफ़ुसा कर कुछ बातें की। दोनों अचानक उठ गए और अपनी अपनी कुर्सी पर बैठ गए।

मुझे कुछ समझ में नहीं आया। मैं सोचने पर मजबूर हो गया कि अचानक उन दोनों ने सब रोक क्यों दिया। कितनी अच्छी फिल्म चल रही थी और मेरा माल भी निकलने वाला था। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं।

“खड़े लण्ड पर धोखा !” मेरे मुँह से निकल पड़ा।

मैं थोड़ी देर में बाथरूम से निकल पड़ा और पप्पू की तरफ देखकर आँखों ही आँखों में पूछा कि क्या हुआ।

उसने मायूस होकर मेरी तरफ देखा और यह बोलने की कोशिश की कि शायद मेरी मौजूदगी में आगे कुछ नहीं हो सकता।

मैं समझ गया और खुद ही मायूस हो गया।

मैं वापस अपने बिस्तर पर आ गया और इधर उधर की बातें होने लगी। तभी मैंने रिंकी की तरफ देखा और कहा,“रिंकी, अगर तुम्हें तकलीफ न हो तो क्या हमें चाय मिल सकती है?”

“क्यूँ नहीं, इसमें तकलीफ की क्या बात है। आप लोग बैठो, मैं अभी चाय बनाकर लती हूँ।”

इतना कहकर रिंकी ऊपर चली गई और चाय बनाने लगी।

जैसे ही रिंकी गई, मैंने उठ कर पप्पू को गले से लगाया और उसे बधाई देने लगा। पप्पू ने भी मुझे गले से लगाकर मुझे धन्यवाद दिया और फिर से मायूस सा चेहरा बना लिया।

“क्या हुआ साले, ऐसा मुँह क्यूँ बना लिया?”

“कुछ नहीं यार, बस खड़े लण्ड पर धोखा।” उसने कहा और हमने एक दूसरी की आँखों में देखा और हम दोनों के मुँह से हंसी छूट गई।

“अरे नासमझ, तू बिल्कुल बुद्धू ही रहेगा। मैंने तेरी तड़प देख ली थी इसीलिए तो रिंकी को ऊपर भेज दिया। आज घर में कोई नहीं है, तू जल्दी से ऊपर जा और मज़े ले ले।” मैंने आँख मारते हुए कहा।

मेरी बात सुनकर पप्पू की आँखें चमकने लगी और उसने मुझे एक बार और गले से लगा लिया।

मैंने उसे हिम्मत दी और उसे ऊपर भेज दिया। पप्पू दौड़ कर रिंकी की रसोई में पहुँच गया।

मेरी उत्तेजना पप्पू से कहीं ज्यादा बढ़ गई थी यह देखने के लिए कि दोनों क्या क्या करेंगे।

पप्पू के जाते ही मैं भी उनकी तरफ दौड़ा और जाकर ऊपर के हॉल में छिप गया। हमारे घर कि बनावट ऐसी थी कि हॉल के ठीक साथ रसोई बनी हुई थी। मैं हॉल में रखे सोफे के पीछे छुप कर बैठ गया। रिंकी उस वक्त रसोई में चाय बना रही थी और पप्पू धीरे धीरे उसके पीछे पहुँच गया। उसने पीछे से जाकर रिंकी को अपनी बाहों में भर लिया।

रिंकी इसके लिए तैयार नहीं थी और वो चौंक गई, उसने तुरंत मुड़कर पीछे देखा और पप्पू को देखकर हैरान रह गई,“ यह क्या कर रहे हो, जाओ यहाँ से वरना सोनू को हम पर शक हो जायेगा।”

यह कहते हुए रिंकी ने अपने आपको छुड़ाने की कोशिश की।

पप्पू ने उसकी बात को अनसुना करते हुए उसे और जोर से अपनी बाहों में भर लिया और उसके गर्दन पर चूमने लगा। रिंकी बार बार उसे मना करती रही और कहती रही कि सोनू आ जायेगा, सोनू आ जायेगा।

पप्पू ने धीरे से अपनी गर्दन उठाई और उसको बोला,” टेंशन मत लो मेरी जान, सोनू ने ही तो सब प्लान किया है। उसे हमारे बारे में सब पता है और उसने हम दोनों को मिलाने के लिए यह सब कुछ किया है।”

“क्या !?! सोनू सब जानता है। हे भगवान !!!” इतना कहकर उसके आँखें झुक गईं और मैंने देखा कि उसके होठों पर एक अजीब सी मुस्कान आ गई थी।

“जान, इन सब बातों में अपना वक्त मत बर्बाद करो, मैं तुम्हारे लिए पागल हो चुका हूँ। मुझसे अब बर्दाश्त नहीं होता।” यह बोलते बोलते पप्पू ने रिंकी को अपनी तरफ घुमाया और उसका चेहरा अपने हाथों में लेकर उसके रसीले होठों को अपने होठों में भर लिया।रिंकी ने भी निश्चिंत होकर उसके होठों का रसपान करना शुरू कर दिया। रिंकी के हाथ पप्पू के पीठ पर घूम रहे थे और वो पूरे जोश में उसे अपने बदन से चिपकाये जा रही थी।

पप्पू के हाथ अब धीरे धीरे रिंकी की चूचियों पर आ गए और उसने एक हल्का सा दबाव डाला। पप्पू की इस हरकत से रिंकी ने अचानक अपने होठों को छुडाया और एक मस्त सी सिसकारी भरी। शायद पहली बार किसी ने उसकी चूचियों को छुआ था, उसके माथे पर पसीने की बूँदें झलक आई।

पप्पू उसके बदन से थोड़ा अलग हुआ ताकि वो आराम से उसकी चूचियों का मज़ा ले सके। रिंकी ने अपने दोनों हाथ ऊपर कर लिए और पप्पू के बालों में अपने उँगलियाँ फिरने लगी। पप्पू ने अपने दोनों हाथों से उसकी दोनों चूचियों को पकड़ लिया और उन्हें प्यार से सहलाने लगा। रिंकी के मुँह से लगातार सिसकारियाँ निकल रही थीं।

पप्पू ने धीरे धीरे उसके गले को चूमते हुए उसकी चूचियों की तरफ अपने होंठ बढ़ाये और रिंकी के टॉप के ऊपर से उसकी चूचियों पर चूमा। जैसे ही पप्पू ने अपने होंठ रखे, रिंकी ने उसके बालों को जोर से पकड़ कर खींचा। रिंकी का टॉप गोल गले का था जिसकी वजह से वो उसकी चूचियों की घाटी को देख नहीं पा रहा था। उसने अपना हाथ नीचे बढ़ाकर टॉप को धीरे धीरे ऊपर करना शुरू किया और साथ ही साथ उसे चूम भी रहा था। रिंकी अपनी धुन में मस्त थी और इस पल का पूरा पूरा मज़ा ले रही थी।

पप्पू ने अब उसका टॉप उसकी चूचियों के ऊपर कर दिया। रिंकी को शायद इसका एहसास नहीं था, उसे पता ही नहीं था कि क्या हो रहा है, वो तो मानो जन्नत में सैर कर रही थी।

“हम्मम्मम…..उम्म्म्म्म्म….ओह पप्पू मत करो….मैं पागल हो जाऊँगी…”

पप्पू ने उसकी तरफ देखा और आँख मारी और अपने हाथ उसकी पीठ की तरफ बढ़ाकर रिंकी की काली ब्रा के हुक खोल दिए। रिंकी को इस बात का कोई पता नहीं था कि पप्पू ने उसके उभारों को नंगा करने का पूरा इन्तजाम कर लिया है। पप्पू ने अपने हाथों को सामने की तरफ किया और ब्रा के कप्स को ऊपर कर दिया जिससे रिंकी कि गोल मदहोश कर देने वाली बड़ी बड़ी बिल्कुल गोरी गोरी चूचियाँ बाहर आ गईं।

“हे भगवान !” मेरे मुँह से धीरे से निकल पड़ा।

सच कहता हूँ दोस्तो, इन्टरनेट पर तो बहुत सारी ब्लू फिल्में देखी थीं और कई रंडियों और आम लड़कियों की चूचियों का दीदार किया था लेकिन जो चीज़ अभी मेरे सामने थी उसकी बात ही कुछ और थी। हलाकि मैं थोड़ी दूर खड़ा था लेकिन मैं साफ साफ उन दो प्रेम कलशों को देख सकता था।

34 इंच की बिल्कुल गोरी और गोल चूचियाँ मेरी आँखों के सामने थी और उनका आकार ऐसा था मानो किसी ने किसी मशीन से उन्हें गोलाकार रूप दे दिया है। उन दोनों कलशों के ऊपर ठीक बीच में बिल्कुल गुलाबी रंग के किशमिश के जितना बड़ा दाने थे जो कि उनकी खूबसूरती में चार नहीं आठ आठ चांद लगा रहे थे।

मेरे लंड ने तो मुझे तड़पा दिया और कहने लगा कि पप्पू को हटा कर अभी तुरंत रिंकी को पटक कर चोद डालो।

मैंने अपने लंड को समझाया और आगे का खेल देखने लगा। रिंकी की चूचियों को आजाद करने के बाद पप्पू रिंकी से थोड़ा अलग होकर खड़ा हो गया ताकि वो उसकी चूचियों का ठीक से दीदार कर सके। अचानक अलग होने से रिंकी को होश आया और उसने जब अपनी हालत देखी तो उसके मुँह से चीख निकल गई,“ हे भगवान, यह तुमने क्या किया?”

और रिंकी ने अपने हाथों से अपनी चूचियाँ छिपा ली। पप्पू ने अपने हाथ जोड़ लिए और कहा, “जान, मुझे मत तड़पाओ, मैं इन्हें जी भर के देखना चाहता हूँ। अपने हाथ हटा लो ना !”

रिंकी ने अपना सर नीचे कर लिया था और अपने आँखें एक मस्त सी अदा के साथ उठा कर पप्पू को देखा और दौड़ कर उसके गले से लग गई। पप्पू ने उसे अलग किया और अपने घुटनों के बल नीचे बैठ गया। नीचे बैठ कर पप्पू ने रिंकी के दोनों हाथ पकड़ कर ऊपर की तरफ रखने का इशारा किया।

रिंकी ने शरमाते हुए अपने हाथ ऊपर अपने गर्दन के पीछे रख लिए।

क्या बताऊँ यारो, उस वक्त रिंकी को देखकर ऐसा लग रहा था मानो कोई अप्सरा उतर आई हो ज़मीन पर।

मेरे होठ सूख गए थे उसे इस हालत में देखकर। मैंने अपने होटों पर अपनी जीभ फिराई और अपने आँखें फाड़ फाड़ कर उन दोनों को देखने लगा।

पप्पू ने नीचे बैठे बैठे अपने हाथ ऊपर किये और रिंकी की चूचियों के दो किसमिस के दानों को अपनी उँगलियों में पकड़ लिया। दानों को छेड़ते ही रिंकी के पाँव कांपने लगे और उसकी साँसें तेज हो गईं। आती–जाती साँसों की वजह से उसकी चूचियाँ ऊपर-नीचे हो रही थी।

पप्पू ने उसके दानों को जोर से मसल दिया और लाल कर दिया। रिंकी ने अपने होठों को गोल कर लिया और सिसकारियों की झड़ी लगा दी।

रिंकी ने नीचे एक स्कर्ट पहन रखी थी जो उसकी नाभि से बहुत नीचे थी।

पप्पू ने अब अपने हाथो की हथेली खोल ली और उसकी चूचियों को अपने पूरे हाथों में भर लिया और दबाने लगा।

रिंकी के हाथ अब भी ऊपर ही थे और वो मज़े ले रही थी। पप्पू ने अपना काम जारी रखा था और धीरे से अपनी नाक को रिंकी की नाभि के पास ले जाकर उसे गुदगुदी करने लगा।

अपने नाक से उसकी नाभि को छेदने के बाद पप्पू ने अपनी जीभ बहार निकाली और धीरे से नाभि के अंदर डाल दिया।

“उम्म्म्म……ओह पप्पू, मार ही डालोगे क्या?” रिंकी ने सिसकारी भरते हुए कहा और अपने हाथ नीचे करके पप्पू के बालों को पकड़ लिया।

पप्पू आराम से उसकी नाभि को अपने जीभ से चाटने लगा और धीरे धीरे नाभि के नीचे की तरफ बढ़ने लगा। रिंकी बड़े मज़े से इस एहसास का मज़ा ले रही थी और इधर मेरी हालत तो ऐसी हो रही थी मानो मैं अपनी आँखों के सामने कोई ब्लू फीम देख रहा हूँ।

मैं कब अपने लंड को बाहर निकाल लिया था, मुझे खुद पता नहीं चला। मेरे हाथ मेरे लंड की मालिश कर रहे थे।

सच कहूँ तो मेरा दिल कर रहा था कि अभी उनके सामने चला जाऊँ और पप्पू को हटा कर खुद रिंकी के बेमिसाल बदन का रस लूँ।

पर मैंने अपने आप को सम्भाला और अपनी आँखें उनके ऊपर जमा दी।

अब मैंने देखा कि पप्पू अपने दाँतों से रिंकी की स्कर्ट को नीचे खींचने की कोशिश कर रहा है और थोड़ा सा नीचे कर भी दिया था। ऐसा करने से रिंकी की पैंटी दिखने लगी थी। रिंकी को पता चल रहा था या शायद नहीं क्यूंकि उसके चेहरे पर हर पल भाव बदल रहे थे और एक अजीब सी चहक उसकी आँखों में नज़र आ रही थी।

अब पप्पू ने उसकी चूचियों को अपने हाथों से आजाद कर दिया था और अपने हाथों को नीचे लाकर स्कर्ट के अंदर से रिंकी की पिंडलियों को सहलाना शरू कर दिया। धीरे धीरे उसने उसके पैरों को सहलाते–सहलाते उसकी स्कर्ट को भी साथ ही साथ ऊपर करने लगा। रिंकी की गोरी–गोरी टाँगे अब सामने आ रही थीं।

कसम से यारो, उसके पैरों को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे कभी भी उनके ऊपर कोई बाल उगे ही नहीं होंगे। इतनी चिकनी टाँगे कि ट्यूब लाईट की रोशनी में वो चमक रही थीं।

धीरे धीरे पप्पू ने उसकी स्कर्ट को जांघों तक उठा दिया और बस यह देखते ही मानो पप्पू बावला हो गया और अपने होठों से पूरी जांघों को पागलों की तरह चूमने और चाटने लगा।

रिंकी की हालत अब भी खराब थी, वो बस अपनी आँखें बंद करके पप्पू के बालों को सहला रही थी और अपने कांपते हुए पैरों को सम्भालने की कोशिश कर रही थी।

पप्पू ने रिंकी की स्कर्ट को थोड़ा और ऊपर किया और अब हमारी आँखों के सामने वो था जिसकी कल्पना हर मर्द करता है। काली छोटी सी वी शेप की पैंटी जो कि रिंकी की चूत पर बिल्कुल फिट थी और ऐसा लग रहा था मानो उसने अपनी पैंटी को बिल्कुल अपनी त्वचा की तरह चढ़ा रखा हो।

पैंटी के आगे का भाग पूरी तरह से गीला था और हो भी क्यूँ ना, इतनी देर से पप्पू उसे मस्त कर रहा था।

इतने सब के बाद तो एक 80 साल की बुढ़िया की चूत भी पानी से भर जाये।

पप्पू ने अब वो किया जिसकी कल्पना शायद रिंकी ने कभी नहीं की थी, उसने रिंकी की रस से भरी चूत को पैंटी के ऊपर से चूम लिया।

“हाय…..मर गई..पप्पू, यह क्या कर रहे हो?”….रिंकी के मुँह से बस इतना ही निकल पाया।

पप्पू बिना कुछ सुने उसकी चूत को मज़े से चूमता रहा और इसी बीच उसने अपने होठों से रिंकी की पैंटी के एलास्टिक को पकड़ कर अपने दाँतों से खींचना शुरू किया। रिंकी बिल्कुल एक मजबूर लड़की की तरह खड़े खड़े अपनी पैंटी को नीचे खिसकते हुए महसूस कर रही थी।

पप्पू की इस हरकत की कल्पना मैंने भी नहीं की थी। “साला, पूरा उस्ताद है।” मेरे मुँह से निकला।

जैसे जैसे पैंटी नीचे आ रही थी, मेरी धड़कन बढ़ती जा रही थी, मुझे ऐसा महसूस हो रहा था मानो मेरा दिल उछल कर बाहर आ जायेगा।

मैंने सोचा कि जब अभी यह हाल है तो पता नहीं जब पूरी पैंटी उतर जाएगी और उसकी चूत सामने आएगी तो क्या होगा।

खैर मैंने सोचना बंद किया और फ़िर से देखना शुरू किया।

अब तक पप्पू ने अपने दांतों का कमाल कर दिया था और पैंटी लगभग उसकी चूत से नीचे आ चुकी थी, काली-काली रेशमी मुलायम झांटों से भरी चूत को देखकर मेरा सर चकराने लगा।

पप्पू भी अपना सर थोड़ा अलग करके रिंकी की हसीं मुनिया के दर्शन करने लगा।

रिंकी को जब इसका एहसास हुआ तो उसने अपने हाथों से अपनी चूत को छिपा लिया और एक हाथ से अपनी पैंटी को ऊपर करने लगी।

कहानी जारी रहेगी।

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