तेरी याद साथ है-19

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प्रेषक : सोनू चौधरी

“प्लीज जान…अपने हाथ ऊपर करो और मैं जो करने जा रहा हूँ उसका मज़ा लो…” मैंने उसे समझाते हुए कहा।

“हाय राम…पता नहीं तुम क्या क्या करोगे…मुझसे रहा नहीं जा रहा है…” प्रिया ने अपनी हालत मुझे व्यक्त करते हुए कहा और फिर अपने हाथों को ऊपर अंगड़ाई लेते हुए हटा दिया।

अब मैंने उसे मुस्कुरा कर देखा और कटोरी से धीरे धीरे उसकी नाभि में रस की बूँदें गिराने लगा… जैसे ही रस की बूँदें उसकी नाभि में गिरीं, प्रिया ने एक सिसकारी भरी और उसका पेट थरथराने लगा।

मैंने एक साथ कुछ 10-12 बूँदें गिराई होंगी कि उसकी छोटी सी नाभि पूरी तरह से भर गई और थोड़ा सा रस नाभि से होकर नीचे की तरफ बहने लगा। मैंने फट से कटोरी को साइड में रखा और झुक कर बह रहे रस को अपनी जीभ से चाट लिया और अपनी जीभ को उसकी त्वचा पे रखे हुए ही ऊपर की तरफ चाटते हुए उसकी नाभि तक पहुँचा और अपनी जीभ की नोक उसकी नाभि में डाल दी।

“उम्म… सोनू… तुम तो पागल ही कर दोगे…!” प्रिया ने एक जोरदार आह भरी और अपनी आँखें बंद कर लीं।

मैंने अपनी जीभ को निरंतर उसकी नाभि में घुमाते हुए जी भर कर चूमा और चाटा और प्रिया को आहें भरने पर मजबूर कर दिया। प्रिया मेरी इस हरकत से तड़प रही थी और लगातार हिल रही थी। मैं उसकी जाँघों पर बैठ था इस वजह से वो बस कमर से ऊपर ही हिल पा रही थी। उसकी गर्दन इधर से उधर हिल हिल कर उसकी बेताबी का सबूत दे रहे थे।

मैंने फिर से रस की कटोरी उठाई और इस बार उसके पूरे पेट पर थोड़ी थोड़ी बूँदें गिरा दी और वापस झुक कर उसके पूरे पेट को अपनी जीभ से चाटना शुरू किया।

प्रिया कुछ ज्यादा ही हिल रही थी… उसकी गलती नहीं थी, असल में मैं समझ रहा था कि उसे कितनी बेचैने और सिहरन हो रही थी। मुझे डर था कि उसके ज्यादा हिलने की वजह से उसकी चूचियों पे रखे गुलाबजामुन कहीं गिर न जाएँ। मैंने अपने हाथ आगे बढ़ा कर उसके दोनों हाथों को थाम लिया और उसे हिलने से रोका।

अब प्रिया बस तड़प रही थी और मुँह से अजीब अजीब सिसकारियाँ निकले जा रही थी। मैंने रस की कटोरी से थोड़ा सा रस दोनों चूचियों पे रखे हुए गुलाब जामुनों पे गिराया और एक गुलाब जामुन को अपने होठों में दबा लिया, होठों से गुलाब जामुन को पकड़ कर मैंने उसे उसकी चूचियों की निप्पल पर रगड़ा और फिर अपना मुँह उसके मुँह के पास ले जा कर आधा गुलाब जामुन खुद खाया और आधा उसके मुँह में डाल दिया। प्रिय ने भी उत्सुकतावश अपना मुँह खोलकर गुलाबजामुन खा लिया और फिर मेरे होठों को अपने होठों से पकड़ कर जोर से चूसने लगी।

मैंने अपने होंठ छुड़ाये और दूसरी चूची के ऊपर रखे गुलाब जामुन के साथ भी ऐसा ही किया।

गुलाबजामुन के हटने से उसके खड़े खड़े निप्पल बिल्कुल सख्त होकर मुझे आमंत्रण दे रहे थे। उसके निप्पल पे गुलाब जामुन का ढेर सारा रस लगा हुआ था, मैं रुक नहीं सका और अपने होठों के बीच निप्पलों को जकड़ लिया और सारा रस चूसने लगा।

“हम्म्म्म…मेरे मालिक…मेरे राजा…मैं मर जाऊँगी…!” प्रिया की बहकी हुई आवाज़ मेरा जोश और बाधा रही थी और मैं मस्त होकर उसकी चूचियों को चूस रहा था। एक चूची को चूस चूस कर लाल करने के बाद मैंने दूसरी चूची को मुँह में भरा और वैसे ही चूस चूस कर लाल कर दिया।

उसकी चूचियों को मैंने सूखने नहीं दिया और फिर से रस डाल-डाल कर दोनों चूचियों को चूसता रहा। प्रिया मेरे सर को पकड़ कर आहें भरते हुए इस अद्भुत खेल का मज़ा ले रही थी।

काफी देर तक उसकी चूचियों की चुसाई के बाद मैंने अपनी जगह बदली और इस बार उसकी जांघों से नीचे खिसक कर उसके घुटनों के ऊपर बैठ गया। मेरे हाथ अब उसकी बिकनी के दूसरे और बचे हुए हिस्से पे थे यानि कि उसकी पैंटी पर। मैंने अपनी हथेली को एक बार उसकी चूत पर फिराया और धीरे से चूत को अपनी मुट्ठी में भर लिया।

“हाय…सोनू…ऐसे ना करो…उफ्फ्फफ्फ्फ़…” प्रिया ने अचानक से चूत को मुट्ठी में भरने से कहा।

मैंने बिना कुछ कहे उसकी कमर पर बंधे डोरियों को खोल दिया और उसकी पैंटी केले के छिलके के सामान उतर गई। मैं उसके पैरों पर बैठा हुआ था इस वजह से उसकी टाँगें पूरी तरह से सटी हुई थीं और उसकी जांघों ने उसकी मुनिया को दबा रखा था। मैंने स्थिति को समझते हुए उसके घुटनों के ऊपर से उठ कर उसकी टांगों को चौड़ा किया और अब उसकी जांघों के बीच घुस कर बैठ गया। सबसे पहले मैंने उसके पैंटी को अपने हाथों से निकाल कर फेंक दिया और फिर उसकी हसीं गुलाबी चूत का दीदार करने लगा।

क्या चमक थी यारों… बिल्कुल रोम विहीन… चिकनी और फूली हुई चूत… वैसे तो अब तक मैंने न जाने कितनी चूत चोद ली हैं लेकिन आज भी प्रिया की चूत को टक्कर देने वाली चूत नहीं मिली।

खैर, मैंने उसकी चूत को झुक कर चूम लिया। जैसे ही मैं झुक कर उसकी चूत के पास पहुँचा मेरे नाक में उसकी चूत के खुशबू ने अपना घर कर लिया। अब तक की मेरी हरकतों ने न जाने कितनी बार उसकी चूत का पानी निकाल दिया था और उसकी वजह से वो मदहोश करने वाली खुशबू निकल रही थी और मुझे और भी दीवाना बना रही थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं।

मैंने अब देरी नहीं की और रस की कटोरी को अपने हाथों में लेकर पहले चूत के उपरी हिस्से को भिगो दिया और अपनी जीभ को वहाँ रख कर चाटने लगा। मेरी खुरदुरी जीभ का स्पर्श पाकर प्रिया की चूत मचल उठी और फड़कने लगी… मैंने उस हिस्से को अपने मुँह में भर लिया और चूचियों की तरह चूसने लगा। मैं इतने जोर से चूस रहा था कि प्रिया को मेरा सर पकड़ना पड़ा और उसने मेरा सर हटा दिया। मैंने अपना सर उठाया तो देखा कि वो जगह थोड़ी सी काली पड़ गई थी…वह ढेर सारा खून इकट्ठा हो गया था।

अब मैंने थोड़ा सा रस उसकी चूत की दरार पे डाली, उसकी चूत की दरार से होता हुआ वो रस उसकी चूत के पूरे मुँहाने पे लग गया और थोड़ा सा चूत से होता हुआ उसकी पड़ोसन तक भी पहुँच गया। मैंने अपनी जीभ को पूरी तरह से बाहर निकला और उसकी चूत के सबसे नीचे रख कर ऊपर की तरफ एक सुर में चाट लिया।

“उफ्फ्फ़…ओह सोनू, इतना मज़ा… कहाँ से सीखा ये सब… ओह्ह्ह… तुम सच में जादूगर हो !”…प्रिया ने अपनी चूत की दरारों पर मेरी जीभ की छुअन महसूस करते ही मेरे सर पे अपना हाथ रखते हुए कहा।

एक तो उसकी चूत से निकला रस और ऊपर से मेरे पसंदीदा गुलाबजामुन का रस, दोनों ने मिलकर वो स्वाद पैदा किया कि मैं अपनी सांस रोक कर अपनी जीभ को धीरे धीरे ऊपर नीचे करने लगा और उस हसीं मुनिया का स्वाद लेने लगा।

जितना मज़ा प्रिया को आ रहा था उससे दोगुना मज़ा मुझे आ रहा था। जी कर रहा था कि यह वक़्त यहीं रुक जाए और मैं जीवन भर उसकी चूत को ऐसे ही चाटता रहूँ…

प्रिया तड़प तड़प कर अपनी कमर उठा रही थी और चूत की चुसाई का भरपूर आनंद ले रही थी। अब मैंने फिर से रस लिया और अपने एक हाथ की दो उँगलियों से उसकी चूत का मुँह खोलकर उसके गुलाबी छेद में ढेर सारा रस भर दिया। उसकी चूत का मुँह छोटा सा था इसलिए ज्यादा रस अन्दर नहीं जा सका और बाहर की तरफ बह निकला।

मैंने झट से कटोरी को नीचे रखा और अपनी जीभ से बाहर बहते हुए रस को सुड़क करके चाट लिया और फिर जीभ को थोड़ा नुकीला करके उसकी चूत के अन्दर डाल दिया।

“हुम्म्मम… बस करो जान… बर्दाश्त नहीं हो रहा है… ओह माँ… बस करो… आअह्ह्ह…” प्रिया ने आह भरी और मेरे बालों को जोर से पकड़ कर खींच लिया।

मैं उसकी किसी भी बात पर ध्यान न देकर बस चूत की चुसाई में लगा रहा और अब दोनों हाथों से उसकी चूत को चौड़ा करके अपनी जीभ को जितना हो सके अन्दर तक डाल-डाल कर चूसने लगा। मैं अपने होश में नहीं था और उसकी हसीं चूत को पूरा खा जाना चाहता था। मैं भरपूर आनंद के साथ अपने काम में लगा रहा और चूस चूस कर उसकी चूत को मस्त कर दिया…

चूचियों की तरह ही मैंने चूत को भी सूखने नहीं दिया और बार बार रस डाल कर चूत को चाटता रहा।

बीच बीच में प्रिया की चूत ने पानी छोड़ा जिसकी वजह से मीठा और नमकीन दोनों स्वाद मुझे मज़े देता रहा। मेरा मुँह दुखने लगा था लेकिन छोड़ने का मन ही नहीं कर रहा था।

लगभग आधे घंटे तक तक उसके चूत को चूसते चूसते मैंने उसे चरम पर पहुँचा दिया और प्रिया ने एक जोरदार सिसकारी के साथ ढेर सारा पानी अपनी चूत से बाहर धकेला। मेरा पूरा मुँह उसके काम रस से भर गया। मैंने बड़े स्वाद लेकर उस सारे रस को अपने गले से नीचे उतार लिया। प्रिया के साथ साथ मेरे मुख पर भी तृप्ति का भाव उभर आया। प्रिया तो मानो बिल्कुल निस्तेज और ढीली सी होकर अपने हाथ पैर पसर कर वैसे ही लेटी रही। बस उसकी चूचियाँ उसके तेज़ साँसों के साथ ऊपर नीचे हो रहे थे।

मैंने हाथ बढ़ा कर उसकी चूचियों को थामा और उन्हें प्यार से मसलने लगा। प्रिया ने धीरे से अपनी आँखें खोलीं और मेरी तरफ ऐसे देखने लगी जैसे मुझे हजारों धन्यवाद दे रही हो, उसके होठों पे एक बड़ी ही प्यारी सी मुस्कान थी जैसा कि अक्सर उस वक़्त आता है जब कोई बहुत खुश होता है। शायद मेरे होठों ने उसके चूत को इतना सुख दिया था कि वो अंतर्मन से खुश हो चुकी थी।

फिर प्रिया ने जबरदस्ती मुझे अपनी चूत से उठा दिया और मुझे अपने ऊपर खींच लिया। मैं उसके ऊपर लेट गया और उसे अपनी बाहों में भर कर अपने बदन से रगड़ने लगा। इन सबके बीच मेरा मस्त लंड और भी ज्यादा अकड़ गया था और मेरी निकर फाड़ने को पूरी तरह तैयार था। प्रिया को मेरे लंड का एहसास अपनी चूत पर होने लगा और वो अपनी चूत को लेटे लेटे ही लंड के साथ रगड़ने लगी।

लण्ड का वो हाल था कि अगर उसके बस में होता तो निकर के साथ ही उसकी चूत में घुस जाता, लेकिन यह संभव नहीं था।

अब प्रिया ने मेरे गालों को अपने हाथों से पकड़ कर एक प्यारी सी पप्पी दी और मुझे उठने का इशारा किया। मैं धीरे से उसके ऊपर से हट गया और उसके बगल में लेट गया।

प्रिया बिजली की फुर्ती से उठी और मेरे कमर पर ठीक वैसे ही बैठ गई जैसे मैं उसके ऊपर बैठा था। प्रिया पूरी नंगी मेरे ऊपर बैठी थी और उसकी हसीं गोल गोल चूचियाँ मेरे ठीक सामने थीं। मैंने फिर से उसकी चूचियों को पकड़ा लेकिन उसने मेरे हाथ हटा दिए और मेरी तरफ देख कर आँख मार दी।

“अब मेरी बारी है जान…अब आप देखो मैं क्या करती हूँ…बहुत तड़पाया है आपने !”…प्रिया ने बड़े ही कातिलाना अंदाज़ में कहा और मेरे कमर से थोड़ा नीचे सरक गई।

नीचे सरक कर उसने अपने हाथ मेरी तरफ बढ़ाये और मेरे हाथों को पकड़ कर मुझे थोड़ा सा उठा कर बिठा दिया और बिना किसी देरी के मेरी टी-शर्ट एक झटके में निकाल दी। उसने वापस मुझे धक्का देकर लिटा दिया और फिर अपनी नाज़ुक नाज़ुक उँगलियों से मेरे सीने के बालों से खेलने लगी। उसने गर्दन घुमाकर कुछ ढूँढने जैसा किया और फिर पीछे की तरफ मुड़कर कुछ उठाया। वो और कुछ नहीं वही रस वाली कटोरी थी।

कटोरी को देख कर मैं मुस्कुरा उठा और प्रिया भी मुस्कुराने लगी। उसने कटोरी से थोड़ा सा रस मेरे सीने पे और मेरे दोनों निप्पलों पे डाल दिया और झुक कर एक ही सांस में मेरे निप्पल को अपने होठों में भर लिया। वो भी बिल्कुल मेरे ही अंदाज़ में उन्हें जोर जोर से चूसने लगी और फिर धीरे धीरे अपनी जीभ को मेरे पूरे सीने पे जहाँ जहाँ रस गिरा था वहाँ वहाँ चाटने लगी।

मुझे नहीं पता था कि जब मैं उसकी चूचियों और सीने को चाट रहा था तो उसे कैसा फील हो रहा था लेकिन जब उसने वही हरकतें मेरे साथ की तो मैं ख़ुशी से सिहर गया। अब मुझे एहसास हो रहा था कि उसकी चूत ने इतना पानी क्यों निकला था। मेरे लंड ने भी प्री कम की कुछ बूँदें छोड़ीं जिसका एहसास मुझे हो रहा था। मेरा लंड बार बार झटके खा रहा था।

प्रिया झुक कर मेरे सीने और बदन के बाकी हिस्से को चाट और चूम रही थी और मैं अपने हाथ को उसके नितम्बों के ऊपर ले जा कर सहला रहा था। उसके पिछवाड़े की दरार में मैंने अपनी उँगलियों को ऊपर नीचे फिराना शुरू किया और तभी मेरी उँगलियों ने उसकी गोल गुलाबी छोटी सी गांड के छेद को छुआ। मैंने एक दो बार उस छेड़ को उंगली से सहलाया और धीरे से अपनी एक उंगली को उस छेड़ में थोड़ा अन्दर डालने की कोशिश की।

“आउच… यह क्या करे रहे हो… बड़े शैतान हो तुम…”प्रिया ने अचानक से अपना मुँह उठा कर मुझे देखा और बनावटी गुस्से से मुझे कहा।

मैंने बस उसकी तरफ देखकर एक स्माइल दी और फिर अपनी उंगली उसकी गांड के छेद से हटा कर वापस से उसके बड़े से पिछवाड़े को सहलाने लगा।

अब प्रिया मेरे पैरों के ऊपर से नीचे उतर गई और मेरे निक्कर को अपने हाथों से पकड़ कर नीचे खींच दिया। फिर वही हुआ जैसा पिछली रात को हुआ था। लंड की वजह से निक्कर फिर से अटक गई। मैं नहीं चाहता था कि ज्यादा देर अपने लंड को प्रिया के हाथों से दूर रखूं, इसलिए मैंने खुद ही अपनी कमर उठा कर लंड को ठीक करते हुए निक्कर को निकाल दिया।

निक्कर निकलते ही मेरा मुन्ना बिल्कुल अकड़ कर फुफकारने लगा। प्रिया की आँखें फ़ैल गईं और फिर उनमें वही चमक दिखने लगी जो कि पिछली रात को नज़र आई थी। उसने झट से मेरे लंड को अपने हाथों में जकड़ लिया और झुक कर लंड के सुपारे पर एक किस्सी कर दी। किस करते ही मेरे लंड ने उसे ठुनक कर सलाम किया जिसे देख कर प्रिया के मुँह से हंसी निकल गई।

“शैतान…बड़ा मज़ा आ रहा है न… खूब ठनक रहे हो… अभी बताती हूँ।” प्रिया ने मेरे लंड को देखकर कहा मानो वो उससे ही बातें कर रही हो।

कहानी जारी रहेगी।

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