मेरी प्यारी कान्ता चाची

singhsexyman 2011-06-22 Comments

प्रेषक : आर्यन सिंह

मेरे प्यारे दोस्तो, आज मैं आपको अपनी एक सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ, जो कि मेरी और मेरी प्यारी कान्ता चाची की है।

मेरा नाम आर्यन सिंह है, उम्र 22 साल, कद 5’10” और मैं चण्डीगढ़ का रहने वाला हूँ। मैं एक मकैनिकल इंजिनियर हूँ, मैं दिखने काफी स्मार्ट और लम्बा चौड़ा हूँ, मेरे शरीर को देख कर बहुत सी लड़कियाँ मेरे पर मरती हैं।

मेरा असली घर चण्डीगढ़ के पास ही है पर मेरा सारा परिवार अमेरिका में रहता है, इसलिये मैं चण्डीगढ़ में रहता हूँ, मैंने अपनी सारी शिक्षा चण्डीगढ़ से की और नौकरी भी यहीं करता हूँ। गाँव पास होने के कारण मैं घर हफ़्ते में 2-3 बार जाता रहता हूँ। गाँव के घर में नौकर के सिवाए कोई नहीं रहता है।

मेरी कहानी आज से सात महीने पहले की है। मेरे गांव में मेरे घर के पास एक महिला रहती है, उसका नाम कान्ता है, उसे मैं चाची कहता हूँ। चाची की उम्र करीब 32 साल है और फिगर 34-24-35 है। उनके दो लड़के हैं, दोनों चौथी-पांचवी में पढ़ते हैं। चाचा अमीर तो बहुत है पर शराबी है और चाची को काफी मारता पीटता है।

जब मैं घर जाता तो चाची के घर भी कभी-कभी जाता था और उनको देख-देख के लम्बी-लम्बी साँसें भरता था।

मेरी चाची से बहुत बनती थी, मैं उससे सारी बातें शेयर करता था और वो भी मुझे अपने घर की बातें शेयर करती, मेरे चण्डीगढ़ रहने के कारण वो मुझसे काफी सामान मंगवाती रहती थी और कभी उसे बाहर जाना हो तो मुझे कह कर मेरे साथ मेरी गाड़ी या बाईक में जाने को कहती थी। मुझे भी उसके साथ बहुत अच्छा लगता था पर मुझे ऐसा लगता था कि वो अकेलापन महसूस करती है और उसे किसी के साथ की जरुरत है।

एक दिन दोपहर को चाची का फ़ोन आया कि शाम को चण्डीगढ़ से आते हुए एक दवाई ले आना जो कि यहाँ नहीं मिल रही और दवाई लाने के लिये घर पर कोई नहीं है, वो 2-3 दिनों के लिये अकेली है, उनके घर के सारे लोग शादी में गये हैं और उन्हें दवाई की सख्त जरुरत है।

मैं दवाई लेकर शाम को घर पहुँचा तो चाची ने फोन करके पूछा- दवाई ले आये?

मैंने कहा- हाँ।

तो चाची बोली- मैं थोड़ी देर के बाद खुद ले लूंगी, किसी के हाथ मत भेजना।

मुझे पता था कि दवाई किस लिये है पर यह बात मैं कान्ता चाची के मुँह से पूछना चाहता था। यह सब सोच कर चाची को चोदने का ख्याल लेने लगा।

चाची का फोन आने पर मैं दवाई देने उनके घर पहुँचा। क्या लग रही थी कान्ता चाची !

मैंने पूछा- चाची, यह दवाई किसके लिये है, क्या आप बीमार हो?

तो चाची ने कहा- बस ऐसे ही है।

मैंने कहा- कोई बात नहीं, मत बताओ, मैं अगली बार आपका सामान नहीं लाऊँगा !

तो चाची बोली- अरे, यह सिर्फ पेन किलर है।

तो मैंने कहा- आप झूठ बोल रही हो !

तो चाची मुझे टालने लगी। मैं नाराज होने का नाटक करने लगा तो चाची बोली- अरे, मैंने तुमसे कभी झूठ बोला है, यह दवाई सिर्फ औरतों के लिये होती है और यह दर्द उन्हें महीने में 4-5 दिनों के लिये होता है, यह किसी-किसी महिला को होता है।

मेरे जोर देने पर चाची ने सब बता दिया।

मैंने चाची से पूछा- यह दर्द आपको भी होता है?

तो चाची बोली- हाँ, 3-4 दिनों में होने वाला है, मेरे घर पर तो कोई भी नहीं है और दवाई के बिना मैं तो मर ही जाऊंगी।

यह सुन कर मैं चाची से लिपट गया और अपना मुँह उनके कन्धे पर रख दिया, मेरी सांसें चाची के कान से टकराने लगीं और ऐसा लगा कि मानो चाची को भी अच्छा लगा हो।

मैंने उसका सैक्स प्वाईंट जान लिया था, मैंने उसकी छाती पर हाथ रख दिया पर चाची ने मुझे एकदम दूर कर दिया।

मैं डर सा गया और सहम सा गया।

मुझे देख कर चाची मुसकुराने लगी और बोलने लगी- आर्यन सिंह ! मुझे पाना इतना आसान नहीं है।

यह सुन कर मैं एकदम चाची से लिपट गया और उसके कान को अपने होंठों से सहलाने लगा। इतने में ही चाची गर्म हो गई और मुझ से लिपट गई।

माय गॉड ! क्या नजारा था… उनके सफ़ेद स्तन जो कि पारदर्शक सूट से बाहर आने के लिए तड़प रहे थे, उन्हें मैंने देख लिया और तुंरत ही मेरा लंड खड़ा हो गया।

चाची ने फिर मुझे कहा- तूने कभी मेरे बारे में सोचा है कि मैं कैसे रहती हूँ?

मैंने जवाब दिया- बहुत मुश्किल होता है ना चाचा के साथ रहना ! वह शराब पीते हैं और फिर आपसे लड़ाई करते हैं।

चाची बोली- अगर तेरे चाचा को पता चल गया तो वो मुझे मार ही देंगे।

मैंने कहा- चाची, दवाई का किसी को पता नहीं चला, वैसे ही इस बारे में किसी को पता नहीं चलेगा।

मेरे इतना कहने पर चाची मुझसे लिपटकर रोने लगी और कहने लगी- मेरा जीवन दुशवार हो गया है, तुम्हें क्या मालूम कि औरत के क्या-क्या ख्वाब होते हैं।

मैंने कहा- मुझे पता है !

और वो सुनने के बाद खुश हो गई। मैंने सारी शर्म छोड़ कर चाची के होंठों पर अपने होंठ रख दिये और जोर-जोर से चूमने लगा, वो भी मेरा साथ देने लगी और मैं उसके अकड़े हुए स्तनों को दबाने लगा। हम दोनों चाची के बैड पर लेट गये और बुरी तरह एक दूसरे को चूमने लगे।

इतने में चाची ने मेरे सारे कपड़े उतार दिये और मैं भी चाची के कपड़े उतारने लगा।

पहले मैंने चाची की कमीज उतारी, क्या लग रही थी वो सफेद ब्रा में !

फिर मैंने उसकी पटियाला सलवार उतार दी। अब वो सिर्फ़ ब्रा और काले रंग की पैन्टी में थी।

मैंने कहा- कान्ता मेरी जान तूने तो खुद को बहुत संभाल कर रखा है।

तो चाची बोली- तेरे चाचा ने सिर्फ़ शराब और पैसों पर ध्यान दिया, मेरी कोई भी चिन्ता नहीं की।

मैंने कहा- कान्ता, मेरी जान ! आज से तू मेरी !

चाची भी बोली- आज से मैं, आर्यन, पूरी तरह तुम्हारी ! मेरे साथ जो मर्जी करो।

थोड़ी देर में मैंने उसे नंगा कर दिया !

क्या बदन था ! दूध जैसा गोरा ! उसके शरीर पर एक भी बाल नहीं था ! उसने पूरे बदन पर जैसे वैक्सिंग कर रखी थी।

उनकी चूत देखकर मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उनकी जांघ पर धीरे धीरे हाथ फेरना शुरू कर दिया और उनके जिस्म के भी रोंगटे खड़े हो गए थे, तो मैंने भी देर ना करते हुए उसकी फुद्दी में अपनी एक उंगली डालना शुरू कर दी पर उनकी चूत बहुत ही टाईट थी जिस वजह से मैं और वो पागल हो चुके थे।

मैंने कहा- कान्ता मेरी जान !

तो वो बोली- हाँ, मेरे आर्यन जान !

मैंने कहा- मुझे तुम्हारी चूत चाटनी है !

वो खुश हो गई- यार ! पहली बार कोई मेरी चूत चाटेगा ! चाट ले… जल्दी से चाट… चाट !

मैंने उनकी चूचियों को पकड़ कर चुचूकों को मसलते हुए उसके होटों को चूमा और बोला- अरे कान्ता जान ! इतनी भी क्या जल्दी है? पहले मैं ज़रा तुम्हें चूम तो लूँ !

उसके बाद काफ़ी देर तक मैंने उसकी चूत चाटी, फ़िर मैंने उसे बैड पर लिटा कर अपना लन्ड उनकी पहले से ही भीगी चूत के ऊपर रखा और धीरे से कमर हिला कर लन्ड को ही अन्दर किया।

कान्ता चाची ने मेरे फ़ूले हुए लन्ड को अपनी चूत में घुसते ही चीख मारी- ऊई मां ! मैं तो मर गई !

और मेरा आठ इन्च का लण्ड पूरा का पूरा उसकी चूत में घुस गया !

चाची दर्द के मारे चिल्ला उठी और आह-आह-ह करने लगी।

अब चाची रोने सी लगी थी पर कहने लगी- आज आर्यन इसे फ़ाड़ दे ! फ़ाड़ आर्यन फ़ाड इसे !

उससे दर्द सहा नहीं जा रहा था, थोड़ी देर बाद उसे मजा आने लगा।

तब चाची बोली- आह ! क्या शान्ति मिली तुम्हारे लण्ड को अपनी चूत में डलवा कर ! मेरी इच्छा थी किसी लम्बे लण्ड से चुदने की, आज वो पूरी हो गई।

अब मैं अपना लण्ड धीरे धीरे उनकी चूत के अन्दर-बाहर करने लगा। उन्होंने पहले कभी अपनी चूत में इतना मोटा लण्ड कभी नहीं घुसवाया था। शायद चाचा का लण्ड छोटा होगा, उन्हें कुछ तकलीफ़ हो रही थी। मुझे भी उनकी चूत काफ़ी टाईट लग रही थी। मैं मस्त हो कर उनकी चूत चोदने लगा, उनकी टांगें चौड़ी करके चूत में लन्ड डाल दिया और चाची कराहने लगी। मैं जोर जोर से धक्के लगाने लगा। चाची ने मुझे कस के पकड़ लिया और कहने लगी- ऐसे ही करो, बहुत मजा आ रहा है, आज मैं तुम्हारी हो गई, अब मुझे रोज़ तुम्हारा लन्ड अपनी चूत में चहिये एएऊउ स्स स्सी स्स्स आह्ह्ह ह्म्म आय हां हां च्च उई म्म मा।

कुछ देर बाद मेरे लन्ड ने पानी छोड़ दिया और चाची भी कई बार स्खलित हो चुकी थी।

उस दिन मैंने तीन बार अलग अलग तरीकों से कान्ता चाची को बुरी तरह से चोदा। चाची ने भी मस्त हो कर पूरा साथ दिया।

इस तरह मैंने चाची की चूत की प्यास बुझाई और चाची को पूरी तरह पा लिया।

मैं कान्ता चाची को आज भी चोदता हूँ और वो भी खुशी से चुदवाती है और उसकी फुद्दी को चोद-चोद कर खुला कर दिया है।

दोस्तों कैसी लगी मेरी कहानी?

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