जब वो हुई अट्ठारह की

suzzaniee 2008-08-31 Comments

प्रेषक : सुज़ान कौर

अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली कहानी है, जो मैं आप लोगों के सामने रखने जा रहा हूँ।

मैं अपने मुहल्ले की जिस गली मे रह्ता था, वहाँ हमारे घर के सामने में ही एक बहुत ही शरीफ़ परिवार रहता था और उनका हमारे घर से काफी लगाव था। उनकी दो बेटियाँ और एक बेटा था जो बहुत ही सीधा और स्नेही था। लड़कियों के भाई से मेरी दोस्ती हुई और मैं उसी दिन से यह इन्तजार करने लगा कि कैसे इसकी बहन को चोदा जाय।

एक दिन हुआ कुछ यों कि हम सब लोग उसके घर पर साथ में बैठे थे मतलब कि मैं मेरा दोस्त और उसकी बहनें ! तभी अचानक उसके भाई का फोन आया और वो बाहर जाकर बात करने लगा।

जब वो बात करके लौटा तब उसने मुझसे कहा- तुम लोग यहीं पर रुको ! मैं बहुत जल्द आता हूँ।

उसके जाने के बाद चूंकि घर पर पहले से भी हम लोग ही थे, मैं उसकी बहनों से बात करने लगा और बातों बातों में पत चला कि उसकी छोटी बहन का कल ही जन्मदिन था और वो 18 साल की हो रही है।

मैंने उसे कहीं घूमने के नाम पर पटा लिया और उसे लेकर पार्क चला गया। वहाँ बातों ही बातों में मैंने उसे कह दिया- तुम तो 18 साल की हो गई और तुम्हें तो अब वो करने का अधिकार प्राप्त हो गया है !

उसने बोला- क्या?

मैंने झट से बोल दिया- सेक्स !

वो हँस पड़ी और बोली- क्या बोल रहे हो?

मैंने बोला- तुम्हें पता है कि सेक्स क्या होता है? वैसे, तुम अगर चाहो तो मैं तुम्हें यह सब बता सकता हूँ।

इतने में वो बोली- कैसे?

इतने में मैंने उसके बालों को पकड़ लिया और उसके होठों को चूसने लगा। उसे कुछ पता नहीं चल रहा था, थोड़ी बहुत ना नुकुर करने के बाद वो अपने हाथों से मेरा चेहरा पकड़ने लगी और फ़िर मेरा साथ देने लगी।

मैंने इधर-उधर का ख्याल रखते हुए अपन हाथ उसकी चूचियों के ऊपर रखने लगा और धीरे धीरे उन्हें मसलने लगा। वो झट से मेरा हाथ हटाने लगी और बोली- पागल हो गये हो क्या? किसी ने देख लिया तो?

मैंने उसे समझाया और कहा- उतना तो मैं भी जानता हूँ ! बिना जाने ही तेरी चूत को फाड़ने की सोची है क्या मैंने?

कहकर मैंने अपना काम जारी रखा। अब वो भी मेरा साथ दे रही थी। मैं अपना हाथ उसकी चड्डी में ले गया और उसकी चूत को मसलने लगा।

अब वो आह उह की आवाज निकालने लगी थी। उसकी आवाजों से मैं मदहोश होता गया और अपना हाथ उसकी चूत में घुसा दिया। उसकी चूत से कामरस प्रवाहित हो रहा था जो मेरे हाथ में भी लग गया।

मैंने अपनी उँगली निकाल कर तुरन्त उसके मुँह में डाल दी और नीचे झुक कर धीरे धीरे उसकी चड्डी उतारने लगा तो वो मना करने लगी पर मैं कहाँ मानने वाला था।

मैं उसकी चूत को चाटने लगा।

क्या स्वाद था उसकी चूत का ! एकदम मलाई जैसा !

मैंने जीभ से ही उसे चोदना शुरू किया और वो आह उह की आवाजें निकालती रही और थोड़ी देर के बाद वो अकड़ने लगी।

मैं समझ गया कि यह झड़ने वाली है !

लेकिन ऐसे कैसे झड़ने देता ! आखिर पहली बार चुद रही थी !

मैंने अपनेआप को सीधा किया और अपनी ज़िप को खोल दिया और उसे लण्ड चूसने के लिये कहा।

उसने मना कर दिया, मैंने सोचा कि चलो ठीक है ! इसी बहाने बुर तो मिल जायेगी ना चोदने के लिये !

मैंने थोड़ा सा थूक अपने लण्ड पर लगाया, उसे सीधा होने के लिये बोला और अपनी सुविधा के अनुसार उसे सीधा किया। पहले तो मैंने अपना लण्ड उसकी बुर पर रगड़ना चालू किया क्योंकि मेरे दोस्त शाश्वत का लन्ड खुलता नहीं है। इसीलिये मैंने भी अपने आप को चेक किया।

इतने में फिर वो बोली- मुझे कुछ हो रहा है !

मैंने देर ना करते हुए अपना लण्ड एक ही झटके में पूरा का पूरा अन्दर पेल दिया जिससे उसके मुँह से आवाज़ निकली- उई ई ई ई इ मम्मी ई ई ईईईई मर गई ई………

तब मैंने अपने होंठ उसके मुँह पर रख दिए ताकि उसकी आवाज किसी को सुनाई ना दे और मैं ऊपर-नीचे होने लगा।

थोड़ी देर के बाद वो झड़ गई और मुझे प्यासी जैसे चूमने लगी। मैंने अपनी गति बढ़ा दी और थोड़ी देर के बाद मैं भी झड़ गया। मैंने झट से हम दोनों को ठीक किया और जैसे ही उठे तो देखा कि उसकी सलवार का पूरा पिछ्वाड़ा खून से लाल हो गया है। तब मैने उसे वहीं बिठाकर पानी लाया और उसका सलवार धोने में उसकी मदद की।

अपनी राय आप मुझे मेल करते रहें ताकि आपको और भी सील तोड़ने की कहानियाँ भेजता रहूँ।

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