नयना और दीप्ति संग वासना का खेल -2

(Nayana Aur Dipti Sang Vasna Ka Khel-2)

आशीष जोशी 2015-09-10 Comments

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अब तक आपने पढ़ा..

मैं अपने अपार्टमेंट से उतर कर नयना के अपार्टमेंट में जा चुका था।
पड़ोस वाली बिल्डिंग में ही रहता था इसलिए वॉचमैन ने भी ज़्यादा कुछ पूछने की ज़रूरत नहीं समझी।
मैं लिफ्ट में चढ़ गया.. अब ना जाने क्यों.. मेरी धड़कनें तेज़ हो चुकी थीं।
नयना का फ्लोर आते ही मैं लिफ्ट से बाहर आया.. उस फ्लोर पर 4 ही फ्लैट्स थे और उनमें से तीन में ताला लगा हुआ था.. शायद वीकेंड होने के कारण सब बाहर गए हुए थे।
मैंने डोर बेल बजाई और नयना ने दरवाज़ा खोला, मेरी धड़कनें बहुत तेज़ हो गई थीं..

अब आगे..
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

नयना- वेलकम आशीष.. यहीं पर तुम अपने कपड़े उतार कर मेरे पास दे दो.. अब ये तुम्हें रविवार की रात में जब यहाँ से जाओगे.. तब इसी जगह मिलेंगे..

मैं- नयना जी.. यहाँ पर कैसे.. अन्दर तो आने दीजिए..

नयना- क्यों क्या हुआ.. कोई तो है नहीं यहाँ.. और वैसे भी मेरी और तुम्हारी मुलाकात तुम्हारे नंगेपन से हुई है.. तो मेरे घर तुम कपड़े पहन कर कैसे आ सकते हो? तुम्हें तुम्हारी असली पहचान में ही अन्दर आना होगा.. और हाँ ना करने का तो तुम शायद ही सोचोगे.. क्योंकि तुम्हारी एचआर सब कुछ जान चुकी है।

नयना ने बिल्कुल निशाने पर तीर मारा था.. अगर अब मैं वहाँ से चला जाता तो पता नहीं दीप्ति क्या कर लेती.. और वैसे भी हमारे देश मे एक महिला कुछ भी शिकायत करे तो दोषी तो मर्द को ही पाया जाता है।

मैंने इधर-उधर देखा.. सन्नाटा छाया हुआ था.. इसलिए टी-शर्ट और लोवर उतार कर नयना के हाथ में दे दिए। डर की वजह से मेरा लौड़ा पूरी तरह से सिकुड़ गया था.. और उसे इतना छोटा देखकर वो मुस्कुराई और मुझे अन्दर बुला लिया।

मैं अन्दर आया तो दीप्ति सामने सोफे पर बैठी हुई थी। स्किन कलर की एकदम चुस्त लेग्गी और स्लीवलैस टॉप उसने पहना हुआ था। दोनों ही एकदम कातिल लग रही थीं। नयना मेरे कपड़े रखने अन्दर चली गई.. जाते हुए उसने कहा।

नयना- दीप्ति.. ये तेरे एंप्लाई की असली पहचान है.. हा हा हा हा..

दीप्ति- हाँ सच कहा तुमने.. आज इसका एक और इंटरव्यू होगा.. देखते हैं ये पास होता है या फेल.. हा हा हा हा.. आशीष यहाँ आओ और मेरे सामने खड़े हो जाओ..

मैं ठीक दीप्ति के सामने जाकर खड़ा हो गया। वो मुझे नीचे से लेकर ऊपर तक देखने लगी.. तभी नयना अन्दर से बाहर आकर दीप्ति के बाजू में बैठ गई।

दीप्ति- देखो नयना.. मेरी तरफ ऑफिस में घूर-घूर कर देखने वाले को आज भगवान ने मेरे ही सामने बिना कपड़ों का खड़ा कर दिया…
नयना- हा हा हा हा.. जैसी करनी वैसी भरनी..

शायद मेरे साथ अगले 2 दिन होने वाले अत्याचार की यह शुरूआत थी।
दीप्ति ने मुझे मुड़ने के लिए कहा.. वो मुझे पीछे से देखना चाहती थी, मेरे मुड़ते ही मेरी गाण्ड देखकर वो बोली।

दीप्ति- नयना.. हा हा हा हा.. इसकी गाण्ड इतनी मुलायम और शेप में है.. बिल्कुल नहीं लगता कोई मेल के चूतड़ हैं ये.. हा हा हा हा हा..
दोनों हँस पड़ीं.. पहली बार मुझे बहुत शर्म आ रही थी। मुझसे बड़ी दो औरतों के सामने.. मैं बेशरम जैसा नंगा खड़ा था।

दीप्ति ने मुझे झुकाकर पैर फैलाने के लिए कहा।
दीप्ति- वॉऊ.. कितना मस्त गाण्ड का छेद है इसका.. और ये देखो इसकी छोटी-छोटी सी गोटियाँ कितनी क्यूट लग रही हैं..
नयना- हा हा हा हा.. हाँ ना.. ऐसा लग रहा है.. जैसे कोई छोटा बच्चा सामने नंगा खड़ा हुआ है..

वो दोनों शायद जानबूझ कर मुझे अपनी बातों से सताए जा रही थीं। ना चाहते हुए भी मैं वो सब सहन कर रहा था क्योंकि मेरी ही इच्छा से ही मैंने अपने आपको उन दोनों के हाथ सौंप दिया था।

दीप्ति- अब ठीक से खड़े हो जाओ और सामने वाला तिपाई लाकर उस पर खड़े हो कर 20 उठक-बैठक करो.. मुझे गंदी नज़र से ऑफिस मे देखने के लिए.. यह तुम्हारी सज़ा है।

मैं चुपचाप तिपाई पर खड़ा रह कर उठक-बैठक करने लगा.. मेरा छोटा सा लौड़ा उठते-बैठते जिस तरह हिल रहा था.. वो देखकर वो ज़ोर ज़ोर से हँसने लगी।
करीब 20 उठक-बैठक होने के बाद नयना ने कहा।

नयना- अब मैं कॉफी बनाने जा रही हूँ.. तब तक तुम मुर्गा बनकर रहोगे इस तिपाई पर.. ये मेरे सामने अचानक से नंगा होने के सज़ा है।

मैं चुपचाप मुर्गा होकर बैठ गया और वे दोनों फिर हँसने लगी। लगभग 10 मिनट में 3 कप लेकर नयना आई और मुझे उठने के लिए कहा। मुझे एक कप देकर उन दोनों ने एक-एक कप उठा लिया और मुझे वहीं तिपाई पर बैठ कर पीने को कहा।

कुछ ही देर में हमने कॉफी ख़त्म कर दी तो दीप्ति ने कहा- चल अब इससे ज़रा फ़ुट-मसाज लेते हैं.. पैर अच्छी तरह से धोकर आएँगे।
वो दोनों बाथरूम में जाकर अच्छे से पैर धोकर आईं।

नयना- आ जाओ.. हमारे गुलाम.. हम दोनों के पैरों को मसाज दो..
मैं- जी ठीक है…
दीप्ति- तुझे मसाज अपने मुँह से देनी है..

मैं यह सुन कर सनाका खा कर रह गया लेकिन मेरे पास उनके आदेश को मानने के अलावा और कोई रास्ता ही था।

नयना- वाउ.. ये तो ज़्यादा एग्ज़ाइटिंग है.. मैंने इस सब के बारे में कुछ कहानियों में भी पढ़ा है।
दीप्ति- फिर आज अनुभव भी कर ले.. आशीष तू इन्तजार किस बात का कर रहा है.. चल शुरू हो जा..

मैं बेशरम होकर दोनों के पैरों के पास नीचे कार्पेट पर बैठ गया। दोनों के बीच में बैठने के कारण एक के पैर मैंने मेरे दोनों हाथों में उठाए और उन्हें चूसना शुरू कर दिया.. बारी-बारी से मैं दोनों के पैर चाट रहा था। यह सब ब्लू फिल्म्स में देखने के कारण.. कि कैसे करते हैं.. ये मुझे पता था.. उनके पैर धुले हुए थे इसलिए मैं गंदा फील नहीं कर रहा था।

अब धीरे-धीरे मैं भी एंजाय करने लगा.. और वो दोनों भी शायद..

लगभग 15 मिनट बाद उन दोनों ने मुझे रुकने को कहा और अपनी जगह बदल दी.. जिसकी वजह से अब उनके बचे हुए दो पैर मेरी गोद में थे। लगभग 15 मिनट तक फिर से पैर चूसने के बाद वे दोनों संतुष्ट हुईं और मुझे खड़ा होने को कहा गया।

नयना- काफ़ी अच्छा मसाज दिया आशीष तुमने.. पहली बार किसी ने मेरे साथ ये किया है.. पर मुझे बहुत अच्छा लगा..
दीप्ति- हाँ काफ़ी अच्छी तरह से किया है इसने.. और देखो शायद इसके लौड़े ने भी एंजाय किया है.. ये पहले की साइज़ से काफ़ी बड़ा हुआ लग रहा है..

नयना- आज इसे ‘फुल इरेक्ट’ करके मुठ्ठ नहीं मारने देंगे.. देखते हैं बिना हाथ लगाए कब तक टिक पता है.. और हाँ.. आशीष अगर तुमने इससे छूने की कोशिश की.. तो तुम्हें उसकी सज़ा भुगतनी पड़ेगी..
मैं- जी ठीक है..

नयना- अरे दीप्ति.. तुझे पता है.. इसे लड़कियों की शेव्ड बगलें बहुत पसंद हैं.. उन्हें देखकर भी इसका लंड हवा में उड़ने लगता है।
दीप्ति- अच्छा.. बहुत हरामी है ये तो.. चल देखते हैं..

इतना कहकर दीप्ति ने नयना के कान में कुछ कहा और अपना टॉप उतारने लगी।

उसने अन्दर से समीज पहनी हुई थी और उसके अन्दर मम्मों के ऊपर काले रंग की ब्रा कसी हुई थी।

टॉप उतारते ही मुझे दीप्ति का क्लीवेज नज़र आया.. आअहह.. अब वो क्या कातिल माल लग रही थी.. दीप्ति ने हाथ ऊपर उठाए और अपने खुले बाल बाँध लिए.. मैं उसके शेव्ड बगलों की तरफ देखे जा रहा था और मेरे लौड़े में हरकत शुरू हो गई.. वो बड़ा होने लगा।

दीप्ति- सचमुच यार.. यह बहुत ही चुदक्कड़ है.. चल सोफे के पीछे आ जा.. मैं सोफे की पुश्त पर पीछे की तरफ झुकती हूँ.. तू मेरी बगलें चाट..

मेरा तो जैसे सपना सच होने जा रहा था.. मैं जल्दी से सोफे के पीछे जाकर दीप्ति के सर के पीछे खड़ा हो गया और उसकी दूधिया और मुलायम बगलों पर हाथ फेरने लगा.. धीरे-धीरे नीचे झुककर मैं उसकी बगलों पर जीभ फेरने लगा। मैं अभी इसको एंजाय ही कर रहा था.. तभी मुझ पर दो तरह का हमला हुआ..

लड़कियों के सामने मेरी नंगे होने की आदत ने मेरे साथ क्या-क्या गुल खिलाए.. इस सबसे लबरेज इस रसीली कहानी आप सभी को कैसी लगी इसके लिए मुझे अपने ईमेल जरूर भेजिएगा।
कहानी जारी है।
[email protected]

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