मेरी चालू बीवी-78

(Meri Chalu Biwi-78)

इमरान 2014-07-27 Comments

This story is part of a series:

सम्पादक – इमरान
अपने ही बैडरूम में भाभी के साथ अपना लण्ड चुसवाना मुझे बहुत रोमांचित कर रहा था…
मैंने एक बार दरवाजे के बारे में सोचा कि कहीं खुला तो नहीं है, मैं बोला- भाभी दरवाजा?
मैंने बस इतना ही कहा था… भाभी ने लण्ड चूसते हुए ही आँखों से बंद होने का इशारा किया…
मतलब वो पूरी योजना बनाकर आई थी।

मुझे भी ऑफिस की कोई जल्दी नहीं थी, यास्मीन सब देख ही लेती है।

मैं तसल्ली से भाभी को चोदना चाहता था, अंकल भी कम से कम दो घंटे तो नहीं आने वाले थे क्योंकि अंकल की गाड़ी की स्पीड के अनुसार उनको 40-45 मिनट तो स्कूल पहुँचने में ही लगेंगे।

फिर अभी तो उनके साथ सलोनी भी है… पता नहीं स्कूल लेकर भी जाएंगे या कहीं रास्ते में ही ‘चल छैंया चल छैंया’ करने लगें !

पर मुझे क्या उनकी बीवी इस समय मेरे बैडरूम में ही लण्ड को चूस रही है और अब उसकी जोरदार चुदाई होने वाली है, मैंने सब सोच लिया था कि आज तो मैं उनकी मसालेदार गांड भी जमकर चोदूंगा।

मैंने भाभी को उठकर खड़ा किया और उनका गाउन नीचे से पकड़ ऊपर किया, उन्होंने गाउन निकलवाने में पूरी मदद की, मैंने गाउन को ऊपर करते हुए उसको उनके गले से पूरा निकाल दिया।

वाह्… क्या मस्त जवानी थी… नलिनी भाभी मेरे सामने एक माइक्रो ब्रा में खड़ी थी।

यह ब्रा शायद वो कल ही खरीद कर आई थी जो केवल उनके चुचूकों को ही आवरण प्रदान कर रही थी शेष पूरी चूची नंगी दिख रही थी, ब्रा केवल दो बारीक डोरियों से उनके पीठ से बंधी थी।

मैंने अपने हाथों से उनके सम्पूर्ण चिकने बदन को सहलाया।

मेरे बेडरूम में मेरे बिस्तर पर नलिनी भाभी की मस्त नंगी जवानी बल खा रही थी, नलिनी भाभी पूरी नंगी, उनके चिकने, गोरे बदन पर एक रेशा तक नहीं था…

वो लाल, वासना भरी आँखों से मुझे देखे जा रही थी… कभी अपने मम्मों को मसलती तो कभी अपने पैरों को खोलती… अपनी चूत की कलियों को दिखा रही थी।

मैं कुछ देर तक उनके मस्ताने रूप को निहारता रहा… उनका एक एक अंग साँचे में ढला था… इस उम्र में भी उन्होंने खुद को इतना ज्यादा मेन्टेन किया था कि कुंवारी लड़कियों को भी मात दे रही थी।

उनकी बल खाती कमर, उठी हुई चूचियाँ और चूत के ढलान को देख मुझे कही पुराना पढ़ा हुआ एक लेख याद आ गया:

‘नारी जब तक सेक्स के प्रति लालयित रहती है तभी तक अपने अंगों और खुद का ध्यान रखती है,

जब उसकी इच्छा सेक्स से हट जाती है उसके अंग अपनी ख़ूबसूरती खो देते हैं और वो खुद भी मोटी, बेडौल हो जाती है !’

अगर ऐसा है तब तो नारी को सारी उम्र ही सेक्स करते रहना चाहिए, इससे वो आखिर तक खूबसूरत बनी रहनी चाहिए।

नलिनी भाभी के अंदर भी सेक्स की लालसा चरम पर थी इसीलिए उनके चेहरे पर एक अलग ही चमक दिख रही थी और उनका हर अंग अपनी चमक बिखेर रहा था।

नलिनी भाभी ने मदहोश आँखों से अपनी बाहें फैला दी.. वो वासनामय आमंत्रण दे रही थी…

नलिनी भाभी- अह्ह्हाआआ… आआह्ह

मैं भी उनके नागिन जैसे बलखाते बदन से चिपक गया…

उन्होंने मेरा हाथ पकड़ खुद अपनी टांगों के बीच रख ठीक चूत पर जकड़ लिया तो अपने एक हाथ को उनकी टांगों के बीच तिकोने पर ले गया, उनकी बेपर्दा चूत मेरी उँगलियों के नीचे थी, उनकी चूत रस से भरी पड़ी थी फ़िर वो बुरी तरह प्यास से तरस रही थी।

मुझे ऐसा लगा जैसे किसी भट्टी पर हाथ रखा हो, मैं बोला- वाह भाभी कितनी आग निकल रही है तुम्हारी इस भट्टी से आज… क्या बात है भाभी? लग रहा है कल से प्यासी की प्यासी ही है यह?

नलिनी भाभी- और नहीं तो क्या… रात से इसमें आग लगी पड़ी है… तुम दोनों तो रात भर मस्ती से चुदाई कर रहे थे, और तुम्हारे अंकल केवल देखने के शौकीन ! मैंने कितना कहा पर कहाँ किया कुछ… बस सलोनी को देखकर ही ढीले हो गए।

नलिनी भाभी- अह्ह्हाआआ आआ हाँ रे… रात से ही यह परेशान है… तुम्हारे अंकल तो सलोनी को देखकर ही ढीले हो गए… और मैं रात भर तड़फती रही… कितनी देर तक तो तुम्हारा इन्तजार किया… पर तुम तो सलोनी को किसी और के पास छोड़कर कहाँ चले गए थे…??? अह्हाआआ इसको तो बस तुम्हारे डंडे का ही इन्तजार था… अब डाल दो ना…

मैं नलिनी की बात से चौंका, मतलब रात उन्होंने हमको देख लिया था?

मैं- क्या मतलब भाभी??? क्या रात अंकल ने कुछ देखा?
नलिनी भाभी- और नहीं तो क्या… वो सलोनी किसके साथ थी रात… अह्ह्हाआआआ…

मैंने एक उंगली उनकी चूत में घुसेड़ दी…
नलिनी भाभी- अह्ह्हाआआ…आआआ करो और करो… प्लीज बहुत अच्छा लग रहा है… हाँ… वो… कुछ तो मैंने देखा… फिर तेरे अंकल ने ही… अह्हाआआ
मैं- क्याआआ देखा…???
नलिनी भाभी- अह्ह्हाआआआ बताती हूँ… उन्होंने बताया था…

भाभी जरुरत से ज्यादा ही गर्म दिख रही थी… वो खुद लण्ड को डालने के लिए रिरिया रही थी, इसका मतलब रात बहुत कुछ हुआ था… जो नलिनी भाभी इस कदर गरम थी, भाभी की बातें सुन मैं और भी ज्यादा उत्तेजित हो गया था- हाँ बताओ न भाभी…

मैंने सोचा मेरा वॉइस रिकॉर्डर सब जगह तो काम नहीं करेगा… और अनु भी अभी नादान ही है, वो बहुत कम ही सलोनी के साथ रहती है, अगर सलोनी के दिल की सारी इच्छाएँ जाननी हैं तो नलिनी भाभी को सेट करना होगा… एक यही हैं जो सलोनी की हर बात अच्छी तरह से मुझे बता सकती हैं… इससे सलोनी के सेक्स के बारे में भी पता चल जायेगा और नलिनी भाभी के जिस्म का भी मजा मिल जायेगा…

मैंने उनकी चूत में अपनी ऊँगली डालते हुए कहा- भाभी, सच कितनी चिकनी हो रही है आपकी चूत… ऐसा लग रहा है जैसे मलाई की फैक्टरी हो…

मैं अपनी उंगली को चूत के हर कोने में घुमा रहा था, वो मदहोश हुई जा रही थी, बोली- अह्ह्ह्हाआआ मेरे राजा… करो जल्दी… मैं मर जाऊँगी… जल्दी ..करो ना… अह्हा अह्ह्हह्ह्ह उउउउउउ…

मैं- भाभी एक बात बोलूं?

नलिनी भाभी- अब कुछ मत बोल… अह्ह्हाआआ केवल अपना अंदर डाल दे… अह्ह्हाआआआ बहुत मजा आ रहा है… अह्ह्हाआआ जल्दी कर ना…

मैं- नहीं भाभी, इसको जितना करेंगे उतना मजा आएगा… आप देखना ..आज मैं आपको कितना मजा देता हूँ… आज इस चूत की सारी हसरतें पूरी कर दूंगा… मगर मेरे लण्ड को सलोनी के चुदाई की कहानी सुनने में बहुत मजा आता है।

नलिनी भाभी- क्याआआआआ अह्हाआआ कर और कर अह्ह्हाआआआ… क्या कह रहा है… सलोनी की… पर वो तो तेरी बीवी ही है ना… अह्ह्हाआआआ… यह क्या हो जाता है तुम मर्दों को… तेरे अंकल भी आजकल सलोनी की ही बात करते हुए चोचचच… चोदते हैं अह्ह्ह्हाआआआ… जब देखो उसकी ही नंगपने की बात करते हैं… पर क्या तुझको अच्छा लगता है कि कोई दूसरा उसको चच…चोदे… अह्ह्हाआआआआ

नलिनी भाभी रुक रुक कर ही सही पर मेरे रंग में रंगने को तैयार थी, उनके मुख से चोदने जैसा शब्द सुनना बहुत भा रहा था।

उन्होंने मेरे लण्ड को अपनी मुट्ठी में भींच लिया और मसले जा रही थी।

मेरे लंड की सभी नसें बुरी तरह तन गई थी… मेरा लण्ड उनके नंगे जिस्म से ज्यादा हमारी बातों से तन खड़ा था।

पर मुझे चुदाई की कोई जल्दी नहीं थी, पूरे दो घंटे थे मेरे पास, आज मैं नलिनी भाभी को पूरा शीशे में उतारना चाह रहा था… यह मेरा वो मोहरा था जो मुझे हर पल की जानकारी दे सकता था क्योंकि सलोनी भी अपनी हर बात उनको बता देती थी और भाभी के अनुसार अंकल भी उनसे सभी बात कर लेते थे।

फिर तो उनको सलोनी की हर हरकत का पता होगा.. और आगे जो होगा वो भी मुझे पता चल जायगा।

कहानी जारी रहेगी।

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