आंटी ने सिखाया-8

अमन वर्मा 2014-05-04 Comments

प्रेषक : अमन वर्मा
मैं समझ गया कि आंटी को शायद मुझ पर शक हो गया है। वैसे तो वो भी ये बात बहुत अच्छे से समझती थीं कि चुदाई की भूख ऐसी ही होती है। अगर भूख लगी हो तो इंसान खुद को रोक नहीं पाता। मैंने आंटी के होंठों पर अपने होंठ टिकाए और बोला- मैं वादा करता हूँ कि हमेशा आपका ही रहूँगा।
मेरे हाथ उनके जिस्म पर रेंगने लगे। मैंने अब उनका टॉप उतार फेंका। उनके जिस्म पर अब कोई भी कपड़ा नहीं था। मैंने उनकी चूचियों पर मुँह लगा दिया और चूसने लगा, उनकी चूचियों से दूध आ रहा था। करीब 15 मिनट तक मैं बारी-बारी से उनकी चूचियों का दूध पीता रहा। अब उनकी चूचिया थोड़ी हल्की हो गईं।
मैंने अब उनकी चूत पर मुँह लगा दिया। उनकी चूत गीली हो गई थी। उनसे रस निकल रहा था। मैंने अपनी जीभ उनकी चूत पर लगा दी और उनकी चूत में अन्दर-बाहर करने लगा। वो अपने बदन को मोड़ने लगीं।
आंटी भी चुदाई की प्यासी थी। मैं उनकी चूत को अपनी जीभ से चोद रहा था। आंटी की चूत ने अब खुल कर पानी छोड़ दिया। आंटी ने मेरे सिर को पकड़ लिया और अपनी चूत पर दबाने लगी। मैं भी उनकी चूत को चाट रहा था। उनकी चूत से पानी की बौछार छूट रही थी और मैं उसे साफ करता जा रहा था।
आंटी अब निढाल हो गईं। मैं अब उनके साथ में लेट गया और उनके होंठों पर चुम्बन करने लगा। आंटी मेरा साथ दे रही थीं।
अब मेरा लण्ड दुबारा उछाल मारने लगा। आंटी मेरी भावनाओं को बहुत अच्छे से समझती थीं। वो मुझसे लिपट गईं और मुझे अपनी ओर खींचने लगीं। मैंने अब आंटी को सीधा लिटा दिया और उनकी चूत पर अपना लण्ड टिका दिया।
आंटी ने मुझे अपनी ओर खींचा और अपनी चूत को ऊपर की ओर उछाल दिया। मेरा लण्ड उनकी चूत में थोड़ा अन्दर चला गया। मैंने भी अब ज़ोर का धक्का मारा। मेरा लण्ड उनकी चूत में आधे से ज़्यादा घुस गया।
आंटी की चूत एक बच्चा पैदा करने के बाद भी वैसी ही टाईट थी। मैंने अब एक जोरदार धक्का मारा और मेरा लण्ड उनकी चूत में पूरी तरह उतर गया। आंटी के मुँह से एक ‘आह’ निकल पड़ी।
मेरा लण्ड अब पूरी तरह से उनकी चूत की गहराई में उतर गया। मैं अब थोड़ी देर के लिए रुक गया। आंटी को थोड़ा दर्द हो रहा था। इसलिए मैं अब उनके होंठों पर चुम्बन करने लगा।
पाँच मिनट के बाद आंटी अब अपने चूतड़ों को ऊपर की ओर उछालने लगीं। मैंने अब अपना लण्ड को बाहर की ओर खींचा और एक जोरदार धक्का मारा। आंटी के मुँह से एक सीत्कार निकल गई। मैं एक मिनट के लिए रुका और फिर से अपना लण्ड खींच कर एक और जोरदार धक्का लगाया।
आंटी ने अपने बदन को ऐंठाना शुरू कर दिया था। मैंने भी आंटी को बांहों में भरा और धक्के लगाने लगा। अब मैंने ताबड़-तोड़ धक्का लगाना शुरू कर दिया। पाँच मिनट के बाद आंटी खुल कर मेरा साथ देने लगीं। मैं धक्के पर धक्का लगाने लगा।
हम दोनों अब आनंद सागर में गोते लगाने लगे। दस मिनट की चुदाई के बाद आंटी ने फिर से पानी छोड़ दिया। मेरा लण्ड पूरी तरह से नहा गया। अब उनकी चूत से ‘सट-सट’ की आवाज़ आ रही थी। मैंने अब अपना लण्ड बाहर निकाला और आंटी को पलटा कर डॉगी स्टाइल में कर दिया।
अब मैंने पीछे से उनकी चूत पर अपना लण्ड टिका दिया और धीरे से उनकी चूत में अपना लण्ड घुसा रहा था। आंटी की चूत अब बहुत टाईट लग रही थी। मैंने अपना लण्ड उनकी चूत में ठूँस दिया और धक्के लगाने लगा। आंटी चुदाई के पूरे मज़े ले रही थीं। मुझे तो मानो जन्नत मिल गई थी। मैं लगातार धक्के लगा रहा था।
थोड़ी देर मे आंटी की चूत ने दुबारा से पानी छोड़ दिया। मैं अभी भी उनकी चूत में अपना लण्ड अन्दर-बाहर कर रहा था। आंटी पूरी तरह से झड़ चुकी थीं और अब उन्होंने अपने जिस्म को ढीला छोड़ दिया।
मगर मेरा लण्ड अभी भी उछालें मार रहा था। आज आंटी की चुदाई करते-करते 30 मिनट से भी ज़्यादा हो चुके थे मगर मेरा लण्ड अभी भी शांत नहीं हुआ। अब आंटी की चूत में मेरे लण्ड से चोट लगने लगी।
मैं समझ गया था और मैंने आंटी का ख्याल करते हुए अपना लण्ड बाहर निकाल लिया। आंटी भी मेरी हालत समझ गई थीं। वो बेड पर निढाल हो कर पड़ी थीं।
मैंने अब हाथ से ही अपनी लण्ड को शांत करने की सोची मगर तभी आंटी ने मेरे लण्ड को सहलाना शुरू कर दिया। फिर मुझे चुम्बन करते हुए बोलीं- बेटा…, आपकी प्यास बुझाना मेरा फर्ज़ है।”
वो मुझ पर सवार हो गई और मेरे लण्ड पर अपना चूत टिका कर धीरे-धीरे बैठ गईं। फिर वो अपनी कमर को ऊपर की ओर उछाल रही थीं। मैं भी जोश में आ गया और नीचे से धक्के लगाने लगा।
पाँच मिनट में ही आंटी थक गईं और बोलीं- अब मैं थक गई हूँ। क्या तुम ऊपर आना पसंद करोगे?”
मैंने अपना लण्ड बाहर निकाला और आंटी को नीचे लिटाया। फिर उनकी दोनों टाँगों को मोड़ कर ऊपर उठा दिया। उनकी चूत उभर कर बाहर आ गई। मैंने अपना लण्ड उनकी चूत पर टिकाया और हचक कर धक्के लगाने लगा।
मैं धक्के लगाता गया.. बिना रुके.. आज मुझे अपनी मंज़िल तक पहुँचना था। मैं धक्के पर धक्का लगता चला गया। आंटी भी अपने दांतों को भींच कर मेरा साथ दे रही थीं। करीब 40–50 धक्कों के बाद मेरे लण्ड ने उबलता हुआ लावा उगल दिया और आंटी भी पिघल गईं। उनकी चूत ने भी गर्म पानी छोड़ दिया।
मैं वैसे ही आंटी पर निढाल हो गया। मेरे लण्ड से गर्म वीर्य निकल कर आंटी की चूत के पानी के साथ मिल गया और उनकी चूत से बाहर बहने लगा। हम दोनों वैसे ही पड़े रहे और पता नहीं कब हमारी आँख लग गई।
सुबह जब मेरी आँख खुली तो आंटी मेरे लिए बेड-टी लेकर खड़ी थीं। वो नहा कर आ चुकी थीं। उनके गीले बाल और उनसे टपकती पानी की बूंदें मोतियों जैसी उनके गोरे बदन पर चमक रही थीं। उन्होंने काले रंग की ड्रेस पहन रखी थी।
मैंने आंटी के हाथ से चाय का कप लिया और उनका हाथ पकड़ कर खींच लिया। फिर उनके होंठो पर होंठ टिका दिए और उन्हें चुम्बन करने लगा। दो मिनट में ही वो गर्म हो गईं और फिर अगले ही पल उनके कपड़े उतर गए।
फिर वही हुआ जो हमेशा से होता आया है। दो बदन आपस में मिल गए। कमरे का माहौल फिर से वासनामय हो गया। आंटी की सीत्कारें कमरे में गूंजने लगीं। फिर जब ये खेल थमा तो हम अलग हुए और मैं बाथरूम गया। फिर तैयार हो कर कॉलेज के लिए निकल पड़ा।
मुझे मेल ज़रूर कीजिएगा।
[email protected]

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