पोकर के जोकर

मैं श्रेया आहूजा आपके सामने फिर पेश हूँ इस बार आपबीती लेकर !

सबसे पहले तो आप सबका शुक्रिया कि आपने मेरे कहानियों को इतना सराहा !

थैंक्स… आपके इ मेल मुझे मिलते रहते है… माफ़ी चाहूंगी कि सबको जवाब नहीं दे पाई… कोशिश यही रहेगी कि मैं जवाब ज़रूर दूँ… आप लिखते रहना… जो मुझसे दोस्ती या मेरे साथ सेक्स करना चाहते है वो मुझे इमेल लिख कर समय बर्बाद न करे… कृपया किसी लड़की को ऐसे ईमेल लिखकर शर्मिंदा न करें !

जो मैं बताने जा रही हूँ वो पिछले सप्ताह मेरे साथ हुई आपबीती पर आधारित है…

लड़कों से अनुरोध है कि वो अपनी पैंट खोल कर उसके साथ साथ अपनी चड्डी भी उतार लें… जैसे जैसे कहानी पढ़ें, वो अपनी श्रेया को महसूस करें ! अपने लंड में क्रीम या तेल लगा लें… और उसे धीरे धीरे मलें… अपनी श्रेया के मुलायम होंट को अपने कठोर लंड पर महसूस करें… महसूस करें कि मैं आपके लंड को चूस रही हूँ… मेरे बालों को सहलायें और जब मुठ निकले तो किसी पेपर या कपड़े पर निकालें लेकिन महसूस बस यही करें कि आपने मेरे मुँह में निकाला हो ! और मैं आपकी मलाई को पी रही हूँ… मेरे सच्चे प्रेमी ने मेरी आपबीती पढ़कर रात भर में तीन बार से कम मुठ मारी हो तो बस यह समझ लेना कि आपकी श्रेया अधूरी रह गई !

लड़कियों से अनुरोध है कि वो अपनी स्कर्ट, सलवार, जींस, साड़ी या जो भी पहना हो, उतार लें… पैर फैला लें… और उंगली या किसी लम्बी पतली वस्तु को अपने योनि यानि बुर, चूत, फ़ुद्दी, भोंस, भोंसड़ी, भोंसड़ा, जो भी आप अपनी को कहती हों, में अन्दर बाहर करें ! याद रहे, शुरू में किसी चिकनी पदार्थ का उपयोग करें… ! जैसे जैसे आपकी श्रेया चुदे, आप भी वही चुदाई महसूस करें… घर पर कोई न हो तो सिसकारियाँ निकाल कर पढ़ें… अपनी बुर के ऊपरी अंग को मसलें जो छोटे चने के दाने के जैसा होता है… जब पानी छुटने लगे समझ जाना श्रेया का भी पानी निकल गया !

अब आती हूँ आपबीती पर !

मैं अभी एक कॉल सेंटर में काम कर रही हूँ… रहने वाली तो जालंधर की हूँ लेकिन काम के सिलसिले में आज कल इंदौर से थोड़े दूर देवास में हूँ ! मेरे साथ रूबी भी उसी कंपनी में काम करती है, कंपनी का नाम नेट पर बताना सही नहीं होगा।

रूबी- अरे यार, कल मुझे जैन साहब ने पार्टी में बुलाया है !

मैं- कौन सी पार्टी?

रूबी- बहुत ही ख़ास है और उस पार्टी में पोकर गेम खेल जाता है !

मैं- पोकर? यह किस चिड़िया का नाम है?… ही… ही…

रूबी- अरे हंस मत ! और उस पार्टी में जैन सर के अलावा विनोद सर और विन्दु सर भी आएंगे।

मैं- ओह ! ये तीनों ठरकी !

रूबी- अरे, उन्होंने तुमको भी बुलाया है, हम पांच लोग बस जैन साहब के फ्लैट में… पोकर गेम के बाद हम दोनों का प्रमोशन !

मैं- मैं कुछ समझी नहीं…

रूबी- अरे बस रात की बार है… फिर तू टीम लीडर और मैं असिस्टेंट मेनेजर…

मैं- सच… लेकिन इसके लिए कुछ ऐसे वैसे काम तो नहीं करने पड़ेंगे ना?

रूबी- अरे मेरी जान, थोड़े बहुत तो बिजली तो गिराने में हम भी माहिर हैं !!

मैं- ओह हो ! हर बात मजाक… ओके कल शाम को मिलते हैं।

अगली शाम को हम दोनों जैन साहब के फ्लैट में गए… फ्लैट में एक बड़ा सा हॉल था… चारों तरफ़ सिगरेट का धुआं… जैन, विनोद और विन्दु शराब पी रहे थे… बहुत मना करने पर भी दो पेग वोद्का पीनी पड़ी… थोड़ा सुरूर तो आने लगा था।

तभी जैन साहब ने पोकर गेम शुरू किया… ज्यादा रूल तो पता नहीं थे लेकिन ताश के पत्ते बाँटे गए !

हम पाँच ने पोकर गेम शुरू कर दिया…

तभी विन्दु साहब एक बाज़ी हार गए ! उन्हें अपनी शर्ट खोलनी पड़ी… अगली बाज़ी जैन साहब हार गए… उन्हें अपनी पतलून खोलनी पड़ी… मुझे डर था कि मैं न हार जाऊँ, इसलिए पूरे मन से खेल रही थी !

रूबी- अरे यार, ये दोनों तो !

मैं- शस्स… मन लगा के खेल वरना…

वही हुआ… रूबी बाज़ी हार गई…

विन्दु- यार, इसकी स्कर्ट खोलते हैं !

जैन साहब- नहीं विन्दु जी, पहले शर्ट…

रूबी ने अपनी शर्ट खोली… उसने मैरून रंग की ब्रा पहनी हुई थी… रूबी पतली दुबली… कोई 5 फीट की होगी… थोड़ी सांवली लेकिन चेहरा मस्त था… मम्मे थोड़े छोटे थे जो ब्रा के अन्दर से नज़र आ रहे थे !

जैन साहब- अरी, घर पर खाना नहीं मिलता पतली सूखी सी हो… श्रेया जी को देखो, भरी हुई है। हजारों कहानियाँ हैं अन्तर्वासना पर !

विनोद- अरे वो भी देख लेंगे, कौन कितना भरा हुआ है…

अगली बाज़ी मैं हार गई !

विनोद- इसकी तो जीन्स उतरवाओ !

जैन- नहीं, इसकी भी शर्ट ! क्यूँ..?

विनोद- नहीं इसकी जीन्स… जैन साहब, बहुत मन है इसकी भरी हुई जांघें देखने का !

जैन- चल ठीक है भाई !

मैंने अपना जीन्स खोल… मैं खड़ी हुई थी तभी विनोद ने पीछे से मेरी बुण्ड यानि चूतड़ों के ऊपर से हाथ फेरा और जांघें सहलाई !

मेरी गाण्ड का छेद मानो सिकुड़ सा गया… उसने मेरे कूल्हों को थपथपाया…

खेल चलता गया… रात काली होती चली गई… आलम यह था कि हम पांचों केवल अंडर गारमेंट्स पहने हुए थे और ताश के पत्ते बंट रहे थे…

तभी रूबी हार गई बाज़ी ! और जैन साहब ने रूबी को पीछे घुमा के उसकी ब्रा खोल दी.. रूबी ने दोनों हाथों से अपने मम्मे छुपाये लेकिन विनोद ने दोनों हाथ पकड़ के खोल दिया और जैन साहब, विनोद और विन्दु लार टपका कर देखने लगे…

रूबी के मोम्मे छोटे छोटे थे और निप्पल भूरा और बड़ा सा था, बहुत फैला हुआ था, आधे मुम्मों तक ! जबकि मेरे स्तन बड़े, गोल गोल और छोटे छोटे गुलाबी निप्पल हैं… यह हो सकता है पंजाबियों का ऐसा मुम्मा होता है और मध्य प्रदेश वालों का नुकीला छोटा चूची होता है !

रूबी को जैन साहब ने अपने गोद में बैठाया और उसका मुम्मा दबा दिया…

रूबी- अहह… सर… आराम से…

जैन साहब- क्यूँ री… आज तक कभी किसी ने दबाया नहीं है जो इतने छोटे रह गए…?

विनोद- चुसवा ले जैन साहब से ! बड़े हो जायेंगे… तेरा पति भी खुश हो जायेगा…

रूबी- नहीं सर, जाने दो मुझे अब…

जैन- चली जा ! कौन रोक रहा है… जा फिर सारी उम्र तो कॉल एजेंट रह जाएगी वही दस हज़ार की सैलरी !

रूबी- ओह ! नहीं सर, ओके, सर आप इनको दबाओ।

मैं बताना ही भूल गई जैन साहब हमारे कंपनी के सीईओ है… उम्र कोई पचास साल, मोटे सेठ की तरह हैं…

विनोद सर हमारे कंपनी के डायरेक्टर, उम्र यही कोई पैंतालीस, काले नाटे मोटे…

और विन्दु सर मैनेजर लेवल के गोरे लम्बे स्मार्ट… कभी मेरे क्रश हुआ करते थे, पता चला शादीशुदा हैं उम्र कोई तीस साल !

हमारा काम था आज रात इन तीनों को खुश करना, लेकिन सेक्स करना नहीं…

जैन साहब के गोद में बैठ कर रूबी खेल रही थी… जैन साहब मौका पते ही उसके मुम्मे दबा देते… इसीलिए अगला बाज़ी वो हार गई… जैन साहब ने उसकी पैंटी भी उतरवा दी… अपना अण्डरवीयर भी उतार दिया और उसे अपने गोद में बैठा लिया…

विनोद मेरे बगल में आकर बैठ गया…

विनोद- अब तेरे बारी है… नंगी होने की… आज तो तेरी लूँगा मैं…

विनोद ने अपना हाथ मेरी पैंटी में घुसा दिया और मेरी सैनेट्री पैड निकाल कर फेंक दिया।

मैं- सर प्लीज़ !

जैन- ऐ लड़की, क्या सर प्लीज़… महीना आ रहा है क्या…? बोल ना?

मैं- हाँ सर…

जैन साहब- विन्दु यार जरा वो तेल देना… जापानी तेल… मलूँ अपने लंड पर और इसकी गांड पर…

जैन साहब ने एक उंगली रूबी की गांड के अन्दर डाल दी… दोनों हाथों से गांड के गुब्बारों को फैलाया और खड़े लंड को धीरे से अन्दर डाला…

रूबी उछल गई और जैन साहब का लंड अन्दर नहीं गया…

जैन साहब- इसकी तो आज गांड मार कर ही रहूँगा !

रूबी- लेकिन सर हमारा प्रमोशन तो हो जायेगा न?

विनोद- सर जी, इसकी सूखी गांड मार कर क्या मज़ा आयेगा… पिछले बार भी आपने पतली लड़की… बच्ची जैसी को चोदा था।

जैन साहब- विनोद भाई, मेरी बीवी शुरू से मोटी थी, बिल्कुल पसंद नहीं थी… लंड घुसे तो हर तरफ गुदगुदा सा… इन पतली लड़की में गुद्दा नहीं होता पर जब लंड जाता है और जो घर्षण पैदा होता है मज़ा आ जाता है… जब तक लंड छिल न जाये मज़ा नहीं आता…पतली बुर और गांड में जो मज़ा है… तभी ज़माना जीरो फिगर पर दीवाना है !

विनोद- सर जी, मुझे तो भरी हुई लड़की पसंद आती है जैसे ये है श्रेया… ओये श्रेया ! तेरा कोई चक्कर वक्कर तो नहीं?

जैन- अरे होने दे चक्कर… तेरे को क्या तू चोद न …विन्दु पकड़ा न तेल !

विन्दु- सर जी, ये रहा तेल… अब मैं चलता हूँ।

विनोद- क्यूँ तू नहीं चोदेगा इनको… जैन साहब तो बस एक दो धक्के में गिर जाते हैं !

जैन- विनोद तेरे माँ की… देख कैसे चोदता हूँ… तेरे बाद भी चुदाई चालू रखूँगा।

विन्दु- ओके सर एन्जॉय… बाय गर्ल्स…

विनोद सर ने मेरी ब्रा खोल दी और दोनों हाथों से मेरे बोबे दबाने लगे। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं।

विनोद- वाह, एकदम गोल गोल हैं… फिल्मों की हीरोइन की तरह… गोल-गोल, गोरे-गोरे और छोटा सा गुलाबी निप्पल !

जैन- चूस ना ! देख निप्पल खड़े हो जायेंगे…

विनोद सर मेरे निप्पल चूसने लगे… सच में मेरे निप्पल खड़े हो गए…

वहीं जैन साहब ने रूबी की गांड में तेल लगाया और अपने लंड का गुलाबी टॉप अन्दर घुसा दिया।

रूबी- ई ऐई ई… सर जी छोड़ दीजिये… मर जाऊँगी।

जैन- अरे कोई नहीं मरता, अभी तो बाकी का लंड बाहर है…

रूबी- बुर चोद दीजिये… गांड मत मारिये !

जैन- चल झुक तब… साली तेरे से अच्छी तो काम वाली है मेरी.. गांड में पिलवाती है।

विनोद- आजा, तेरी भी गांड मारूँगा…

मैं- नहीं सर गांड नहीं… फुद्दी चोद लीजिये…

विनोद सर ने फिर मेरे नरम होंठों पर अपना सिगरेट से जले हुए काले होंठ रख दिए और मेरे होंठ चूसने लगे।

सर ने मेरे गालों को दबाया, मेरे मुँह खुल गया और अपनी जीभ मेरे मुँह में घुसा दी… उनके मुँह से दारु और सिगरेट की बदबू आ रही थी… वो अपनी जीभ से मेरे तालू, मेरी जीभ को चूस रहे थे… दस मिनट तक मुझे चूसने के बाद अपना मुँह हटाया…

जब मैंने आँखें खोली तो मैंने देखा कि जैन साहब रूबी को झुका कर पीछे से लंड डाल कर उसे चोद रहे थे…

रूबी ने मेरी तरफ देखा… आज मैं पहली बार किसी को चुदती देख रही थी… रूबी ने मुझे देखा फिर अपनी आँखें बंद कर ली !

रूबी की बंद आँखों से आंसू बह रहे थे… मुँह से सिसकारियों की जगह सिसकियाँ ही निकल रही थी…

जैन- अहह ये ले… अहह ये ले ! देख विनोद, पचास स्ट्रोक मार चुका हूँ…

विनोद- अरे सर बिना कंडोम के… कहीं कुतिया प्रेग्नेंट न हो जाये…?

जैन- अरे मुठ तो इसके मुँह में गिराऊँगा… तू कंडोम लाया है?

विनोद- नहीं… लाया तो नहीं, लेकिन मेरी वाली का महीना चल रहा है तो यह तो नहीं होगी प्रेग्नेंट !

जैन- देख भूल गया न तू… अह अह…

जैन साहब लगातार घस्से मार रहे थे, उनके दोनों हाथ रूबी की पतली सी कमर पे थे।

विनोद- हाँ भूल ही तो गया सर तभी तो यह याद नहीं कि आपकी तो अब मुठ भी नहीं निकलती… वो भी एक्सपायर हो गई है !

जैन- रुक तू ! देख साले, कितना माल निकालूँगा…

जैन साहब ने रूबी को घुमाया और उसे नीचे बिठाया और उसके मुठ में सारा माल छोड़ दिया… जैन साहब का मुठ पीला हरा रंग का था… मैंने कभी इस रंग का मुठ नहीं देखा था… लेकिन रूबी के छोटे से मुँह को भर दिया… जैन साहब ने रूबी के मुँह पर अपना हाथ रख दिया ताकि वो मुठ को थूक न सके।

जैन- अरे पी जा, पी जा… मुठ पीयेगी तो तेरे बोबे और तेरी गांड और बड़े हो जायंगे… देखा विनोद अब तेरे बारी…

जैन साहब थक कर सोफे पर ढेर हो गए… रूबी जैन साहब के गिरे हुए लंड को चूस रही थी…

विनोद ने मेरी पैंटी उतार फेंकी…

मैंने दोनों हाथों से अपनी फुद्दी छुपा ली…

जैन- विनोद, पकड़ साली के हाथ… दिखा अपनी चूत !

विनोद ने मेरा हाथ हटाया… मेरी चूत को जैन साहब और विनोद देख रहे थे…

मेरी चूत एकदम क्लीन शेव थी… मुलायम चिकनी… गुलाबी…

विनोद ने मेरी चूत में उंगली डाली… मैं चरमरा उठी… मेरी गांड सिकुड़ गई…

विनोद- सर जी, एकदम गीली है… क्या बोलते हैं? डाल दूँ?

मैं- नहीं सर, कमरे में अकेले में चोदिये ! यहाँ नहीं…

विनोद- क्यूँ शर्म आ रही है? देख रूबी कैसे चुद के बैठी है…

जैन साहब दारु और शबाब के नशे में चूर सोफे में सो गए और बेचारी रूबी अपनी चूत सहला रही थी।

मेरा समय आ गया था चुदने का…

विनोद ने अपनी मोटी मोटी उँगलियों से मेरी फुद्दी खोली।

विनोद- अन्दर से एकदम गुलाबी है… चल लेट जा कारपेट पर…

विनोद ने मेरी जांघें फैलाई… मेरे मुँह में अपना मुँह सटाया और एक ही झटके में अपना लंड दे मारा अन्दर, उनका लंड ज्यादा लम्बा नहीं था… पर मोटा और काला था… उनके अंडकोष की थैली बड़ी सी थी…

उनका छोटा लेकिन मोटा लंड मेरी चूत की ठुकाई कर रहा था… वो बहुत तेज छोटे लेकिन पॉवरफुल स्ट्रोक मार रहे थे !

विनोद- एकदम चिकनी है रे तू… ये ले ! बहुत मज़ा आयेगा तेरे को रोज़ चोदने में !

मैं- अह… अह… अ… हा… अह… सर बस करिए…

विनोद की काली जांघें और लंड बहुत बालदार था… एकदम जानवर जैसे बाल थे उनके शरीर में… मैंने उनके कूल्हे पकड़े…

शायद मैं झड़ रही थी… पूरे चूतड़ों पर बाल थे… सर झटके मारे जा रहे थे, मैंने विनोद को पकड़ लिया अब नहीं सहा जा रहा था…

मेरे प्रिय पाठको, आपकी श्रेया चुद रही थी और तीन बार झड़ चुकी थी… उम्मीद कर रही हूँ कि अब तक आपका लंड भी खड़ा हो गया होगा और मुठ से पहले का पानी आ रहा होगा…

मेरे चूत का पानी सर की जांघो में बह रहा था… इतनी गीली कभी नहीं हुई होंगी… हो सकता है उस पानी में मेरे महीने का पानी भी होगा इसीलिए पानी उजला नहीं था.. पीला था !

विनोद की रफ़्तार पहले से तेज हो गई, मैं समझ गई कि वो झड़ने वाला है… इससे पहले वो काला मोटा आदमी का मुठ मैं अपने मुँह में लूँ मैंने उसे पकड़ लिया…

विनोद- आह ! चूत में निकल जायेगा पगली…

मैं- तो निकाल दो न… डार्लिंग !

विनोद थोर हैरान भी हुआ क्यूंकि मेरे जैसी सुन्दर लड़की उस नाटे मोटे काले को डार्लिंग क्यूँ बोलेगी… लेकिन वो इस हालत में नहीं था… पसीने से तर था और उसका माल मेरी चूत में निकल गया… मैंने गरम गरम लावा अपने अन्दर ले लिया।

विनोद निढाल होकर गिर गया… मैंने उसके छाती पर अपना सर रखा…

मैं- सर आप कह रहे थे कि अगर रोज़ आप मुझे…

विनोद- क्या… ऐसा हो सकता है?

मैं- क्यूँ नहीं? अगर आप मुझसे शादी कर लें तो… देखिये न अगर आप मुझसे और जैन साहब रूबी से शादी कर लें तो !

विनोद- पागल है क्या… हम दोनों की फ़ैमिली है… बड़े बड़े बच्चे हैं…

मैं- और अगर आज हम या रूबी प्रेग्नेंट हो जाये तो… फिर भी नहीं करेंगे?

विनोद- नहीं… और वैसे भी तेरा महीना जो चल रहा है.. पेट से कैसे हो सकती है?

सुबह होते ही मैं और रूबी अपने अपने घर गए और फ्रेश हो गए… फिर ऑफिस गए, हम दोनों जैन साहब और विनोद के ऑफिस रूम में गए…

जैन साहब- रात गई, बात गई… दोनों मस्त थी कल रात, लेकिन अभी कोई प्रमोशन नहीं ! ओके नाउ गेट आउट !

मैं- लेकिन सर !!!

रूबी- सर, ये ठीक नहीं है !

विनोद- सुना नहीं सर ने क्या कहा… भागो वर्ना नौकरी से निकाल देंगे !

हम लोग तो वहाँ से निकल गए… लेकिन अभी एक फ़ोन जैन साहब को और विन्दु का…

विन्दु- जैन साहब… शादी करेंगे आप रूबी से और विनोद जी श्रेया से !

जैन- क्या बकता है… हरामजादे?

विन्दु- तो क्या बिचारी लड़कियों को मुफ्त में चोद के धोखा दिया…

जैन- हाँ दिया तो…

विन्दु- तो… आपके रूम में कैमरा फिट था… मैंने लगाया था… अब चुपचाप दो घंटे के अन्दर पचास लाख मेरे अकाउंट में डाल दो, वर्ना मैं सीडी पुलिस को… बेचारी लड़की को चोदा और जब वो शादी भी करना चाही तो मना कर दिया… सब लड़की रंडी नहीं होती… समझे?

जैन- नहीं नहीं… ऐसा मत करना !

विनोद ने भी सुनकर हामी भर दी…

दो घंटे के अन्दर मेरे अकाउंट में बीस लाख रूबी के अकाउंट में बीस लाख और विन्दु के अकाउंट में दस लाख ट्रान्सफर हो गए…

जैन साहब और विनोद के सामने कोई चारा नहीं था, किसके पास जाते.. पुलिस या पब्लिक?

पोकर गेम में हम जीत चुके थे… और वो पोकर का जोकर बन गए थे।

हम लोग तो चले शॉपिंग मॉल में… आप लोग अपने अपने लंड चूत साफ़ कर लें !

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पोकर के जोकर

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