बिस्तर में लाने की ख्वाहिश

अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार।

दोस्तो, आप सब ने मेरी अभी तक की सारी कहानियों को बहुत सराहा उसके लिए तहे दिल से धन्यवाद। आज मैं फिर से आपके मनोरंजन के लिए अपनी एक आपबीती घटना लेकर आया हूँ। मेरी अन्य कहानियों से अलग इस कहानी का मज़ा लेने के लिए आपको अपनी कल्पना का पूरा सहारा लेना होगा वरना आप लोग इसका वो मज़ा नहीं लूट पाएँगे।

बात तब की है जब मैं लुधियाना, पंजाब में आया था। चंडीगढ़ की तरह यहाँ नज़ारे तो बहुत थे पर चुदाई का ज्यादा जुगाड़ नहीं मिल रहा था। वही माल खा-खा कर मैं बोर हो रहा था और तलाश थी नए ताज़े पार्टनर की। उस ठण्ड के मौसम में मुझको गर्मी की तलाश थी और उसकी तलाश में मैंने काफी जगह कोशिश की पर जो मैं चाहता था वो नहीं मिला, बस काम चल रहा था।

पर यहाँ मेरे साथ वो हुआ जो कहते हैं चिराग तले अँधेरा। मैं बाहर खोज रहा था और मेरे ऑफिस में एक नई लड़की ने ज्वाइन किया उस वक़्त। हालांकि वो दूसरे विभाग में आई थी पर जल्द ही उसको हमारे विभाग में शिफ्ट कर दिया गया। दुबली सी छरहरे बदन वाली वो लड़की, पतले होंठ, पूरा शरीर गर्म कपड़ों से छुपा हुआ ! बस यही दीखता था, पर मेरा मन कहता था कि जल्दी ही यह क़यामत ढायेगी।

और जैसे जैसे सर्दी कम होने लगी, उसकी गर्मी माहौल को गर्म करने लगी। अब गर्म कपड़े तो उतर गए थे और एक नया ही नज़ारा सामने था। वो टाईट जींस टॉप में आती थी जिनमें उसके छोटे छोटे टाईट मम्मे, उसके उभरे हुए गोल चूतड़, चूतड़ों के बीच गांड की दरार साफ़ दिखती थी। जब भी उसको देखता था, मेरा अपने लंड पर काबू नहीं रह पाता था और वो उसको सलामी देने को जोर मारने लगता था। मन करता था कि बस एक बार यह मेरे साथ बिस्तर पर नंगी सो जाये तो मज़ा आ जाये।

धीरे धीरे मेरी उससे अच्छी बात भी होने लगी। मेरी किस्मत की उसकी सीट मेरे साथ ही थी तो हम और करीब आ गये थे। मैंने काफी चांस मारे उसको अपने साथ घर ले जाने का पर, हर बार नाकामयाबी मिली।

पर मैं हार मानने वालो में से नहीं था तो कोशिश जारी थी।अब हम लोगों में काफी अच्छी बात होने लगी थी। वो काफी खुले दिमाग की थी और किसी भी तरह की बात करने में उसको परेशानी नहीं होती थी, हम लोग वेज, नॉन वेज सब बातें करते थे। खाली समय में हम लोग बहुत पास पास बैठ कर बातें किया करते थे और कभी कभी वो मुझको पकड़ भी लेती थी मजाक में, तब मुझको अपने ऊपर काबू करना बहुत मुश्किल होता था। जब वो मेरे ज्यादा पास होती थी तो मैं आदत से मजबूर उसके उभारों को छूने की कोशिश भी करता था। उसका एकदम चिकना बदन, मुझको अपनी और आकर्षित करता था पर आज तक मैं उसको अपने बिस्तर तक नहीं ला पाया था।

पर कहते है ना ऊपर वाले के यहाँ देर है अंधेर नहीं। वो यहाँ अपनी एक रूममेट के साथ पीजी में रहती थी और एक दिन अचानक उसकी रूममेट को अपने घर जाना पड़ा। शनिवार था, जब उसने मुझको बताया तो मैंने एक और कोशिश की और उसको कहा- मैं रोज रोज एक सा खाना खा खा कर बोर हो गया हूँ, आज मेरे घर चलते हैं, कुछ नया बना कर खायेंगे, फिर मैं तुमको वापिस तुम्हारी पीजी पर छोड़ दूँगा।

मेरी ख़ुशी का ठिकाना तब नहीं रहा जब उसने मेरी बात मान ली। शाम को हम लोग अपने टाइम पर काम पूरा करके छः बजे मेरे घर की तरफ चल दिए। रास्ते से हमने कुछ जरुरत की चीज़ें ली और घर पहुँच गए। मेरा मन रोज रोज एक जैसा माल खा खा के बोर हो गया था और आज मैं कुछ नया खाना चाहता था जो आज मेरे घर आ ही गया था।

हम लोग घर पहुँचे और मैंने फ़्रिज़ से कोल्ड ड्रिंक निकाल कर उसको दी। कोल्ड ड्रिंक पीते समय कोल्ड ड्रिंक तेज़ी से बोतल से बाहर आई और उसकी एक धारा उसके होंठों से होती हुई उसकी गर्दन पर से उसके वी शेप के टॉप के अन्दर चली गई।

क्या नज़ारा था, मन तो किया किया उसी कोल्ड ड्रिंक की तरह मैं भी उसके टॉप में घुस जाऊँ पर कण्ट्रोल करना पड़ा।

वो रसोई में गई और खाने की तैयारी करने लगी, मैं भी उसका साथ दे रहा था। उसके पसीने की हल्की हल्की महक मुझको पागल कर रही थी।

वो खाना बनाने में बहुत तेज थी, जल्द ही हम लोगों ने खाना बना लिया और कमरे में लाकर खाने लगे। अभी तक कुछ नहीं कर पाया था और उसके जाने का वक्त पास आ रहा था। मेरा मन बहुत उदास था पर कुछ हो नहीं सकता था।

खाने के थोड़ी देर बाद वो बोली- अब मुझको चलना चाहिए।

मन तो नहीं था पर क्या किया जा सकता था। मेरी उदासी मेरे चेहरे पर आ रही थी।

अचानक वो मेरे पास बैठी और बोली- तुम कुछ कहना चाहते हो, तुम्हारे चेहरे से साफ़ पता चल रहा है कि कुछ है जो तुमको परेशान कर रहा है।

मैंने कहा- ऐसा कुछ नहीं है, बस ऐसे ही !

वो बोली- कुछ तो है, हम इतने क्लोज हैं फिर भी कुछ नहीं बताओगे?

एक बार तो मन किया कि बोल दूँ कि तुमको चोदना चाहता हूँ पर मैं इतना जानता था कि अगर यह नाराज़ हो गई तो मेरा आगे कभी मिल सकने वाला चांस भी हाथ से निकल जायेगा तो थोड़ा इन्तजार ही सही पर आराम से करुँगा, तो मैं कुछ नहीं बोला।

तभी अचानक उसने मेरा चेहरा अपने हाथ में लेकर अपनी ओर किया और अपने होंठ मेरे होंठों पर रख के एक किस कर दिया।

अचानक हुई इस बात से मैं हैरान था, तो वो बोली- यही चाहते थे ना? पर एक बात साफ़ कर दूँ, मैं प्यार के चक्कर में नहीं पड़ना चाहती। और जो तुम चाहते थे वो भी मुझको मालूम था पर रूममेट के कारण मैं आ नहीं पा रही थी।

मैंने कहा- अगर ऐसे था तो मुझको पहले बोल देती, मैं कुछ इंतजाम कर लेता !

तो वो बोली- अब उन बातों को छोड़ो और करना क्या है वो बोलो।

अचानक उसमें आये इस बदलाव से मैं हैरान था और कुछ बोल नहीं पा रहा था। वो मेरे और अरीब आई तो मुझको होश आया कि जिस चीज़ के पीछे मैं इतने दिन से भाग रहा था वो आज अपने से मेरे हाथो में आ गई है। अब मैंने बिना वक़्त गंवाए उसको अपनी गोद में बैठा कर बाहों में भर लिया और अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए। कभी वो मेरे होंठों को चूसती, कभी मैं उसके होंठों के मज़े लेता। हम पागलों की तरह एक दूसरे को किस कर रहे थे और अपने हाथों से एक दूसरे को अपने से चिपका रहे थे, हमारी जीभ भी एक दूसरे के मुँह में घूम रही थी। इतने रसीले और कोमल होंठ मैंने अपनी जिन्दगी में कभी नहीं चूसे थे। मन ही मन मैं यह भी सोच रहा था कि यह प्यार के चक्करों में नहीं पड़ेगी तो वो भी अच्छा है, वरना तो ऐसी लड़कियों से पीछा छुड़ाना अपने में भारी काम है, अपनी तो ऐश है इसके साथ।

उसके होंठों का मज़ा लेते हुए मैंने उसको अपनी गोद में बैठाया हुआ था। अब मेरा एक हाथ उसकी पीठ पर और दूसरा उसकी जांघों पर था और मैं उसके बदन को सहला रहा था। मेरे होंठ उसको होंठों, गालों, गर्दन पर घूम रहे थे। धीरे धीरे मेरा हाथ उसकी जांघों से उठ कर उसके पेट को सहलाते हुए उसके मम्मों पर चला गया और मैंने उसका एक मम्मा हाथ में पकड़ लिया। काफी सख्त मम्मे थे उसके, और उनकी घुन्डियाँ भी वैसी ही थी। मैंने एक एक करके उसके दोनों मम्मों को दबाया और मसला। उसके मुँह से सेक्सी आवाजें निकल रही थी जो मुझको और उत्तेजित कर रही थी।

धीरे धीरे मेरा मुँह उसके छाती की तरफ बढ़ने लगा। मैंने उसकी वे कट वाली टॉप से दिखने वाली उसकी छाती पर किस किये और अपने होंठ उसके मम्मों पर टॉप के ऊपर से लगा दिए। मैं टॉप के ऊपर से उसके मम्मों को मुँह में लेकर चूसने लगा, अपने हाथों से मम्मों को दबा कर ऊंचा करके अपने मुंह में ले रहा था। उसकी टॉप का मम्मों वाला हिस्सा गीला हो गया था।

इसी बीच मेरा हाथ उसके टॉप में नीचे से अन्दर चला गया था और मैंने पहली बार उसके चिकने पेट को छुआ। मेरे हाथ का स्पर्श होते ही उसके मुँह से एक सिसकारी सी निकली और उसने मुझको अपनी बाहों में जोर से जकड़ लिया। मेरा हाथ उसके पेट से होता हुआ उसके ब्रा के ऊपर से उसके मम्मों तक पहुँच चुका था और अब मेरे हाथ और उसके मम्मों के बीच सिर्फ उसकी ब्रा थी।

हमारे बीच चुम्बन का एक दौर और शुरु हो गया। अब मुझे हमारे बीच उसका टॉप बर्दाश्त नहीं हो रहा था तो मैंने उसके टॉप को उतारना शुरु किया और उसने अपने हाथ ऊँचे कर दिए और अगले ही पल में उसका टॉप उसके शरीर से अलग हो गया। उसका गोरा बदन मेरी आँखों के सामने सिर्फ एक ब्रा में था जिसमें से उसके बूब्स वैसे ही दिख रहे थे जैसे आधा कटा हुआ चाँद नज़र आता है।

मैंने बड़े प्यार से उसके पेट और छाती को सहलाना शुरु किया और बहुत ही हल्के हाथों से उसके बाहर छलकते मम्मों को भी दबाना शुरु कर दिया। मेरी इस हरकत से उसको बहुत मज़ा आ रहा था, उसने भी मेरी टीशर्ट को मेरे से अलग कर दिया। मैंने अपने एक हाथ से उसकी पीठ से उसके ब्रा के हुक को खोल दिया और उसकी ब्रा गिरते ही उसको अपनी बाहों में जकड़ लिया। उसकी नंगी छाती मेरे बदन से चिपक गई और उसके कड़े उरोज मेरी छाती में घुसे जा रहे थे।

दोस्तो, उस वक्त मैं कैसा महसूस कर रहा था उसकी आप सिर्फ कल्पना करके ही समझ सकते हैं।

मैंने उसको अपने से दूर किया और उसके मम्मों के पहली बार दर्शन किये। बाहर से छोटे से लगने वाले मम्मे उतने भी छोटे नहीं थे और गुलाबी घुन्डियाँ अपने पूरे उभार पर थी। मैंने पहले उनको घुंडियों को अपने हाथों से मसला और फिर उनको अपने मुँह के हवाले कर दिया। मैं उसके मम्मों को चूस रहा था और वो अपने हाथों से मेरे सर को अपनी छाती में दबा रही थी।

मैं पूरी कोशिश कर रहा था कि उसका पूरा मम्मा अपने मुँह में ले लूँ, उत्तेजना के कारण उसके मम्मे तने हुए थे, मैं पूरे जोर से उसके मम्मों को चूस रहा था और अपने हाथों से उसकी नंगी पीठ और पेट सहला रहा था। उसको भी इसमें बहुत मज़े आ रहे थे।

अब वक्त था अपने दिल की हसरत पूरी करने का, मैंने उसको अपने बाहों में उठाया और धीरे से बिस्तर पर लेटा दिया। उसकी जींस अभी तक उसके बदन के कीमती भाग को छुपाये हुई थी, मैंने उसकी जींस के बटन को खोला और उसकी जिप को खोल दिया। उसकी जींस खुलने को तैयार थी, उसमें से उसकी काले रंग की पेंटी मुझको अपनी ओर बुला रही थी। मैंने उसको चूतड़ ऊँचे करने का इशारा किया, उसने अपने कूल्हे हवा में ऊँचे उठा दिये और मैंने उसकी जींस नीचे खींच दी। उसकी गोरी जांघों के बीच काले रंग की पेंटी मस्त लग रही थी और उस पर भी उसकी योनि का उभार मेरे दिल और लंड को मस्त करने के लिए काफी था।

मैंने भी तुरंत अपनी जींस उतारी और उसके बगल में लेट गया। मैंने एक हाथ उसकी गर्दन के नीचे रखा और दूसरे हाथ से उसके बदन और मम्मों को सहलाने लगा। वो आँखें बंद करके इसका मज़ा ले रही थी।

फिर मेरा हाथ अपने आखिरी मुकाम की ओर बढ़ा और पेंटी के ऊपर से उसकी चूत को सहलाने लगा। उसकी चड्डी का थोड़ा सा भाग नीचे से गीला था जो साफ़ बता रहा था कि वो मज़े में है।

थोड़ी देर ऊपर से मसलने के बाद मेरा हाथ उसकी पेंटी के अंदर चला गया जहाँ मुझको एक साफ़ की हुई बिना बाल की चूत मिली। मैं अपने हाथ से चूत की फांकों को सहलाने लगा और वो अपने मुँह से सी सी की आवाजें निकालने लगी। मेरी उंगली उसकी चूत की दरार के बीच में घूम रही थी और उसकी गहराई नाप रही थी।

अब मुझसे बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था तो मैंने उसकी पेंटी भी उसके बदन से अलग कर दी। अब वो एकदम नंगी मेरे बिस्तर पर थी, उसका गोरा बदन अपने उभारों के साथ मुझको मस्त कर रहा था। मैंने उसके पूरे नंगे बदन पर हाथ फेरा, उसकी चूत की फांकें बिल्कुल संतरे की फांकों जैसी थी और गुलाबी रंग की थी। मुझको तो आज भी संतरा खाते वक़्त उसकी चूत का अहसास होता है।

अब मैं उसकी टांगों के बीच बैठ गया और उसकी टाँगें उठा के अपने कंधों पे रख ली ताकि उसकी चूत की फांकें पूरी तरह से खुल जायें और मैं उसके दर्शन कर सकूँ, मैंने अपने होंठ उसकी चिकनी चूत पर लगा दिए, अपनी जीभ निकाल कर उसकी चूत की कोमल पंखुड़ियों को चाटा, उसकी पूरी चूत मेरे चाटने से गीली हो गई थी। मेरी जीभ अब उसकी चूत की गहराई में घुसने लगी थी, अन्दर कुछ अजीब सा स्वाद आ रहा था जो मुझको बहुत अच्छा लग रहा था, उसकी चूत की खुशबू मुझको मदहोश कर रही थी। वो मुँह से सेक्सी आवाजें निकाल रही थी। मेरा चूत चाटना उसको बहुत अच्छा लग रहा था और वो मेरे सर पर हाथ रख कर उसको अपनी चूत पर दबा रही थी मानो वो चाहती हो कि मैं उसकी चूत को और अन्दर तक चाटूँ।

मैंने भी उसकी मन की बात जान कर अपनी पूरी जीभ उसकी चूत में घुसा दी और उसके रस को पीने लगा।

वो कह रही थी- और जोर से करो, पूरी चूत चाट लो !

उसका ऐसे कहना मुझको और जोश दिला रहा था और मैं पूरे जोर से उसकी चूत चाट रहा था और हाथों से उसके मम्मे और शरीर को सहला रहा था। थोड़ी देर में उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया, उसका शरीर ढीला हो गया।

अब मैं उठा और उसके मुँह के पास आकर इस तरह बैठ गया कि मेरा लंड उसके होंठों के पास आ लगे। वो भी मेरे मन की बात समझ गई और अब बारी उसकी थी मेरी जांघों के बीच आने की। मैं दीवार का सहारा लेकर बैठ गया और वो मेरे टांगों के बीच आ गई। उसने मेरे लंड को हाथ में लेकर मुठ मारना शुरु कर दिया और अपने चुम्बनों की बरसात मेरे लंड पर कर दी। वो मेरे लंड को चूम रही थी और उसको ऊपर से लेकर जड़ तक अपनी जीभ से चाट रही थी मानो जैसे आइस क्रीम चाट रही हो।

उसने मेरे लंड की खाल नीचे कर दी और मेरे टोपे को धीरे धीरे अपने मुँह में लेना शुरु किया। उसके मुँह की गर्मी मुझको बहुत जोश दिला रही थी और मन कर रहा था कि अभी पूरा लंड इसके मुँह में पेल दूँ पर मैंने उसको पूरा समय दिया ताकि वो अपने मन की हसरत पूरी कर सके !

दोस्तो, आप में से जिन्होंने लंड चुसवाया होगा उनको पता होगा कि औरत के मुँह में लंड जाने पर क्या अनुभूति होती है।

अब धीरे धीरे उसने मेरा पूरा लंड मुँह में ले लिया था और पूरी रंडी की तरह उसको अन्दर-बाहर करके चूस रही थी। मस्त कर दिया था उसने मुझको।

जब जब मुझको लगता कि मेरा लंड पानी छोड़ देगा, वो उससे पहले से मेरा लंड अपने मुँह से बाहर करके रुक जाती। ऐसा करने से मेरा पानी निकल नहीं रहा था और उसको समय मिल रहा था।

मेरे हाथ उसके बालों में थे और उसके मुँह में अन्दर तक मेरा लंड डालने के लिए दवाब बना रहे थे।

काफी देर तक लंड चुसवाने के बाद मैंने उसको कंधों से पकड़ कर अपने ऊपर खींच लिया। मैं बैठा हुआ था और वो मेरी कमर के दोनों तरफ पैर करके मेरे ऊपर बैठ गई। उसकी चूत मेरे लंड से छू रही थी जो हम दोनों को उत्तेजित कर रहा था।

वो अपनी कमर हिला हिला कर अपनी चूत पर मेरा लंड रगड़ने लगी। मैंने अपना लंड पकड़ के उसकी चूत के मुख पर रख दिया और उसकी कमर को पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया।

उसके मुख से एक चीख निकली और मेरा लंड उसकी चूत में थोड़ा अन्दर तक घुस गया। मैंने अपने होंठ उसके होंठो पर रख दिए और एक हाथ उसकी कमर पर रखा, दूसरे हाथ से उसके मम्मे दबाने लगा। थोड़ी देर में वो नोर्मल हो गई और अपनी कमर हिला कर झटके देने लगी। उसके पानी निकलने से उसकी चूत काफी चिकनी हो गई थी और मेरा लंड लगभग पूरा उसकी चूत में घुस गया था।

चूंकि मैं नीचे था तो मुझसे हल्के हल्के झटके लग रहे थे पर अब वो पूरे जोश में आ चुकी थी और जोर जोर से कमर हिला हिला कर मेरे लंड को अन्दर बाहर कर रही थी।

मैं भी अपने हाथ उसकी कमर पर रख कर उसका पूरा सहयोग कर रहा था जोर लगाने में। हम दोनों का शारीरिक मिलन हो चुका था। हम दोनों पूरी मस्ती में अपनी चुदाई में लगे थे। थोड़ी देर में हम दोनों का पानी निकल गया।

मैंने वैसे ही लेट गया और वो भी मेरा लंड अपने अंदर लिये हुए मेरे ऊपर लेट गई। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

थोड़ी देर में मेरे लंड ने फिर सर उठाना शुरु किया और अब बारी थी मेरी उसके ऊपर चढ़ने की।

मैंने उसको बिस्तर पर लिटाया और उसकी टाँगें चौड़ी करके दुबारा अपने लंड को उसकी चूत के छेद पर लगा दिया। अबकी बार एक ही झटके में मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया। मैं अपनी कमर हिला हिला कर झटके मारने लगा और वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी। उसके हाथ मेरी पीठ पर थे और वो मुझको नोच रही थी। मैं उसकी चुदाई के साथ साथ उसके बदन को चूम रहा था और वो भी ऐसा ही कर रही थी।

लगभग बीस मिनट की चुदाई के बाद हम लोग झड़ गए।

उसके जाने का वक्त हो रहा था पर मेरा मन इतनी मस्त चुदाई के बाद उसको छोड़ने का नहीं और चोदने का था। फिर भी मैंने उससे पूछ लिया क्योंकि मैं अभी उसके मज़े केवल आज ही नहीं आगे भी लेना चाहता था।

उसने मुझको बताया कि वो पहले ही अपनी आंटी को बोल के आई थी कि वो आज नहीं आएगी। मतलब आज वो चुदाई के लिए पूरी तैयार होकर आई थी। उसने यह बोल कर मुझे खुश कर दिया। मैंने उसके नंगे शरीर अपने से चिपका लिया और किस करने लगा। मैं समझ गया था कि चुदाई की मूवी आज पूरी रात चलनी है। उस रात हमने चार बार मस्ती की।

अगली सुबह जब मेरी आँख खुली तो वो मुझसे चिपकी हुई थी पूरी नंगी। दिन की रोशनी में उसका जिस्म और मादक लग रहा था। आज सन्डे था मतलब ऑफिस की छुट्टी। वो उस दिन और रात को भी मेरे साथ रही और हमने अलग अलग तरीकों से चुदाई के मज़े लिए। मैंने उसको घोड़ी बना कर उसकी चूत मारी, उसको अपने ऊपर बैठा कर उसको अपने लंड पर खूब उचकाया।

उसने भी पूरे जोश और मस्ती में मेरा साथ दिया।

सोमवार को हम दोनों साथ में नहा कर ऑफिस गए। नहाते वक़्त मैंने उसके पूरे जिस्म पर साबुन लगाया और साबुन की चिकनाहट का फायदा उठा कर उसकी गांड में उंगली भी की क्योंकि आगे जल्दी उसके शरीर के उस छेद में भी मुझको अपना लंड डालना था तो उसकी तैयारी अभी से करनी थी।

तो दोस्तो, इस तरह मैंने उसको अपने बिस्तर पर लाने की इच्छा पूरी की और आगे भी जब भी मौका मिला मैं उससे अपना बिस्तर गर्म करवाता रहा।

आपको मेरी कहानी कैसे लगी, बताइएगा जरूर !

इंतजार रहेगा आपकी मेल्स का… तब तक आपके बिस्तर भी मेरी तरह गर्म होते रहें…

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