मराठी मुलगी की प्यासी चूत में लंड की सेक्सी कहानी-2

(Marathi Mulgi Ki Pyasi Choot Mein Lund Ki Sexy Kahani- Part 2)

मराठी मुलगी की प्यासी चूत में लंड की सेक्सी कहानी-1

प्यासी चूत में लंड लेने को तड़प रही मराठी मुलगी की यह सेक्सी कहानी अब बस से निकल कर होटल के कमरे में पहुँच रही है. आप भी मजा लीजिये!
हमारी आंख खुली जब सायन पहुंचने वाले थे.
क्योंकि हमको वहाँ उतरना था तो मैंने कोमल को जगाया और थोड़ी देर में हम सायन में उतर कर मरीन ड्राइव की ओर चल पड़े जहाँ हमारा सी फेस रूम बुक था.
होटल में चेक इन करके हम रूम में पहुंचे, जहाँ वो वाश रूम चली गई.. इस बीच हम दोनों के बीच कुछ भी बात नहीं हुई. कोमल नज़र नहीं मिला रही थी.

खैर वो वाशरूम से आई तो वो खिड़की से समुद्र देखने लगी. बहुत प्यारा व्यू था, मैंने पीछे से उसको हग कर के उसकी गर्दन में किस कर के पूछा- कैसा व्यू है?
कोमल धीरे से बोली- अच्छा है!
उसने मेरी बाँहों से निकलने कि कोई कोशिश नहीं की, वैसे ही खड़ी रही.

फिर घूम कर मेरी तरफ मुँह कर के बोली- आप मेरा कितनी दूर तक साथ दोगे?
मैं- जहाँ तक तुम चाहो!
कोमल- मैं बहुत अकेली फील करती हूँ, मैं चाहती हूँ आप मेरा दूर तक साथ दो… पर मेरी लाइफ में कोई टेंशन नहीं आनी चाहिए.
मैं- ओके, जैसा तुम चाहो!

कह कर मैंने उसके लबों पर हल्का सा चुम्बन किया. कोमल ने मुझे कस के पकड़ लिया या यह कहो कि बाँहों में जकड़ लिया. मैं उसको बाँहों में भर कर उठा, कोमल ने भी अपनी बाँहों का हार मेरे गले में डाल कर अपने पैरों को मेरी कमर में कस लिया, अब हम दोनों के होंठ आपस में मिलकर एक दूसरे का चुम्बन करने लगे, उसके चूचुक खड़े होकर मेरे सीने में दब गए.
चुम्बन करते करते मैं बिस्तर की तरफ बढ़ा और फिर उसे बिस्तर पर लिटा दिया.

कोमल ने मेरी तरफ देखा और बाँहों को फैला कर मुझे बुलाया. मैं भी अपने ऊपर के बदन के कपड़े उतर कर उससे पास जाकर चिपक गया और उसकी चूचियों को मसलने लगा.
‘उफ्फ्फ्फ़ आआह्ह…’ फिर उसने मुझे पकड़ कर मेरे होंठों को पीना शुरू कर दिया.
अब हम दोनों को कोई डर नहीं था कि कोई देख न ले, बेफिक्र होकर एक दूसरे के जिस्म का स्वाद ले सकते थे.

मेरे हाथ उसके कपड़ों के अंदर से ब्रा के ऊपर से चूची मसलने लगे. मैंने उसकी टीशर्ट निकाल दी, वो लाल ब्रा में कयामत सी लग रही थी… मैं ब्रा के ऊपर से ही चूची को मुँह में भर कर चूसने लगा. दूसरे हाथ से मैंने उसकी ट्रैक पेंट नीचे कर दी और पेंटी के ऊपर से ही चूत सहलाने लगा.
‘आआआ.. नहीं …आआह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह.. म्म्म्म्म्म … आआह.. आआह!’

‘लाल पेंटी ऊऊ.. गोरा बदन और लाल रंग!’ क़यामत तक याद रहेगा मुझे!’

लाल ब्रा के अंदर गोरे-गोरे और उठे हुए मम्मों के ऊपर उसके गुलाबी निप्पल भी अच्छे लग रहे थे। मैंने उसको पलट दिया, उसकी ब्रा का हुक भी खोल दिया. कोमल की लाल रंग की छोटी सी पेंटी पहनी थी, जिसके ऊपर से उसकी गांड मस्त और उठी हुई लग रही थी।

फिर मैंने जब उसकी पेंटी खिसकाकर उसके चूतड़ पर हाथ लगाया तो लगा कि मुलायम रुई का गोला मेरे हाथ में आ गया.. मैं उसके गुन्दाज़ चूतड़ों को मसलने लगा जीभ निकल कर उसकी पीठ पर चाटने लगा मेरे ऐसा करते कोमल का जिस्म कम्पन होने लगा, उसके मुँह से लंबी ‘आ..आह..’ की आवाज़ निकली आआह.. आह.. म्म्म्म्म्म की आवाज़ आने लगी.

फिर मैंने उसकी गर्दन पर चुम्बन करना चालू कर दिया। कोमल के मुँह से सिसकारी निकल गई- स्स्स्स आशीष आह्ह्ह..आआआ.. नहीं…
मैंने पेंटी उतार दी और फिर से उसकी पीठ पर चाटने लगा, चुम्बन लेने लगा, कभी काट लेता… उसकी आआह.. अह्ह अह्हह अह्ह अह्ह्ह… उम्म अम्म… उम्म..’ सीत्कार निकलने लगी।

मैंने उसके चूतड़ पर प्यार से हाथ फेर दिया.. जोर से दबा दिया, झुक के चुम्बन किया, चूस लिया उसके मस्त भर भरे चूतड़ों को.. बेचैनी के आलम में दांत से काट लिया.
कोमल- आउच… क्या कर रहे हैं आप?

मैंने देखा कि उसके चूतड़ पर एक लाल रंग का खून का थक्का जम सा गया है.
लाल निशान गोरा बदन… उफ्फ्फ… क्या कहूँ, कंट्रोल नहीं हो रहा था!
पर बहुत दूर तक जाना था मुझे तो कण्ट्रोल तो करना ही था!

कपड़े उतर चुके थे… उसको पलट कर मैंने उसके नंगे जिस्म पर निगाह फेरी तो मेरा लंड उछल सा गया… बेपर्दा कोमल का कमाल का हुस्न, तराशा हुआ बदन, पतली कमर, मदमस्त जाँघें, तने हुए निप्पल गुलाबी से और उनके चारों ओर बड़ा सा भूरा घेरा… न चाहते हुए भी उफ्फ निकल ही गया!

कोमल आँखें खोल कर मेरे चेहरे का हर रंग बदलते देख रही थी… वो धीरे से उठी और मेरा लोअर उसने खींच दिया. मेरा जॉकी जिसमें मेरा लंड छुपा था, उसका उभार नज़र आ रहा था. लंड का टोपा थोड़ा सा ऊपर झांक रहा था.
कुछ ही पलों में मेरा जॉकी कहीं दूर पड़ा था, मेरा 6 इंच का लंड कोमल के हाथ में था.

उसने मुझे धीरे से धक्का दे कर लिटा दिया और मेर ऊपर आकर लेट गई… दो निवस्त्र जिस्म आपस में मिल गए थे.

अब बारी मेरी सिसकारी की थी, कोमल मेरे निप्पल को मुँह में भर कर चूसने लगी… मेरे मुँह से ‘आआह्ह्ह्ह… स्स्स्स्स स्साआ अह्ह्ह्ह… आआह्ह… ओह येस… ओह येस… ओह येस… ओह येस बेबी सक इट… ओह येस बेबी सक इट’ जैसी आवाज़ें निकलने लगी।

कोमल जंगली बिल्ली बन गई थी.

‘जंगली बिल्ली’ यही नाम देना चाहूंगा कोमल को… उसका अंदाज़ बहुत आक्रामक था, वो मेरे जिस्म को चूम रही थी, चूस रही थी, काट रही थी, मेरे जिस्म में लव बाईट बनते जा रहे थे और मैं सिसकारी भर रहा था.. दर्द भरे मज़े से!

आज मेरे मुँह से से वो आवाज़े निकलवा रही थी जो मैं कभी मैं अपने सेक्स पार्टनर से सुनता था- आआ आह्ह… स्स स्साआअह्ह…आआह्ह ओह्ह ओ आआह्ह… ओह येस कोमल स्स्स स्साआ अह्ह्ह्ह… उफ्फ अहह आह्ह आआह्ह ओह्ह ओ ओ ओ आह अहह कोमल… आआह्ह… ओह येस… ओह येस… ओह येस बेबी सक इट… ओह येस बेबी सक इट… आआ आह्ह… स्स स्साआअह्ह… अअह.. अअअर..रे और तेज को.. म.. .ल मेरे को काट लो चूस लो!

कोमल का एक हाथ मेरे जिस्म को सहला रहा था तो दूसरा लंड को मसल रहा था. लंड में तनाव था, हार्ड था, फुल मूड में था लंड!
कोमल नीचे सरकती हुई आई और मेरे लंड के आस पास चूमने लगी… काटने लगी…

बर्दाश्त से बाहर थी उसकी हरकतें… फिर भी मैं तड़पते हुए कण्ट्रोल कर रहा था ‘हय… याह… अह हहा हहह!’ मेरा दिल कर रहा था कि मेरे लंड को कोमल मुँह में लेकर चूसे और कोमल थी कि मुझे तड़पा रही थी.

अचानक कोमल में मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया.
‘आऊ वो आह्ह उफ्फ्फ ये आ आआ आ आ ह ह ह बे बे बी…’ उसने मेरे लिंग की चमड़ी नीचे खिसकाई और मेरे गुलाबी लंड के टोपे पर थूक से सनी जीभ को चारों तरफ फेरा- उफ़ उफ्फ्फ आह्ह आआह्ह्ह्ह!
कभी वो पूरा लंड मुँह में लेकर चूसती तो कभी लंड के टोपे को चूसती, पूरा लंड गीला सा हो गया था, उसकी लार पूरे लंड पर बह रही थी.

‘कोमल.. मेरी जा जा न… चूसो और चूसो… उफ्फ्फ्फ़…’
वो मेरी गोटियों को मसलने लगी.

‘उफ्फ्फ आआह्ह…’ मेरे अंदर का प्रेशर बढ़ने लगा, लगने लगा कि मैं अब रोक नहीं पाऊँगा.
‘कोमल, मैं अब रुक नहीं पाउँगा.. मेरा हो जायेगा!’
कोमल ने मेरी तरफ देखा.. मुस्कुराई और फिर जोर जोर से चूसने लगी.
‘आअह्ह आह्ह्हह अह्ह्ह हहह हहह उफ्फ फ्फ्फ…’ मैंने सोचा कि शायद वो पीना चाहती है.

मेरा जिस्म भी थरथराने लगा, कंपाने लगा, तभी कोमल ने लंड को मुँह से निकला और मेरे लंड के ऊपर अपनी चूत को रगड़ने लगी. चूत की दरार में लंड फिसल फिसल कर रगड़ रहा था, उसकी चूत भी पानी बहा रही थी.
जवान चूत में लंड की सेक्सी कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

कोमल जोर जोर से मेरे निप्पल को चूसने लगी ‘अह्ह्ह कोमल आअह्ह कोमल… और जोर से आअह्ह्ह उफ़ कोमल…’
मैंने उसके चूतड़ को पकड़ कर मसल दिया… उसके चूतड़ को लंड पे दबा कर चांटे मारने लगा.

कम्पन के साथ मेरे शरीर ने लावा उगल दिया… मैंने कोमल को कस कर भींच लिया.
रह रह कर लंड फुदक फुदक के लावा उगल रहा था… मेरा जिस्म हल्का होता चला गया.

मैं कोमल को बाँहों में भरे गहरी सांसें ले रहा था, कोमल भी आँख बंद करके मेरे सीने पर रखे थी. कोमल साथ में अभी भी अपनी कमर और चूतड़ को मेरी कमर से रगड़ रही थी. मेरे सारे चिपचिपे से लावे की मालिश कर रही थी.

‘ओफ्फ फ्फ्फ…’ क्या फीलिंग थी… ऐसी चुसाई मेरे जीवन में कभी नहीं हुई. सच कहूँ तो ऐसी जंगली बिल्ली मेरी लाइफ में आई ही नहीं!
ऐसा आक्रमक अंदाज़ तो सिर्फ मेरा होता था.

कोमल- मेरा भी हो गया!
मैं- क्या?
कोमल- हाँ, मेरा भी दो बार हो गया!
मैं- सच?
कोमल- हाँ.. आपका ये बहुत अच्छा है, गणेश (उसका पति) का आप जैसा ही है पर काफी काला है, आपका ऊपर का गुलाबी सा देख कर ही मेरा हो गया.
मैं- अच्छा? इतना अच्छा लगा तुमको?

कोमल- गणेश मुझे कुछ भी करने नहीं देता था, सब कुछ वही करता था, कभी जब मैं शुरू करती थी तो वो बीच में रोक कर मुझे लिटा कर मेरे अंदर आ जाता था, मैं मन मार के रह जाती थी, कुछ नहीं कह पाती थी, सोचती थी कि वो क्या सोचेगा! पर आपने मुझे नहीं रोका, दर्द सह कर भी मुझे वो करने दिया जो मैं चाहती थी. थैंक यू!

मैं- कोमल जिंदगी में पहली बार मुझे ऐसा मजा आया! जो आवाजें मैं आज तक सुनता था, वो आवाजें आज तुमने मेरे मुँह से निकलवा दी… तुमने मुझे जीवन भर का आनन्द दे दिया, तुम्हारा मन नहीं करता सेक्स करने का?
कोमल- बहुत करता है… बिस्तर पर करवटें बदलती थी, मोबाइल में मूवी देखती थी.. उंगली से रगड़ती थी पर सकून नहीं मिलता था! फिर आप को देखा मैंने… पहली बार में मुझे आप बहुत अच्छे लगे, आपका अंदाज़, बात करने का अंदाज़. पता नहीं क्यों मैं आपकी तरफ एक आकर्षण सा महसूस करने लगी थी. पहली ही बार में आप मुझे अच्छे लगे थी.. पर ये सब मैंने नहीं सोचा था!

मैं- तुमको यह नहीं लगा कि मैं तुमसे उम्र में काफी बड़ा हूँ और तुम बहुत कमसिन सी हो?
कोमल- मुझे अपने से उम्र में बड़े लोग पसंद हैं, मेरे पति भी मेरे 11 साल बड़े हैं.
मैं- ओह्ह्ह तुमको बुरा तो नहीं लग रहा है न!
कोमल- नहीं, बल्कि मुझे न जाने क्यों कल घर से निकलते हुए ऐसा लग रहा था कि कुछ होने वाला है… पर ये सब हो जायेगा, नहीं सोचा था! बस में आपके बदन की खुशबू ने मुझे विचलित कर दिया था, मेरा मन कर रहा था कि आप कुछ करो… पर लड़की हूँ न, आपसे कह नहीं पाई, पर आप सब समझ गए जब आपने अपनी गर्म सांसों से मेरे ऊपर वार किया तो मैं बह गई, मैं चाहने लगी कि आप मुझे प्यार करो!

कोमल एक साँस में वो सब कह गई जो वो चाह रही थी.
हम लोग इसी तरह बात करते हुए एक दूसरे के बदन को सहला रहे थे!
कमसिन प्यासी चूत में लंड की सेक्सी कहानी जारी रहेगी।
[email protected]

मराठी मुलगी की प्यासी चूत में लंड की सेक्सी कहानी-3

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top