जॉब में चुदाई की मौज

Job me Chudai ki Mauj
हैलो दोस्तो, मेरा नाम दीपेश है मैं संगरूर पंजाब का रहने वाला हूँ पर चंडीगढ़ में नौकरी करता हूँ।
वहीं मैंने एक कमरे का फ्लैट किराए पर लिया हुआ है।
दोस्तो, मैंने नई-नई नौकरी करना आरम्भ की थी, वहाँ पर करीब 25 लोगों का स्टाफ था, जिसमें करीब 5 महिलायें और 20 पुरुष काम करते थे, मैं पुरुषों में सबसे कम उम्र का था, मेरी उम्र 22 साल है।

वैसे कॉलेज के वक़्त मेरी कई गर्ल-फ्रेंड्स थीं। मैं बहुत बार चुदाई भी कर चुका था, पर पिछले करीब 6 महीने से मेरा लण्ड सूखा पड़ा था और उसको चूत के दर्शन भी नसीब नहीं हुए थे।

मेरा लंड किसी चूत से मिलने को तड़प रहा था और मुझे मूठ मार कर ही काम चलना पड़ता था।

मैं 5 महिलाओं में सबसे छोटी और सबसे ज्यादा उम्र वाली को सैट करने के चक्कर में था।

सबसे छोटी वाली लड़की की उम्र 19 साल थी और वो एकदम कच्ची कली थी। उसे देख कर ऐसा लगता था कि उसकी तो सील भी नहीं टूटी होगी।

मैंने सबसे पहले उसी पर लाइन मारना शुरू किया, उससे अच्छी दोस्ती भी हो गई थी।

एक दिन उसका पीछा करते-करते मैं सेक्टर-35 तक पहुँच गया। मैंने देखा कि वो तो हमारे मैनेजर के साथ लगी हुई है, साले दोनों कार को अंधेरे में खड़ा करके चुम्मा-चाटी कर रहे थे।

मैंने सोचा कि इस माल की चूत तो नहीं मार सकते, सो उस कमसिन हसीना को छोड़ कर मैंने 30 साल की औरत को सैट करने की ठानी।
वो पंजाबन थी और देखने में एकदम मस्त माल थी, वो शादीशुदा थी और उसकी एक बेटी भी थी।

कुछ दोस्तों से पता चला कि उसकी और उसके पति के बीच में नहीं बनती है और वो उससे काफ़ी परेशान है।

बस यही मौका तो मैं ताड़ रहा था।

मैंने उससे दोस्ती की और काफ़ी निकटता दिखाना शुरू कर दिया और कुछ ही दिनों में हम बहुत ही अच्छे दोस्त बन गए।

वो अब मुझसे अपनी हर बात साझा करती थी।

एक दिन हम सब लंच पर गए तो वो काफ़ी उदास थी, मैंने पूछा- क्या हुआ?

तो वो एकदम से रो पड़ी, मुझे लगा कि यही सही वक्त है, उसके पास आने का।

मैंने अपना कंधा उसके सर को सहारे के लिए बढ़ा दिया ताकि वो अपना सर टिका कर रो सके, वो मेरे कन्धे से सर टिका कर रोये जा रही थी और मैं उसे पुचकार रहा था।

थोड़ी देर बाद वो चुप हुई तो मैंने कहा- पता नहीं तुम्हारा पति तुम्हें क्यों पसंद नहीं करता.. अगर मैं होता तो तुम्हें देखकर हमेशा खुश रहता।

बस मेरा इतना कहना था कि वो तो भावुक ही हो गई और मुझ से लिपट गई।
कुछ देर बाद वो अपने केबिन में चली गई।

अब वक़्त था दूसरा कदम उठाने का, मतलब उत्तेजना को बढ़ाने का वक्त आ गया था।

मैंने उसे हंसाने के लिए एक अश्लील चुटकुला भेजा और सोचा कि देखता हूँ उसकी क्या प्रतिक्रिया होती है।

यदि कुछ गड़बड़ हुआ तो सॉरी कह दूँगा, वो चुटकुला पूरा अश्लीलता से भरा हुआ था, अगर कोई सामान्य लड़की पढ़े तो मुझे थप्पड़ ही मार दे।

खैर.. वो कुछ देर बाद मेरे केबिन में आई, मैं कुछ डर तो गया।

वो बोली- ये क्या भेजा है?

मैंने कहा- जोक था।

वो मुस्कुराने लगी, मुझे लगा कि लौंडिया हँसी तो समझो फंसी।

मैंने शाम को उसे लिफ्ट ऑफर की और उसे मेरे साथ कॉफी पीने के लिए कहा, वो तैयार हो गई।

हम सेक्टर 44 में 44 क्लासिक में चले गए। वहाँ हम दोनों कॉफी पीने लगे।

उसी दौरान वो मेरी फैमिली और गर्ल-फ्रेण्ड के बारे में पूछने लगी।

मैंने कहा- मेरी कोई गर्ल-फ्रेण्ड नहीं है।

उसने फिर खुल कर पूछा- कभी सेक्स किया है?

मैंने कहा- नहीं.. बस तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहा था।

वो ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगी, अब मेरी भी हिम्मत बढ़ने लगी थी।

मैंने भी उसकी सेक्स-लाइफ के बारे में पूछा तो उसने कहा- मेरी सेक्स लाइफ ठीक नहीं है, मेरे पति 2-3 महीने में एक बार सेक्स करते हैं। वो घर के बाहर रंडियों को चोदता है।

उसकी भाषा को सुन कर मेरा लौड़ा फनफना उठा।

मैंने कहा- तुम ऐसा क्यों नहीं करतीं?

फिर यह सुनकर वो मेरी और अजीब से देखने लगी और कहा- इधर से चलो…

मुझे लगा कि वो बुरा मान गई।

खैर मैं चुप रहा और कार में बैठ गया। हम घर की ओर चल पड़े।

हम घर पहुँचने ही वाले थे कि उसने कार एक सुनसान रास्ते की ओर मुड़वाई और वहाँ रुकने को कहा।
मैंने कार रोक दी।

वहाँ एकदम अंधेरा और सुनसान सड़क थी। उसने कार बंद कर दी और लाइट भी ऑफ कर दी, वो मेरे करीब आई और बोली- कभी किसी औरत का चुम्मा लिया है?

तो मैंने कहा- नहीं…

वो मेरे और करीब आई और बोली- तो फिर करो…

मैंने कहा- मतलब?

तो वो बोली- मुझे चुम्मी करो।

मैंने जल्दी से छोटा सा चुम्बन कर दिया, वो मुस्कुराई और बोली- शायद तुम सच कह रहे हो.. तुमने अभी तक किसी लड़की को नहीं छुआ है, मैं बताती हूँ कि चुम्मा कैसे करते हैं।

उसने अपने दोनों हाथ मेरे होंठों पर रख दिए और जीभ को अन्दर-बाहर करने लगी।

वो ऐसे कर रही थी कि मेरा लंड तो एकदम तन गया और उसे चोदने को बेताब होने लगा।

वो भी ये सब समझ चुकी थी।
उसने कहा- अभी तो तुम मुझे नहीं चोद सकते हो क्योंकि घर जल्दी जाना है, पर मैं तुम्हें जन्नत दिखाऊँगी। उसने मेरी ज़िप खोली और अंडरवियर से लंड को बाहर निकाला, लंड को देख कर बोली- काफ़ी बड़ा है तुम्हारा लंड।

फिर उसने लंड की खाल नीचे की तो प्यार से एक चपत मार कर बोली- झूठ बोलते हो तुम्हारा लंड… पहले भी चूत चोद चुका है।
मैंने कहा- हाँ.. एक-दो बार!
फिर वो मेरे लंड को सहलाने लगी और फिर उसे मुँह में ले लिया।

वो लंड को चूसने लगी, मैं इतना ज्यादा उत्तेजित हो गया था कि कुछ ही देर में उसके मुँह में झड़ गया।

उसने पूछा- मज़ा आया?

मैंने कहा- मज़ा तो आया पर अधूरा…

वो हँसी और बोली- कल सुबह हम दोनों ऑफिस नहीं जाएँगे और मैं तुम्हारे फ्लैट में दस बजे तक आ जाऊँगी और पूरे दिन हम साथ रहेंगे.. फिर जितनी चाहे चूत की पूजा और दर्शन कर लेना।

मैंने फिर उसे घर छोड़ दिया, अपने घर पहुँच कर मैं तो बस सुबह का ही इंतज़ार कर रहा था। मैं 7 बजे ही जाग गया और उसे फोन किया।

वो बोली- अभी तो 7 ही बजे हैं?

मैंने कहा- बस जल्दी से आ जाओ वक्त ही नहीं कट रहा है।

सुबह करीब 9.30 पर घन्टी बजी और मैंने लपक कर दरवाज़ा खोला तो सामने वही खड़ी थी। उसने शिफोन की साड़ी पहन रखी थी और ग़ज़ब का माल लग रही थी।

वो अन्दर आई और बात शुरू करने लगी।

मैं उसके पास गया और उसे चुम्बन करना शुरू कर दिया।

उसने कहा- आराम से !

और मैं चुम्बन किए जा रहा था।

फिर मैं एक हाथ से उसके चूचुकों को और दूसरे हाथ से उसकी चूत रगड़ रहा था।

अब वो भी धीरे-धीरे गर्म हो रही थी।

मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया और नंगा कर दिया, फिर मैंने अपने भी सारे कपड़े उतार दिए।

अब हम दोनों बिल्कुल नंगे थे और चोदन प्रक्रिया को तैयार हो चुके थे।

मैंने लंड को उसकी चूत पर रखा और उसकी चूत को अपने लंड से रगड़ा और धीरे से अन्दर डाला।

उसकी चूत कम चुदने के कारण काफ़ी कसी हुई थी। ऐसा लगता था कि बहुत कम बार चुदी हुई है।

मैं धीरे-धीरे धक्के मार रहा था और वो भी धीरे-धीरे मदहोश हुई जा रही थी, उसकी चूत एकदम सफाचट थी।

मैंने पूछा- बड़ी चिकनी है तेरी चूत..!

तो और वो बोली- सुबह-सुबह तेरे लिए ही साफ़ की है.. वरना कल तो बालों से भरी हुई थी।

अब मैंने धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी।

वो कहने लगी- चूत के बाहर ही अपना माल छुड़ाना, वरना कहीं बाद में गड़बड़ ना हो जाए।

मैं इतनी ज़ोर-ज़ोर से धक्के मार रहा था कि साला लंड अन्दर ही छूट गया।
वो एकदम से उठी और गुसलखाने की ओर भागी और सूसू करने लगी।

मैं बाहर खड़े हो कर उसे सूसू करते हुए देख रहा था।

मैंने कहा- मूतने की इतनी जल्दी क्या थी?

वो बोली- इसलिए कि बाद में कुछ गड़बड़ ना हो जाए।

वो खड़े होकर मेरे पास आई और मेरे लंड को पकड़ कर बोली- अब तो भूख मिट गई होगी तेरे लंड की?

मैंने उसके दोनों मम्मे पकड़ लिए और दबाने लगा।

पहली चुदाई करे हमको अभी 15 मिनट ही हुए थे और मैं दूसरे राउंड को तैयार था। हम अभी गुसलखाने में ही थे। मैं उसके पीछे गया और उसके दूध बहुत ज़ोर से दबाने लगा।

उसके चूचकों को मींजने में तो बहुत ही मज़ा आ रहा था। उसके दूध भी एकदम तन गए थे।

अब मैंने उसे आगे को झुकाया और पीछे से लंड उसकी चूत में पेल दिया। जैसे-जैसे लौड़ा अन्दर जा रहा था, वैसे-वैसे उसकी सिसकियाँ बढ़ रही थीं।

मैं मस्ती में धक्के पर धक्के मारे जा रहा था और वो सिसकियाँ लेती जा रही थी। लगभग 15-20 मिनट बाद लंड झड़ने को तैयार था और इस बार मैंने लंड उसके स्तनों पर झाड़ दिया।

अब करीब 11 बजे थे, मैंने उससे कुछ नाश्ता बनाने को कहा और उसने ब्रेड में मक्खन लगा दिया।

मैंने वो खा लिया और अब 11:30 बज चुके थे, मैंने उससे पूछा- तुम क्या खाओगी?

वो बोली- जो तुम खिलाओ।

मैंने कहा- अबकी बार मक्खन और जैम लगा कर मैं तुम्हें खिलाता हूँ।

मैं किचन में गया और दो मिनट बाद वापस आया।
मैंने अपने लंड को पेपर से ढंक रखा था।

वो बोली- क्या है दिखाओ?

मैंने पेपर हटाया और ये देख कर वो ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगी। मैंने अपने लंड पर जैम और बटर दोनों ही लगा रखा था।

मैंने कहा- नाश्ता तैयार है खा लीजिए।

वो हंसते हुए लंड को हाथ में लेकर पहले चाटने लगी और फिर चूसने लगी।

हम 3 घंटे में 2 बार पहले ही सेक्स कर चुके थे, इसलिए लंड अब जल्दी नहीं झड़ा।
उसने तसल्ली से लंड को चाटा और चूसा, पर लंड नहीं झड़ा।

अब फिर से उसे चोदने की बारी थी। मुझे एक बार उसे कुतिया के जैसे बना कर चोदना था।

वो चुदासी कुतिया के जैसे बैठ गई, पर मैंने लंड चूत में ना डाल के गाण्ड में डाल दिया। लौड़े में भरपूर चिकनाहट थी, सो तुरंत घुस गया।

अरे क्या ग़ज़ब का कसा हुआ छेद था… मज़ा आ गया।

उसकी तो चिल्लाहट निकल गई.. मैंने कहा- कुछ देर बर्दाश्त कर लो फिर मज़ा आएगा।

करीब दस मिनट चोदने के बाद लंड को उसकी गाण्ड में ही झाड़ दिया।

अब हम नहा-धोकर कुछ देर बाहर बाजार में गए। कुछ शॉपिंग करने के बाद हम फिर फ्लैट में आ गए और कॉफी पी।

अब 4 बज चुके थे और उसके घर जाने का वक्त हो चुका था।
वो घर जाने लगी तो मैंने कहा- एक चोट जाते वक्त और हो जाए।

अब उसने मुझे लिटाया मेरी ज़िप खोली और लंड निकाला, उसने साड़ी ऊपर की, अपनी पैन्टी उतारी और लंड पर बैठ गई।

अब हम कपड़े पहने हुए ही चुदाई कर रहे थे, वो लंड चूत के अन्दर लेकर उछले जा रही थी, कुछ देर बाद मैं झड़ गया पर माल की कुछ बूँदें उसकी साड़ी पर भी पड़ गईं।

उस पूरे दिन मैंने 4 बार चुदाई की और शाम तक मैं पूरी तरह से थक चुका था। मैंने 2 गिलास रस पिया और कुछ फल खाए।

उसके बाद हमें जब भी मौका मिलता तो हम चुदाई करते अब तक मैं उसको ना जाने कितनी बार चोद चुका हूँ।

मेरी कहानी कैसी लगी.. मुझे मेल ज़रूर करना, जल्दी ही आपके सामने एक नई घटना लेकर आऊँगा और बताऊँगा कि कैसे मैंने नेहा और दिव्या की एक साथ चुदाई की।

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