पेंटर ने मेरी चूत को रंग दिया-1

नीतू पाटिल 2017-06-21 Comments

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दोस्तो, मेरे पिछली कहानी
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पढ़ के रिप्लाई देने के लिए शुक्रिया, मुझे कई सारे लोगों के मेल आये, मैंने भी बहुत सारे लोगों को रिप्लाई भी किये.
तो आज मैं एक नई कहानी आप को बताने जा रही हूँ.

मेरा नाम नीतू पाटिल है, उम्र 24, हाइट 5’4″ साइज 32-28-36 है, मेरा रंग गोरा है और दिखने में बहुत सुन्दर हूँ, मैं हमेशा ट्रेंडी और अट्ट्रक्टिव रहती हूँ.
मेरे पति नितिन पाटिल 32 साल के मुझसे 8 साल बड़े हैं, मेरे जितनी हाइट है और दिखने में गोरे और हैंडसम हैं, उनका खुद का बिज़नेस है, हमारी शादी को 2 साल हुए हैं।

हमने अपना बंगलो पेंट करने का फैसला लिया और हमारे 4bhk बंगलो को रंगने का काम एक पेंटर को दिया, वो पेंटर कॉन्ट्रैक्ट लेता था और जरूरत के अनुसार दो तीन पेंटर भेज देता था, उसके और जगह पे भी काम चालू थे.

सबसे पहले वो पेंटर घर देखने और रेट फिक्स करने आया तभी मुझे उसकी नज़र ठीक नहीं लगी, वो सुबह सुबह घर पर आया तब मैंने 3 पीस लाल रंग की नाईटी पहनी हुई थी, मेरे पति नाशता कर रहे थे तो मैंने दरवाजा खोला तो सामने 6 फुट का एक सांवला सा मस्क्युलर आदमी खड़ा था, उसकी नजर मेरे स्तनों पर टिकी थी.

उसने मुझे मुस्कुरा कर ‘हेल्लो’ बोला पर मेरे स्तनों से नजर नहीं हटाई.
‘हेल्लो’ मैंने सोचते हुए जवाब दिया.

‘मैं मोहन लाल पेंटर…’ वो मेरे सारे बदन को देखते हुए बोला.
‘आओ अंदर आओ!’ मैं दरवाजे से बाजु होकर बोली और दरवाजा अंदर से बंद कर दिया.

‘बैठो…’ मैं सोफे की तरफ इशारा करके किचन की तरफ जाने लगी तो वो मेरे गोल नितम्बों की तरफ देखने लगा.

‘सुनते हो… पेंटर आया है!’ मैंने अपने पति से कहा.
मेरे पति बाहर आये, नार्मल बातचीत हुई फिर पेंटर घर देखने लगा, ग्राउंड फ्लोर पे दो बैडरूम किचन और हॉल था और ऊपर के फ्लोर पर दो बैडरूम थे, हमारा मास्टर बैडरूम ऊपर के फ्लोर पर था और सास-ससुर अगर गांव से आये तो उनके लिए नीचे का बैडरूम था. मेजरमेंट टेप लेकर मैं, नितिन और पेंटर हर रूम में जाने लगे.

ऊपर के फ्लोर पे जाने के बाद पहले दूसरा बैडरूम देखा, फिर हमारे बैडरूम में जाने लगे।
तभी मेरे पति का मोबाइल किचन में बजने लगा, उसको लेने के लिए वो नीचे चले गए.
‘बिज़नस डील होगी तो फोन पे कितना टाइम लगेगा, उसका भरोसा नहीं, मैं दिखाती हूँ बैडरूम!’ मैंने पीछे से उसे कहा तो वो पीछे देखने लगा और एक फुट के दूरी से आँखों से मेरा नाप लेने लगा.

इतनी देर पति साथ में थे तो उसने मुझ पे जरा भी ध्यान नहीं दिया था।

‘चलेगा मेम साब…’ बोल कर उसने मुझे दरवाजा खोलने के लिए जगह दी, मैं दरवाजा खोलने के लिए आगे गई तो मेरे हाथ को उसका टच हुआ, वो टच गलती से हुआ या जानबूझ कर किया ये मुझे पता नहीं चला, मैं दरवाजा खोल कर जल्दी से अंदर आ गई, वो मेरे पीछे अंदर आ गया, उसकी नजर अब भी मेरे नितम्बों पर ही थी.

‘आपने बैडरूम तो बहुत अच्छे से सजाया है मेमसाब!’ वो हमारे किंग साइज बेड की तरफ देखते हुए बोला.

तभी मेरी नजर बेड के करीब के टेबल लैंप पे गई और मुझे शॉक ही लगा, आज सुबह सुबह लगभग एक घंटे पहले ही मैंने और मेरे पति ने सेक्स किया था, सेक्स के दौरान प्रोटेक्शन के लिए कंडोम्स हम दो साल से इस्तमाल कर रहे हैं.
‘ओ गॉड…’ सुबह सेक्स में इस्तमाल किया हुआ कंडोम मेरे पति ने टेबल लैंप के बाजु में ही रखा था.

पेंटर लैंप के नजदीक खड़ा था और मैं बेड के दूसरी तरफ खड़ी थी, मेरी टेंशन शायद उसको समझ आई थी, मेरी नजर कहाँ पे है उसने देखा, तो उसकी नजर इस्तमाल किये हुए कंडोम पर गई, उस हरामी ने कंडोम को उंगली से पकड़ के उठाया और हवा में लहराया, पेंटर कुछ बड़बड़ाया.
मुझे बस इतना ही सुनाई दिया- कितना छोटा है!
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‘क्या बोला तू? ला वो इधर!’ मैंने हाथ आगे किया.
‘आपको इससे बड़ा मांगता है?’ उसने मेरे हाथ में कंडोम रखते हुए बोला.
‘शट अप!’ मैंने गुस्से से उसे बोला, तभी पैरों की आवाज सुनाई दी, मेरे पति ऊपर आ रहे थे, मैंने कंडोम अपने मुट्ठी में छुपा लिया.

‘सच में मेमसाब!’ वो फिर भी बोला.
‘चुप रहो!’ मैंने गुस्से से कहा.

‘गिनना हो गया?’ मेरे पति ने बैडरूम में आते हुए कहा.

‘पेंटर कहता है बहुत छोटा है!’ मैंने पेंटर पर बम गिरा दिया, उसके चेहरे का रंग ही उड़ गया।
‘मतलब?’ पेंटर ने डरते हुए पूछा.
‘अच्छा?’ पति ने कंफ्यूज होकर पूछा- आमतौर पर पेंटर ‘काम बहुत बड़ा है’ बोलते हैं, ये कैसे ‘काम छोटा है’ बोल रहा है?

‘हाँ, अभी मुझे बोला छोटा है, तो पेंटिंग का खर्च भी कम आएगा.’ मैं उसकी टांग खींचते हुए बोली.
‘क्या मेम साब, बहुत बड़ा है आपका, बहुत काम करना पड़ेगा!’ उसने मेरी चुची को देख के बोला, काम के बहाने वो मेरे स्तनों के बारे में बोल रहा था.

वो नीचे चले गए, मैंने हाथ में छुपाया हुआ कंडोम डस्ट बिन में फेंक दिया और नीचे चली आई.
सब घर गिन के काम की कीमत फिक्स की, वह कल से काम चालू करने का बोल के घर चला गया, मेरे पति तैयार होकर कंपनी में चले गए.

कचरा फेंकने के लिए मैंने डस्ट बिन उठाई, मुझे उसमे कंडोम दिखा तब मुझे पेंटर की याद आई, मैंने कंडोम उठा कर हाथ में लिया, जैसे उस पेंटर ने हवा में पकड़ा था, वैसे ही मैंने भी पकड़ा, मैंने कंडोम के साइज का अंदाजा लिया, पेंटर ने साइज के बारे में जो बात कही थी वो मेरे पति के लिंग के लिए थी, उसके हिसाब से उनका लिंग आकार में छोटा था, पर मुझे ऐसा नहीं लगा, मैंने कंडोम के साइज का अंदाज लगाया, लगभग 5 इंच का था, मुझे मेरे पति ने कई बार सुख दिया था, पर मुझे कभी भी उसके साइज में कोई कमी नहीं लगी।

मुझे उस पेंटर पे बहुत गुस्सा आया और कैसे मैंने उसकी विकेट ली यह सोच कर मुझे बहुत हंसी भी आई, मेरे पति का लिंग नार्मल साइज का था, फिर भी वो पेंटर ऐसा क्यों बोला, शायद उसका लिंग…
मैं सोच बदल कर काम मैं लग गई.

दूसरे दिन मोहन पेंटर दो और पेंटर को लेकर आया, खाली किये हुए रूम मैं उन्हें काम पे लगा दिया, मैंने तीनों को चाय दी.

थोड़ी देर में मेरे पति ऑफिस चले गए, मोहन उन दोनों पेंटर के काम पे ध्यान दे रहा था.

मैं बैडरूम मैं जाने लगी तो वो भी मेरे पीछे पीछे आ गया- मेमसाब मुझे ऊपर के रूम का नाप लेकर कलर मंगवाना है, कल नाप नहीं लिया था ना!
वो मेरे पीछे पीछे चलते हुए बोला.

‘बाद में नाप ले लेना, मुझे अभी नहाना है.’ मैं उसे बोल कर ऊपर जाने लगी.
‘कसम से क्या गांड है!’ मोहन जान बूझ के ‘मुझे सुनाई दे’ इतनी ऊंची आवाज में बोला.
‘क्या बोला?’ मैंने आवाज ऊंची करके उसे पूछा.
‘मैंने कहाँ कुछ बोला?’ उसने ऐसे कहा जैसे कुछ हुआ ही नहीं।

मैंने उसे मना किया था आने के लिए… फिर भी वो मेरे चूतड़ों पे नजर गड़ाये हुए मेरे पीछे पीछे बैडरूम तक आ गया.
‘शर्म नहीं आती क्या? मैंने मना किया ना… जाओ नीचे!’ मैंने चिल्ला के उसे बोला.
पर वो बड़ा बेशर्म था- क्यों गुस्सा होती हो मेमसाब, आप जाओ बाथरूम मैं, मैं बेडरूम मैं मेरा काम कर लेता हूँ!

‘पर मेरे कपड़े यहाँ बैडरूम मैं हैं’ मैंने कहा.
‘क्या आप बिना कपड़ों के बाहर आती हो क्या?’ उसने मुझसे कहा.
‘मैं तुमको क्यों बताऊ कि मैं कहाँ क्या करती हूँ, ज्यादा होशियारी की तो में साहब से बोल दूंगी’ मैंने उसे कहा,

‘गुस्सा क्यों होती हो मेमसाब, मैं बाहर रुकता हूँ.’ उसने मुझसे कहा.

‘बाहर नहीं, नीचे जाओ!’

मेरे कहते ही वो नीचे चला गया और उसने कहा- तुझको मेरे नीचे लेता हूँ.
मैंने सुन लिया.
मैं दरवाजा लॉक करके बाथरूम में गई, उसके शब्द याद आये और मैं उत्तेजित हो गई, फिर मुझे उसका डर लगने लगा.

मैंने नहा कर साड़ी पहनी और नीचे आ गई.

दो तीन दिन काम बहुत तेजी से होता रहा, मोहन आकर काम देख जाता था, पर मुझसे काम ही बात होती थी, मेरी डांट की वजह से वो सीधा हो गया था, पर उसकी नजर अब भी मेरे बदन पर होती थी.

कहानी जारी रहेगी.
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