मेरा गुप्त जीवन- 20

(Mera Gupt Jeewan-20 Fulwa Ki Chudai Dekh Chanda Chudi)

यश देव 2015-07-29 Comments

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फ़ुलवा की चुदाई देख चन्दा चुदी

‘छोटे मालिक, मेरे बाद बिंदू है न… आपकी हर तरह की सेवा करेगी। क्यों बिंदू करेगी न? वैसे बिंदू छोटे मालिक हर तरह तेरी मदद करेंगे, पैसे और कपड़े लत्ते से, क्यों छोटे मालिक करोगे न?
मैंने कहा- यह भी कोई कहने की बात है। फुलवा, ला वो मेरा बटुवा दे।

फुलवा ने बटुवा दे दिया और मैंने दोनों को 100-100 रूपए इनाम में दे दिए।
दोनों बहुत खुश हो गई, वो अपनी चटाई पर सो गईं और मैं पलंग पर सो गया, लेटे हुए सोचने लगा अगर बिंदू के बाद यह चंदा भी मिल जाती है तो क्या फर्क पड़ता है। फिर ख्याल आया कि चंदा काफी खाई खेली है यौन के मामले में। कहीं कोई बवाल न खड़ा कर दे मेरे जीवन में क्यूंकि वो काफी चंट्ट लग रही है।
मन ही मन फैसला किया कि देखेंगे वक्त आने पर।

15 दिन के समय के बाद मेरे इम्तेहान खत्म हो गए और मेरे हिसाब से मेरे पर्चे अच्छे हुए थे और मुझ को उम्मीद थी कि मैं अच्छे नंबरों से पास हो जाऊंगा और फिर शायद मुझ को शहर जाना पड़ेगा कॉलेज की पढ़ाई के लिए।
अभी रिजल्ट आने में दो महीने का समय था तो मैं काफी रिलैक्स हो गया और रोज़ रात को फुलवा और बिंदू की चुदाई जम के कर रहा था।

बिंदू ख़ास तौर से हैरान थी मेरी यौन शक्ति देख कर क्यूंकि उसका पति तो रात में एक बार झड़ कर सो जाता था और फुलवा का पति भी हफ्ते में 2-3 बार छूटा कर थक जाता था, दोनों का लौड़ा भी दुबारा नहीं खड़ा होता था।
बिंदू कहती थी कि छोटे मालिक शायद एक समय में 10-15 औरतों को चोद सकते थे और वो भी बिना थके!

अब मैं सोचता हूँ कि वाकयी ईश्वर की मुझ पर बेइंतेहा कृपा रही जिन्होंने मुझ में इतनी अधिक यौन शक्ति दी।
कुछ लोग सोचते थे कि मैं अभी पूरा जवान नहीं हुआ था तो मेरी यौन शक्ति अभी तो बहुत ज्यादा थी लेकिन जवानी की दौड़ में हल्की पड़ जायेगी।
लेकिन मुझको यकीन था कि ऐसा नहीं होगा और मैं सारी उम्र चुदाई के मामले में पूरा सक्षम रहूँगा। मेरी यह धारणा जीवन में आगे चल कर पूरी तरह खरी उतरी। मैं काफी उम्र होने के बावजूद भी यौन क्रिया के मामले में जवान ही रहा।

अब बिंदू मेरे पीछे पड़ गई कि चंदा का भी कल्याण कर दूँ।
मैंने कहा- एक दिन चंदा को मिलवा तो दो?

तब बिंदू और फुलवा उसको लेकर हमारी कॉटेज आई। उसको देखा तो पाया कि वो बहुत ही तीखे नयन नक्श वाली सांवली सी औरत है, उम्र होगी कोई 25 के आस पास, सुन्दर सुडौल शरीर अच्छी तरह बाल बनाये हुए थे। सुन्दर साड़ी पहनी थी उसने।

मुझको देखकर ही कहने लगी- अरे यह तो छोटे लल्ला हैं। यह क्या करेंगे री बिंदू?
बिंदू बोली- दीदी, इनका कमाल दखोगी तो दांतों तले ऊँगली दबाओगी। उम्र में ज़रूर छोटे हैं, लेकिन बाकी कामों में बहुत बड़े हैं। क्यों फुलवा?
फुलवा बोली- सच कह रही है बिंदू!
‘बस रहने दो। अपने लल्ला की ज्यादा बड़ाई न करो तुम दोनों!’

चंदा की बातें सुन कर मुझ को बड़ा गुस्सा आ रहा था, मैंने कहा- छोड़ो जी, आओ ठंडा शरबत पीते हैं। फुलवा बना तो हम सबके लिए शरबत?
शरबत पीने के बाद चंदा बोली- कुछ नमूना देख लेती तो तसल्ली हो जाती।
फुलवा को अब बहुत गुस्सा आने लगा और गुस्से में बोली- रहने दो दीदी, यह काम तुम्हारे बस में नहीं है। तुम शरबत पियो और जाओ। नमूना हम दिखा देंगी कभी!
बिंदू बोली- दीदी, ऐसा करते हैं हम दोनों अपना काम शुरू करते हैं और फुलवा और छोटे मालिक अपना काम शुरू करते हैं ठीक है क्या?

चंदा ने सर हिला दिया, तब हम सब बड़े बैडरूम में चले गए और वहाँ बिंदू चंदा को नग्न करने में लग गई और फुलवा मुझको, और फिर हम सब नंगे हो गए तो मैंने देखा कि चंदा का जिस्म एकदम सख्त और सुडौल है। उसके मम्मे बहुत अधिक मोटे लेकिन सख्त थे और पेट भी एकदम पतला और स्मूथ था और उसके चूतड़ बहुत मोटे और गोल थे।

चंदा ने जब मेरा खड़ा लंड देखा तो उसकी आँखें खुली की खुली रह गई। उसकी नज़र उस पर टिकी थी और फुलवा मेरे लंड को जानबूझ कर हवा में लहलहा रही थी।
चंदा बिंदू को छोड़ कर मेरे और फुलवा के पास आ गई और मेरे लंड को पकड़ लिया, उसको बड़े प्यार से इधर उधर करने लगी लेकिन फुलवा ने उसका हाथ हटा दिया और वो लेट गई और मुझ को अपने ऊपर लिटा लिया।

मैंने भी अपना लंड फुलवा की गीली चूत में डाल दिया और पहले हल्के और फिर ज़ोर के धक्के मारने लगा।
मेरी कमर की स्पीड इतनी तेज़ हो जाती थी जब पूरे ज़ोर की चुदाई शुरू करता था कि कई लड़कियों की सांस फूलने लगती थी।
फुलवा के मुख से हल्की सी आवाज़ निकली और वो ढेर सारा पानी छोड़ती हुई झड़ गई।
यह सारा नजारा चंदा नज़दीक से देख रही थी।

मैंने भी लंड चूत से निकाले बैगैर ही फुलवा की फिर चुदाई शुरू कर दी। अब मैंने उसको घोड़ी बना दिया और पीछे से उसकी चूत में लंड डाल दिया और फिर पूरा लंड बाहर निकाल कर फिर उसके अंदर डालने लगा।
हर बार 7 इंच का लौड़ा पूरा बाहर आता और फिर उसको अंदर धकेल देता।

फुलवा की चूत से रस टपकने लगा और बिंदू उस रसको ऊँगली में लेकर चाटने लगी। चंदा का एक हाथ उसकी बालों से भरी चूत में गया हुआ था और वो बहुत ज़ोर ज़ोर से अपनी भग्न रगड़ रही थी।

मैं आँखों की कोर से देख रहा था कि चंदा अब बहुत बेसब्र हो गई थी और उसने फ़ुलवा और मुझ को हटा कर अपने आप घोड़ी बन बैठी थी और मेरा लंड अपनी चूत में डाल दिया था और खुद ही वो आगे पीछे होकर धक्के मारने लगी।

उसकी चूत इतनी टाइट नहीं थी और पनिया गई होने के कारण उस में से फुच फुच की आवाज़ें आ रही थी। वो यह सब देख कर इतनी गर्म हो चुकी थी क़ि वो 15-20 धक्कों में ही झड़ गई।
लेकिन मैंने भी अपना लंड उसकी चूत से नहीं निकाला और फिर चोदना चालू हो गया।

ऐसे वो चार बार छुटी और फिर हाथ जोड़ने लगी कि छोटे मालिक निकाल लीजिये बस अब और नहीं तब मैंने ज़ोरदार चुदाई के बाद अपना छूटा लिया और साइड में लेट गया।

तब बिंदू और फुलवा ने मुझ को दबाना शुरू किया जैसे कि मैं लम्बी दौड़ के बाद बहुत थक गया हूँ। चंदा के मुख पर हैरानी साफ़ दिख रही थी।
कुछ देर चुप रह कर बोली- छोटे मालिक आपको यह सब सिखाया किसने? क्यूंकि आप जिस तरह से यह काम करते हैं उससे लगता है कि आपको सिखाने वाली खुद भी काफी माहिर थी। उसने आप को काफी अच्छी ट्रेनिंग दी है..

‘थैंक यू… लेकिन सुना है आप तो औरतों के बीच के सम्बन्ध की माहिर हैं?’
‘नहीं छोटे मालिक, मैं तो जब लंड नहीं मिलता तो गाँव वाली अनजान स्त्रियों को यह तरीका बताती हूँ बस और कुछ नहीं।’
‘गाँव वाली बेचारी औरतों को वर्षों अपने पतियों के बिना रहना पड़ता है तो उनको अपनी इच्छा को मारना पड़ता है या फिर ऊँगली का सहारा लेना पड़ता है। लेकिन स्त्रियों का आपस का प्रेम उनको पथ भ्रष्ट होने से रोकता है ऐसा मेरा विश्वास है। क्यों बहनो, क्या मैं ठीक कह रही हूँ?’

दोनों ने सर हिला दिया और फिर हम सब विदा हो गए और यह प्रण लिया कि एक दूसरे के भेद नहीं बताएँगे किसी को।
मुझको इससे तसल्ली हो गई।
इस बीच मेरा बिंदू और फुलवा का खेल चलता रहा।
अब दोनों को मुझसे चुदने की जैसे आदत पड़ गई थी, वो दोनों रोज़ रात को हाज़िर हो जाती थीं और पूरी शारीरिक भूख को समाप्त कर के ही जाती थी हर रोज़ और साथ में मुझ से हर महीने की इनाम की रकम भी लेती रहीं।

जैसा कि अनुमान था फुलवा का पति भी लौट आया विदेश से, और उसका मेरे पास आना भी कम हो गया और अब सिर्फ मैं और बिंदू रह गए थे।

कुछ दिन बीतने के बाद फुलवा आई मेरे पास और बोली- छोटे मालिक, जैसे आपने चंपा को गर्भवती बनाया वैसे मैं भी बनना चाहती हूँ।
मैंने हँसते हुए कहा- कुछ नहीं किया पति ने?
‘नहीं करता तो है लेकिन मैंने महसूस किया है कि उसका वीर्य पानी की माफिक पतला है तो बच्चा होने की कोई सम्भावना नहीं है, साला 5 मिन्ट में ही झड़ जाता है और मेरी भी तसल्ली नहीं होती ज़रा सी भी।
मैंने पूछा- कितने दिन हो गए माहवारी को?
वो बोली- आज 14वाँ दिन है, अगर आप मुझ को दो दिन लगातार चोदो तो शायद मैं भी गर्भवती हो जाऊँगी।

मैंने बिंदू को बुलाया और उससे कहा- देख बिंदू, मैं और फुलवा वही काम करने वाले हैं, तुम ज़रा ध्यान रखना।
दोपहर का टाइम था तो मैंने शांति से फुलवा को दो बार चोदा और दोनों बार अपना वीर्य उसके अंदर छुटाया।

थोड़ी देर रुकने के बाद वो चली गई और जाने से पहले मैंने उसको कल भी आने को कहा।
इस तरह दो दिन मुझ से चुदने के बाद वो फिर नहीं आई और एक महीने के बाद सुना कि फुलवा के भी पैर भारी हैं और फुलवा बड़ी खुश थी इस खबर से।

फुलवा के आने वाले मेहमान की खबर पूरे गाँव में फैल गई और सब औरतें उसको बधाई देने लगी क्यूंकि वो पूरे 3 साल शादी के बाद माँ बन पाई थी।
कहानी जारी रहेगी।
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