मालिक की बिटिया की सील तोड़ चुदाई -2

(Malik Ki Bitiya Ki Seal Tod Chudai- Part 2)

This story is part of a series:

अब तक आपने पढ़ा..

मोहिनी मेरी जांघ पर हाथ रख कर बोली- अभी पापा-मम्मी को एयरपोर्ट भी छोड़ने जाना है।
मैंने मोहिनी की तरफ देखते हुए कहा- इसका मतलब मैडम इतने बड़े बंगले में आप अकेले रहोगी?
तभी मैम साहब बोली- नहीं घर में जितने वर्कर हैं.. वो सब इसके साथ रहेंगे।
‘पर मैडम.. मैं घर नहीं छोड़ सकता।’

मेरे मन में खुशी के मारे लड्डू फूट रहे थे कि अगर मौका मिला तो मोहिनी को चोदूंगा। लेकिन मैंने अपने भाव प्रकट नहीं किए।

अब आगे..

मगर मैडम बोलीं- नहीं.. तुमको भी हम लोगों के आने तक यहीं रहना होगा।
‘मैम मैं दिनभर तो रहूंगा.. केवल रात में चला जाउँगा।’
लेकिन मैं चाह रहा था कि रात रूकने के लिए मैम साहब खुद बोलें।

तभी मैम बोलीं- नहीं केवल चार दिन की बात है.. रात में रूक जाओ।

मैंने आगे बहस न करने की सोची, उन लोगों को शॉपिंग करा के मैं वापस आया। शॉपिंग कराने के बीच में मोहिनी का व्यवहार कुछ बदला सा नजर आया.. वो अब मुझे और लिफ्ट मारने लगी।

खैर.. मैं अपने घर आकर एक बैग में अपने कपड़े लिए और वाईफ को शहर से बाहर जाने के लिए बताया। उसने ज्यादा पूछताछ नहीं की.. बस ‘कब तक वापस आओगे?’ ये पूछा।
मैंने उसके सवालों के जवाब दिए और बैग लेकर मैं बॉस के घर पहुँच गया।

फिर मैम और साहब को एयरपोर्ट छोड़ कर मैं उनके घर आ गया।
मोहिनी ने मुझे मेरा कमरा दिखाया।

उसके जाने के बाद मैं नहाने की तैयारी करने लगा। मेरी वैसे भी आदत थी कि मैं अपने सब कपड़े उतार कर बाथरूम में नहाने जाता हूँ.. इसलिए मैंने अपने सब कपड़े उतारकर पलंग पर रख दिए और बाथरूम में जाकर नहाने लगा।

हाँ, नई जगह होने के कारण मैंने बाथरूम को अन्दर से लॉक कर लिया था।
हालाँकि मैंने कमरे के दरवाजे को भी अन्दर से बन्द करने की कोशिश की.. पर सभी कमरे में इन्टरलॉक ही लगा था.. किसी में सिटकनी नहीं थी।

जब मैं नहा कर लौटा तो मेरे पूरे कपड़े गायब थे.. यहाँ तक कि पलंग पर बिछी हुई चादर भी गायब थी।
मेरे तो होश उड़ गए।
तभी दरवाजा खुलने की आवाज आई.. मैं भाग कर वापस बाथरूम में गया।

मोहिनी की आवाज आ रही थी- शरद..! शरद..!
‘यस मैम..’
‘अभी तक नहाये नहीं हो क्या?’
मैं क्या बोलता.. मैंने कहा- हाँ मैम बस नहा कर ही निकल रहा हूँ।

मुझे लगा कि मेरे साथ घर के किसी वर्कर ने कहानी लगाई है। तभी दरवाजा के फिर से खुलने और बन्द होने की आवाज आई। मैं समझा कि मोहिनी मैम चली गई हैं।

मैं अपने कपड़े को एक बार फिर से ढूंढने के लिए बाहर आया तो.. सामने गोपाल.. रानी.. श्याम और सरिता सब खड़े थे।

मैं पूरा नंगा.. मेरे तो बदन ‘थर-थर’ काँप रहा था.. पर जब मैंने देखा कि वो चारों भी पूर्ण नंगे खड़े हैं तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं।

तभी मोहिनी की आवाज आई- क्यों दोस्तो, इसका लण्ड तो ठीक-ठाक है न..
फिर वो मेरे पास आई और मेरे लण्ड पर हाथ रखते हुए बोली- क्यों शरद, तेरा लण्ड तखड़ा नहीं होता है क्या?

बस उनका हाथ लगाना था कि लण्ड तमतमा कर तन गया।
‘अरे वाह..! ये तो तन गया।’

मेरे मुँह से कुछ नहीं निकल रहा था। हम सब में केवल मोहिनी ही थी जो पैन्टी ब्रा में थी। बाकी सब नंगे थे।

मैं हकलाते हुए बोला- मैम मेरे कपड़े।
‘वो भी मिल जायेंगे..’ वो बोली और गोपाल को मुझे रूल्स बताने के लिए बोली और मुझसे थोड़ा दूर जा कर खड़ी हो गई।

गोपाल ने रूल्स बताना शुरू किया, बोला- यहाँ पर जब तक बड़े साहब और मैम साहब नहीं होते हैं। तब तक हमसे से कोई भी अपने कपड़े को हाथ नहीं लगाता है और मैं अपनी औरत को और श्याम अपनी औरत को मोहिनी मैम साहब के सामने चोदते हैं और वो उसका मजा लेती हैं।

‘लेकिन मैं क्या करूँगा.. मेरे पास तो कोई औरत नहीं है?’
‘तो तुम मुठ मारोगे..’ मोहिनी बोली।
‘नहीं.. मैं अपना माल जमीन पर नहीं गिराता.. मेरा माल या तो किसी औरत की चूत में.. या उसके मुँह में गिरता है..’

यज कहते हुए मैं मोहिनी के बगल में जा कर खड़ा हो गया।
तभी मोहिनी बोली- तो तुम्हें अपना माल गिराने के लिए औरत की चूत या मुँह चाहिये।
मैंने अपना सर हिलाया।

‘ठीक है.. एक शर्त है..’
मैंने पूछा- कैसी शर्त?

तो मोहिनी बोली- ये दोनों औरतें अपने-अपने आदमियों से चुदेंगी और तब तक तुम्हारा हाथ न तो अपने लंड पर होगा और न ही तुम्हारे लंड से एक बूँद टपकना चाहिए। अगर तुम अपने को रोक सके तो तुम जिसको चाहोगे वो तुम्हारे लंड के नीचे होगी और तुम अपना माल चाहे तो उसकी चूत में गिराना या फिर उसके मुँह में।

फिर वो चारों की तरफ देखते हुए बोली- तुम लोग अपना खेल शुरू करो।

अब मेरे मन का भी डर निकल गया था और आप दोस्त लोग तो जानते ही हो बुर चोदने को मिले.. तो मैं कुछ भी कर सकता हूँ।

मैंने तुरन्त ही मोहिनी से कहा- मैम, हम सब नंगे हैं और एक आप केवल अपनी चूत और चूची के दाने को ढकी हुई हो। अपने हुस्न के महल की ये दो खूबसूरत चीजों को परदे से बाहर लाओ।

सब मुझे इस तरह घूरने लगे कि मैंने कुछ गलत कह दिया हो.. पर मोहिनी मेरे पास आईम बोली- तुम चाहते हो कि मैं भी नंगी होकर अपनी चूत की दर्शन सब को कराऊँ?
‘हाँ मैम.. जब कोई गेम खेलना है ही तो खुल कर खेलो।

‘चल ठीक है.. भोसड़ी वाले.. ये भी तेरी बात मान ली.. बस शर्त वही है कि तेरा हाथ तब तक तेरे लंड में नहीं जाना चाहिए.. और न ही लंड से रस बाहर आना चाहिए.. जब तक कि ये चारों चोदम-चुदाई का पूरी नहीं कर लेते। अगर ऐसा हो गया तो गोपाल और श्याम तेरी गांड मारेंगे।’

अब मैं भी फंस गया था, अगर मैंने कंट्रोल खोया.. तो मेरी गांड मारी जाएगी।
पर मैंने कहा- मोहिनी, अब अपनी ब्रा पैन्टी तो उतारो?
मोहिनी ने कहा- बहन चोद… सब्र कर ले… तू जीत के तो दिखा साले!

अब गोपाल और श्याम रानी और सरिता की चूत को चाटने लगे। हालाँकि दोनों औरतें भारतीय शादीशुदा टिपिकल औरतें थीं.. जिनका पेट निकला हुआ था.. और चूत अन्दर धँसी थी और चूत और गांड के आस-पास काला पड़ा हुआ था.. चूचियाँ लटक रही थीं।
मुझे लगता है कि उनकी चूचियों का साईज 36 के आस-पास का रहा होगा।

हाँ.. एक बात थी चारों की झांटें बनी हुई थीं।

गोपाल और श्याम की हरकतों के कारण मेरे दिमाग पर सेक्स हावी होने लगा था और हाथ मेरा मेरे काबू से बाहर होता जा रहा था और लंड को पकड़ने के लिए बार-बार उसकी तरफ लपक रहा था। लेकिन दूसरी तरफ दिल से आवाज आ रही थी कि हाथ रोक अगर लंड को पकड़ लिया.. तो गांड मरवाने के लिए तैयार रहना।
एक तरफ तेरी गांड मारी जाएगी और मोहिनी की चूत के दर्शन भी नहीं होंगे।

इसी तरह थोड़ी देर कट गई।
गोपाल और श्याम चूत चाट चुके थे अब औरतें अपने-अपने आदमियों के लंड को चाट रही थीं।

गोपाल और श्याम के लंड मेरी तरफ थे और दोनों औरतों की काली-काली गांड का खुला हुआ छेद मेरी तरफ था। बीच में मोहिनी उन दोनों औरतों की गांड में चपत लगाती और उंगली कर देती.. जिससे दोनों चिहुँक उठती थीं।

रानी और सरिता कुतिया की तरह झुकी हुई थीं और दोनों के पेट और चूची लटक रही थीं। मैं समझ नहीं पा रहा था कि कैसे अपने हाथ को काबू में करूँ।
गोपाल और श्याम की नजर मुझ पर बनी हुई थी।

उधर बीच-बीच में मोहिनी की आवाज भी आ रही थी- बहन की लौड़ी.. खसम का लंड है.. चूस कायदे से..
इधर मैं कभी अपनी मुट्ठी को भीचता.. तो कभी अंगड़ाई लेकर अपनी उत्तेजना पर काबू पाने की कोशिश कर रहा था।

जैसे-तैसे 10 मिनट निकाल दिए। तभी मेरे दिमाग में मेडीटेशन वाला ख्याल आया कि अपने दिमाग को डायवर्ट कर लो.. देखो कहीं और दिमाग कहीं लगाओ।

उधर मोहिनी भी अपनी गांड खूब मटका रही थी। मुझे बेकाबू करने के लिए जो भी वो कर सकते थे.. कर रहे थे लेकिन अब मेरी आँखें उनकी चुदाई पर थीं और दिमाग कहीं और लगाने की चेष्टा कर रहा था।

दोस्तो.. मैं बिल्कुल झूठ नहीं बोल रहा हूँ क्योंकि दिमाग भी मेरा सिर्फ मोहिनी के जिस्म पर ही था, बस मैं ‘सिर्फ और सिर्फ’ कंट्रोल कर रहा था।

मोहिनी 22-23 साल की बला की खूबसूरत लड़की थी। बिल्कुल फिट माल.. किसी हीरोईन से बिल्कुल कम नहीं दिखती थी। उसका 30-26/28-30 का फिगर होगा.. उसका पूरा जिस्म बहुत ही चिकना था, नयन उसके बड़े-बड़े थे।
हरे रंग की बिकनी में थी और होंठ पर लिपिस्टिक भी उसी कलर से मैच खा रही थी.. माथे पर छोटी सी सेम कलर की बिन्दी और उँची हील पहने.. वो जब कमरे में चहल-कदमी करती थी और जब उसकी चूतड़ पैन्डुलम की भाँति उठते-बैठते थे.. तो मेरा लंड अपने-आप सलामी देने लगता था।

बीच-बीच में मोहिनी दोनों औरतों की गांड को अपने उंगली से जो रगड़ती जा रही थी और इससे उन औरतों के मुँह से ‘सीईईई..’ की आवाज जो आती थी.. उससे कमरे में एक मदहोशी सी छा जाती थी।

अब दोनों औरतें पलंग पर लेट गईं और गोपाल और श्याम ने उनकी चूतों में लंड डाल कर पेलना शुरू किया।
‘फच-फच..’ की आवाज आना शुरू हुई।

इधर मैं अपने ध्यान को भटकाने की पुरजोर कोशिश कर रहा था और कोशिश करते-करते मैंने काफी टाईम बिता भी दिया था। मेरा लंड तना हुआ था.. मेरा अंडे भी काफी टाईट हो चुके थे.. थोड़ा सा पता नहीं क्यों.. दर्द भी हो रहा था। लेकिन मैं सिर्फ अपना ध्यान केन्द्रित नहीं करना चाह रहा था।

तभी मोहिनी बहुत जोर से चीखी- मादरचोद तेज तेज चोद ना..
वो उन लोगों के बिल्कुल पास खड़े होकर चुदाई देख रही थी। लेकिन गोपाल और श्याम की हिम्मत नहीं पड़ रही थी कि मोहिनी के जिस्म को छू भर सकें।

गोपाल और श्याम ने और तेज धक्के मारने शुरू कर दिए.. धक्के तेज होने के कारण सरिता और रानी के मुँह से उन्माद की आवाज की जगह चीख निकलने लगी थीं। उन दोनों की चूचियाँ तेजी से हिल रही थीं और मोहिनी अपने दाँतों से अपने होंठों को काट रही थी।

बीच-बीच में वो दोनों आदमियों की गांड पर चपत लगाते हुए बोल रही थी- शाबास.. भोसड़ी के ऐसे ही चोदो..
थोड़ी देर तक ऐसे ही ड्रामा चलता रहा।

दोस्तो, इस कहानी में चुदाई का एक जबरदस्त खेल होने वाला है जो आप सबको हैरत में डाल देगा.. बस कल आपके दरबार में हाजिरी लगाता हूँ..

अपने ईमेल मुझ तक जरूर भेजिएगा।

कहानी जारी है।
[email protected]

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