अनचुदी जवान चुदासी नौकरानी-2

(Anchudi Jwan Chudasi Naukrani- Part 2)

सोनू राज 2015-04-18 Comments

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उसने जो कहा.. उसे सुन कर लगा आज कुंवारी चूत मारने का मौका मिल गया है।

उसने कहा- मुझे भी खेल खेलना पसंद है.. क्या आप मेरे साथ ये खेल खेलोगे.. क्योंकि जब से वो पिक्चर देखी है न.. मेरे बदन में अजीब सी हलचल हो रही है।

मैंने कहा- सच बताना.. इस खेल के बारे में तुम्हें कुछ नहीं पता?
मैंने थोड़ा जोर देकर पूछा।

उसने कहा- थोड़ा बहुत पता है.. लेकिन कभी कुछ किया नहीं..

‘तो जितना पता है.. उतना मुझे बताओ..’

तब वो नाश्ते की प्लेट को एक साइड में रख कर मेरे पास आई और उसने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और जोर-जोर से चूसने लगी, फिर एक-एक करके मेरे कपड़े उतारने लगी। मेरा हाथ भी उसके चुच्चों पर घूमने लगा।

वो मुझे गर्म करने की कोशिश करने लगी। एक-एक करके उसने मेरे सारे कपड़े उतार दिए.. मेरे बदन पर अब केवल कच्छे के अलावा कुछ नहीं बचा था।
वो बुरी तरह से मुझे चूमे जा रही थी.. उसने मुझे पलंग पर लिटा दिया और जल्दी से अपने कपड़े उतारने लगी। उसने अपना कुर्ता उतार दिया और मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खींच दिया, उसकी सलवार गोरी मांसल जाँघों से होती हुई नीचे सरक गई।

अब वो मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पैन्टी में थी।

उसके गोरे बदन पर काली ब्रा और पैन्टी बहुत अच्छी लग रही थी। इतना सुन्दर तराशा हुआ जिस्म मैंने पहले कभी नहीं देखा था.. पहले भी कई बार मैं चुदाई कर चुका हूँ.. लेकिन इतना खूबसूरत तराशा हुआ बदन पहली बार देखा था।

मैं तो उसके जिस्म की मदहोशी में इस कदर खोया था कि मुझे पता ही नहीं चला.. कब उसने मेरा कच्छा मेरे शरीर से निकाल कर अलग कर दिया और मेरे लन्ड से खेलने लगी।

मुझे इतना मजा आया कि मैं बता नहीं सकता.. उसके नर्म हाथों में मेरा 7 इन्च का लण्ड फूल कर कुप्पा हो गया और लोहे जैसा सख्त भी..
मैंने उससे कहा- प्रीति.. मुझे नहीं लगता कि तुम पहली बार कर रही हो.. मुझसे ज्यादा तो तुम जानती हो.. मुझे तो लगता है तुम पहले भी चुद चुकी हो।

तो उसने कहा- नहीं.. मेरी चूत अभी तक कुंवारी है.. वो साले अमित को चोदना ही नहीं आता।

(तभी वो एकदम से चुप हो गई..)

‘यह अमित कौन है.. तेरा यार है क्या..?’

उसने कहा- मेरे घर के बाजू में रहता है.. साला शरीर से तो हट्टा-कट्टा है.. लेकिन दम बिलकुल नहीं है.. साला मादरचोद पांच मिनट भी नहीं टिक पाया.. चूत के ऊपर ही खाली हो गया था.. साला..

उसकी खुली बातें सुन कर मैं दंग रह गया.. सीधी सी दिखने वाली लड़की इतनी टेड़ी होगी.. मुझे पता ही नहीं था।

मैंने पूछा- तो क्या उसने तुम्हें नहीं चोदा?

‘उसने क्या.. अभी तक मुझे किसी ने नहीं चोदा.. ये बातें बाद में करेंगे.. पहले ये काम कर लेते हैं..’
यह कहते हुए उसने मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया।

मुझे ऐसा लगा जैसे मैं हवा में हूँ..

वो अपने दोनों हाथों से मेरे लण्ड को ऊपर-नीचे करते हुए चूसने लगी.. वो अपने हाथों को इतनी तेजी से हिला रही थी कि जैसे उसका हाथ ना हों.. कोई मशीन हो..

एक बार तो मुझे लगा कि मैं जल्दी ही खाली हो जाऊँगा।
मैंने कहा- ओह्ह.. प्रीति.. आराम से करो नहीं तो मैं जल्दी ही झड़ जाऊँगा..

तो उसने कहा- जल्दी ही तो झाड़ना है.. तभी तो ज्यादा देर तक चोद पाओगे..
यह कह कर उसने अपने हाथों की गति और बढ़ा दी.. लगभग पांच मिनट बाद मेरा शरीर अकड़ने लगा और एक तेज धार मेरे लण्ड से निकलती हुई उसके चेहरे पर पड़ने लगी.. वो मजे से मेरे लवड़े को पूरा निचोड़ती रही।

फिर वो उठी और एक साफ कपड़े से मेरे लण्ड को साफ किया और अपने चेहरे को भी साफ किया। मेरा 7 इन्च का लण्ड सिकुड़ कर 2 इन्च का रह गया था।

मैं वैसे ही लेटा रहा और प्रीति मेरे बाजू में आकर लेट गई और मेरी छाती पर हाथ फेरने लगी।
मैंने कहा- अब इस 2 इन्च की मूँगफली का क्या करोगी?

तो उसने मुस्कुरा कर कहा- देखते जाओ.. कैसे इस मूँगफली को डण्डा बनाती हूँ।

वो फिर से मेरे होंठों को चूमने लगी.. उसने एक हाथ मेरी चुच्ची पर रखा और हल्के से सहलाने लगी.. कुछ पल के बाद मेरे होंठों को छोड़ कर वो नीचे को आई और उसने मेरी दांईं घुंडी को अपने मुँह में ले लिया।

मैं एकदम से चौंक गया.. लेकिन मुझे एक अजीब सा मजा आने लगा और मेरा लण्ड फिर से खड़ा होने लगा और कुछ ही देर में फिर से 7 इन्च का हो गया।

अब प्रीति नें मेरे लण्ड को अपनी मुठ्ठी में पकड़ा और ऊपर-नीचे करने लगी।
फिर वो पलंग पर अपनी दोनों टाँगें फैला कर लेट गई।

अब मेरी बारी थी.. मैंने अपनी बीच वाली ऊँगली उसकी चूत में डाली और अन्दर-बाहर करने लगा.. फिर थोड़ी देर बाद अपनी एक ऊँगली और डाल दी.. उसे मजा आने लगा।

वो अजीब सी आवाजें निकालने लगी- आह.. आह.. और तेज उह..मां.. और तेज..
उसने अपने दोनों हाथों से पलंग की चादर को पकड़ रखा था और चूतड़ों को उठा-उठा कर मेरे पूरे हाथ को अपनी चूत के अन्दर लेने की कोशिश करने लगी।

कुछ ही देर में उसका बदन अकड़ने लगा और एक झटके के साथ उसने अपना चूतरस छोड़ दिया.. वो एकदम से ढीली पड़ गई।

उसने अपने दोनों हाथ मेरे बालों में फंसाए और मुझे अपनी ओर खींच लिया। फिर उसने अपने होंठों को मेरे होंठों से जोड़ लिया.. कुछ देर ऐसे ही रहने के बाद उसने फिर मेरी निप्पल को अपने मुँह में ले लिया।

मेरा लण्ड जो ढीला पड़ने लगा था.. एकदम से कड़क होने लगा। सच में दोस्तों जब भी आप किसी को चोदो.. तो पहले अपने निप्पल जरूर चुसवाना.. चुदाई का मजा दोगुना हो जाएगा।

मेरे लण्ड में दर्द होने लगा.. तो उसने मेरे लण्ड को अपने मुँह में लेकर चूसा.. जिससे दर्द थोड़ा कम हुआ।

फिर उसने पूछा- कैसे चोदना चाहोगे.. सीधे लेट कर या कुतिया बना कर?

मैंने कहा- पहले सीधे लेट कर करते हैं फिर तुम्हें कुतिया भी बनाऊँगा..

वो बिस्तर पर सीधी लेट गई और अपने पैर खोल दिए। मैं उसके दोनों पैरों के बीच में बैठ गया और अपना लण्ड उसकी चूत पर रगड़ने लगा।

उसकी साँसें तेज होने लगीं और चूचियाँ ऊपर-नीचे होने लगीं। मैं थोड़ा झुका और उसके दोनों चुच्चों को पकड़ कर मसलने लगा। वो सीत्कार की आवाजें निकालने लगी।
‘उंह.. उंह.. अब जल्दी डालो.. आह.. देर मत करो.. फाड़ दो आज.. मेरी चूत.. इस लड़की को औरत बना दो.. मेरी चूत को भोसड़ा बना दो..’

वो पूरी तरह गरम हो चुकी थी.. मैं उठा और अपने पर्स में से एक मेनफोर्स कंडोम निकाला और उसे दे दिया।
वो उठी और मेरे लण्ड पर उसने कंडोम चढाया.. फिर टाँगें फैला कर लेट गई।

मैं उसकी टांगों के बीच आया और अपना लण्ड उसकी चूत के छेद पर रख कर हल्का सा धक्का लगाया.. लेकिन मेरा लण्ड फिसल गया।

वो इतनी उत्तेजित हो गई थी कि मुझे गालियाँ बकने लगी- साले हरामखोर.. पहली बार किसी को चोद रहा है क्या.. जल्दी से डाल अपना मोटा लण्ड.. मेरी बुर में..

मैं भी पूरे जोश में आ गया.. मैंने फिर से उसकी चूत के छेद पर लण्ड रखा और एक ही झटके में आधा लण्ड उसकी चूत को चीरता हुआ अन्दर समा गया।

प्रीति एकदम से चिल्ला पड़ी.. मैंने अपना हाथ उसके मुँह पर रख दिया ताकि उसकी आवाज बाहर ना जा पाए।

उसकी आंखों की कोरों से आंसू निकल रहे थे। मैं थोड़ी देर ऐसे ही पड़ा रहा.. फिर उसके मुँह से मैंने हाथ हटा लिया।

वो रोती हुई कहने लगी- प्लीज निकाल लो.. बाहर.. मुझे नहीं पता था.. इतना दर्द होता है।

मैंने कहा- बस थोड़ी देर और.. अब दर्द नहीं होगा.. अबकी बार।
मैंने उससे कहा- तैयार हो जाओ.. मैं अपना आधा बचा हुआ भी पेल रहा हूँ.. तुम तैयार हो?

उसने ‘हां’ में सिर हिलाया.. फिर मैंने एक और झटका लगाया और मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में गुम हो गया।
अबकी बार वो चिल्लाई तो नहीं लेकिन दर्द का एहसास उसके चेहरे पर साफ दिख रहा था।

मैं उसी स्थिति मैं कुछ देर पड़ा रहा, फिर मैंने उससे पूछा- दर्द कुछ कम हुआ?

तो उसने कहा- अब दर्द नहीं हो रहा है.. सुरसुरी हो रही है.. मजा आ रहा है..

मैंने फिर लण्ड को अन्दर-बाहर करना शुरू किया.. थोड़ी देर बाद उसका बदन अकड़ने लगा और अपना चूत रस मेरे लण्ड पर गिराने लगी।
वो तो झड़ चुकी थी.. लेकिन अभी मैं बाकी था।
मैंने कहा- मैं थक गया हूँ.. लेकिन अभी तक खाली नहीं हुआ हूँ।

तो उसने कहा- चिन्ता मत करो.. तुम भी जल्दी ही झड़ जाओगे.. लेकिन जब तुम्हारा गिरने वाला हो तो बता देना.. मैं उसे अपने मुँह में लूँगी.. कहते हैं बहुत स्वदिष्ट होता है..

तभी उसने मेरी दोनों घुंडियों को अपने अंगूठे और ऊँगली से पकड़ा और हल्के हल्के मसलने लगी.. मुझे जोश आने लगा।
अब मैं दोगुनी तेजी से उसे पेलने लगा.. इस बीच वो एक बार फिर झड़ गई।
मुझे लगा कि मैं भी जाने वाला हूँ.. तो मैंने कहा- प्रीति.. मैं आ रहा हूँ.. क्या करूँ?

उसने कहा- चूत से अपना लवड़ा बाहर निकालो..
मेरा बाहर खींचने का मन तो नहीं था.. लेकिन फिर भी निकाल लिया।

वो जल्दी से उठी और कंडोम को मेरे लण्ड से निकाल कर अलग किया। अब वो अपने एक हाथ से लण्ड हिलाने लगी और दूसरे हाथ से मेरी गोलियों को हिलाने लगी।

‘आह.. प्रीति.. मैं आया…’ मेरे मुँह से अजीब आवाजें निकल रही थीं- अह.. उह..

उसने कहा- आ जाओ राजा..
यह कहते हुए मेरा लण्ड अपने मुँह में भर लिया और दोनों हाथों से जोर-जोर से हिलाने लगी।

मैं भी उसके बालों को पकड़ कर अपना लण्ड उसके मुँह में अन्दर तक पेलने लगा और फिर अचानक ही एक जोरदार झटके के साथ मैं उसके मुँह में खाली हो गया।

वो बिना देर करे मेरा पूरा माल पी गई।
वो मेरे लौड़े को आखिरी बूंद तक चूसती रही और मैं अपनी दोनों आँखें बन्द किए हुए उसकी चूचियों को भींचता रहा और अपने लण्ड का पानी उसे पिलाता रहा।

फिर हम दोनों नंगे ही बिस्तर पर लेट गए.. मेरा हाथ उसकी चुच्ची को सहला रहा था और उसका हाथ मेरे लण्ड को सहला रहा था।
थोड़ी देर बाद वो उठी और अपने कपड़े पहनने लगी।

मैं भी उठा और अपनी पैन्ट पहन ली और फिर पर्स से 500 रू निकाल कर उसे दिए।
उसने पूछा- ये क्यों?

तो मैंने कहा- मेरे साथ खेल खेलने के लिए..

उसने कहा- मैं तो ये खेल रोज खेलने को तैयार हूँ.. आज मुझे बहुत मजा आया..

मैंने फिर भी वो पैसे उसे दे दिए.. उसके बाद दोपहर में आने का कह कर वो चली गई।

तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी यह सौ फ़ीसदी सच्ची कहानी.. अगर आपको लगता है कि ये सच्ची घटना नहीं है तो आपको बता दूँ कि ये कहानी नहीं है.. या इसमें किसी प्रकार का कुछ भी काल्पनिक नहीं है।

अपने विचारों को मुझे जरूर बताइएगा.. आगे की कहानी में कैसे मैंने प्रीति के सामने फिर साथ में उसकी मां को भी चोदा।

अपने विचार लिखने के लिए मेरे ईमेल आईडी पर ईमेल कर सकते हैं।

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