प्रतिशोध की ज्वाला-8

(Pratishodh Ki Jwala- Part 8)

पूनम चोपड़ा 2018-07-28 Comments

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अब तक आपने पढ़ा कि मनोरमा भी अपनी चूत की खाज मेरे पति से मिटवाने की सोच रही थी. उसने उसे दारु पिलाई और उसके सामने खुल कर सेक्सी बातें काना शुरू कर दीं.
अब आगे..

वो शायद मनोरमा की बात समझ नहीं सका तो उसने उससे सीधा ही पूछा- मेरा मतलब है जो तुम्हारी टांगों के बीच में लटक रहा है, वो खत्म हो चुका होगा?

“मैडम जी, मेरी जवानी पर तरस खाइए और ऐसी बात ना करिए. मैं ही जानता हूँ कि मैं किस तरह से अपनी रातें काटता हूँ.”
मनोरमा ने कहा- ठीक है तुम ज़रा रूको मैं चेंज करके आती हूँ. मनोरमा ने अन्दर जा कर सब कपड़ों को उतार कर एक सिंगल पीस गाउन, जो ऑलमोस्ट पारदर्शी था, पहन कर बाहर आ गई.
फिर वो उससे बोली- घर पर तो ज़रा खुले कपड़ों में ही रहना चाहिए.

उसमें से मनोरमा के बूब और निप्पल और चुत की लकीर भी साफ़ नज़र आ रही थी. यह सब देख कर उसकी पैन्ट में हलचल शुरू हो गई. अब वो ना तो अपने लंड को दबा सकता था और ना ही उसे खड़ा होने से रोक पा रहा था.

मनोरमा ने उसकी पैन्ट पर तंबू बनते हुए देख कर कहा- कोई बात नहीं.. मैं समझ सकती हूँ कई बार ऐसी प्राब्लम आ जाती है.
वो झेंपा जा रहा था.
मनोरमा ने उससे आगे कहा- मुझे तुमसे पूरी हमदर्दी है.

फिर जानबूझ कर मनोरमा अपने मम्मे उसे दिखाने लग गई, जिससे उसका लंड और जोर मारने लगा.
फिर मनोरमा ने कहा कि तुम मुझे चोर लगते हो.
वो एकदम से हड़बड़ा गया और बोला- मैंने क्या चोरी की है?
मनोरमा ने कहा- चोरी की है और मेरे घर का सामान भी छुपा लिया है.

अब वो और भी हैरान हो गया.
मनोरमा ने कहा- जब तुम आए थे तो इस पैन्ट में कुछ नहीं था, अब देखो इसमें क्या छुपाया है.. जो तुम्हारी पैन्ट इतना बाहर तक आ गई है.
वो शर्मा कर बोला- नहीं मैडम, इसमें आप का कुछ नहीं है.
मनोरमा ने कहा- नहीं, यह मेरा ही है, मेरे घर पर ही आकर तुमने इसे अपनी पैन्ट में छुपाया है.

यह कह कर मनोरमा ने उसकी पैन्ट की जिप नीचे कर दी और उसका पूरे 7 इंच का लंड बाहर निकल कर सलामी देने लगा.
मनोरमा ने कहा- यह मुझे देख कर ही तो इतना बड़ा हुआ है.. इसलिए यह मेरा ही हुआ ना.
इतना कह कर मनोरमा ने उसका लंड को अपने मुँह में भर लिया. उसके आगे अपनी चुत कर दी ताकि वो भी उसका पूरा नजारा देख कर उसमें अपना मुँह मारे.

कुछ ही देर में वो भी गरम हो गया और चुदाई का संग्राम शुरू हो गया.

मनोरमा उससे जब पूरी तसल्ली से चुद ली, तब उससे बोली कि तेरा लंड बड़ा मस्त है.. क्या तुम लड़कियों की चुदाई करके कुछ पैसे कमाना चाहोगे?
वो बोला- ऐसा भी हो सकता है क्या मैडम?
मनोरमा ने कहा- हां, बिल्कुल हो सकता है मगर कई बार लड़कियां अपना मुँह छुपा कर चुदाई करवाती हैं, खुल कर नहीं.. जिससे उन्हें कोई पहचान ना पाए. वो भी चाहती हैं कि चोदने वाला भी अपने मुँह पर नकाब डाल कर चोदे ताकि उसकी पहचान कोई ना देख पाए.

उसने जवाब दिया- मुझे इससे क्या.. अगर वो मुझे ना देखना चाहे और ना खुद को दिखाना चाहे.. मगर पैसे तो मिल जाएंगे ना?
मनोरमा- हां क्यों नहीं.. पैसे तो एड्वान्स में दिलवा दूँगी.. उसकी चिंता ना करो. मगर उसकी कमीशन के रूप में हर संडे को यहाँ पर ड्यूटी देनी पड़ेगी.

इस तरह से मनोरमा ने उसे पूरी तरह से काबू में कर लिया. उधर उसकी माँ को भी वो पूरी चुदक्कड़ बना ही चुकी थी.
मनोरमा ने मुझसे पूछा- अब क्या करना है?
मैंने कहा- किसी एक दिन दोनों को मुँह ढक कर चुदवाना है. जब उसके लंड का पानी अपनी माँ की चुत में जा रहा होगा तब तुम जाकर दोनों के नकाब उतार देना और इसकी फिल्म बहुत अच्छी तरह से बननी चाहिए. और सुनो जैसे ही लंड का पानी लगे कि निकलने वाला है, उसे चुत से बाहर निकाल कर गीता के मम्मों और मुँह पर झड़वा देना. उस वक़्त अगर उसका लड़का चाहेगा भी तो खुद को नहीं रोक पाएगा. उसको माँ के ऊपर झड़ने के लिए.. क्योंकि उस वक्त लंड इतना जोर मार रहा होता है कि रुक ही नहीं सकता. तब चाहे कोई कुछ भी करे.
मनोरमा ने कहा- जैसे आपने कहा वैसे ही करूँगी.

फिर मनोरमा ने गीता से फोन पर कहा कि गीता एक लड़का मिला है, जिसका लंड बहुत जोरदार है, मगर वो चाहता है कि उसे कोई ना पहचान पाए कि वो कौन है. मैंने आज तुम्हें उसके साथ फिक्स कर दिया है. अभी थोड़ी देर बाद वो मेरे घर पर आएगा. उसका लंड मैं अपनी चुत में टेस्ट भी कर चुकी हूँ. मस्त चोदता है और चुत की पूरी तसल्ली कर के ही बाहर आता है. तुम भी जल्दी से वहाँ आ जाओ, मैं तुम्हारा इंतज़ार कर रही हूँ.

गीता को 2-3 दिनों से कोई लंड नहीं मिला था, इसलिए वो लंड का सुनते ही झट से आ गई.

मनोरमा ने उससे कहा कि अभी वो लड़का नहीं आया है. उसका फोन आया था कि वो आधा घंटे तक आ जाएगा. मैं चाहती हूँ कि जब वो अपना मुँह दिखाना नहीं चाहता, तो तुम भी क्यों दिखाओ.
गीता ने कहा- बिल्कुल यह तो सही है, मैं भी एक नकाब डाल लूँगी.

मनोरमा ने वो पहले से ही व्यवस्था कर रखी थी. उसने गीता को पूरी नंगी करके उसके मुँह पर नकाब डाल दी. उसको अब नहीं पता लग रहा था कि रूम में क्या क्या हो रहा है. मनोरमा ने पहले ही कमरे में कैमरे तीन चार एंगल से फिक्स कर दिए. जब उसका बेटा आया तो उसे दूसरे कमरे में नंगा करके नकाब डाल कर ले आई और दोनों को बेड पर कर दिया. अब दोनों एक दूसरे के मम्मे और लंड को दबा रहे थे. नकाब में बस इतनी जगह ही खुली थी कि वो अपना मुँह चुत, लंड और मम्मों पर मार सकें. लेकिन वे देख कुछ भी नहीं सकते थे. दोनों ने एक दूसरे की चुत और लंड को मज़े से चूसा, जो पूरी तरह से कैमरा में रिकॉर्ड हो चुका था.

अब उसका लंड पूरा खड़ा हो चुका था और उसकी माँ की चुत गरम हो कर पानी पानी हुए जा रही थी. बस उसने बिना एक पल गंवाए अपनी माँ की चुत में एक ही झटके में अपना लंड अन्दर कर दिया. अब वो ऊपर से और उसकी माँ नीचे से गांड उछाल उछाल कर धक्के मार रही थी. सब कुछ कैमरे में रेकॉर्ड हो रहा था और ये सब दो तीन एंगल से हो रहा था क्योंकि कैमरे फिक्स किए हुए थे.

जब मनोरमा को लगा कि अब इस के लंड का पानी निकलने वाला है, तो उसने उस लड़के का नकाब खींच लिया और बोली कि यह नकाब में है, तुम्हें थोड़ी ना देख पाएगी.

यह सब उसको बहुत धीरे से कान में कहा था, जिससे गीता ना सुन ले. अब वो और जोर जोर से गीता की चुत में अपने लंड के धक्के मारने लग गया. माँ को चोदने में वो इतना मगन था कि उसकी नज़र कैमरों पर भी नहीं गई. कुछ देर बाद मैंने उसकी माँ का भी नकाब उतार दिया. बस अब तो उनके चेहरे देखने लायक थे.
जब उन्होंने मनोरमा की तरफ देखने की कोशिश की तो वहाँ पर मैं थी और मनोरमा को बाहर जाने के लिए बोला जा चुका था. जब लंड इतना जोर मारने लगा था कि ना चाहते हुए भी उसका पानी चुत में जाना शुरू होने लगा तो फिर उसके लंड को चुत से बाहर खींच लिया.

परंतु उसकी पिचकारी गीता के मुँह और मम्मों पर जा पड़ी, जिससे उसका सारा जिस्म अपने बेटे के वीर्य से सन गया. कुछ माल जो चुत में जा चुका था, वो भी चुत से बाहर टपकने लगा था.

मैंने उससे कहा- आज तुम लोगों से मेरा बदला पूरा हो गया… तुमने तो मुझे अपने सामने अपने दोस्तों से चुदवाया था मगर मैंने तुम्हें तुम्हारी माँ से ही अपने सामने चुदवा दिया और इसकी फिल्म भी बना ली है. अब यह फिल्म मैं भी सभी को दिखाऊंगी कि यह कितने गिरे हुए और गंदे लोग हैं. मेरी चुत को 4 लंडों से चुदवा कर तुमने मेरी फिल्म बनाई थी न.. अब मैं तुम्हारी फिल्म बाज़ार में बेचूँगी.

इस वक्त दोनों ही नंगे थे. वे मेरे पैरों में गिर कर बोलने लग गए- हमें माफ़ कर दो.
गीता- हमारी भूल को माफ़ कर दो. हम लोग बुरी तरह से भुगत चुके हैं. तुम हमारे घर की लक्ष्मी थी और जैसे ही तुम वहाँ से निकली तो हमारी किस्मत भी साथ ले कर चली गईं. हम नहीं बता सकते कि वहाँ पर क्या क्या गुज़री है.
मैंने कहा- मुझे सब पता है.

मैं अपने पूर्व पति की और सास की तरफ उंगली करते हुए तरफ उंगली करते हुए बोली- मैं तो तुम्हारी बहन और बेटी को भी यही सब बनाना चाहती थी मगर आखिरी पल में मेरी अंतरात्मा ने मुझे यह सब करने से रोक दिया, वरना आज तुम्हारी बहन भी इसी तरह से कइयों से चुद चुकी होती. तुम्हारी हर चुदाई की फिल्म मेरे पास माजूद है. तुम्हारी बहन या बेटी को तो मैंने इसलिए छोड़ दिया था कि मुझे उस समय लगा था कि मैं ही उसकी जगह हूँ और जो मुझ पर बीत चुकी है, वो ही आज इस पर बीतेगी. कुछ समय तक तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था मगर जैसे ही उसके कपड़े उतार कर नंगी करने का टाइम आया तो मेरा दिल मुझे झकझोरने लग गया और उससे मैंने कहा कि तुम यहां से चली जाओ.. मैं तेरे लिए नई नौकरी ढूँढ दूँगी. मगर एक बात सुन लो, उसे मैं अपनी मर्ज़ी से नहीं उसकी अपनी मर्ज़ी के साथ चुदवाने वाली थी. वो खुद लंड को लेना चाहती थी.

ये सुन कर गीता मेरे पांवों में पड़ कर चूमने लगी और बोली कि मैं तुम्हें अपनी बेटी मानते हुए दिल से कह रही हूँ कि शायद तुम किसी जन्म में मेरी ही बेटी रही होगी, जिसने मेरी बेटी को, इतना सब कुछ अपने साथ होने पर भी बचा लिया. मुझे तुमने मेरे बेटे के साथ चुदवा दिया, उसका पूरी जिंदगी भर मुझे बहुत बड़ा गम रहेगा. मगर तुमने मेरी बेटी को बचा कर मेरे पर बहुत बड़ा उपकार किया है.

मैंने कहा- जाओ, तुम दोनों ही अब मेरी आँखों से दूर हो जाओ. देखो खुद को अभी तक नंगे ही खड़े हो और अपना नंगापन छुपाना भी भूल गए हो. जाओ और पहले कपड़े डालो.

मेरा पति मुझसे हाथ जोड़ कर बोलने लगा- मेरे गुनाहों की क्या आप मुझे माफ़ी दे सकती हैं. मैं आपका बहुत बड़ा अहसान मानूँगा. जो काम आज मुझसे अपनी माँ के साथ हुआ है, उसकी वजह से अब मुझे जीने का कोई हक़ नहीं बचा. मैं सच कह रहा हूँ कि अब मैं आत्महत्या कर लूँगा. क्योंकि जब भी मेरी माँ मेरे सामने आएगी, तो मुझे वो नंगी ही दिखाई देगी, जिसे मैं चोद रहा होऊंगा.

मैंने कहा- ठीक है.. तुमको माफ़ करती हूँ मगर तुमको भी एक वायदा करना पड़ेगा कि तुम सब कुछ भूल कर रोज़ अपनी माँ के पैर अपना माथा रगड़ोगे और कहोगे कि मुझसे बड़ी भारी ग़लती हो गई है, माँ मुझे माफ़ कर दो.
उसने कहा- ठीक है.. मैं यह सब करूँगा. मगर क्या तुम फिर से मेरी पत्नी बन कर मुझे माफ़ नहीं कर सकती?
मैंने कहा- मुझे सोचना पड़ेगा मगर शायद नहीं हो सकेगा.. मैं सोच कर जवाब दूंगी.

अगले दिन मेरी ननद अपनी माँ के साथ आई.. मतलब कि मेरी सास और ननद मुझसे मिलने आई.

ननद ने कहा- भाभी, तुम्हारा मुझ पर बहुत बड़ा अहसान है. तुमने मुझे नरक में गिरने से बचा लिया वरना मैं तो खुद जा रही थी. जब इतना बड़ा उपकार किया है तो फिर पूरी जिंदगी मेरी भाबी बन कर रहो ना.
वो यह कह कर रोने लग गई.

मैंने कहा- ठीक है.. अपने भैया से बोलना कि वो मेरे माता पिता से सबके सामने बोले कि उससे बड़ी भारी ग़लती हुई है और वो सबसे माफी माँगता है जबकि वो माफी माँगने के लायक नहीं है.
उसके भाई ने यह सब किया और मुझे बहुत आदर सम्मान से अपने साथ अपने घर की लक्ष्मी बना कर ले गया.

मेरी ये बदले की आग की कहानी यहीं समाप्त हुई. आप लोगों से मेल भेजने की इल्तिजा है.
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