प्रशंसिका ने दिल खोल कर चूत चुदवाई-9

(Prashansika Ne Dil Khol Kar Chut Chudwayi- Part 9)

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थोड़ी देर तक बरसात में भीगने का आनन्द लिया, फिर नीचे आकर शावर के नीचे दोनों एक दूसरे से चिपक कर नहाये।
अब जाकर हम लोगो को ठंड का अहसास होने लगा था इसलिये दोनों ने नंगे रहने का इरादा छोड़ कर कपड़े पहन लिये और एक-दूसरे से चिपक कर बाहर होती बारिश को देख रहे थे।

थोड़ी देर बाद एक बार फिर बारिश रूकी, तो हम दोनों तुरन्त खाना खाने के लिये एक रेस्टोरेन्ट गये और वहाँ खाना खाकर वापस आ गये।
हम दोनों इतने थक गये थे कि खाना खाकर आने के बाद कमरे के चिपक कर सो गये। इस कदर हम लोग गहरी नींद में सोए हुए थे कि करीब रात को दस बजे रात नींद खुली तो चारों तरफ अंधेरा था।

मैंने उठ कर लाईट जलाई और वाशरूम में टट्टी करने चला गया, मैं टट्टी करने बैठा ही हुआ था कि रचना मेरे पास आकर खड़ी हो गई। मैं जब गांड धोने जाने लगा तो रचना ने मेरे हाथ को पकड़ लिया और मुझसे बोली- डियर शरद मैं तुम्हारी गांड धुलाऊँगी।
मैंने मना किया पर वो नहीं मानी और मेरे गांड को साफ की।

फिर हम दोनों बाहर आये।
भूख लगी नहीं थी फिर भी हम दोनों थोड़ी देर के लिये घूमने निकले और वापसी में बीयर और हल्का सा नाश्ता खरीद लिया।
कमरे में आकर हम दोनों चुपचाप ही बैठे एक दूसरे की शक्ल ही देख रहे थे क्योंकि चुदम चुदाई बहुत ज्यादा हो चुकी थी हम लोगों के बीच, इसलिये जिस्म भी साथ नहीं दे रहा था।

तभी रचना बोली- क्या यार… हम लोग ऐसे ही बैठे एक दूसरे का चेहरा देखेंगे या…??’क्यों शक्ल देखना? उतारो कपड़े, नंगी हो चूत का दरवाजा खोलो तो मेरा लंड दरवाजे के अन्दर जा कर टहल कर आये!’

रचना मुस्कुराई, दोस्तो, जब भी रचना मुस्कुराती तो मेरे लिये खतरे की घंटी होती, लेकिन इस बार मैं मानसिक रूप से भी तैयार था, क्योंकि रचना से पहले ऐसी कोई नहीं मिली थी जो इतने मुखर होकर और काम पिपासा में लिप्त होकर सब कुछ भूल जाये, इससे पहले जितनी मिली थी, वो कहीं न कहीं झिझक जाती थी, पर रचना उसने तो जैसे मुझे हराने का ही ठान लिया, तभी तो वो मुस्कुराते हुए बोली- यार मेरी चूत का दरवाजा तो खुला है, पर मैं कुछ अलग करना चाहती हूँ।

मैंने बुरा सा मुंह बनाते हुए कहा- क्या यार, अपनी चूत का मूत तो पिला दिया, और अब क्या है।
‘तो डार्लिंग, मैं भी तो तैयार हूँ तुम्हारे लंड का पानी पीने को, तुम्हीं तो नहीं पिला रहे हो, मैं अभी भी तैयार हूँ!’
कहकर उसने अपना मुंह खोल दिया।

मुझे भी ताव आ गया, मैंने तुरन्त अपनी पैन्ट उतारी और उसके मुँह में लौड़ा डाल दिया और बोला- लो मादरचोद पियो।
उसने मेरी तरफ देखा और मेरा लंड पकड़ा और मेरा मूत पीने लगी, जब उसका मुँह भर जाता तो मेरे लौड़े को कस के दबा देती जिससे मेरा मूतना बंद हो जाता, इस तरह से वह धीरे-धीरे मेरे मूत को पी गई।

‘लो खुश…’ इतना ही कह पाई थी कि मैंने उसकी ठुड्डी को कस के दबा दिया जिसके उसका मुँह एक बार फिर खुल गया, मेरे मुँह में जितनी थूक भरी थी उसके मुँह में उड़ेल दी, उसको भी वो बड़े प्यार से गटक गई।
इतनी हरकत के बीच हम दोनों के कपड़े कब उतर गये, पता ही नहीं चला।

रचना ने मुझे आँख मारी, मैं समझ गया कि उसका इरादा क्या है, उसने अपनी टांगों को फैलाया और अपनी चूत की फांकों को अपनें हाथो से फैलाया और होंठों को गोल करके हल्की सी सीटी बजाई, मैं मानो अब उसके इशारे में नाच रहा था जैसे एक सांप जब अपने मालिक की बीन की धुन पर अपने फन फैल कर झूमता है ठीक उसी तरह उसके होंठों से निकलती हुई सीटी की धुन पर मैं घुटनों के बल नीचे बैठ गया और अपने मुँह को उसकी चूत के सामने खोल दिया।

वो सीटी बजाते हुए मुझे धीरे-धीरे अपनी चूत का रस पिलाने लगी।
मेरा भी सूखा गला अब तर हो गया था और फिर मैं उसके खुली हुई चूत को चाटने लगा।
उसकी चूत का स्वाद कसैला था लेकिन आन्न्दमयी था।

वो भी अब मुझे गाली देने लगी थी- ले मादरचोद… चाट भोसड़ी के चाट…
और मेरे सिर को कस कर पकड़ लिया और अपनी चूत को मेरे मुंह से रगड़ने लगी, उसकी चूत की प्यास कम होने का नाम ही नहीं ले रही थी, वो चिल्ला रही थी- ले भोसड़ी के, मेरी चूत चाट !
बीच-बीच में ‘आह ओह…’ की आवाज भी निकालती जाती।

मुझे उसकी चूत चाटने से ज्यादा आन्नद उसकी चूत की रोएं जो मेरी ठुड्डी और होठों से रगड़ खा रही थी, से आ रहा था, मेरी जीभ चूत चाटते-चाटते छिल सी गई थी पर उसके आगे मैं नतमस्तक सा हो गया था, इसलिये उसकी चूत चाटने से साथ-साथ अपने लंड को भी सहला रहा था।

आखिरकार वो वक्त भी आया जब उसने पानी छोड़ दिया और उसका पानी मेरे मुँह में भर गया।
मैं थक चुका था, और अपने लंड को अपने हाथ से हिलाने के कारण मेरा लंड भी पानी छोड़ने के कगार पर आ गया था इसलिये मैं उठा और रचना के मुँह के पास लंड ले गया।

रचना ने तुरन्त ही अपना मुँह खोल दिया।
चार-पाँच मूठ मारने के बाद मेरे लंड ने पिचकारी छोड़ दी, जिससे रचना का पूरा मुँह भर गया और वह पूरा वीर्य गटक गई और जो बचा-खुचा मेरे लंड के आस-पास लगा था उसे उसने चाट कर साफ कर दिया।

मैं उठा और पलंग पर लेट गया। रचना मेरे पास आई और पूछा- क्या हुआ?
तो मैंने जवाब दिया- यार, मैं बहुत थक गया हूँ।
रचना बड़ी अदा से अपनी कमर पर हाथ रखते हुए बोली- डार्लिंग ऐसा मत बोलो, अभी तो तुम्हें लंड को मेरी चूत और गांड की सैर करनी है।

‘यार, मेरा बदन टूट रहा है।’
‘कोई बात नहीं, चलो मैं तुम्हारे जिस्म की मालिश कर देती हूँ। अभी तो पूरी रात बाकी है। और मैं एक मौका नहीं खोना चाहती हूँ।’कहकर वो घूमी और मटकते हुए जहाँ उसका बीफ्रकेस रखा हुअ था, उस ओर चल दी।

रचना की गांड काफी मोटी होने के कारण उसके चूतड़ चलते समय काफी ऊपर नीचे कर रहे थे। अपने बीफ्रकेस के पास पहुँची, मुड़कर मेरी तरफ देखा अपनी टांगों को थोड़ा सा फैलाते हुए झुकी।
हलाँकि मोटापे के कारण वो बहुत ज्यादा नहीं झुक पाई, लेकिन जितना वो झुकी थी उससे वो मुझे उस पोजिशन में अपनी चूत के दर्शन कराना चाहती थी।

उसके इस तरह झुकने से मैं भी हल्का सा उठा और उसकी गोरी दूध जैसी टांगों के बीच में गुलाबी रंग की चूत को देखने का प्रयास कर रहा था जो कि उसकी मोटी टांगों के बीच थोड़ी सी छिप सी गई थी।

जब तक रचना अपने बीफ्रकेश से जो कुछ भी निकालने के लिये झुकी तब तक वो अपनी गांड को मटकाती रही।
मैं उसकी जितनी भी तारीफ करू कम है।
फिर वो खड़ी हुई और अपने हाथ में एक बड़ी सी शीशी लेकर आई। जब वो मेरे पास पहुँची तब जाकर मुझे पता चला कि वो बॉडी ऑयल है।

पास आते ही उसने शीशी से तेल निकाला और मेरे छाती पर डालकर मालिश करने लगी, मालिश वो बहुत ही प्यार से कर रही थी। मालिश करते-करते वो मेरे निप्पल को नाखूनों से कुरेद देती, एक सिरहन से उठती, लेकिन मजा आता… बीच-बीच में वो मेरे होंठों को अपने होंठों का रसपान करा देती थी।

इस तरह करते-करते उसने मेरे जिस्म के आगे वाले हिस्से को पूरा मालिश कर दी बस लंड और जांघ के आस-पास के हिस्से को छोड़कर!
मालिश से मेरे शरीर को काफी आराम मिलने लगा था।
तभी वो मेरे पर क्रास हुई और अपनी चूत और गांड को मेरे मुँह पर करते हुए मेरी जांघ और लंड की मालिश करने लगी और मेरी जीभ उसकी चूत और गांड की मालिश करने लगी।

बीच बीच में वो अपनी उँगली से मेरे गांड को कोद देती और मेरे लंड को और अण्डकोष को अपने मुंह में भर लेती।
फिर वो मेरे से अलग हुई और मैं उल्टा लेट गया और वो मेरे पीठ की मालिश करने लगी और मेरे चूतड़ के उभार को कस कर इस तरह दबा देती जैसे वो कोई चूची दबा रही हो।

उसने अपने उस बॉडी ऑयल से मेरे जिस्म की मालिश की जिससे मेरी थकान उतर गई और मेरे बगल में लेटते हुए बोली- जान, अब तुम भी मेरी थकान उतार दो।

मुझे क्या? लड़कियों की बात वैसे भी मैं नहीं काटता, मैंने ऑयल लिया और उसके मोटे जिस्म की मालिश करने लगा। उसके एक-एक अंग की मालिश करते-करते अब मुझमें जोश चढ़ने लगा था, इसलिये बीच बीच में मैं उसके जिस्म के किसी हिस्से को चाटने लग जाता था।

लंड मेरा तन चुका था इसलिये मैंने रचना की दहकती बुर में अपना लंड डाल दिया और अपनी जांघों के ऊपर उसकी जांघ को रखकर मैंने अपने पैर फैला लिये और उसकी चूचियों की कस कस कर मसलने लगा।

इधर मेरा लंड भी रचना की चूत के अन्दर हिचकोले खा रहा था इसलिये मैंने रचना की दोनों टांगों को उठाकर अपने कंधे पर रख लिया और धक्के मारने लगा।
शायद इस पोजिशन में (उसकी दोनों टांगो का मेरे कंधे पर होना) उसको हल्का-हल्का दर्द हो रहा था क्योंकि उसके मुँह से आह-ओह के साथ-साथ करहाने की आवाज और इधर चूत और लंड के टकराने की फच फच की आवाज आ रही थी।

फिर मैंने पलंग पर ही कुतिया पोजिशन में चोदना शुरू किया और अब मैं उसकी गांड और चूत दोनों को एक साथ चोद रहा था, कभी उसकी गांड का बाजा बजाता तो कभी चूत चोदता।
आह-आह, ओह-ओह, फच-फच की आवाज से कमरा गूँज रहा था।

दोस्तो, यहाँ पर मैं आपको एक बात बताना चाहता हूँ जो मेरे लिए बड़ी आन्नददायी थी और रचना ने भी बाद में बोला कि वो पोजिशन काफी मजेदार रही।
हालाँकि यह मेरे लिये थोड़ा तकलीफदेह भी था क्योंकि रचना के वजन को अपने शरीर पर तीन-चार मिनट झेलना पड़ा था।

दोस्तो, मैं आपको बता रहा हूँ और कल्पना कीजिए, केवल कल्पना कीजिए, मैंने रचना को अपने ऊपर इस प्रकार पट (रचना की पीठ मेरी छाती पर) लेटाया कि मेरा लंड उसकी चूत में पूरा चला जाये, जब मेरा पूरा लंड उसकी चूत में चला गया तो मैंने लंड को हाथ से पकड़ कर इस प्रकार खींचा जैसे एक वस्तु को दूसरी वस्तु से जबरदस्ती निकाला जा रहा है।

इस तरह करने से रचना की कण्ट और मेरे लौड़े का अग्र भाग में एक अजीब सी घर्षण हो रहा था और हम दोनों के मुँह से उत्तेजना भरी चीख निकल रही थी।
रचना एक हाथ से अपनी चूत को बहुत तेज-तेज सहला रही थी और आह-ऊँह आह-ऊँह चिल्लाये जा रही थी।

मैं दो तीन बार उसकी चूत को लंड से सहलाता और फिर लंड को चूत में डालता और फिर खींचते हुए लंड को बाहर निकालता।
मेरे इस तरह करने से रचना की चूत से पेशाब की धार छूट गई, रचना रोक-रोक कर पेशाब करती रही और मैं इसी प्रकार उसके चूत में लंड डालता और निकालता।

दोस्तो, इसको आप अपने पार्टनर के साथ करो बड़ा मजा आयेगा।
मेरा और रचना का पूरा हाथ और बिस्तर पेशाब से गीला हो गया लेकिन हम लोग तो अब अपने चरम पर पहुँच चुके थे, इसलिये हम लोगों का ध्यान उस ओर नहीं गया।

अब मैं भी झड़ने के कगार पर आ गया, मैंने रचना को अपने ऊपर से उतारा और उसके मुँह में अपना लंड पेल दिया, रचना मेरे लंड को चूसते हुए अपनी हथेली से मेरे अण्डे को सहलाती रही, थोड़ी ही देर में मेरा पूरा माल उसके मुँह के अन्दर था, जिसको वो पूरा गटक गई और लंड से निकलने वाले रस की एक-एक बूँद को चूस ली।

उसके बाद मैं पलंग का टेक लेकर जमीन पर बैठ गया रचना ने भी अपनी चूत को मेरे मुँह से सटा दिया और झड़ने तक अपनी चूत को सहलाती रही।

हम दोनों एक दूसरे का माल चाट कर या पीकर पूरी तरह से संतुष्ट हो गये, उसके बाद हम दोनों ही उस गीले बिस्तर पर एक दूसरे से चिपक कर सो गये।
रचना का सिर मेरी छाती पर और हाथ मेरे चूतड़ पर, मेरा एक हाथ उसके लम्बे बालों को नींद आने तक सहला रहा था और दूसरा हाथ उसके चूतड़ को सहला रहे थे।
पता नहीं कब मुझे नींद आ गई!

कहानी जारी रहेगी।
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