पराई चूत चोदने का मौका आखिर मुझे मिल ही गया-2

(Parai Chut Chodne Ka Mauka Mil Gaya- Part 2)

राजेश शाह 2017-02-28 Comments

This story is part of a series:

अब तक आपने पढ़ा कि मैं एक होटल में रुका हुआ था और एक महिला मेरे रूम में आ गई।
कुछ देर बाद उन्होंने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और प्यार से उसे चूमने चाटने लग गईं।
अब आगे..

मैं अब अपने हाथ आगे बढ़ाते हुए उनके स्तनों से खेलने लगा। कुछ देर तक उनके स्तनों से खेलता और फिर उनके नितंबों के साथ खेलने लगता।

मैंने उन्हें अपने ऊपर से उठा कर बिस्तर से नीचे खड़ा किया और मैं भी उनके सामने खड़ा हो गया।
अब मैंने एक-एक करके उनके कपड़े उतारने शुरू कर दिए.. जिसमें उन्होंने भी मेरा पूरा साथ दिया।

पहले उनका कुर्ता अलग किया। वो काली नेट वाली ब्रा में खूबसूरत दिख रही थीं। मैं उनके माथे से चूमता हुआ नीचे की ओर जाने लगा।

क्रमश: उनकी आँखें, गाल, कान की बूट, गला, कंधे पे, बाजुओं पर, उनकी बगलों में.. जिसमें हल्के-हल्के बाल थे को चूमने लगा। बगलों के बाल उन्होंने शायद कुछ दिनों पहले साफ किए होंगे।
उनकी बगलों से आने वाली परफ्यूम की खुशबू मुझे दीवाना कर गई और मेरा उनकी बगलों को चाटने से उनके मुँह से ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ जैसी आवाजें आने लगीं।

फिर मैं ब्रा के ऊपर से उनकी छाती पर चूमने लगा और ब्रा के ऊपर से ही निप्पलों को सहलाते हुए हल्का सा काटने लगा।

कुछ देर ऐसा करने के बाद मैंने दांतों से उनकी ब्रा के स्ट्रेप्स पकड़ कर खींच कर धीरे-धीरे उसे उनके कंधों पे से उतार दिया.. जिससे उनके स्तन उछल कर बाहर आ गए।

एक पल के लिए तो ऐसा लगा था कि जैसे दो कबूतर खुल कर हवा में आ गए और उड़ने लगे। उनके स्तनों पर बड़े से भूरे-भूरे निप्पल मुझे उन्हें अपने पास खींच रहे थे। जैसे कि कह रहे हों आओ हमें अपने मुँह में लेकर और अपने हाथों से प्यार करो।

फिर अपने हाथ पीछे की ओर ले जाकर उनकी ब्रा का हुक भी खोल दिया और उनकी ब्रा को निकाल दिया। अभी मैं उनके स्तनों को निहारता और कुछ करता.. उससे पहले उन्होंने मेरा सर पकड़ कर अपनी छाती पर दबा दिया।
मैं उनका इशारा समझते हुए उनके पर्वत की चोटियों की तरह उठे हुए निप्पलों को मुँह में लेकर चुभलाने लगा।

मेरा मुँह उनके एक स्तन को चूस रहा था और मेरा एक हाथ उनके दूसरे स्तन से खेल रहा था। कभी मेरा दूसरा हाथ उनके स्तन.. जो मेरे मुँह में था, उससे खेलता-दबाता.. तो कभी उनके कंधे, पीठ, जांघें और उनके नितंबों के साथ खेलते-दबाते हुए सहलाने लगता था।

मैंने अभी तक उनकी चूत को हाथ भी नहीं लगाया था।

कुछ देर ऐसे खेलने के बाद मैं फिर से धीरे-धीरे नीचे की ओर बढ़ने लगा। उनकी कमर.. फिर उनकी नाभि, उनके पेट पर किस करते हुए मैंने उन्हें उल्टा घुमा दिया। अब उनके कंधों से शुरू करते हुए उनकी पीठ और कमर के पिछले हिस्से में चूमता और हाथ से सहलाता हुआ नीचे की ओर आ गया।

मैं उन्हें उनके दोनों साइड के हिस्सों में चूमता, तो कभी हल्के से काट लेता था.. जिससे उन्हें बहुत उत्तेजना होने लगती थी, उनके मुँह से ‘आह्ह आइईइ.. उऊन्ह ईस्स..’ के साथ ‘आई लव यू.. आई लव यू जान.. आई लव यू सोना..’ जैसे लफ्ज़ निकलने लगे।

मैंने भी धीरे-धीरे उन्हें किस करते-करते अपने हाथ आगे की ओर बढ़ाए और उनकी जीन्स का बटन खोल दिया। सिर्फ़ उनकी जीन्स को उनके शरीर से अलग करने लगा।
ऐसा करते हुए मैं उन्हें चूम भी रहा था और कभी-कभी लव बाइट्स भी ले रहा था। मैंने उनके नितंबों पर बहुत सारे लव बाइट्स लिए.. जिससे उन्हें भी बड़ा मज़ा आ रहा था और वो उत्तेजना के कारण बहुत ही कामुक सिसकारियां लिए जा रही थीं, उनकी सिस्कारियां मेरा जोश और बढ़ा रही थीं।

अब उनकी जीन्स को उनके पैरों से निकालते वक़्त मैं खुद भी नीचे बैठ गया था। उनकी जीन्स पूरी तरह से निकालने के बाद उन्हें सीधा करके उनके पैरों से ऊपर की ओर उन्हें चूमते हुए उठने लगा।

इसी दौरान मेरे हाथ उनके पैरों की.. और नितंबों की मालिश लगातार कर रहे थे।

धीरे-धीरे ऊपर उठते हुए मैं अपने घुटनों पर बैठ गया और उनकी जाँघों को चूमने और सहलाने लगा। मेरे हाथ कभी उनकी जाँघों को तो कभी उनके नितंबों को सहला और दबा रहे थे।

मैंने देखा तो उनकी काली पेंटी बहुत ज़्यादा गीली हो गई थी। अब जाकर मैंने उनकी चूत के ऊपर पेंटी के ऊपर से ही अपना मुँह लगाया और उनकी चूत को सूंघने लगा।
वाह.. क्या मादक महक आ रही थी उनकी चूत से।
कुछ देर तक मैं उनकी चूत को पेंटी के ऊपर से ही चूमता रहा और मेरे हाथ पीछे उनकी पेंटी के अन्दर जाकर उनके नितंबों से खेलने लगे।

मेरी इस हरकत से उन्होंने मेरा सर पकड़ लिया और पेंटी के ऊपर से ही अपनी चूत पर मेरा मुँह दबाने लगीं।
फिर कुछ देर बाद जब वो शांत हुईं तो मेरे बालों में हाथ फेरने लगीं।

अब मुझसे भी रहा नहीं जा रहा था तो मैंने धीरे से उनकी पेंटी उनके शरीर से अलग कर दी। उनकी चूत हल्के भूरे-काले रंग की थी और थोड़ी फटी हुई भी लगा रही थी। आख़िरकार वो एक 42 साल के लगभग की महिला की तजुर्बेकार चूत थी। मेरे लिए तो अंधे के हाथ बटेर वाली बात थी।

मैं फिर से उनकी चूत चाटने लगा। उनकी चूत पर भी हल्के-हल्के बाल थे, जो मेरे होंठों के आस-पास चुभ रहे थे.. पर मुझे इस हल्की सी चुभन से बहुत मज़ा आ रहा था और इससे मेरी उत्तेजना और भी बढ़ रही थी।

उनकी चूत से अब पानी निकलना शुरू हो चुका था.. जिसका स्वाद कुछ खट्टा कुछ नमकीन था और मैं उसे बड़े चाव से पी रहा था।

कुछ देर के बाद उन्होंने मुझे कंधों से पकड़ कर ऊपर उठाया और मुझे खड़ा करके मुझसे जोरों से लिपट गईं जैसे एक बेल किसी पेड़ से लिपटती है।

हम दोनों एक-दूसरे से लिपटे हुए एक-दूसरे के शरीरों पर हाथ फेर रहे थे और कभी-कभी एक-दूसरे को चूम भी लेते थे। इसी पोज़ीशन में कुछ देर खड़े रहने के बाद फिर से हमारे होंठ एक-दूसरे में मिल गए और हम फ्रेंच किस करने लगे। कभी मैं उनका ऊपर का होंठ चूसता तो कभी नीचे वाले को मुँह में लेकर प्यार करता। कभी हमारी जीभ एक-दूसरे के मुँह में जाकर खेलने लगती और कभी हम एक-दूसरे की लार रस का मजा लेते।

इसी बीच हमारे हाथ भी खाली नहीं पड़े थे। मेरा एक हाथ उनके स्तन से खेलता.. तो दूसरा हाथ उनकी पीठ, जाँघों और नितंबों से खेल रहा था।

वो भी मेरे इस खेल को मेरे साथ अपने हाथों से खेल रही थीं.. यानि उनका एक हाथ कभी मेरी छाती को सहलाता और मेरे निप्पल को मसलता, तो कभी मेरे लंड को सहलाता और दबाता जा रहा था।

उनका दूसरा हाथ मेरी पीठ, कमर, जाँघों और नितंबों को सहला और दबा रहा था।

करीबन 10-15 मिनट तक ये खेल चला। उसके बाद उन्होंने मुझे बिस्तर पे लिटा दिया और मेरे पाँव से लेकर मुझे चूमना शुरू किया। धीरे-धीरे वो ऊपर की ओर बढ़ रही थीं और मुझे चूमते हुए अपने हाथों से मेरे शरीर की मालिश भी कर रही थीं.. जिससे मुझे बहुत आराम और सुकून मिल रहा था। साथ ही मैं उत्तेजित भी हो रहा था।

इसी तरह उन्होंने मुझे सर तक चूमा और एकदम से पलट कर मेरे लंड को मुँह में लेके चूमने-चूसने, चुभालने-काटने लगीं।

मैं इस खेल का मज़ा लेते हुए उनके शरीर के साथ खेल रहा था और अपने हाथों से कभी उनके स्तनों को, कभी उनकी चूत को, कभी उनके नितंबों और जाँघों को सहला या दबा देता था।

एक बार तो मैंने उनकी गुदा में भी उंगली डाल दी.. जिससे वो चिंहुक उठीं।
फिर मैंने उन्हें अपने ऊपर इस तरह लिया कि हम दोनों 69 पोज़ीशन में आ गए। अब मैं उनके नीचे था और वो मेरे ऊपर लेटी थीं। हम दोनों एक-दूसरे के अंगों को चूम रहे थे।

मैंने उनकी चूत में अपनी एक उंगली डाल दी और उसे अन्दर-बाहर करते हुए उनकी चूत को चूसने लगा था।

कभी-कभी मैं उनकी चूत चाटते हुए उनकी जाँघों-नितंबों को सहला देता.. दबा देता, तो कभी उनके नितंबों पर हल्की चपत भी लगा देता था।

मैंने फिर से 1-2 बार उनकी गुदा में उंगली करने की कोशिश की.. तो वो चिंहुक के ऊपर को उठ जातीं और मेरे लंड को हल्का सा काट भी लेती थीं।

उधर वो भी कभी मेरे सुपारे की नोक को चूमती-चाटतीं तो कभी मेरे लंड के आस-पास अपनी जीभ घुमा देतीं.. कभी मेरे अंडकोषों से खेलतीं और उन्हें मुँह में लेकर प्यार करतीं.. तो कभी मेरे लंड को पूरा अपने मुँह में लेकर मेरे सुपारे के टॉप पर अपनी जीभ फेर देतीं।

उनकी इन हरकतों से मेरे मुँह से ‘आहह..’ निकल जाती और मैं उनकी चूत के दाने को होंठों से ज़ोर से दबा देता.. जिससे उनकी भी ‘आहह..’ निकल जाती।

इस खेल में हम दोनों एक ऐसे नशे में डूब गए थे कि हमें कुछ होश ही ना रहा था। इस दौरान वो तो एक बार झड़ भी चुकी थीं और मैं भी अब झड़ने की कगार पर था, मैंने उनसे कहा- अब छोड़ो.. नहीं तो मैं झड़ जाऊँगा।

तो उन्होंने और जोरों से मेरे लंड को मुँह में ले लिया। अब वो आँख बन्द किये हुए मेरे लंड को चूमने-चुभालने और चचोरने लगीं।

कुछ ही देर में मेरा काम-तमाम हो गया और मैंने उनके मुँह में एक धार छोड़ दी। उन्होंने भी उसे बड़े चाव के साथ पूरा अपने मुँह में ले लिया। जब तक मेरे लंड से आखिरी बूँद न निकल गई.. तब तक वे मेरे लंड को बड़े प्यार से चाटती रहीं।

कुछ देर इसी तरह 69 में लेटे रहने के बाद वो मेरे ऊपर से उतर कर मेरे पास मेरे कंधों पर सर रख कर लेट गईं।

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