मेरी बीवी के बदन की एक बानगी-1

(Meri Biwi Ke Badan Ki Ek Banagi- Part 1)

अरुण 2014-05-24 Comments

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अन्तर्वासना के मेरे सभी दोस्तों को अरुण का नमस्कार!
आज बहुत दिनों बाद मैं फिर आपसे मुखातिब हो रहा हूँ।

आज मैं आप लोगो के लिए कोई कहानी लेकर नहीं आया हूँ, यह सिर्फ एक घटना है जिसमें सम्भोग और यौन क्रिया-कलाप नहीं है, इसलिए आप में से कुछ पाठकों को शायद यह पसंद ना आए लेकिन यह घटना उत्तेजक है और बहुत से पाठक और पाठिकाएँ ऐसे भी हैं जो सम्भोग के अलावा जिंदगी में अचानक होने वाले उत्तेजक और दुस्साहसिक घटना को सुनने में रूचि रखते हैं।

आज जो मैं लिखने जा रहा हूँ, यह उन्ही के लिए है।

जिन पाठकों ने मेरी प्रारम्भ की कहानियाँ जैसे मेरी बेबाक बीवी, मेरी बेकाबू बीवी और मेरी बेकरार बीवी पढ़ी हैं उन्हें मालूम ही है कि मैं अपनी पत्नी के कामुक जिस्म और उसकी वासना से भरे क्रिया कलाप से खुद अति उत्तेजक हो जाता हूँ, मैं उसके अंग प्रदर्शन का हिमायती भी हूँ और जब कोई उसे कामुक निगाह से देखता या छूता है तो बिल्कुल बुरा नहीं मानता हूँ।

तो अब मैं अपनी इस उत्तेजक और दुस्साहसिक घटना पर आता हूँ, यह इसी साल सर्दियों की घटना है, जनवरी के शुरू के दिनों की!
हमारे शहर में बहुत ही ज्यादा सर्दी पड़ती है और मेरी पत्नी बहुत दिनों से अन्दर पहनने वाले गर्म कपड़े (वूलन इनर) खरीदने का सोच रही थी, लेकिन व्यस्तता की वजह से समय ही नहीं मिल पा रहा था।
और शाम होते ही ऐसी तेज़ सर्दी कि घर से बाहर निकलने का मन भी नहीं करता था।

ऐसे ही दिन निकले जा रहे थे और वो मुझ पर गुस्सा कर रही थी।
फिर एक दिन हुआ यूँ हम दोनों मल्टीप्लेक्स में ‘डेढ़ इश्किया’ फ़िल्म देख कर लौट रहे थे।
रात 7.30 का समय था शायद, हम कार से घर लौट रहे थे, कि उसे हौज़री की दुकान दिखाई दी।
वो ज़ोर से बोली- रोको… रोको… वो देखो शॉप… यहाँ से मेरा बॉडी वार्मर ले लेते हैं।

मैंने देखा कि ठीक-ठाक दुकान थी, सोचा यह अच्छा हुआ, आज यह काम भी निपटेगा, वरना लेते लेते सर्दी ही निकल जायेगी।
मैंने कार वहाँ जाकर रोकी, दुकान्दार लगभग 65 साल के एक बुजुर्ग थे और एक नौकर भी था जो शायद जाने की तैयारी में था, ठण्ड की वजह से और दुकान एक तरफ होने से और कोई ग्राहक भी वहाँ नहीं था।

वो बुजुर्ग मुझे रंगीन मिजाज़ और दिल फेंक टाइप का लगे क्योंक जिस तरह से वो मेरी बीवी को निहार रहे थे, उसे देख कर उनकी आँखों में एक चमक सी आ गई थी।
लेकिन मेरे हिसाब से रंगीन मिजाज़ और आशिक़ मिजाज़ होना कोई गलत बात थोड़े ही होती है, मुझे खुद पता था कि मैं भी ताउम्र ऐसा ही रहने वाला हूँ।

वो बुजुर्ग महाशय एक तरह से बिछ से गए मेरी बीवी के स्वागत में, और मेरी बीवी को ऐसे ही लोगों पर अपनी खूबसूरती का रौब झाड़ने में, उनसे फ्लर्ट करने में बहुत मज़ा आता था।
हमें आता देख वो लपक कर आए और बहुत ही अच्छे से बोले- आइये, क्या दिखाएँ आपको?

मेरी बीवी ने लेडीज बॉडी वार्मर के लिए कहा।
दुकान अंदर से काफी बड़ी थी, लेडीज़ इनर वियर का स्टॉक उन्होंने नीचे बेसमेंट में होना बताया। हम लोग नीचे बेसमेंट में उतर गए
उन्होंने लगभग सभी अच्छी कम्पनी के बॉडी वार्मर दिखाए, मेरी बीवी उसे अपने बदब से लगा लगा कर देखती रही।

जब वो पसंद कर रही थी, उस दौरान मैं वहाँ शो केस में लगे हुए ब्रा और पेंटी पहने हुए हॉट और सेक्सी मॉडल्स के फोटो को निहार रहा था, मुझे ब्रा और पेंटी की शॉप्स इसीलिए अच्छी लगती थी।
एक से एक मस्त फिगर वाली मॉडल्स और खूब सेक्सी सेक्सी और डिजाइनर ब्रा और पेंटी देखने को मिलती हैं।

मेरी जीवन संगिनी ने मेरे कूल्हे पर चपत लगाते हुए कहा- कहाँ ध्यान है तुम्हारा? सुधरोगे नहीं तुम? सेलेक्ट करवाओ ना!
मैंने कहा- हाँ तुम देखो, जो तुम्हें अच्छा लगे!

फिर उसने अपने नंबर और अच्छी क्वालिटी के हिसाब से एक फाइनल किया, लेकिन उस दुकान में ट्रायल-रूम नहीं था इसलिए वो थोड़ी संशय में दिख रही थी, उसने बुजुर्ग से कहा- देखिये अंकल, अगर फिट नहीं आया तो हम इसे बदलवाएँगे!
वो तुरंत बोला- हाँ बेटी, तुम्हारी ही दुकान है, जब चाहो तब आ जाना!

और हम बॉडी वार्मर लेकर वापिस अपनी कार में आकर बैठ गए।

मैंने अपनी ‘शरीके-हयात’ को कहा- तुम भी कमाल करती हो? इतनी दूर कहा चेंज करवाने आएँगे? यार, तुम यहीं चेक कर लो ना पहन कर! बॉडी वार्मर के नंबर का कोई आइडिया नहीं होता है।
यह कहते हुए मैंने उस दुकान के नज़दीक ही एक सूनी जगह पर कार रोक दी।

वो बोली- क्या बात करते हो? यहाँ कार में कैसे चेक करूँगी मैं?
मैंने कहा- तो कार से बाहर निकल कर पहन कर देख लो, यहाँ कौन देखने वाला है मेरे सिवा?
वो आश्चर्य से बोली- कार से बाहर? नो नेवर!

मैंने उसे समझाया- जब तुम्हें कार में तेज़ लघुशंका लगती है, तब तो तुम कार की साइड में जाकर कूल्हे नंगे करके चूतड़ और चूत  उघाड़ कर बैठ कर मूत लेती हो? और अभी तो सिर्फ यह पहन कर देखना है।

बात उसकी समझ में आ गई और वो अपनी शाल और कुरता उतारने भी लगी, और आखिरकार उसके ऊपरी हिस्से में सिर्फ ब्रा ही रह गई।
उसने वो बॉडी वार्मर पहन लिया लेकिन पहनते ही पता चल गया कि वो उसको ढीला था।
वो निराश हो गई- ओह्ह शिट… यह तो लूज़ है!

मैंने कहा- अच्छे से खड़े होकर देखो, क्या पता कार में बैठे बैठे कुछ आइडिया नहीं हो रहा हो?
वो बोली- लेकिन बाहर अजीब लगेगा, तुम्हें याद है, पिछली बार जब मैं कार से बाहर बैठ कर पेशाब कर रही थी तो एक कार की तेज़ हेडलाइट सीधे मेरे कूल्हों पर ही पड़ी थी, कितनी शर्म आई थी मुझे।
मैंने हँसते हुए उसकी बात पूरी की- तुम्हें शर्म की पड़ी है, उन बेचारों का तो तुम्हारे गोरे गोरे चूतड़ देख के एक्सीडेंट होते होते बचा था।

यह कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
वो भी उस बात को याद करके हंस पड़ी और कार से उतर कर कार की तेज़ हेड लाइट में अपने आप को चेक किया और मुझ से भी पूछा।
वो वार्मर वाकयी उसको ढीला ही था, मैंने कहा- देखो, अच्छा किया जो चेक कर लिया!

और हम वापिस उसी दुकान में पहुंचे, वो दूकान बंद करने की तैयारी में ही थे, उनका नौकर जा चुका था।
वो सज्जन हमें देख कर चकरा गए, हमने पूरी बात बताई, वो बोले- ओह इतना रिस्क क्यूँ लिया बेटी सड़क पर, हमारे यहाँ ही चेक कर लेती,एक साइड में जाकर! चलो आओ छोटे नंबर में दिखाता हूँ।

वो दुकान दो हिस्सों में बंटी हुई थी, अंदर का हिस्सा गोदाम टाइप का था लेकिन यह जगह थी चेंज करने की ओर वह एक बड़ा शीशा भी लगा हुआ था, हम अंदर आ गए और उन्होंने छोटे नंबर का बॉडी वार्मर दिखाया और बोले- आराम से चेक कर लो बेटे!
मेरी बीवी ने उनसे पूछा तो बुजुर्ग ने एक शो केस की आड़ में जगह बताई लेकिन वो जगह संकरी थी वो बोली- यहाँ?
वो जगह वाकयी कम थी।

वो बुजुर्ग बोले- ओह, तो फिर मैं बाहर चला जाता हूँ, तुम आराम से पहन लो।
मैंने अपनी बीवी को अलग ले जा कर समझाया- क्या यार, कहाँ इस बूढ़े को बार बार बाहर भेजोगी? कर करा लो यहीं पे चेंज, वैसे भी तुम्हे बेटी बेटी कह रहा है।
और मैंने वहाँ लगी डमी लड़कियों के ब्रा पेंटी पहनी हुई पुतलों की ओर इशारा किया- देखो इन नंगी पुतलियों को, ये बाबा ही रोज़ इन नंगी पुतलियों की पेंटी और ब्रा चेंज करता है।

बात उसकी समझ में आ गई, और वैसे भी जिन पाठकों ने होने मेरी बीवी के पुराने किस्से पढ़े हैं, उन्हें पता है कि वो कितनी बिंदास है।
फिर भी वो उस शैल्फ की आड़ में गई और वहाँ जाकर अपनी शाल और कुरता उतारने लगी, और फ़िर एक बार उसके ऊपरी बदन में सिर्फ ब्रा ही रह गई।

उसने वो छोटी साइज का इनर पहना, वो अंकल जी मेरी तरफ मुँह करके खड़े हो गये थे लेकिन मेरी निगाह मेरी बीवी की तरफ ही थी, और यह वाला वूलन इनर उसको छोटा और टाइट निकला जो उसके बदन में फँस गया।
वो हताशा से मेरी तरफ देख कर बोली- उफ्फ्फ… अब यह क्या है?
मैंने उन अंकल से कहा- यह छोटा और टाइट है, देखो कैसे फंस गया है।

अब हम दोनों हि उधर चले गए जहाँ मेरी बीवी उस वूलन इनर को अपने भारी भारी वक्षों में फंसाए हुए खड़ी थी। इस वूलन इनर की स्लीव्स बहुत ही पतली थी, उसकी ब्रा की स्ट्रेप्स भी साफ़ दिखाई दे रही थी।
और वो इनर तो उसके दोनों उरोजों के ऊपर ही अटका पड़ा था। इस समय उसका गुदगुदा पेट एकदम खुला नंगा पड़ा था।

वो बोली- अंकल, यह तो अब ना नीचे जा रहा है और ना ही खुल रहा है।
वो बोले- बेटा इसे अच्छे से पहनो, यह बहुत फ्लेक्सिबल है, आ जायेगा।
मैंने कहा- हाँ, आप एडजस्ट करके देखो।

और यह कहते हुए मैंने बीवी को घुमा कर उन अंकल के सामने कर दिया।
मेरी बीवी कुछ समझ ही नही पाई, पर अंकल की आँखें खुली की खुली रह गई।
मेरी जानम को भी मेरी यह हरकत अजीब लगी और उसने मुझे अपनी आँखें दिखाई। फ़िर भी वो मेरी नेचर जानती थी और सही में उसके बदन पर वो इनर फँस गया था।

अंकल बोले- बेटी, इसे नीचे खींचो।
‘अंकल, नहीं खिंच रहा ना!’
मैंने कहा- आप की एडजस्ट करो!
बीवी बोली- कुछ नहीं होगा।

लेकिन अंकल ने वो इनर साइड से पकड़ कर नीचे की ओर खींचा, इस प्रयास में उनके हाथ मेरी बीवी के पेट को भी छू गये और ऐसा करने से बीवी के उभार और ज्यादा उभर कर बाहर छलक पड़े।
यह नज़ारा देख अंकल जी भी हकबका गये और अपनी झेंप मिटाने के लिये बोले- हाँ बेटी, यह तो सही में बहुत टाइट है।
उनकी हालत देख मेरी बीवी शरारत से मुस्कुरा उठी, बोली- अंकल तो लाओ न कोइ फ़िट वाली!
वो पलट कर और ब्राण्ड और साइज़ के इनर लेने गये।

तो मैंने बीवी से कहा- आज तो गया यह बुड्ढा काम से!
बीवी बोली- आज इसका बैंड बजाने की मन में आ रही है, तुम देखते जाओ।
मैंने कहा- बदमाश… क्यू बुड्ढे को परेशान करती हो?
वो हँसते हुए बोली- देखना, अभी जवानी आ जाएगी इसे!

इतने में वो वापिस आ गये, इस बार कुछ और ब्राण्ड और साइज़ के इनर के साथ बोले- लो बेटी, इन्हें ट्राई करो!
‘लेकिन अंकल… इसे तो निकलवाओ… यह आपने ही फंसाई है।’
और अंकल को जैसे मुँह मांगी मुराद मिल गई, बोले- हाँ हाँ… एक मिनट!
और यह कहते हुए वापिस पेट में हाथ डाल के इनर पकड़ा और ऊपर की ओर खींचने लग गये।

और इस बार भी वो मेरी बीवी के बड़े बड़े चूचों में अटक गया।
मैंने नोटिस किया कि वो खुद उतरवाने में कोइ हेल्प नहीं कर रही थी, शायद जानबूझ कर और शायद अंकल भी उसकी कोई मदद नहीं चाहते थे, उन्हें मज़ा आने लगा था और अब उनकी हिम्मत भी बढ़ गई थी क्यूँकि उन्होंने खुद से ही उसके स्तन को दबाते हुए वो इनर एक झटके के साथ बाहर निकाल दिया।

लेकिन इस वजह से बीवी का जूड़ा खुल गया और बाल बिखर गये।
वो हकबका कर ‘सॉरी बेटी सॉरी!’ बोलने लगे लेकिन बीवी बोली- कोई बात नहीं अंकल जी, इट्स ओके!
अब वो सिर्फ़ सलवार और ब्रा में ही थी और अंकल की निगाहें उसकी छाती पर जाकर ठहर गई जहाँ उसके आधे से ज्यादा गोरे गोरे दूध बाहर निकल रहे थे।

मेरी बीवी उनकी इस स्थिति का मजा लेते हुए बोली- अंकल, इनर?
वो अपनी झेंप मिटाने को बोले- मैं तो यह देख रहा था बेटी कि तुमने ब्रा बहुत गलत साइज़ की पहन रखी है।
अब मैं भी बोला- हाँ, मैं भी इसे यही कहता हूँ।
अंकल बोले- यह ब्रा तो तुम्हारे बहुत ज्यादा फँस रही है, और कप साइज़ भी गलत है।

मैं नज़दीक गया और उसकी ब्रा नीचे से ऊपर उठाते हुए कहा- यह देखिये अंकल, कैसे रेशेस ओर लाल लाल निशान हो गये हैं पूरे घेरे में!
अंकल बोले- हे भगवान्, तुम कैसे सहन करती हो इसको पूरे 24 घंटे?
वो बोली- नहीं! रात में तो मुझे ना ब्रा सुहाती है और ना ही पेंटी!
यह बोलते हुए उसने मेरी तरफ आँख मारी।

मैं समझ गया कि वो अब इस बुड्ढे से भी फ्लर्ट कर रही थी।
और अब वो अंकल जी भी गर्म हो चले थे क्यूंकि वो बोले- बेटी, मैं देता हूँ तुम्हें एक परफेक्ट ब्रा, तब तुम्हें मालूम पड़ेगा कि सही ब्रा में कितना आराम मिलता है।
मैंने कहा- अंकल, आप यह कैसे अंदाज़ा लगाएंगे कि इसे कौन सा साइज़ फ़िट आएगा?

बुजुर्ग बोले- बेटा तुम बुरा न मानो तो एक बात कहूँ, यह तुम्हारे भले के लिए ही है।
वो बोली- क्या अंकल?
इस ब्रा के पहने होने की वजह से तुम्हारे सही साइज़ का अंदाज़ा नहीं लग रहा है।
वो बीवी की ब्रा की तरफ इशारा करते हुए बोले- क्या तुम इसे उतार सकती हो?

मेरी जानम बीवी उनके अचानक इस सवाल से थोड़ी चकरा गई पर अब तक ऐसे ही बेतकल्लुफ़ खड़ी हुई मेरी बीवी ने अपने बूब्स अपने हाथों से छुपा लिये और बोली- नहीं, यह कुछ ज्यादा ही हो गया!
लेकिन मुझे मन ही मन उस ठरकी बुड्ढे की होशियारी पर हंसी आ गई।
अंकल घबरा कर बोले- ओह्ह्ह, कोई बात नहीं, मैं वैसे ही कुछ पीस लेकर आता हूँ।

लेकिन मैंने अब हस्तक्षेप करते हुए कहा- क्या यार? तुम भी अंकल से शरमा रही हो? आज बाय चांस ऐसा मौका मिला है, सही साइज़ का पता चल गया तो हमेशा ब्रा खरीदने में तुम्हें ही आराम रहेगा।
वो बोली- ओके! देखती हूँ कि आप कितने एक्सपर्ट हो!
और यह कहते हुए उसने अपने बूब्स से हाथ हटा लिए और अपनी पीठ के पीछे ले गई।

अब पहली बार मैंने अपने शरीर में उत्तेजना महसूस की और मेरी पैंट के अंदर सोया हुआ लंड जाग गया।
अंकल की स्थिति भी अब उनके पायजामे में से उठने लगी थी, यह मैंने भांप लिया था, जिसे छुपाने के लिये उन्होंने अपना कुर्ता थोड़ा ठीक किया और मेरी बीवी ने अपने हाथ पीछे ले जाकर ब्रा का हुक खोला।

और एकदम ब्रा की पकड़ उसके शानदार और उन्नत वक्षस्थल पर ढीली पड़ गई, उसके वक्ष के उभार बाहर झाँकने लगे।
सही में उसके बूब्स उस ब्रा में फंसे ही हुए थे, ऐसा लगा कि जैसे उन उभरी हुए छातियों ने चैन की सांस ली हो।
फिर उसने बड़ी अदा से पहले अपनी एक बांह से स्ट्रेप उतारी और फिर दूसरी बांह से भी! और फ़िर बड़ी नज़ाकत से ब्रा को पूरी तरह से निकाल कर उन अंकल जी को पकड़ा दिया।

क़हानी जारी रहेगी।
आपका अरुण
akm99502@ gmail.com

 

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