ऋतु के चुदाई के नखरे-2

(Ritu Ke chudai Ke Nakhre-2)

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सुबह के 3:30 बजे हुए थे मैं सो गया।

सुबह आँख ही नहीं खुल रही थी उठने का मन ही नहीं था लेकिन रवि ने मुझे कहा- प्रैक्टिकल है आज, चलो उठ कर तैयार हो जाओ।

मैं उठ कर फ्रेश होकर तैयार हो गया, वो सब भी तैयार हो चुके थे।

मैंने ऋतु से बात ही नहीं की।

रूम से निकल लिए प्रैक्टिकल के लिए और रास्ते में हमने नाश्ता किया और प्रैक्टिकल देने के बाद लंच किया, और आक़र वापिस रूम पर सो गये क्योंकि थक गये थे।

शाम को चार बजे मेरी नींद खुली तो मैंने रवि को बोला- यहाँ पर सोने आया है या कहीं घूमना फिरना भी है?

उसने जवाब दिया- चलो कहीं चलते है घूमने, लेकिन कहाँ चलोगे?

मैंने कहा- चलो बागे फोर्ट चलते हैं, वहा म्यूजियम भी है और मंदिर भी है और हमारे रूम से ज्यादा दूर भी नहीं है।

सब निकल लिए घूमने के लिए।

वहाँ जा।क़र हमने खूब मस्ती की, घूमे और वापिस आते टाइम खाना खाकर ही रूम पर आए।

मैंने पूरा दिन ऋतु से बात नहीं की तो अनु ने पूछा- तुम दोनों का झगड़ा हुआ है क्या?

मैंने सिर्फ ना में सर हिला दिया।

वापिस आते आते 9 बज चुके थे। आते ही सब अपने अपने बिस्तर पकड़ लिए सोने के लिए।

लाइट ऑफ कर दी गई और थोड़ी देर बाद मेरी भी आँखें नींद से बंद हो गई।

रात को ऋतु की तो वही हरकत चालू हो गई, कभी इधर पलटी मारे कभी उधर करवट ले ! कभी मेरे पैर पर पैर मारे, कभी हाथ से हाथ रगड़े।

मेरी नींद बहुत कच्ची है तो तुरंत आँख खुल गई। मैंने अपने मोबाइल में टाइम देखा तो रात का एक बजा था।

मैंने ऋतु की तरफ करवट ली तो देखा वो मुझे ही देख रही है और बीच का तकिया भी हटा रखा था।

मैंने गुस्से से उसकी तरफ आँखें निकाली लेकिन वह कान पकड़ कर माफ़ करने का इशारा कर रही थी।

कमरे में अंधरे था लेकिन खिड़की से आती हुई हल्की हल्की रोशनी में उसके चेहरे पर विनम्रता के संकेत दिख रहे थे।

अब इस मामले में मेरा दिल थोड़ा कच्चा है, बड़ी जल्दी पिंघल जाता है।

मैंने उसे सिर्फ ‘बत्तमीज’ कह क़र अपनी ओर बुलाया।

वो तो बस जैसे इन्तजार कर रही हो मेरे कहने का, वो मेरे बदन से सांप की तरह लिपट गई, उसने मुझे इतने जोर से किस किया और कान में धीरे से सॉरी बोली।

मैंने भी उसके किस का जोरदार उत्तर दिया और उसके होंठों को काट डाला।

अब वो मेरे उपर आ चुकी थी और मेरे होंठों को बहुत जोर जोर से चूस रही थी जैसे बरसों की प्यासी हो ! कभी गाल पर चुम्बन करे, कभी गर्दन पर, कभी होंठों को काट खाए तो कभी अपनी जीभ मेरे मुँह में अंदर तक डाल दे।

मैं भी पूरे जोश से उसका साथ दे रहा था, अब मेरे हाथ उसके पूरे जिस्म पर चल रहे थे। मैं अपने हाथ उसके कूल्हों पर फिराने लगा, मुझे बहुत मजा आ रहा था, मेरे शेर जाग चुका था, मेरे लोड़ा उसकी चूत को रगड़े मार रहा था और पीछे से मैं उसके चूतड़ों को बहुत जोर से दबा रहा था और मसल भी रहा था।

मेरा एक हाथ उसकी सख्त चूचियो पर पहुँच चुका था और दाईं चूची को जोर से मसल दिया तो उसके मुख से सीईईईइ की आवाज निकली।

मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख क़र उस आवाज को खामोश कर दिया।

आग दोनों तरफ लग चुकी थी। बस दोनों से रुक नहीं जा रहा था, हमारी जोर आजमाइश में बेड हिलने लगा।

हम दोनों एक दूसरे में बिल्कुल खो गये थे, अचानक मुझे ध्यान आया कि यह हम क्या क़र रहे हैं? क्योंकि हमारे अलावा रवि और अनु भी इस कमरे में हैं, हवस में हम दोनों इस बात को भूल गये थे।

मैंने उससे कहा- थोड़ी शांत हो जाओ, मैं बाहर जा रहा हूँ, तुम 10 मिनट में बाहर आ जाना, मैं बाहर ही इन्तजार करुँगा।

मैं आपको यह बताना भूल गया था कि जिस रूम में हम रह रहे थे, वो थोड़ा बाहरी इलाके में था और लगभग चारों तरफ खाली ही था।

दस मिनट के बाद वो बाहर आई, मैं उसका हाथ पकड़ कर रूम के पीछे ले गया।

खूबसूरत चाँद निकला हुआ था, पीछे जाते ही आव देखा ना ताव, भूखे शेर की तरह उस पर टूट पड़ा, उसे बाहों में भर कर जोर की चूमाचाटी करने लगा। वो भी मुझे पागलों की तरह चूमने लगी। फिर उसने मेरे होंठों को अपने दातों में जकड़ लिया और बुरी तरह काटने लगी।

मुझे दर्द में मजा आ रहा था। मैंने उसकी चूची मसलना चालू कर दिया और जोर की किस करने लगा। उसके बाद दोनों हाथों से उसके चूतड़ कस कर दबा दिए।

उसके मुख से आह्ह निकली। मैंने उसका कुरता निकाल दिया, अंदर उसने ब्रा नहीं डाल रखी थी, मैं तो उसके चूचों पर फिदा ही हो गया। उसके चुचूक बिल्कुल तने हुए थे। मेरी तो उनको देख कर लार ही टपक गई और मैंने देर न करते हुए उसके मम्मे चूसने लगा और गांड जोर जोर से दबाने लगा।

क्या बताऊँ, इतना मजा आ रहा था कि अपने शब्दों में बयाँ नहीं कर सकता, वो भी खुल कर मेरा पूरा साथ दे रही थी। उसने मेरा सर जोर से पकड़ कर अपने मम्मों पर दबा दिया। उसका पूरा स्तन मेरे मुँह में था और मैं बड़े ही जालिम अंदाज के साथ उसे चूस रहा था।

मेरा लौड़े का तो बुरा हाल था, वो नीचे बार बार उसकी चूत को रगड़ रहा था।

काफी देर यही लड़ाई चलती रही।

मैंने उसकी चूचियों से मुँह हटा लिया और उसके होंठों पर होंठ रख दिए और मेरा एक हाथ सरक क़र उसकी जलती हुई चूत पर पहुँच चुका था।

जैसे ही मैंने अपनी उंगली उसकी चूत पर फिराई, वो तो पागल सी हो गई और अपने मेरे लंड को टटोलने लगी। मेरी निक्कर में हाथ डाल क़र मेरे लंड को जोर जोर से हिलाने लगी।

मैंने सोचा अब देर करना ठीक नहीं होगा और नीचे बैठ कर उसकी पजामी को निकाल दिया। उसने पेंटी भी नहीं पहनी हुई थी, वो मेरे सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी।

चाँद की चांदनी में एक नंगी लड़की वो भी एकदम जवान, जिसके चुच्चे बिल्कुल तने हुए हों… सोच कर देखो कैसी लगेगी।

मैंने अपनी जीभ उसकी चूत पर रख दी और मजे लेकर चाटने लगा।

उसके मुख से आह्ह… स्सईई… स्सीईई… की आवाज निकल रही थी।

मैं कभी उसकी चूत चाटता, कभी जोर से आइस क्रीम की तरह चूसता कभी हल्के दांत से काट देता। उसकी चूत से रस बहने लगा और वो तो पागल हो रही थी।

उसने मेरा सर पकड़ कर अपनी चूत में दबा दिया। अब मैं समझ गया था कि लोहा पूरा गर्म है, मैंने उसको नीचे लिटा दिया और अपनी निक्कर निकाल क़र एक साइड फेंक दी, उसकी टाँगें खोल दी और अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा।

वो तो सेक्स के लिए पागल हुई जा रही थी और नशे में अपने सिर को इधर से उधर पटक रही थी। मैंने जरा सा लंड चूत में सरकाने की कोशिश की लेकिन लंड अंदर जाने को तैयार नहीं था क्योंकि चूत बहुत टाइट थी।

मैंने जोर लगा क़र एक झटका मारा मेरे लंड की टोपी अंदर चली गई और उसकी चीख निकली लेकिन मैंने अपना हाथ उसके मुंह पर रख दिया और उसके कान के पास जा कर कहा- एक बार दर्द तो सहना ही होगा, थोड़ा हिम्मत से काम लो।

उसने हाँ में गर्दन हिलाई लेकिन दर्द के मारे उसकी आँखों से आँसू निकल रहे थे।

मैंने उसकी गर्दन पर चूमा उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।

थोड़ी देर में वो शांत हो चुकी थी।

मैंने ऊपर उठ कर एक झटका और मारा, मेरा पूरा का पूरा लंड उसकी चूत में उतर चुका था। उसे फिर से एक बार दर्द हुआ लेकिन वो दर्द को पी गई और चुप रही।

मैंने भी जल्दबाजी न करते हुए आराम आराम से झटके लगाने चालू किये और उसके होंठों को नहीं छोड़ा। वो बड़ी ही जालिम किस कर रही थी जैसी किस करने में पीएचडी की हो।

अब मैंने अपने झटकों की रफ़्तार बढ़ा दी, वो भी मेरा साथ देने लगी, कभी मुझे गालों पे चूम रही थी कभी गर्दन पर ! उसकी गर्म साँसें और हल्की हल्की सिसकारियाँ मुझमें और जोश भर रही थी। मैंने जोर जोर से झटके मारने चालू कर दिए, उसने भी मेरा साथ दिया और गांड उठा उठा कर हर धक्के का जवाब धक्के से दे रही थी।

उसने अपनी टाँगें मेरी कमर से ऐसे लिपटा ली जैसे पेड़ पर बेल लिपट जाती है। मैं उसे जोर जोर से चोद रहा था और वो मेरा भरपूर साथ दे रही थी।

मेरे मुँह से भी आ…आआ… आहह जैसी सिसकारियाँ निकल रही थी- आई लव यू यार ! लव यू ! लव यू बेबी ! यू आर सेक्स बम्ब ! और पता नहीं मैं झटके मारते हुए क्या क्या बोले जा रहा था।

इतना मजा आज तक सेक्स में कभी भी नहीं आया जितना तब आ रहा था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

मैं झटकों पे झटके लगता जा रहा था और वो भी ईंट का जवाब पत्थर से दे रही थी। काफी देर हो गई थी हमें इसी पोज़ में।

मैं रुक गया और लंड बाहर खींच लिया और उसे पेट के बल लेटने को कहा।

वो पेट के बल लेट गई।

मैंने पीछे से उसकी चूत को थूक से गीला किया और अपना लंड उसकी चूत में घुसा दिया। एक बार फिर उसने दर्द का सामना किया लेकिन थोड़ी देर में वो सामान्य हो गई और सेक्स को पूरा एन्जॉय कर रही थी।

कसम से आज तक मैंने 2-3 लड़कियों के साथ सक्स किया है लेकिन ऋतु की तो बात ही कुछ और थी।

उसने अपने कूल्हे बाहर की तरफ निकाले और मैंने लंड अंदर सरका दिया और पूरे जोश के साथ चोदने लगा। वो भी कमर उठा कट पूरा साथ दे रही थी। उसकी सिसकारियाँ तो मुझे और भी ज्यादा उत्तेजित कर रही थी।

काफी लम्बी चली इस लड़ाई में अंत में दोनों ने हथियार डाल दिए।

मैंने अपना पानी उसकी चूत में ही छोड़ दिया और उसकी सूखी चूत को पूरा नहला दिया।

हम दोनों संतुष्ट और पसीने से पूरे भीगे हुए थे। हमने एक दूसरे को देखा और हल्के से मुस्कुरा दिए।

काफी समय हो गया था हमें बाहर आए हुए तो हम दोनों बारी बारी अंदर जा कर चुपचाप सो गये और किसी को पता भी नहीं चला।

उसके बाद हम कभी नहीं मिल पाए।

और अब तो काफी समय से किसी के साथ कुछ नहीं हो पाया है।

तो बताओ दोस्तो मेरी पहली कहानी कैसी लगी?

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