पिया गया परदेस -1

(Piya Gaye Pardes-1)

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दोस्तो, फिर एक सच्ची घटना आपके सामने पेश कर रहा हूँ, उम्मीद है आप इसे भी खुले दिल से प्यार देंगे ! आपके इसी प्यार से मैं क्या से क्या हो गया !

किसी जसप्रीत कौर की मेरे फ़ेसबुक पर रेकवेस्ट आई तो मैंने स्वीकार कर ली। अगले दिन वो मुझे ऑनलाइन मिल गई और बात शुरु हो गई।

मालूम हुआ कि उसकी उम्र 25 के करीब है, उसके पति अमेरिका में रहते हैं, शादी के तीन महीने बाद ही वो अमेरिका चले गए और तीन साल में बस एक बार भारत आये हैं।

बातें चालू हो गई, जसप्रीत से मैंने पूछा- कहा की हो?
तो उसने कहा- संगरूर, पंजाब की हूँ।
मैंने पूछा- और कौन-कौन घर में रहता है?
तो उसने कहा- मैं और मेरे सास ससुर !

उस दिन बस इतना ही बात हो सका !
उसने कहा- कल कब ऑनलाइन होंगे आप?
मैंने कहा- तुम बोलो कब होना है?
उसने कहा- दोपहर को एक बजे होना !
मैंने कहा- ठीक है !

और मैं पहले से ही ऑनलाइन था वो भी ऑनलाइन हो गई, बातें फिर से शुरु हो गई।
जसप्रीत ने कहा- आप कहानी बहुत अच्छी लिखते हो।
मैंने कहा- शुक्रिया !

जसप्रीत ने कहा- क्या ये कहानियाँ सच होती हैं?
मैंने कहा- हाँ ये 101% सच होती हैं।
फिर जसप्रीत ने कहा- आप कॉल बॉय हो क्या?
मैंने कहा- नहीं, बस कुछ लोगों की मदद कर देता हूँ।
वो कहने लगी- बात तो वही हुई ना !
मैंने कहा- जो मर्जी सोच लो।

उसने कहा- क्या आप मेरे घर आ सकते हैं?
मैंने कहा- आपके सास-ससुर?
उसने कहा- आप कह देना कि आप गिप्पी के दोस्त हो।
मैंने कहा- कौन गिप्पी?
फिर उसने कहा- गिप्पी मेरा भाई है।
मैंने कहा- ठीक है।
‘और वहाँ मुझे दीदी-दीदी कहना !’
मैंने कहा- ठीक है।
‘आप शाम को आना और सुबह चले जाना !’
मैंने कहा- ठीक है।

जसप्रीत ने कहा- आप तो जानते ही हैं कि पति परदेस में है और मैं अकेली ! आप समझ रहे हैं न कि मैं क्या कहना चाहती हूँ।
मैंने कहा- हाँ हाँ ! क्यों नहीं !

मैंने जसप्रीत को अपना सेल नंबर दे दिया और कहा- तुम मुझे कॉल करना या मैसेज करना जब बात करनी होगी तो।
जसप्रीत ने कहा- रात को बात करुँगी।
मैंने कहा- ठीक है।

रात करीब पौने बारह बजे जसप्रीत का फ़ोन आया, तभी मेरी आँख लगी थी, मैंने बोला- कौन?
उसने कहा- जसप्रीत बोल रही हूँ।
मैंने कहा- हाँ हाँ बोलो !

जसप्रीत ने कहा- आप कह रहे थे ना फ़ोन करने को, इसलिए किया।
मैंने कहा- ठीक है, और कहो !
जसप्रीत ने कहा- कब आओगे आप हमारे घर?
मैंने कहा- जब कहो।

जसप्रीत ने कहा- आ जाओ सन्डे को शाम को ! बहाना भी रहेगा कि किसी काम से आया था, सोमवार को काम है।
जसप्रीत ने कहा- आपकी फीस कितनी है?
मैंने कहा- जो दिल करे, दे देना !
जसप्रीत कहने लगी- बोलो तो !
मैंने कहा- आपको मिल कर बता दूँगा।

फिर मैं रविवार शाम को जसप्रीत के घर गया, घर बहुत सुन्दर और आलीशान था। घर की घण्टी बजाई तो एक अंकल जी निकले।
मैंने अंकल जी के पैर छू लिए।
अंकल ने कहा- माफ़ करना बेटा, मैंने तुम्हें पहचाना नहीं !

मैंने कहा- अंकल मेरा नाम हैरी है, मैं गिप्पी का दोस्त हूँ, जसप्रीत दीदी से मिलने आया हूँ कुछ काम था मुझे कल तो मैंने सोचा क्यों न दीदी से भी मिल लूँ।
अंकल ने कहा- हाँ क्यों नहीं बेटा आओ, अन्दर आओ !
तब तक एक आंटी भी बाहर आ गई, बोली- कौन है जी?
अंकल ने कहा- बहू के पिंड का है, उसके भाई का दोस्त।

उन लोगों ने मुझे गेस्ट रूम में बैठा दिया और ऊपर चले गए जसप्रीत को कहने कि कोई आया है।

थोड़ी देर में जसप्रीत गेस्ट रूम में आई, मैंने जसप्रीत को नमस्ते की, जसप्रीत को मैं देखते ही रह गया, मस्त जवान थी जसप्रीत, लम्बी, गोरी और चूचियाँ भी 36 इंच की थी और पीछे से गाण्ड भी थोड़ी उठी हुई थी, असली जटनी पंजाब की लग रही थी।

जसप्रीत ने कहा- आ हैरी, कैसा है तू? कितने दिनों बाद याद आई दीदी की?
मैंने कहा- क्या करूँ, वक्त नहीं मिलता ! कुछ काम था तो आया आपके शहर में, नहीं तो कहाँ आना होता है।
जसप्रीत ने कहा- ठीक है, तो अब यहीं रुकेगा ना?
मैंने कहा- नहीं, मैं किसी होटल में रह लूँगा।
जसप्रीत ने कहा- यह क्या बात हुई? तू यहीं रहना।

उसके सास-ससुर ने भी कहा- हाँ-हाँ बेटा, यही रुक जाओ, इतना बड़ा घर है, कोई दिक्कत नहीं होगी तुम्हें।
मैंने कहा- ठीक है।

जसप्रीत ने मुझे पानी और चाय पिलाई और बातें करने लगी मेरे से- घर में सब कैसे हैं? और भी बहुत कुछ !
उसके सास-ससुर भी साथ में ही बैठे थे, कुछ देर बाद वो लोग चले गए अपने कमरे में !

जसप्रीत ने कहा- चलो आपको भी आपका कमरा दिखा दूँ। मैं उसके पीछे पीछे ऊपर चला गया तीसरी मंजिल पर ! वो दूसरी मंजिल पर रहती थी और सास-ससुर नीचे के कमरे में सोते थे।

रात होने लगी, जसप्रीत ने खाना लगाया और सब लोगों ने खाया, मैं अपने कमरे में चला गया। मैंने अपना दरवाजा बंद नहीं किया था, मुझे मालूम था कि वो आएगी और वो आई भी।
अगले भाग में समाप्त !
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