पायल की चुदाई-6

पायल के साथ अपनी जिंदगी का हसीन पल गुजारने, उसके साथ हनीमून मनाने के बाद रात को मुझे बढ़िया नींद आई।

अब तक आपने पायल की चुदाई शीर्षक से मेरी कहानी पढ़ी। अब उससे आगे की बात इस भाग में।

सुबह 9 बजे थे, जब पायल ने आकर मुझे जगाया। वह नहा कर तैयार हो गई थी और मेरे लिए चाय लाई थी। अपने खुले बालों को मेरे चेहरे पर डालकर उसने बालों को झटका दिया, इससे उसके बालों में अटकी पानी की बूंदें मेरे चेहरे पर गिरी और मैंने आँखें खोलकर पायल को अपनी बांहों में भरकर पलंग पर खींचा।

तभी पायल बोली- चलिए, हो गया ना ये सब? अब जल्दी से फ्रेश हो जाइए।

मुझे याद आया कि रात को पायल के साथ सैक्स उसके ही घर में उसके पति के सामने ही हुआ है, तो अब मैं एकदम उठा और पायल से पूछा- कहाँ हैं साहबजी? क्या कहा उन्होंने तुमसे?

पायल बोली- वो नहाने गए हैं। काफी रात तक वो जगे, पर यहाँ कमरे में हमें नहीं देखा। मुझसे कुछ बोले ही नहीं शर्म के कारण !

यह बोलकर पायल हंसने लगी, मैं चाय पीने लगा।

पायल बोली- सुरेन्द्रजी अभी अपने काम से एजेंसी जाएँगे। आप आराम से फ्रेश होकर निकलना, तब फिर हम दोनों अकेले रहेंगे !

यह बोलकर उसने अपनी आँख दबाई और मुस्कुराने लगी।

पर मुझे सुरेन्द्रजी की टेंशन थी कि यह आदमी अपनी बीवी को चोदने वाले को चैन से कहाँ रहने देने वाला था, मैंने पायल से पूछा- मेरे बारे में कुछ बोल रहे थे क्या तुम्हारे साहब?

पायल बोली- नहीं, मैंने बताया ना कि वो कुछ बोले ही नहीं। अब आएंगे तब मैं उन्हें खूब नमक मिर्च लगाऊँगी, कि इतना बड़ा लौड़ा था उनका कि मेरी चूत से जाकर गांड से निकलता था, सो आपकी इस शर्त के कारण मेरी चूत और गांड दोनो फट गई।

मैं बोला- तुम भी गजब करती हो यार ! उनका मूड वैसे ही मेरे लिए खराब होगा, ऊपर से तुम अपना दर्द बताकर उन्हें और उकसा रही हो। ऐसे में उद्वेलित होकर वो मुझे पीटे बिना नहीं रूकेंगे।

पायल बोली- तो क्या करूँ?

मैं बोला- अब उन्हें कोसना बंद करो, और उनके सामने मेरा इंप्रेशन ठीक करो, ताकि उनके मन में मेरे लिए दुर्भावना कम हो। उनसे ऐसा बोलो कि मैं सारी रात तुमसे अपने ही घर की बात करता रहा व उनकी तारीफ करता रहा। और हाँ, रात में मैंने तुम्हें चोदा है, यह बात करना ही मत। मैं सिर्फ़ तुम्हारे बिस्तर में रहा, तुम्हारी सुंदरता की तारीफ और अपनी बीवी स्नेहा के बारे मे बातें करते रहा, ऐसी ही बातें करना अब।

पायल ‘ठीक है’ बोलकर कमरे के बाहर जाने लगी। मैं बिस्तर से उठा और उसे पीछे से पकड़ लिया। वह पलट कर मेरे होंठों पर अपने होंठ रखकर चुंबन लेने लगी। मैं उसके उरोज पकड़ कर दबाने लगा। वह भी मस्त होकर मुझे पूरा साथ देने लगी। पर थोड़ी ही देर में मुझे लगा कि अभी इसमें लगे तो इस बार तो सैक्स कर नहीं पाएंगे, उल्टा सुरेन्द्र के मन में मेरे लिए खुंदक और बढ़ जाएगी और अभी तो वह पक्का मुझे बाहर करके ही दम लेगा, तो मैंने खुद को पायल से अलग किया और कहा- मेरी पारो, यह सब हमें आराम से करना है। चलो पहले सुरेन्द्रजी को पटाने के लिए तैयार हो जाओ, क्यूंकि अब हमारे आज और भविष्य में चुदाई का कार्यक्रम उनके मन में मेरे लिए बनी सोच से ही संभव हो पाएगा।

पायल सीधे होकर मुझसे लिपटी और ‘ठीक है; बोलकर बाहर की ओर चली। मैं अभी तुंरत सुरेन्द्र का सामना करने को तैयार नहीं था तो वापस बिस्तर पर आकर लेट गया। मुझे बाहर सुरेन्द्र के आने का एहसास हुआ। काफी हिम्मत के बाद भी मैं उसके सामने जाने का साहस नहीं जुटा पाया।

बिस्तर पर वैसे ही लेटा हुआ था, तभी मुझे सुरेन्द्र की आवाज सुनाई दी- उठिए जवाहरजी, हमारे कमरे में आपको नींद ज्यादा आ रही हैं क्या? 9 बज गए हैं भाई।

अब जाना मेरी मजबूरी थी, तो वहीं से बोला- हाँ, आ रहा हूँ !

अब मजबूरी थी जाना, तो उठकर वहीं आईने में अपनी शक्ल देखी, ठीक-ठाक हुआ और तौलिया लेकर बाहर निकल पड़ा।

सुरेन्द्र सोफे पर बैठा था, मुझे देखकर कहा- आज तो आपको बढ़िया नींद आई होगी ना?

मैं खिसियानी हंसी हंसकर ‘जी’ बोला और ‘फ्रेश होकर आता हूँ’ बोलकर वाशरूम की ओर बढ़ लिया।

अंदर जाकर मैं फ्रेश होते हुए यह सोचने लगा कि पायल उन्हें जैसा मैंने बोला था, वैसा बता रही होगी या नहीं।

ब्रश वगैरा करके मैं नहाने लगा ताकि सुरेन्द्र को समझाने का समय पायल को मिल जाए। मैं बाहर आया, वापस कमरे में जाकर अपने कपड़े पहनकर सुरेन्द्र के पास आया और कहा- माफ कीजिए, मेरी वजह से आपको बाहर सोना पड़ा।

सुरेन्द्र हंसते हुए बोला- अरे वो रास्ता मैंने खुद ही चुना था। चलिए छोड़िए, अब बताइए कैसी बीती आपकी रात? इसने परेशान तो नहीं किया आपको सोने में?

मैं बोला- वो मेरे कारण रात भर सो नहीं पाई होंगी, मैं बेवजह आप लोगों के बीच में आ गया।

सुरेन्द्र बोला- पायल बता रही थी कि आप कल अपनी पत्नी को बहुत याद कर रहे थे। अब मुझे लगा कि पायल ने अपना काम कर दिया है, अब मुझे उसमें और फ्लेवर डालना है बस।

मैं बोला- जी हाँ, कल आप लोगों के बिस्तर और सजे हुए कमरे में मैं जब पायलजी के साथ था, तो मुझे अपनी पत्नी स्नेहा की बहुत

याद आ रही थी क्योंकि उसे तो ऐसा सजा हुआ रूम और बैड अपने हनीमून में नसीब ही नहीं हुआ।

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यह बोलकर मैं उसे अपनी गरीबी और परेशानी के किस्से सुनाने लगा। उसे देखकर मुझे अहसास हुआ कि यह रंग सुरेन्द्र पर बढ़िया चढ गया है। वो मुझसे बहुत सहानुभूतिपूर्ण रूख अपनाने लगा। मैं उसे अपने घर से जुड़ी और काल्पनिक बातों को शेयर करने लगा कि कल रात जैसा बिस्तर मुझे पहले नहीं मिला है, और मैं रात को बिस्तर में लेटे हुए अपनी पत्नी को याद करते रहा। आपकी पत्नी मेरे बाजू में थी, पर मैंने उनके साथ कुछ नहीं किया।

सुरेन्द्र ने मुझसे कहा- तुम तो मेरी बीवी के साथ हनीमून मनाना चाहते थे, फिर तुमने कुछ नहीं किया मैं कैसे मान लूँ?

मैं बोला- मैं आपको यह बात मानने के लिए नहीं बता रहा हूँ सुरेन्द्र जी। बल्कि मैं तो आपसे यह कहूँगा कि मैंने रात को पायलजी के साथ सैक्स किया है, ताकि मेरा रोल भी बढ़कर आपके लेवल तक पहुँच जाए। दरअसल कल रात मुझे आपकी शर्त लगाने की आदत पर नहीं अपनी माली हालत पर बहुत दुख हो रहा था और आपसे मिले ऐशोआराम के आगे मेरा दुख ज्यादा बढ़ गया था। अब आप इसे चाहे जिस रूप में लें, जो सच है वह मैंने आपको बता दिया।

अब सुरेन्द्र पूरी तरह से फूलकर कुप्पा हो गया था, अब उसे इस बात का मलाल नहीं था कि उसकी बीवी किसी दूसरे के साथ सोई थी, बल्कि इसका फख्र था कि उसके जैसे ऐशो आराम दूसरे कई लोगों के पास नहीं है।

सुरेन्द्र बोला- अब आपका क्या कार्यक्रम है?

मैं बोला- मुझे काम के सिलसिले में ही नागपुर जाना है, आज रात की ट्रेन है, मैं उससे ही जाऊँगा। तब तक यहीं थोड़ा घूम फिर लूँगा।

सुरेन्द्र बोला- नहीं आप हमारे साथ ही खाना खाएँगे और रात को यहीं से रवाना हो जाना। यानि आप जब तक सूरत में हैं हमारे घर में ही रहेंगे।

अब तक चुप खड़ी पायल अचानक सिसकने लगी और मेरे सामने अपने हाथ जोडते हुए बोली- मेरे लिए आप भगवान हैं, जो आपने मुझे कलंकित होने से बचा लिया। नहीं तो मैं सोच ली थी कि जब इज्जत नहीं रही तो जीकर क्या करूँगी। आज मैं अपनी जान अपने पति को समर्पित कर देती।

उसकी दमदार नौटंकी ने सोने में सुहागा सा असर किया। इस सारे नाटक से हमें यह फायदा हुआ कि मेरा खाना रहना अब सुरेन्द्र के कहने से उसी के घर में होना तय हो गया था।

खाना खाने के बाद सुरेन्द्र ने कहा- मुझे लौटने में रात हो जाएगी, सो मैं अपना काम निपटाकर आता हूँ और पायल तुम जवाहर का ख्याल रखना। उन्हें हमारे घर में कोई तकलीफ ना हो।

पायल ने हामी भरी। कुछ ही देर में सुरेन्द्र भी निकल गया। पायल उसे देखने ऊपर खिड़की के पास खड़ी रही, उसके कार में बैठकर निकलते ही वह ‘याहू ! मेरे जस्सू चलो चुदाई करें !’ बोलकर मेरे पास आकर आकर लिपट गई।

उसने दरवाजे को एक बार फिर चेक किया, और मुझे घसीटते हुए अपने कमरे में ले गई, वहाँ मेरे शर्ट की बटन खोलने लगी।

मैं बोला- क्या बात है पारो, आप तो सही में सेठानी के रोल में आ गई हो।

वह मुझे छोड़कर हसते हुए बोली- चलो अब आप जल्दी से नंगे हो जाओ। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

‘जी मालकिन, होता हूँ’ बोलकर मैंने अपने पूरे कपड़े उतारे, उसके सामने नंगा हुआ तब वह बोली- अब हमें भी नंगी कीजिए।

मैंने उसके पास आकर उसकी साड़ी को खींचकर अलग किया। अब उसने अपने दोनों हाथों को यूं फैला दिया मानो मुझे अपने आगोश में लेना चाहती हो। पर मैंने उसके पेटीकोट का नाड़ा खींचा, वह खुलकर नीचे आ गया।

खुले हुए पेटीकोट को वहीं छोड़कर वह दो कदम आगे सरक आई।

अब मैं उससे चिपका और ब्लाउज के हुक खोलकर उसे भी उतारा। मेरे सामने सूरत की मेरी सुंदरी ब्रा और पैन्टी में खड़ी थी। अब तक मेरा लंड भी उफान पर आ गया था। मैंने उसे अपने से चिपकाया और उसके होंठों को अपने होंठों की गिरफ्त में ले लिया। वह भी मुझसे ऐसे चिपकी मानो मेरे भीतर ही घुस जाना चाहती हो। होंठो को जकड़े हुए ही मैंने उसकी ब्रा का हुक खोला और ब्रा को निकालकर वहीं नीचे डाल दिया। उसके मस्त उठे हुए स्तन मानो मेरे मुख में समाने को लालायित हों। अब अपने होंठों को उसके पूरे चेहरे पर घुमाकर ठोडी, गर्दन से लाकर उसके स्तन पर टिकाया। उसके एक निप्पल को चूसा व दूसरे निप्पल को हाथ से हल्के से दबाने लगा।

पायल मेरा सिर पकड़कर ही पीछे सरककर बिस्तर पर आई। मैं भी पहले उसे लिटा कर ऊपर चढ़ कर उसके दूधों का रस लेने लगा। उसकी आवाज से लग रहा था कि उसका मूड बन गया है।

यकायक वह उठी और मेरे लंड को मुख में ले लिया। पहले लौड़े के सुपारे को अच्छे से चूसने के बाद वह पूरे लौड़े को अपने मुंह में भरने की कोशिश करने लगी। वह मेरे ऊपर आ गई। अब मैंने उसकी जांघ पर थपकी देकर अपनी ओर खींचा। उसने मेरे लौड़े को चूसते हुए ही अपनी चूत मेरी मुंह की ओर कर दी। अब हम 69 के पोज में थे। मैं उसकी चूत चूस रहा था, चूत की ऊपरी फली में जीभ जितनी अंदर जा सकती थी, डालने के बाद फिर छेद में आया। उसकी चूत का स्वाद बदल गया था। यानि उसका रज आने लगा है। इससे उत्साहित होकर मैंने छेद में जीभ डालकर अंदर बाहर करने की स्पीड बढ़ा दी। उसने भी जोश में अपनी स्पीड बढ़ाई, और लौड़े को मुंह में ज्यादा अंदर व तेजी से करने की होड़ लगा दी।

यहाँ एक बात मैं सही कहना चाहता हूँ कि पायल मेरे लौड़े को अपने मुंह में जितना अंदर ले रही थी, उतना अंदर तो मेरी बीवी स्नेहा भी नहीं ले पाई है। पायल का प्यार मुझे परास्त न कर दे, इस डर से मैंने उसकी चूत में जीभ अंदर बाहर करने की स्पीड बढाई। अब

मुझे उसके रज की मात्रा अधिक लगने लगी। पर उसका गिरे इससे पहले ही मेरे लौड़े ने अपना रस उसके मुंह में ही उड़ेल दिया। मेरे वीर्य की आखरी बूंद उसके मुंह में गिरे, इसके पहले उसकी चूत से रज की मात्रा और गति दोनों ही बढ़ गई। यानि उसका माल भी बाहर आ गया। मेरा गिरने के बाद भी वह मेरे लंड को बहुत प्यार से चूसे जा रही थी। इससे लंड ठण्डा हो ही नहीं पाया। मैं भी उसकी चूत को फिर से गरमाने के लिए जीभ भीतर डाले जा रहा था। कुछ ही देर में मेरा लौड़ा फिर टनटना गया। अब उसने लौड़े की निचली नली को जीभ से उपर तक चाटने के बाद बोली- अब इसे चूत में दो।

मैंने भी उसकी चूत को छोड़ा और उसके मुंह के पास आ गया। अब लंड को चूत के छेद में रखकर अंदर डाला। दूसरे समय की अपेक्षा पायल की चूत में मेरा लौड़ा आसानी से चला गया। लौड़ा अंदर जाते ही पायल ने उछलना शुरू कर दिया। मुझे शाट लगाने में थोड़ी देर हो रही थी, पर उसके शाट की गति कम नहीं हो रही थी। मुझे आभास हो रहा था कि मेरा लंड उसकी चूत के आखिरी पोर तक पहुँच रहा है।

पायल के बराबर लगते झटकों की वजह से इस चुदाई का आनन्द ही अद्भुत था। हम दोनों का ध्यान लंड को और ज्यादा भीतर तक घुसाना था। चुदाई के इस राउंड का लुत्फ़ हमने ज्यादा देर तक उठाया। मेरे वीर्य को उसने अपनी चूत में ही समेटा। इस दौर के बाद हम दोनों एक दूसरे से चिपककर नंगे ही सो गए।

हमारी नींद शाम को करीब 5 बजे खुली। उठने के बाद हमने चुदाई का एक दौर और पूरा किया। फिर पहले पायल, फिर मैं वाशरूम जाकर तरोताज़ा हुए।

पायल बोली- आज ही जाएँगे क्या?

मैं बोला- जी हाँ, आज का ही रिजर्वेशन है।

पायल बोली- आप जब मुझसे मैसेंजर पर चैटिंग करते हो तो मुझसे फोटो बहुत मांगते हो इसलिए आज आपको मेरी जितनी फोटो खींचनी हो खींच लीजिए। लीजिए आपकी पारो अपने जस्सू के सामने नंगी खड़ी है।

उसकी इच्छा देखकर मैंने भी अपने मोबाइल से पायल की बहुत सारी फोटो खींची। इनमें से कई नंगी थी और कुछ कपड़ों में भी।

ये फोटो लेने के बाद मैंने कहा- सुरेन्द्रजी के आने से पहले ही मैं निकल जाता हूँ। नहीं तो यदि वो मुझे छोडने स्टेशन गए, तो यहाँ से मुझे मजबूरी में जनरल क्लास में सफर करना पड़ेगा क्यूंकि ऐसा ही उन्हें मैंने कहा है।

मेरी इस बात से वह सहमत हुई और फिर जल्दी ही मिलने के वायदे के साथ पायल के घर से मैं अपना सामान लेकर स्टेशन की ओर निकल पड़ा।

तो दोस्तो, यह था पायल के साथ मेरी चुदाई का किस्सा !

इस कहानी का यह आखिरी भाग आप तक पहुँचाने में देर इसलिए हुई कि अपने एक और साथी की मांग पर मुझे उसके साथ सैक्स करने बाहर जाना पड़ा था। उसकी बहुत मजेदार चुदाई की बात आपको सुनाने मैं जल्दी ही आऊँगा। पर आपसे अनुरोध हैं कि पायल की चुदाई का यह भाग आपको कैसा लगा, कृपया मुझे मेल करें।

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