मुझे मिली इक माधुरी-2

प्रेषक : धीरज

मैंने कहा- एक बात कहूँ?

वो बोली- कहो !

मैंने कहा- मुझे तुम्हारे साथ सब कुछ करना है !

वो बोली- यह नहीं हो सकता।

मैंने कहा- अगर यह नहीं हो सकता तो मैं आज ही जाने वाला हूँ।

वो बोली- यहाँ सब होंगे फिर कैसे?

यह सुनते ही मेरी तो जैसे लॉटरी लग गई हो, मैंने कहा- वो सब मुझ पर छोड़ दो !

मैंने फिर से उसे पकड़ कर उसके चुच्चे मसल दिए, वो सिसकारियाँ लेने लगी।

वो कहने लगी- अभी सवेरा हुआ है, और सुबह से ही शुरू हो गए?

वो चली गई, उसके जाने के बाद भी मैं उसके चूचों को याद कर रहा था।

तभी जीजाजी आए और कहने लगे- सुबह हो गई है, और कुछ सामान भी लाना है, तुम अपनी दीदी को पार्लर ले जाना।

मैंने कहा- ठीक है।

वो चले गए, मैं बाजार गया और वहाँ जीजाजी के भाई भी मिल गए जिनकी शादी थी, वो बोले- इनको जल्दी से ले जाओ और घर छोड़ दो ! फिर मुझे थोड़ी खरीददारी करनी है, मेरे साथ चलो !

मैं दीदी को घर छोड़ कर मार्केट में आ गया फिर हमने वहाँ से एक बीयर की पेटी ली और घर आ गए। हमने फ्रिज में बीयर ठण्डी करने के लिए लगाई और उसे लॉक कर दिया।

तभी माधुरी बहुत ही प्यारे अंदाज में मेरे पास आई और बोली- क्या कर रहे हो?मैंने कहा- कान में बताऊँगा !

वो बोली- मुझे नहीं पूछना ! तुम फिर से चिपक जाओगे।

फिर शाम को घर पर डी जे का प्रोग्राम था। तो सब वहाँ पर तैयारी में लगे थे और मैंने एक बीयर गटकी और घूमने लगा।

मेरे अन्दर का डर बिल्कुल समाप्त हो गया।

फिर सब नाचने में लगे थे तो मैं चुपके से उसके पास गया और कहा- डी जे रात को दो बजे तक चलेगा, तू 11 बजे के करीब अपनी मम्मी से नींद का बहाना करके आ जाना !

वो बोली- अगर मम्मी मेरे साथ गई तो?

मैंने कहा- मम्मी को भी साथ ले आना !

वो बोली- ज्यादा मत बनो !

मैंने फिर से कहा- ठीक 11 बजे ऊपर वाले कमरे में नहीं तो…!

तो मैं 11 बजे से पहले जाकर ऊपर वाले कमरे में उसका इंतजार करने लगा, वो ग्यारह पच्चीस पर आई और आते ही मेरे से लिपट गई ।

मैंने कहा- मैंने तो सोचा था कि इधर ही आग लगी है, पर यहाँ तो इधर से भी ज्यादा लगी है।

वो बोली- ज्यादा बोलोगे तो मैं चली जाऊँगी !

मैंने उसे जोर से भींच दिया वो सिसियाने लगी, वो बोली- धीरे नहीं कर सकते क्या !

मैंने कहा- तुम करो, मैं बैठ जाता हूँ !

वो मेरे होंठों को चूसने में लगी हुई थी। क्या बताऊँ कि क्या होंट थे उसके !

मैंने उसके कमीज में हाथ डालना शुरू किया, वो मेरे कपड़े उतारने लगी, बोली- अब तक कितनियों को चोदा है?

मैंने कहा- बस तुमको ही चोद रहा हूँ !

वो बोली- ऐसा नहीं हो सकता !

मैंने उसके होटों को चूसते हुए उसके सलवार के नाड़े को खोल दिया, उसके पूरे कपड़े उतार दिए। कमरे में नाइट बल्ब जला हुआ था, उसकी चूत बिल्कुल साफ थी, एक भी बाल नहीं था।

मैंने एक उंगली उसकी चूत में डाली तो वो सिसकारने लगी।

मैं जोर से उंगली अन्दर-बाहर करने लगा।

वो बोली- अपना भी तो दिखाओ?

मैंने कहा- खुद ही देख लो !

मेरे लण्ड का बुरा हाल था, वो चिकना हो रहा था, उसने हाथ में लिया और हिलाने लगी।

मैंने कहा- मुँह में ले लो !

वो मना करने लगी।

मैंने कहा- कितनी बार करवा चुकी हो?

वो बोली- महीने में 2-3 बार मेरा बॉयफ़्रेन्ड मुझे चोद ही देता है।

लण्ड मुँह में लेने के लिए मैंने ज्यादा जोर नहीं दिया, मैं तो बस उसकी चूत मारना चाहता था, मुझे लग रहा था कि जल्दी ही इसकी चूत में अपना लण्ड डाल दूँ !

अब वो भी कहने लगी- अब देर मत करो, कोई आ जायेगा, जल्दी काम ख़त्म करो।

मैंने उसको लिटाया और अपना लण्ड उसकी चूत पर रखा और एक जोर का झटका दिया।

वो चिल्ला पड़ी, बोली- धीरे से करो !

और जल्दी ही वो भी झटके लगाने लगी और 10-12 मिनट की चुदाई के बाद मेरा निकलने ही वाला था तो मैंने कहा- कहाँ निकालूँ?

वो बोली- अन्दर ही निकाल दो, कोई बात नहीं !

फिर मेरा निकल गया और वो तब तक दो बार झड़ चुकी थी।

मैं उसके ऊपर ही लेट गया, थोड़ी देर बाद वो कपड़े ठीक करने लगी, उसकी गांड को देखकर मेरा फिर खड़ा होने लगा, मैंने फिर उसे पकड़ा और वो अपने हाथ से मेरे लण्ड को सहलाने लगी, मेरा पूरी तरह से खड़ा हो गया।

मैंने उसे अपने ऊपर लिया और फिर एक बार चुदाई का हमारा दूसरा दौर 30 मिनट तक चला, उसके बाद मैं झड़ गया और वो अपनी चुदी हुई चूत को लेकर चली गई।

और उसके बाद मुझे बड़ी ही अच्छी नींद आ गई और सुबह बहुत देर से जगा।

तो कहानी कैसी लगी, यह बताने के लिए मुझे जरूर लिखें।

What did you think of this story??

Click the links to read more stories from the category कोई मिल गया or similar stories about

You may also like these sex stories

Comments

Scroll To Top