महिला अधिकारी और उसकी शादीशुदा सहेली-1

(Mahila Adhikari Aur Uski Shadishuda Saheli Ki Choot Chudai- Part 1)

लव 2011-01-22 Comments

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कहानी शुरू करने से पहले मैं आपको अपना परिचय दे दूँ। मैं एक 28 साल का कुवांरा बंदा हूँ, नाम लव है। पेशे से मैं सरकारी नौकरी में मैनेजर के पद पर कार्य कर रहा हूँ। दिखने में, ऐसा कहते हैं कि, मैं आज भी 20 साल के कॉलेज गोइंग स्टुडेंट की तरह नजर आता हूँ।मेरी हाईट 6 फ़ुट है, एक दिन जिज्ञासावश मैंने अपना लंड नापा तो वो 18 सेमी का था।

मुझे निरीक्षण के सिलसिले में एक तालुका में जाना पड़ा। वहाँ उस अवसर पर बहुत से बड़े अधिकारियों का आगमन हुआ।

जब हमें समझाने के लिए वहाँ की अधीक्षक आई तो मैं देख कर दंग रह गया, उसकी उम्र करीब 40 साल की रही होगी, उसने मस्त सा टॉप तथा स्किन टच सलेक्स पहने हुए थे। मैं उसके सलेक्स को देखते ही उसकी जांघों में खो गया।

भाई एक बात तो है, अगर जांघें मस्त हों तो आप उसमें छुपी हुई चूत का अंदाज़ लगा सकते हैं कि वो कितनी जबरदस्त होगी।

बात करने पर पता चला कि वो शादीशुदा नहीं थी। हम मीटिंग्स ख़त्म करने के बाद लंच के लिए साथ बैठे तो वो बोली कि वो मेरे विचारो से बहुत प्रभावित हुई है और मुझसे कभी अकेले में समय लेकर तालुका स्तर पर सुविधाएँ बढ़ाने के लिए विस्तृत चर्चा करना चाहेगी।

थोड़े समय बाद ही वो मेरे कमरे में दो और महिलाओं के साथ आई और मेरा परिचय करवाया। वो दोनों महिलायें भी उस तालुका में ही अधिकारी थी। उनमें से एक को देखते ही लंड महाराज ने अपनी निद्रा तोड़ ली। उसकी जांघें पहली वाली से भी क़यामत थी, उम्र भी करीब 35-40 के बीच होगी।

मेरा मानना है कि सेक्स का असली मजा इन उम्र वाली महिलाओं के साथ ही आता है क्योंकि इनका अनुभव और मांसल बदन सेक्स का मजा दोगुना कर देता है या यूँ कहें कि आग में पेट्रोल का काम करता है। इन मैडम की एक ख़ास बात और थी वो यह कि यह करीब 5 फ़ुट की हाईट की थी, वहीं पहले वाली मैडम की हाईट लगभग साढ़े पाँच फ़ुट के करीब होगी। छोटी हाईट की महिलाओं के साथ जब आप सेक्स करते हैं तो जो उनके दोनों पैर आपके कमर पर लिपटने के बाद जो उनके पैरों से धक्के लगते हैं उसका मजा इतना होता है कि आप सोचेंगे की उम्र बस इस चूत में ही गुजर जाये।

खैर मैंने उन्हें अपना फ़ोन नंबर दिया और वापस आ गया।

दो दिन बाद ही अधीक्षक मैडम का फ़ोन आया, बोली कि उन्हें कुछ तकनीकी मुद्दों पर चर्चा करनी है और पार्टी भी देनी है तो मुझे रविवार को बुला लिया।

मैं वहाँ पहुँचा तो देखा ऑफिस तो बंद है और मोबाइल भी बंद है। थोड़ी देर इंतज़ार करने के बाद मुझे मैडम की वही मस्त वाली दोस्त नजर आई। मैं सोच में पड़ गया और सच बोलूँ तो मुझे अंदाज़ा भी नहीं था कि जिसके साथ सेक्स करने को सोच कर मैं कितनी बार हस्त मैथुन कर चुका हूँ वो खुद इस मंसूबे से ही मेरे पास होगी।

मैंने उन्हें नमस्ते की और बोला- मैडम, आपकी सखी ने मुझे मार्गदर्शन के लिए बुलाया है।

तो वो बोली- आज सन्डे है और मैडम आज अपने फ्लैट पर ही हैं और तुम्हें लेने मुझे भेजा है।

मैंने उनका नाम पूछा तो उन्होंने हेतल बताया (काल्पनिक नाम)। रास्ते में वो मुझे अपने बारे में बताती रही और मैं अपने बारे में उन्हें बताता रहा।

बातों ही बातों में पता चला कि उनके पति को इरेक्टाइल डिसफंक्शन नामक बीमारी है। मैं इस बीमारी के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जनता था मगर यह जानता था कि यह मर्दों की बीमारी है। फिर मैंने मैडम के बारे में पूछा तो हेतल ने बताया कि मैडम का नाम अनुभूति देसाई है।

मैंने पूछा- अनुभूति जी के पति क्या करते हैं?
तो वो बोली- उनकी शादी नहीं हुई।

कारण पूछने पर पता चला कि उनके कुंडली में दोष होने के कारण उन्हें शुरुआत मैं कोई लड़का नहीं मिला फिर 35 साल निकल जाने के बाद उन्होंने शादी नहीं करने का फैसला किया। मैं सोच में पड़ गया तो मेरा ध्यान तोड़ते हुई हेतल बोली- तुम्हारी शादी नहीं हुई क्या?

मैंने कहा- मुझे अब तक कोई मिली नहीं और मैं जीवन को अपने तरीके से जीना चाहता हूँ।
वो बोली- मतलब?

मैंने खुले विचारों को दर्शाते हुए कहा- मैं जिन्दगी को एक यात्रा समझता हूँ और यात्रा का मतलब है चलते जाना न कि किसी को साथ में रख लेना। इसलिए मैं हर जगह को एन्जॉय करना चाहता हूँ और हर किसी से वही रिलेशन बनाना चाहता हूँ जो वो मुझसे बनाना चाहती हो।
हेतल अचानक बोली- तो तुम मेरी हेल्प करोगे?
मैंने कहा- जी जरूर! इतनी दूर तुम्हारी हेल्प करने ही तो आया हूँ!
वो बोली- ऐसा नहीं है, मैंने तुम्हें अपने पति की बीमारी के बारे में बताया, तुम मेरी मदद करोगे या नहीं?

मैं तब तक कुछ नहीं समझा था और बोल दिया- मैं आपसे वादा करता हूँ कि जो कुछ मैं कर सकता हूँ आपके लिए जरूर करूँगा।

वो बोली- तो ठीक है, अनुभूति से बाद में मिल लेंगे, अभी मेरे फ्लैट पर चलते हैं, आप फ्रेश हो जाना, फिर अगर चाहेंगे तो अनु को यहीं मेरे फ्लैट पर बुला लेंगे, सन्डे को मेरे पति एक आश्रम में जाते हैं और वहाँ से देर रात तक आते हैं तो डिस्कशन भी हो जायेगा, अनुभूति को मैं कॉल भी कर दूँगी।
मैंने कहा- ठीक है।

उनके फ्लैट पर पहुँचने के बाद वो मुझे कमरे में छोड़ कर दूसरे कमरे में चली गई। मैं समझ नहीं पा रहा था, फिर बाथरूम जाकर फ्रेश होकर बेडरूम में टीवी देखने लग गया। तभी मुझे दूसरे कमरे से आवाज आई- आप यहीं आ जाइए, उस कमरे में एयर कंडिशनर नहीं है।

मैं दूसरे कमरे में गया तो वो गुलाबी साड़ी में बैठी थी, मैंने कहा- आपने कपड़े चेंज कर लिए?
तो बोली- हाँ!
और जाकर कमरे का दरवाज़ा लोक कर दिया।

मैंने कहा- क्या हुआ?
तो बोली- एयर कंडिशनर चालू है ना, इसलिए।
मैंने पूछा- अनुभूति को कॉल किया?

तो वो बोली- अनुभूति के पापा बाहर जा रहे हैं, वो उन्हें सी ऑफ करने गई है, इसलिए मैं आपको लेने आई थी और वो 3-4 घंटे बाद ही आ पाएंगी। आपको बुरा न लगे इसलिए मैं आपको यहाँ ले आई, आप यहाँ आराम कर लीजिये।

ऐसा बोल कर वो सोफे पर लेट गई और मैं बेड पर।

हम बातें करने लगे तो बातों ही बातों में हेतल ने कहा- इरेक्टाइल डिसफंक्शन का मतलब होता है कि उनका प्राइवेट अंग उत्तेजना के समय खड़ा नहीं हो पाता है।

मैं बोला- इसमें मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूँ?
तो वो बोली- आपको क्या लगता है? मैं कितने दिनों से परेशान हूँ।
मैं बोला- बताओ कब से?
वो बोली- पिछले दो सालो से मैंने उनके साथ कुछ नहीं किया है।

ऐसा बोल कर वो रुआंसी सी होकर जाने लगी तो मैं बोला- हेतल, मुझे समझ नहीं आ रहा है कि मैं तुम्हारी मदद कैसे करूँ?
इतने में वो मेरे बेड के पास आकर बोली- क्या आप मेरे साथ…?
मैं अधूरे में ही समझ गया और बोला- मुझे कोई दिक्कत नहीं है, मगर क्या यह सच में मदद है?
तो वो मेरे सीने पर अपना सर रख कर बोली- चुप हो जाओ, बस मुझे संतुष्ट कर दो।

मैं आगे बढ़ता, इससे पहले उसने मेरी पेंट की जिप खोल कर मेरा लंड निकाल लिया।
मैं अपना आपा खो चुका था और तुरंत ही उसका ब्लाऊज खोल दिया, उसने ब्रा नहीं पहनी थी।
वो मेरा लंड मुँह में लेकर चूसती गई और मुझे लगने लगा कि मैं वाकई जन्नत में हूँ।

मैं आपको बता दूँ कि जब मैंने पहले बार उसको मीटिंग में देखा था तब हेतल की जांघें देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया था और अब वो मेरा लण्ड चूस रही थी।
मैंने तुरंत उससे कहा- साड़ी उतारो!
तो उसने साड़ी अलग कर दी, फिर मैंने उसका पेटेकोट का नाड़ा भी खोल दिया और अपना एक हाथ धीरे-धीरे उसके पेट से फिराते हुए उसके पेटीकोट के अंदर डाल दिया और उसकी जांघों को सहलाने लगा, फिर उसका पेटीकोट उतार दिया, पेंटी भी उसने नहीं पहनी थी।

उसका पेटीकोट खोलते ही मुझे जन्नत के दर्शन हो गए, उसकी चूत पर कोई बाल नहीं था, गोरी गोरी जांघों के बीच कॉफ़ी कलर की चूत देखते ही लगा मानो सारी तमन्नाएँ पूरी हो गई हों और मन ही मन मैं लंड से बोला- बेटा आज तो तू गया।

मैंने हेतल से कहा- एक मिनट रुको।और अपने आपको पूरा नंगा करके उसे पलंग पर लिटा दिया और सीधा अपना मुँह उसकी चूत पर रख दिया। जैसे जैसे मेरी जीभ उसकी चूत के छल्लों को चाटते हुए चूत के अन्दर गुलाबी वाले हिस्से में गई, हेतल के मुँह से सिसकारियों का सैलाब आ गया- उह्ह आह आःह्ह ऊई उई ईई हुम्म्म अह्ह्ह्ह बस बस प्लीज़ ओह ह ह्ह्ह्हह! डाल दो न प्लीज़ लव! मर जाऊँगी ईई ईई म्म्म्मआःह्ह्ह ह्हआः ह्हआःह्ह जल्दी करो।

मगर मैं तो उसकी चूत से निकलने वाले रस को पीने में मस्त था, उसकी चूत से इतना रस निकला कि पूरा गद्दा चूत के नीचे से भीग गया था।

यह आलम तो तब था जब मैं उसका पानी चाट चाट के पी रहा था।

फ़िर मैंने अपना लंड जो उसकी लार से गीला था, उसकी चूत पर रगड़ा और हल्का सा सेट सा किया कि गपप्पप की आवाज़ के साथ पूरा अन्दर घुस गया।

कमाल की बात यह है कि अब तक मैंने उसके होठों को छुआ भी नहीं था और अब होंठों को चूसने का काम शुरू हुआ भी तो लंड के चूत-ए-जन्नत में जाने के बाद!

थोड़ी देर तक मैं लंड अन्दर डाल कर उसकी चूत की गर्मी का एहसास करता रहा और उसे मेरे लंड का एहसास करवाता रहा। लंड को अन्दर रखते हुए मैं उसके चुचूकों के चारों तरफ ऊँगलियाँ गोल गोल घुमाता रहा और वो पागलों की तरह मस्त होकर बोलने लगी- अब और मत तड़पाओ, फाड़ दो इसे! इस लायक भी मत छोड़ो कि तुम्हारे सिवा किसी का लंड ले पाए! चोद चोद के सूजा दो इसे।

दोस्तो, सच कह रहा हूँ कि चुदाई का मजा जो सूकून से करने में है वो दुनिया की कोई चीज़ में नहीं।मैं धीरे धीरे लंड बाहर निकलता फिर चूत पर रगड़ता हुआ अन्दर तक पेल देता।

कोई कहता है कि बड़े लंड से औरत की फट जाती है! यारों जब मजे का दर्द हो तो मजा और ही होता है यहाँ तो मेरा मजा दोगुना हो गया जब वो बोलने लगी कि तुम्हारा वाकई बहुत बड़ा है और उस वक़्त लगता है कि लंड कितना ही बड़ा क्यों न हो मजा सिर्फ सुकून से चुदाई में है।

फिर जब मुझे लगा कि मेरा निकलने वाला है तो मैंने लंड बाहर निकाल लिया और धीरे से चूत पर लंड टिकाते हुए बोला- अन्दर निकालूँ या बाहर?

वो बोली- आज तो इस पानी का मजा चूत को भी जी भर के लेने दो, मैं पिल खा लूँगी।

सुनते ही मैंने उसकी कमर के नीचे दो तकिये लगाये और झटके से लंड चूत में पेल कर धक्के लगाने लगा। उसकी नाभि के पास बार बार बल पड़ रहे थे और साथ ही वो आगे की तरफ धक्के मार कर यह बताना चाह रही थी कि बस एक इंच भी बाहर मत रखो, पूरा अन्दर डाल दो।

खैर तेज़ झटकों के साथ मैंने पूरे का पूरा पानी उसकी चूत में डाल दिया, फिर उसके ऊपर यूँ ही पसर गया।

मैंने पूछा- तुम संतुष्ट हो ना?
तो वो बोली- मैं दो बार फ्री हुई हूँ।

मैंने उसे बोला- तुम बाथरूम जाकर साफ कर आओ, फिर से एक राऊँड लगायेंगे।

सच बोलूँ तो सबसे लम्बा राऊँड दूसरा राऊँड ही होता है लेकिन अगर सुकून से करो तो पहला राऊँड भी काफी लम्बा हो जाता है, हम अक्सर जल्दबाज़ी के चक्कर में मजा खो देते हैं और अगर सुकून से करो तो फटी हुई चूत भी आपको जन्नत का मजा दे सकती है।
फिर वो बाथरूम जाकर वापस आई तो बोली- थोड़ी देर आराम करते हैं, फिर अनुभूति के आने से पहले एक राऊँड और लगा देना प्लीज़। कहानी जारी रहेगी।
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