कमाल की हसीना हूँ मैं-44

शहनाज़ खान 2013-06-05 Comments

This story is part of a series:

घंटे भर बाद ही एक सेमीनार था जो ससुर जी ने मुझे अटेंड करने को कहा था। मेरा मूड तो नहीं था पर सेमीनार में जाना भी जरूरी था। मैं एक बार फिर से नहाई और ट्राऊज़र और शर्ट और हाई हील के सैंडल की दूसरी जोड़ी पहन कर सेमिनार में पहुँच गई।

मेरे कदमों में अभी भी लड़खड़ाहट सी थी क्योंकि मेरा नशा उतरा नहीं था। सेमिनार करीब दो घंटे चला। मेरा ध्यान सेमिनार में ज्यादा था नहीं। खुशकिस्मती से वहाँ स्नैक्स का इंतज़ाम था। पहले तो मैंने पेट भर कर स्नैक्स खाये क्योंकि रात से तो सिर्फ शराब और उन हब्शियों का वीर्य और पेशाब के अलावा कुछ भी पेट में गया नहीं था। ड्रिंक्स का भी इंतज़ाम था पर मैं अपने ऊपर काबू रखा और सिर्फ मिनरल वाटर ही पिया।

सेमिनार के दौरान ससुर जी के लिये थोड़े बहुत नोट्स लिये। ज्यादा वक्त तो मैं ऊँघ ही रही थी और पिछली रात की चुदाई बारे में ही सोच रही थी।

सेमिनार के दौरान मुझे साशा कहीं नहीं दिखी तो मैंने अपने कमरे में जाकर आराम करने का फैसला किया। लेकिन लौटते हुए सेमिनार हॉल के बाहर ही मुझे साशा मिल गई।

वो ज़ोर देकर मुझे अपने कमरे में ले गई। शेंपेन की चुस्कियाँ लेते हुए और स्मोक करते हुए हम गपशप करने लगे। साशा तो चेन स्मोकर थी और जब उसने मुझे सिगरेट पेश की तो मैंने भी मना नहीं किया। मैंने उसे पिछली रात की ऐय्याशियों के बारे में तफसील से बताया।

“यू आर अ लक्की बिच !” वो मेरी चुदाई की दास्तान सुन कर बोली। (तुम भाग्यशाली कुतिया हो !)

मेरी दास्तान सुनते-सुनाते पता ही नहीं चला कि कब हम दोनों बहक कर एक दूसरे को चूमने सहलाने लगीं और फिर करीब एक घंटे तक हम दोनों लेस्बियन चुदाई का मज़ा उठाया।

पूरी रात बेरहमी से चुदने के बाद साशा के साथ नज़ाकत भरी लेस्बियन चुदाई में मज़ा आ गया। नरम मुलायम जिस्मों का आपस में रगड़ना और बहुत ही प्यार भरे और जोशीले चुम्मों की मस्ती तो सिर्फ दूसरी औरत के साथ लेस्बियन चुदाई में ही मुमकिन है। हम दोनों ने कई बार एक दूसरी की चूत का पानी छुड़ाया। काफी देर तक हम दोनों एक दूसरे से लिपट कर लेटी रहीं।

शाम को सात बजे के आसपास हम दोनों ने उसी होटल में नीचे रेस्टोरेंट में डिनर किया। उसके बाद साशा ने पैरिस घूमने की पेशकश की।
मैंने उसे बताया कि मैं पैरिस का टूर कर चुकी हूँ तो वो हंसने लगी- ओह नो डार्लिंग ! ऑय डिड नॉट मीन साइट-सींग ! लेट अस गो एंड सी नाइट-लाइफ ऑफ पैरिस ! सैक्स डिस्ट्रिक्ट… हैव सम अडल्ट फन !” (अरे नहीं यार ! घूमने से मेरा मतलब पैरिस की रात की जिन्दगी का लुत्फ़ से है, सैक्स एरिया ! कुछ जवानी दीवानी वाले मजे करने चलते हैं।)

हम दोनों अपने-अपने कमरे में जा कर सैक्सी कपड़े और सैंडल पहन कर तैयार हुईं और अय्याशी करने निकल पड़ीं। हम मेट्रो में बैठ कर पिगाल डिस्ट्रिक्ट पहुँचे जहाँ हर तरफ बस सैक्स बुटीक और स्ट्रिप क्लब वगैरह थे। सबसे पहले हमने वहाँ का इरोटिक म्यूज़ीयम देखा।

इस सात मंज़िला इमारत की हर मंज़िल पर चुदाई से ताल्लुक तरह-तरह के स्कल्प्चर, तस्वीरें वगैरह थीं। पहली दो मंज़िलों पर तो बड़े-बड़े लौड़ों के बुत्त देख कर मेरा मन मचल उठा। साशा अपने डिजिटल कैमरा साथ लाई थी। हमने लौड़ों के बड़े-बड़े स्कल्प्चरों से चिपक-चिपक कर कईं फोटो खींची। उसके बाद हम एक बहुत ही बड़े सैक्स बुटिक में गये जहाँ हर तरह की अश्लील किताबें, हर किस्म की ब्लू-फिल्मों की डी-वी-डी और तरह-तरह के सैक्स टॉयज़ बिक्री के लिये सजे हुए थे। जावेद और मैं अक्सर ब्लू-फिल्मों का मज़ा लिया करते थे। इसलिये मैंने अलग-अलग कैटगरी की ब्लू-फिल्मों कुछ डी-वी-डी खरीद लीं।

साशा के जोर देने पर मैंने एक डिल्डो भी खरीद लिया। रबड़ का नौ इंच लंबा काला डिल्डो बिल्कुल असली लंड की तरह हकीकी (असली) लग रहा था। उसका हर हिस्सा जैसे कि नसें, मोटा फूला हुआ सुपाड़ा, गोटियों की झुर्रीदार थैली, सब बहुत ही तफसील से तराशा हुआ था। वो काला डिल्डो मुझे ओरिजी और माइक के लौड़ों की याद दिला रहा था, इसलिये उनके साथ बिताई मस्ती भरी रात की यादगार समझ कर मैंने वो खरीद लिया।

उसके बाद हम एक स्ट्रिप क्लब में गये जो खासतौर पर लेडीज़ के लिये था। हमने अपने लिये ड्रिंक ऑर्डर किया। स्टेज के अलावा पूरे हॉल में बहुत ही हल्की रोशनी थी। स्टेज पर कई आदमी सैक्सी धुन पर नाचते हुए धीरे-धीरे अपने कपड़े उतार रहे थे। नशे और मस्ती में चूर औरतें हूटिंग कर रही थीं। ड्रिंक सर्व करने वाले वेटर भी करीब-करीब नंगे ही थे।

जब एक वेटर हमारे ड्रिंक्स लेकर आया तो उसने बहुत ही छोटी सी फ्रेंच कट अंडरवीयर पहन रखी थी जिसमें उसका मोटा लौड़ा बहुत ही मुश्किल से कैद था। उसने हमारी टेबल पर ड्रिंक रखे तो साशा ने वेटर का अंडरवीयर नीचे खिसका कर उसका लौड़ा अपने हाथों में भर लिया और झुक कर उसके सुपाड़े पर अपने लाल-लाल होंठ रख दिये। कुछ सेकेन्ड उसका सुपाड़ा चूसने के बाद उसने मुझे भी वैसा ही करने का इशारा किया।

मैं भी आगे झुक कर उसके लौड़े का सुपाड़ा अपने मुँह में ले कर चूसने लगी। अचानक उसने अपना लौड़ा बाहर खींच लिया तो मुझे बहुत गुस्सा आया। साशा ने इतने में एक-एक यूरो के दो नोट उसके अंडरवीयर में खिसका दिये।

स्टेज पर नंगे हट्टे-कट्टे आदमियों को थिरकते हुए अश्लील हरकतें करते देख मेरी चूत गीली हो चुकी थी। पूरे हॉल में औरतों की आँहें, हुल्लड़ और अश्लील फिकरे गूँज रही थे।

माहौल इतना सैक्सी था कि मेरा मन भी करने लगा कि अभी स्टेज पर चढ़ कर चुदवाने लगूँ। मैंने साशा से अपनी हालत बयान की तो उसकी हालत भी मेरे जैसी ही थी। हम दोनों तीन-तीन पैग पी चुकी थीं। वो बोली कि ड्रिंक खत्म करके थोड़ी देर में वहाँ से निकलते हैं। फिर वो मुझे ऐसी जगह ले जायेगी जहाँ हम दोनों जी भर कर लौड़े चूसने के साथ-साथ अपनी चूत की प्यास बुझा सकेंगी।

मैंने देखा कि वो आहें भरते हुए अपनी पैंटी नीचे खिसका कर अपने हाथों से अपनी चूत रगड़ रही है तो मुझसे भी रहा नहीं गया और मैं भी अपनी चूत रगड़ने लगी। इस तरह बस कुछ देर के लिये ही थोड़ी सी कामचलाऊ राहत मिली।

एक दूसरे की कमर में हाथ डाले ऊँची हील के सेंडलों में लड़खड़ाती हुई रात के करीब ग्यारह बजे जब हम दोनों उस स्ट्रिप क्लब से निकलीं तो काफी नशे में थीं और हमारी पैंटियाँ नदारद थीं। मैंने उसकी गर्दन चूमते हुए पूछा कि अब वो मुझे कहाँ ले जायेगी तो बोली, “हैव यू एवर हर्ड ऑफ ग्लोरी होल?” (तुमने कभी ग्लोरी होल के बारे में सुना है?)

“नो! बट ऑय एम नॉट इंट्रस्टिड इफ इट इज़ द नेम ऑफ सम बार ओर क्लब? ऑय ओनली वांट सम बिग कॉक टू फक मी!” लड़खड़ाती आवाज़ में मैं अपनी नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए बोली तो वो जोर-जोर से हंसने लगी। (नहीं ! पर अगर यह किसी क्लब या बार का नाम है तो मैं नहीं चलने वाली ! मुझे तो अब बस अपनी फ़ुद्दी में बड़ा सा लौड़ा चाहिये चुदने के लिये !)

“कम विद मी! यू कैन हैव मोर दैन वन कॉक इफ यू वांट!” (तो चलो मेरे साथ ! तुम्हें जितने चाहिये, उतने लण्ड मिल जायेंगे !)

चलते-चलते उसने मुझे बताया कि ‘ग्लोरी-होल’ आमतौर पर पब्लिक टॉयलेट के स्टालों के बीच की दीवारों में पाये जाने वाले छेद होते हैं। अगर बगल-बगल के दो स्टालों में मौजूद शख्स आपसी रज़ामंदी से इन छेदों के ज़रिये एक दूसरे का चेहरा देखे बगैर चुदाई-हरकतों में शरीक हो सकते हैं।

पब्लिक टॉयलेट के अलावा ग्लोरी-होल अक्सर एडल्ट वीडियो देखने के प्राइवेट बूथों की दिवारों में भी पाये जाते हैं। वैसे तो ग्लोरी-होल्स का इस्तेमाल ज्यादातर गे-मर्द अपनी पहचान गुप्त रखते हुए एक दूसरे का लौड़ा चूसने या एक दूसरे की मुठ मारने के लिये करते हैं, लेकिन औरतें भी अक्सर इन ग्लोरी छेदों के ज़रिये अपनी पहचान छिपा कर किसी अंजान शख्स का लौड़ा चूसने-सहलाने के लिये करती हैं।

अगर लौड़े का साइज़ बड़ा हो तो इन छेदों के ज़रिये चुदाई भी हो सकती है। साशा ने बताया कि इस तरह के ग्लोरी-होल अक्सर गंदे होते हैं और जरूरी नहीं कि ग्लोरी-होल के दूसरी तरफ कोई मर्द हर वक्त मौजूद ही हो या फिर उस मर्द की काबिलियत की भी कोई गारंटी नहीं होती।

इसलिये वो मुझे एक महंगे ‘अप-स्केल’ जगह पर ले जा रही थी जहाँ हम एक शानदार केबिन किराये पर ले सकेंगी और दीवार के दूसरी तरफ कोई ऐरा-गैरा नहीं होगा बल्कि हमारी पसंद का कोई प्रोफेशनल जिगोलो होगा।

थोड़ा दूर चलने के बाद हम एक सैक्स शॉप के बाहर रुकीं। खिड़की में कईं तरह के अश्लील पोस्टर लगे थे और “बेस्ट ग्लोरी होल प्राइवेट केबिन!” “सैटिसफैक्शन गारेंटिड” जैसे कई निआन-साइन लग थे। हम अंदर गये तो रिसेप्शन पर एक औरत मौजूद थी जिसने जरूरत से ज्यादा मेक-अप कर रखा था।

साशा ने उससे “प्राइवेट डीलक्स केबिन विद टू होल्स” का रेट पूछा तो उस औरत ने टूटी-फूटी इंगलिश में कहा कि “मनी डिपेंड ऑन व्हॉट टाइप सर्विस यू वाँट!” (जैसी सेवा चाहिये, वैसा खर्चा होगा।)

“वी वांट टू हायर अनलिमिटेड फोर वन आउर विद द बिगेस्ट एंड थिकेस्ट यू हैव! ( हमें एक घण्टे के लिये सबसे बड़े और मोटे चाहियें !)

“दैट विल बी एइट हंड्रड यूरो फोर डीलक्स केबिन फोर वन आउर एंड थ्री हंड्रड फोर एवरी एडिशनल थरटी मिनट्स!” वो औरत मुस्कुराते हुए बोली, “ड्रिंक्स एंड वीडियो ऑफ योर चॉइस इज़ फ्री विद दिस पैकेज!” (800 यूरो एक घण्टे के, उसके बाद हर आधे घण्टे के 300 यूरो ! मन्पसन्द शराब वगैरा मुफ़्त है इसके साथ)

फिर फोटो एल्बम खोल कर हमें दिखाते हुए बोली, “दीज़ एइट स्टड्स आर द बेस्ट वी हैव !” एलबम के उस पेज पर आठ आदमियों के छाती से घुटनों तक की नंगी तस्वीरें थीं। हर तस्वीर के नीचे लौड़े के साइज़, रंग, उम्र वगैरह की डीटेल थी। (ये आठ बांके जवान हैं मेरे पास !)

मैंने देखा कि वो आठों लौड़े नौ से बारह इंच लंबे और अच्छे खासे मोटे थे। हमने जो पैकेज चुना था उसके मुताबिक वो आठ लौड़े बदल-बदल कर हमारे लिये हाज़िर रहेंगे ताकि एक घंटे तक एक वक्त में बिना रुकावट उनमें से कोई भी दो लौड़े हमारी खिदमत में मौजूद हों।

कहानी जारी रहेगी।

What did you think of this story??

Click the links to read more stories from the category कोई मिल गया or similar stories about

You may also like these sex stories

Comments

Scroll To Top