कमाल की हसीना हूँ मैं-40

शहनाज़ खान 2013-06-01 Comments

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मैं मानती हूँ कि कुछ देर पहले मैं इन हब्शियों के भुसण्ड लौड़ों से चुदने के लिये मरी जा रही थी लेकिन इतने बड़े लौड़े से गाण्ड मरवाने का तो मैं सपने में भी नहीं सोच सकती थी। ये दोनों मरदूद तो एक साथ मेरी चूत और गाँड मारने की सोच रहे थे।

“डोंट वरी बेब ! यू विल लव इट एंड थैंक अस फोर वंडरफुल एक्सपीरिएन्स!” माइक हंसते हुए बोला और मेरे चूतड़ों पर अपने भुसण्ड लौड़े का सुपाड़ा फिराने लगा। (डरो मत बेबी, बहुत मज़ा आएगा तुम्हें !)

“नो! नो! आँआँहहह!! नहींऽऽऽऽ! प्लीज़ऽऽऽऽ! ऊँऊँममऽऽ! यू विल स्प्लिट मी! चिथड़े हो जायेंगे मेरे! ऊऊऊईईईई!! यू आर टू बिग!” मैं गिड़गिड़ाते हुए रोने लगी लेकिन साथ-साथ मेरे मुँह से सिसकारियाँ भी नकल रही थी।

“कम ऑन मैन! दिस स्लट कैन टेक ऑल द कॉक वी कैन गिव हर! शी इज़ फकिंग मॉय कॉक इन हर कंट लाइक अ बिच इन हीट!” ओरिजी ने माइक को फिर उकसाया। ( अरे कर ना ! यह चुदक्कड़ जितने चाहे लौड़े खा सकती है। यह अपनी फ़ुद्दी में मेरे लण्ड को भींच रही है।)

ओरिजी गलत नहीं कह रहा था। वाकयी में मैं तो अपने चूतड़ हिला-हिला कर ओरिजी के लौड़े का मज़ा ले रही थी। ओरिजी अपने चूतड़ उछाल-उछाल कर मेरी चूत में अपना लौड़ा नीचे से ठोक ही रहा था और उसने कस कर मेरी कमर भी पकड़ी हुई थी। इस वजह से मैं उठ भी नहीं सकती थी और सच कहूँ तो शायद मैंने उठने की कोशिश भी नहीं की क्योंकि मेरी बे-गैरत चूत तो उस हब्शी लौड़े की चुदाई का जम कर मज़ा ले रही थी और कईं बार झड़ चुकी थी।

मेरा खौफ, मेरा गिड़गिड़ाना तो शायद ऊपरी ही था क्योंकि माइक को रोकने के लिये जिस्मानी तौर पर मैं कोई खास कोशिश नहीं कर रही थी। अपने साथ ज़िल्लत भरा रंडियों जैसा सलूक और बे-रहम दर्द भरी चुदाई में मुझे इस कदर मज़ा आ रहा था कि मैं उन जानवरों जैसे लौड़ों की हवस में कुछ भी सहने और कोई भी कीमत चुकाने को तैयार थी।

नशे की बदहवासी और उन लौड़ों से चुदने की हवस में कुछ सोचने-समझने की ताकत बाकी नहीं रह गई थी। बस किसी राँड कुत्तिया की तरह मैं अपनी गंदी चुदासी हवस पर अमल कर रही थी।

ओरिजी ने मेरी कमर में अपनी बाँहें डाल कर कस के पकड़ ली और नीचे से अपने चूतड़ उचका कर मेरी ठसाठस भरी चूत में अपना लौड़ा मेरी आँतड़ियों तक ठोक दिया।

पीछे से माइक ने भी मुझे बड़ी बेरहमी से जकड़ रखा था और मैं पूरी तरह उन दोनों गिरफ्त में थी। अगले ही पल मुझे अपनी गाँड के छेद पर उसके लंड के मोटे सुपाड़े का प्रेशर महसूस हुआ।

मेरी गाँड का छेद माइक के लौड़े के लिये बिल्कुल मुनासिब नहीं था और माइक को अपना लौड़ा मेरी सूखी गाँड में घुसाने में दिक्कत हो रही थी। लेकिन उसने हार नहीं मानी और पूरी ताकत से उसने अपने लंड का सुपाड़ा मेरे छोटे से छेद पर दबाना ज़ारी रखा और आखिर में उसे कामयाबी मिल ही गई। उसका सुपाड़ा मेरी सूखी गाँड में अंदर घुसना शुरू हुआ तो दर्द से मेरी जान निकल गई।

मैं छटपटाते हुए चिल्लाने लगी। “आआआँआँऊँऊँऽऽऽ हाऽऽयय खुदाऽऽ केऽऽऽ लिये ! प्लीज़ऽऽऽ स्टॉऽऽपऽऽ… नहींऽऽऽ।”

मेरी चीख कमरे में गूँज उठी, मुझे लगा जैसे उसके लौड़े ने मुझे दो हिस्सों में चीर दिया हो। दर्द की इंतहाई ने मेरे होश उड़ा दिये और मैं दर्द भरी सुबकियों के साथ घुटी-घुटी सी साँसें लेने लगी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

“स्टॉप इट… रुक जाओ… प्लीज़… यू आर किलिंग मी… नोऽऽऽ…मर जाऊंगी मैं !” मैं भर्राई आवाज़ में मिन्नतें करने लगी लेकिन मेरी सुबकियों और दर्द भरी कराहों में मेरी आवाज़ शायद ही सुनाई दे रही थी।

मेरी आँखों से आँसू बह रहे थे लेकिन उन दोनों को मेरी हालत पर ज़रा भी तरस नहीं आ रहा था। मैं तो बेहाल होकर नीचे ओरिजी के सीने पर ढेर हो गई। ओरिजी ने नीचे से धक्के मारने बंद कर दिये थे पर उसका घोड़े जैसा एक फुट लंबा खतरनाक लौड़ा पूरा का पूरा मेरी चूत में गड़ा हुआ था। अब मेरे मम्मे ओरिजी के जिस्म पर दबे हुए थे और शायद मेरी छटपटाहट कंट्रोल करने के लिये उसने अपनी बाँहें मेरी कमर के पीछे कस दीं और माइक को पूरा लौड़ा मेरी बेचारी गाँड में ठेलने के लिये उकसाने लगा।

माइक ने कुछ पल तो अपना गेंद जैसा सुपाड़ा मेरी गाँड में जमाये रखा और फिर धक्का देते हुए जोर लगाकर अपना खंबे जैसा फौलादी लौड़ा मेरी कसी हुई संकरी गाँड में घुसेड़ना शुरू किया।

उसने पूरी बेरहमी से जोर लगाकर मेरी गाँड की नाज़ुक दीवारों को घिसकर झुलसाते हुए अपना वहशी लौड़ा जड़ तक मेरी गाँड की दर्द से बिलबिलाती गहराइयों में गाड़ ही दिया।

उन वहशी दरिंदों के बीच में सैंडविच की तरह दबी हुई मैं कराहने और चिल्लाने के अलावा कुछ नहीं कर सकती थी।

“ऊँऊँऊँऽऽऽआआ…आँईईईऽऽऽऽ !… बहन के लौड़ों… मार डाला साले… मेरी गाँड फाड़ डाली… हायऽऽऽ मेरे मालिक… आँ…आँईईईई !” अपने नाखून ओरिजी के कंधों के पास कार्पेट में गड़ा कर खरोंचते हुए मैं जोर-जोर से चिल्लाने चीखने लगी और मेरे मुँह से अनाप-शनाप गालियाँ निकलने लगीं!

इससे पहले इस तरह के गंदे अल्फाज़ और गालियाँ मैंने सिर्फ सुनी पढ़ीं ही थीं। वो तो खुशकिस्मती से मैंने इतनी दारू पी रखी थी और उन दोनों हब्शियों ने मुझे नशीली गोलियाँ भी खिल दीं थीं। नशे में चूर होने की वजह से ही मैं किसी तरह ये दर्द झेल पा रही थी नहीं तो यकीनन दम तोड़ चुकी होती।

“होली शिट! ऑय कैंट बिलीव दिस ! दिस स्लट टुक मॉय फुल कॉक इन हर ऐस! शी इज़ सो टाईट… हर ऐस फील्स सो… सो फकिंग गुड! नेवर वाज़ एबल टू फक एन ऐस बिफोर… नो गर्ल कुड एवर टेक इट!” माइक हाँफते हुए बड़बड़ाया। ( ओ बहनचो, यकीन नहीं हो रहा…यह राण्ड मेरा पूर लण्ड अपनी गाण्ड में गड़प गई… बहुत कसी है ! बहुत मज़ा दे रही है इसकी गान्ड ! मैं आप से पहले कभी किसी लड़की की गाण्ड नहीं मार पाया था कोई लड़की मेरे लण्ड को नहीं ले पाई थी…)

“गो ऑन माइक! फक हर ऐस रियली गुड एंड हार्ड…! लाइक यू ऑय हैव नेवर फक्ड एनी ऐस बिफोर…आलवेज़ वांटेड टू… टुडे ऑय एम गोना फक हर ऐस टू!” (चोदता रह माइक… जोर से चोद साली को ! आज बाद में मैं भी इसकी गाण्ड जरूर मारूँगा।)

कोई ताज्जुब की बात नहीं थी कि उन हब्शियों ने पहले कभी किसी की गाँड नहीं मारी थी। कोई रंडी भी उनके खौफनाक लौड़ों से गाँड मरवाने की हिम्मत नहीं करेगी और चूत चुदवाने में भी सौ बार सोचेगी ! वो तो मैं ही उनके हैरत-अंगेज़ लौड़े देखकर अपनी निहायत हवस के आगे बेबस पड़ गई थी और बदहवासी में इस वहशियाना चुदाई में शरीक हो गई।

कुछ देर पहले मैं उनके लौड़ों से चुदने के लिये मरी जा रही थी और कोई भी कीमत अदा करने को तैयार थी और खुद को दुनिया की सबसे खुशकिस्मत औरत समझ कर खुदा का शुक्रिया अदा कर रही थी। लेकिन गाँड में इतना बड़ा लौड़ा घुसे होने से अब दर्द के मारे मेरी जान निकली जा रही थी। इतना दर्द तो मैंने अपनी ज़िंदगी में कभी नहीं झेला था।

उधर चूत में भी उतना ही बड़ा लौड़ा ठुका हुआ था और मुझे अपनी चूत और गाँड एक होती महसूस हो रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे दोनों लौड़े मेरे अंदर एक दूसरे से रगड़ खा रहे थे।

ओरिजी की बात सुनकर माइक ने हंसते हुए कुछ कहा जो मैं अपनी चीखों की वजह से सुन नहीं सकी।

अगले ही पल मुझे माइक का लौड़ा अपनी गाँड में धीरे से बाहर फिसलता हुआ महसूस हुआ। मेरी गाँड की सूखी दीवारें फैल कर उसके बाहर खिंचते हुए लौड़े पर जकड़ी जा रही थीं और मैं फिर एक बार दर्द से बिलबिला उठी।

जब उसके लौड़े का मोटा सुपाड़ा ही मेरी गाँड के अंदर रह गया तो उसने एक ही झटके में जोर से पूरा लौड़ा एक बार फिर मेरी कसी हुई गाँड में ठोक दिया। इसी तरह माइक ने चार-पाँच बार अपना लौड़ा मेरी गाँड में अंदर बाहर ठोका। हर बार दर्द से तड़प कर मेरी चीखें निकल जाती थीं।

“हे मैन! लेट्स गो ! दिस बिच इज़ रैडी फोर डबल-फकिंग ऑफ हर लाइफ!” माइक हाँफते हुए ओरिजी से बोला और अगले ही पल ओरिजी का लौड़ा भी मेरी चूत में हिलता हुआ महसूस हुआ।

“ओहहह… यू…यू आर गोइंग टू… टू किल मी बिटवीन यू…! आआ…आईईईऽऽऽ!” मैं तड़प कर कराह उठी। (ओह ! तुम दोनों मुझे अपने बीच में दबा कर मार ही दोगे आज !)

ओरिजी अपने चूतड़ उछाल-उछाल कर जोर-जोर से मेरी चूत में ठोकने लगा और मेरे पीछे माइक का लौड़ा भी मेरी गाँड की गहराइयों में धक्के मारने लगा। मैं दर्द से लगातर कराहने और सुबकने लगी और मुझे एक बार फिर अपनी ज़िल्लत और तकलीफ में अजीब सा मज़ा आने लगा।

दोनों बहुत ही बेरहमी से एक साथ अपने फौलादी लौड़े मेरी चूत और गाँड में अंदर-बाहर पेल रहे थे। इतने मोटे-मोटे खूँखार लौड़ों की दोहरी वहशियाना चुदाई से मेरी हवस एक बार फिर भड़क उठी और मेरे दर्द और तकलीफ के एहसास पर हावी हो गई।

मेरी चूत और गाँड दोनों हद से ज्यादा इस कदर फैली हुई थीं कि ऐसा लग रहा था जैसे दोनों मिल कर एक हो गई हों। दर्द इतना भयानक था कि मैं बयान नहीं कर सकती लेकिन फिर भी पता नहीं क्यों, यही बेतहाशा दर्द मेरी मस्ती को बढ़ा रहा था।

जब भी दर्दनाक लहर मेरे जिस्म में फूटती तो साथ ही मस्ती भरी मीठी सी लहर भी तमाम जिस्म में दौड़ जाती। दर्द और मस्ती के दोनों एहसास जैसे पिघल कर एक साथ धड़कते और फिर जुदा होते और फिर एक बार दोनों एहसास आपस में पिघल कर मिल जाते। बहुत ही हैरत अंगेज़ एहसास था और मैंने खुद को उस दोहरी वहशियाना चुदाई के हवाले कर दिया।

कुल मिलाकर मेरी चुदास भड़क उठी थी और मेरी दर्द और मस्ती भरी मिलीजुली चीखें पूरे कमरे में गूँज रही थीं।

कहानी जारी रहेगी।

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