कमाल की हसीना हूँ मैं-37

शहनाज़ खान 2013-05-29 Comments

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वो मुझे सहारा दे कर बार के करीब ले गया और दो ड्रिंक्स ऑर्डर किये। फिर उसने मुझे कमर से पकड़ कर उछालते हुए ऊँचे बार-स्टूल पर इस तरह बिठा दिया जैसे मैं कोई रबड़ की गुड़िया होऊँ।

हमने एक दूसरे को अपना इंट्रोडक्शन दिया। उसका नाम ओरिजी था और वो नाईजीरिया का रहने वाला था।

हम ड्रिंक पीने लगे और मैं बैठे-बैठे ही नशे में झूमती हुई उसकी बातों पर खिलखिला कर हँस रही थी।

वो मेरी तारीफ किये जा रहा था जैसे “यू आर सो सैक्सी… इफ़ आय वर योर बॉस… आय वुड नॉट लीव यू फोर अ मोमेंट।” वगैरह-वगैरह। (तुम बहुत सेक्सी हो, अगर मैं तुम्हारा बॉस होता तो एक मिनट के लिए भी ना छोड़ता !)

मुझे तो अपनी किस्मत पर फख्र हो रहा था, मानो मुझे उस गैर-मामूली लंड के रूप में कोहिनूर हीरा मिल गया हो और मैं उससे चुदने के लिये लालियत हो रही थी।

वो मेरे बहुत नज़दीक बैठा था और हमारे हाथ एक-दूसरे के जिस्मों को बीच-बीच में सहला रहे थे। मैं भी उसके गठीले जिस्म और राक्षसी लंड की तारीफ कर रही थी। जब मैंने उसे बताया कि मैंने पहले कभी इतना बड़ा लंड किसी इंसान का नहीं देखा तो वो बोला, “डोंट वरी… मॉय बिग कॉक इज़ ऐट योर सर्विस ऐज़ लाँग ऐज़ यू वाँट!” (जब तक तुम चाहो, मेरा बड़ा लंड तुम्हारी सेवा करेगा !)

अचानक मैंने देखा कि वो हाथ हिला कर किसी को इशारा कर रहा है। फिर मैंने एक और लंबे चौड़े काले आदमी को हमारी तरफ आते हुए देखा।

वो ओरिजी की तरह बिल्कुल नंगा नहीं था बल्कि शॉर्ट्स पहने हुए था। वो पास आया तो मुझे एहसास हुआ कि वो ओरिजी से ऊँचा और वैसा ही हट्टा-कट्टा था। उसके गले में सोने की मोटी सी चेन झूल रही थी। उन्होंने अपनी भाषा में कुछ मज़ाक किया और फिर ओरिजी ने मेरा तार्रुफ कराया।

“शहनाज़! दिस इज़ माइकल… मॉय फ्रेंड फ्रॉम केन्या… एंड माईक, दिस इज़ ब्यूटिफुल शहनाज़ …।” (यह माइकल है कीनिया से और यह सुंदरी शहनाज़ है !)

माइकल ने मुस्कुराते हुए मेरे गालों पर एक चुंबन दिया और मेरे मम्मों पर अपना बड़ा सा हाथ रख कर उन्हें दबा दिया।

“वॉव… यू र सो सैक्सी… ऑय विश आय वाज़ ऐज़ लक्की ऐज़ ओरिजी टू हैव योर कंपनी टू-नाईट!” मेरे हाथ में ओरिजी के लंड को दखते हुए उसने आह भर कर कहा। (वाह ! तुम काफी सेक्सी हो ! काश कि मुझे तुम्हारे साथ रात बिताने का मौका मिलता !)

“कम ऑन मॉय मैन… जॉयन अस फोर अ ड्रिंक… वी कैन आल हैव फन टूगेदर !” ओरिजी ने आँख मारते हुए कहा। (अरे आओ ना ! मिल कर मस्ती करते हैं !)

मेरा दिल उत्तेजना में जोर-जोर से धड़कने लगा पर मुझे उस समय पूरा यकीन नहीं था कि क्या सचमुच ‘फन’ से उसका मतलब चुदाई से है। मैं मन ही मन दुआ करने लगी कि उसके कहने का मतलब यही हो और माईक का लंड भी ओरिजी जैसा ही हो और मुझे आज की रात दो-दो काले आदमियों के मोटे-तगड़े लौड़ों से चुदवाने को मिले।

माइक भी एक बार-स्टूल हमारे पास खींच कर उस पर बैठ गया और तीनों के लिये ड्रिंक ऑर्डर किया।

“ओह नॉट फॉर मी… ऑय हैव बीन ड्रिंकिंग होल इवनिंग… एंड ऑय एम आलरेडी टू-मच ड्रंक… ” मैंने मना करते हुए कहा। (नहीं, मेरे लिए नहीं, मैं शाम से लगातार पी रही हूँ !)

“कम ऑन ब्यूटीफुल… हैव फन… योर सैक्सी बॉडी इज़ मोर इंटॉक्सीकेटिंग दैन ऑल द लिकर यू कैन ड्रिंक…” वो बोला और उसने अपना शॉर्ट्स उतार दिया और बिल्कुल नंगा हो गया।

मेरी तो साँस ही हलक में अटक गई क्योंकि उसका लंड तो ओरिजी के लंड से भी ज्यादा भयानक था। ओरिजी का लंड ही एक फुट के लगभग था और माईक का लंड तो उससे भी दो-तीन इंच लंबा और मोटा भी था।

जहाँ एक तरफ मेरी चूत में उत्तेजना की लहरें उठ रही थीं वहीं मेरे दिल में अंजाना सा डर भी था कि क्या मेरी चूत में ये लौड़े दाखिल हो पायेंगे। ये दोनों हब्शी, आदमी थे या जानवर क्योंकि उनके लौड़ों का नाप इंसानी तो नहीं था।

उसने जो ड्रिंक ऑर्डर किया था, वो काफी स्ट्राँग था पर था बहुत लजीज़। मैंने दो-तीन बड़े सिप लेकर गिलास सामने रख दिया। मैंने खुद को उस माहौल के हवाले करके बिना किसी झिझक के ऐय्याशियों में डूब जाने का फैसला कर लिया।

उस समय मुझे ससुर जी की भी परवाह नहीं थी। ऐसा मौका मुझे फिर कभी मिलने वाला नहीं था। खुदा की नेमत मानकर मैं तो बस सारी हदें तोड़ कर उन दो काले आदमियों के साथ रात भर किसी भी तरह की रंगरलियों के लिये लालायित थी।

मैंने भी अपने चूतड़ उचका कर अपनी मिनी-स्कर्ट टाँगों के नीचे खिसका दी जिसे माईक ने मेरे पैरों से खींच कर एक तरफ उछाल दिया। अब मैं भी सिर्फ हाई-हील सैंडल पहने उन दोनों की तरह बिल्कुल नंगी थी।

उनके अज़ीम लौड़ों को निहारते हुए जब मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने जल्दी से अपने ड्रिंक के दो घूँट पिये और स्टूल से नीचे कूद कर उन दोनों की टाँगों के बीच में घुटने मोड़ कर बैठ गई और अपने दोनों हाथों में उनके लौड़े थाम लिये।

उनके लौड़ों के इर्द-गिर्द मैं अपने हाथ पूरे लपेट नहीं पा रही थी। मैंने कुछ पल दोनों लौड़ों को सहलाया और फिर मुँह खोल कर ओरिजी के लंड के सुपाड़े के इर्द-गिर्द अपने थरथराते होंठ चिपका दिये और उसके सुराख को मैं अपनी जीभ से कुरेदने लगी।

मैं वासना के आवेश में बिल्कुल बेहया और अंधी हो गई थी।

“गॉड ! दिस इज़ गोइंग टू बी ए डे टू रिमेंबर।” कहते हुए मैंने ओरिजी के लंड का मोटा सुपाड़ा अपने मुँह में भर लिया। ( यह रात यादगार रहेगी!)

मुझे यकीन नहीं था कि मैं उसका दानवी लंड अपने मुँह में ले पाऊँगी लेकिन जब उसका सुपाड़ा मेरे मुँह में दाखिल हुआ तो मुझे अपने जबड़े के लचीलेपन का एहसास हुआ।

उसके लंड को ज़्यादा से ज़्यादा अंदर समा लेने के लिये मेरा मुँह चौड़ा खुल गया। अपने मुँह में अंदर धंसते हुए उसके लंड पर अपनी जीभ फिराते हुए मैंने उसके सुपाड़े को गले तक निगल लिया।

“बेऽऽऽबीईईऽऽ !” वो जोर से सिसका और अपने चूतड़ जोर से हिलाते हुए अपना लंड मेरे गले में और अंदर तक ठाँस दिया।

इतने पर भी उसका आधे से ज्यादा लंड मेरे मुँह के बाहर था और मेरी दोनों हथेलियाँ लंड के उस हिस्से पर कसी हुई थीं।

मैंने अपने गले में थूक गर्राते हुए अपने मुँह से उसके लंड को बाहर निकाला और फिर अपना सिर घुमा कर अपना चेहरा माइक के लंड की तरफ किया। मैं अब अपने होंठ उसके लंड पर चिपका कर उसके हल्लबी लंड की लंबाई पर फिराती हुई चूसने लगी और फिर होंठ नीचे ले जा कर उसके टट्टे चूसने लगी।

उसके टट्टों पर उगे बालों में से पेशाब जैसी तीखी बदबू आ रही थी पर उससे नफ़रत होने की बजाय मेरी वासना और भड़क उठी। पहले मैंने उसके एक टट्टे को अपने मुँह में लेकर चूसा और फिर दूसरे टट्टे को पूरा अपने मुँह में लेकर टॉफी की तरह चूसा।

इसी तरह अदल-बदल कर मैं बारी-बारी से उनके भयानक लौड़े और टट्टे चूसने लगी। मेरी चुलचुलाहट पूरे परवान पर थी और मैं उनके काले मुसल्ली लौड़ों का वीर्य चखने के लिये मचलने लगी थी।

“ओह शिट, दिस इज़ अमेज़िंग !” एक दो पल के लिये उनके लौड़ों से अपने होंठ हटा कर मैं सिसकी। (अदभुत है यह !)

“ऑय लव दीज़ कॉक्स… सो बिग… सो थिक… सो फकिंग ब्लैक… यम्मी!” (मुझे ये लौड़े पसन्द आये ! काले मोटे मजेदार !)

“कीप सकिंग! यू स्लट!” माइक ने गुर्राते हुए चाबुक की तरह अपना लौड़ा मेरे गलों पर थपेड़ा । (चूसती रह रंडी !)

मैंने फिर लपकते हुए माइक का काला भुसण्ड अपने मुँह में भर लिया। ओरिजी भी मेरे चेहरे के एक तरफ खड़ा अपना लंड सहलाने लगा क्योंकि अब मैं पूरी शिद्दत से सिर्फ माइक का लौड़ा चूसने में लगी थी।

मैं अपनी पूरी काबिलियत से उसके लंड की टोपी अपने गले तक ठाँस कर लंड चूस रही थी और मेरी राल दरिया की तरह उसके लंड की रॉड पर और मेरे होंठों से मेरे मम्मों पर झरने की तरह बह रही थी।

वो दोनों भी मुझसे रंडी जैसा ही सुलूक कर रहे थे और गालियाँ बकने लगे थे। इस समय उत्तेजना में मैं इतनी बेपरवाह और पागल हो गई थी कि मुझमें और कोठे की राँड में कोइ फर्क नहीं था।

“टेक माय कॉक डाऊन… यू बिच! टेक ऑल माय कॉक!” माइक मेरा सिर पकड़ कर अपने कूल्हे चलाने लगा। (अंदर गले तक ले कुतिया ! पूरा ले ले !)

लेकिन मैं उसका वो अज़ीम लौड़ा और अंदर नहीं ले सकती थी। पहले ही उसके लंड की फूली हुई टोपी मेरे गले में ठसाठस भरी थी।

“पुश ऑल योर कॉक इन हर थ्रोट!” ओरिजी ने उसे उकसाया। ओरिजी खुद भी अपना लंड मुठिया रहा था। ( पूरा लंड इसके गले में घुसा दे !)

माइक भी ताव में आ गया और मेरे बालों में अपनी अंगुलियाँ फंसाते हुए मेरे सिर को पीछे से अपने दोनों हाथों में और भी जोर से जकड़ कर अपने लंड को इस कदर झटके से अंदर ठेला कि उसके लंड का सुपाड़ा मेरा गला चीरते हुए मेरे हलक के नीचे उतर गया।

मेरी तो साँस ही रुक गई और मैं छटपटाने लगी लेकिन माइक पर तो जैसे भूत ही सवार था, बेरहमी से जोर-जोर के धक्के मारता हुआ वो पूरा लंड मेरे मुँह और हलक में उतारने पर अमादा था। साँस ना ले पाने की वजह से मेरा चेहरा लाल हो गया तो उसने अपना लौड़ा बाहर खींचा। खाँसते हुए गाढ़े थूक का थक्का सा मेरे गले से बाहर उगल पड़ा।

मैंने साँस ली ही थी कि एक बार फिर मुझे उसकी मुठ्ठियाँ अपनी गर्दन के पीछे बालों पर कसती महसूस हुईं और उसने गालियाँ देते हुए अपना लंड फिर एक ही झटके में मेरे हलक में ठाँस दिया। दो-तीन धक्कों में ही उसने पूरा लंड अंदर घुसा दिया।

कहानी जारी रहेगी।

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