हसीन रात – अधूरी चुदाई

raj1981mrt 2012-05-19 Comments

प्रेषक : राज मेरठी

नमस्कार दोस्तो
, मेरा नाम राज है, 29 वर्ष का हूँ और मेरठ का रहने वाला हूँ।

मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ यहाँ कहानियाँ पढ़ कर मुझे भी अपनी एक आपबीती लिखने का मन हुआ। वैसे तो मेरे कई लड़कियों से सम्बंध रहे हैं पर कहते है कि जीवन में आदमी अपनी पहली घटना कभी नहीं भूलता, इसलिए मैं अपने जीवन में घटी पहली हसीन घटना लिख रहा हूँ।

बात मार्च 2007 की है, मैं कई वर्ष बाद अपने मामा जी के घर गया था जोकि एक गाँव में है, वहाँ पर मेरी एक प्यारी भाभी हैं, वे तब 23 वर्ष की थी, मेरी उनसे अच्छी पटती थी, उनकी छोटी बहन पूनम उनके पास रहने आई हुई थी। वह लगभग 20 वर्ष की हसीन और चंचल लड़की थी।
मेरे मामा का बेटा जिसका नाम राजू है, तब वह गुड़गाँव में जॉब करता था और हफ्ते में केवल एक दिन के लिए ही रविवार को घर पर आता था।

मैं रविवार को गया था इसलिए मैं सारे दिन उसके साथ रहा, अगले दिन वह गुड़गाँव चला गया। मैं भी घर जाने को तैयार हो गया मगर मामा जी ने मुझे रोक लिया और घर पर फोन कर दिया कि राज 3-4 दिन बाद आएगा।

अब घर पर मैं, मामा जी, भाभी और उनकी बहन पूनम ही थे। मैं दिन में कुछ समय मामा जी के साथ रहा फिर वे कहीं चले गये। अब मैं भाभी और उनकी बहन के साथ था। हम आंगन में बैठे थे, तभी भाभी बोली- देवर जी, क्या आपका किसी लड़की के साथ सम्बन्ध है?

मैं अचानक चौंक गया और बोला- भाभी, आप क्या बोल रही हो?

भाभी बोली- मैं यही तो पूछ रही हूँ कि तुम्हारी किसी लड़की से दोस्ती है या नहीं?

मैंने कहा- भाभी दोस्ती और सम्बन्ध में बहुत अन्तर है।

तभी पूनम ने कहा- जब लड़की और लड़के में दोस्ती होती है तो सम्बंध तो बन ही जाते हैं।

मैने कहा- तुम्हारी किसी से दोस्ती है?

वो बिंदास बोली- तुम्हारे जैसा कोई मिला ही नहीं !

हमारी ऐसे ही मजाक चलती रही। मैं रात को मामा जी के साथ आंगन में सोया, भाभी और पूनम कमरे में।

सुबह मामा जी खेतों पर चले गए मैं घर पर ही रहा। भाभी घर के कामों में व्यस्त थी, मैं पूनम के पास बैठ गया।

वो बोली- राज जी, कैसे परेशान से हो?

मैं बोला- रात को नींद नहीं आई, मच्छरों ने सोने नहीं दिया।

पूनम बोली- मच्छरों ने या किसी और ने?

“मतलब?”


किसी लड़की की यादों ने?”

अब मुझे पूनम से बात करने में मजा आ रहा था, मैं बोला- हाँ मुझे तुम सपने में परेशान कर रही थी।

“मैं आपके सपने में आई थी?”

“हाँ, तुम आई थी !”

“मैंने आपके सपने में क्या किया?”

“तुमने मुझे किस किया और !”

मेरी बात सुन कर वो शरमा गई और नीचे देखने लगी। तभी मामा जी आ गये, पूनम वहाँ से चली गई।

मैंने मामा जी के साथ खाना खाया और गाँव में उनके साथ घूमने चला गया पर मेरा मन पूनम के पास जाने को कर रहा था, पता नहीं मुझे क्या हो गया था।

हम शाम को वापस आए तो मामा जी अपने रोजमर्रा के काम निपटा रहे थे। पता नहीं पूनम अब मेरे पास क्यो नहीं आ रही थी। वो जब मेरे सामने से निकलती तो मुझे चोर नजरों से देखती जिससे मेरी धड़कन और तेज हो जाती।

मामा जी मेरे पास आए और बोले- राज बेटा, मैं आज रात को खेतों पर रहूँगा खेतो में पानी करना है।

यह बात सुन कर मुझे अन्दरूनी खुशी हुई।

रात को मामा जी चले गए। भाभी जी मेरे पास आई और बोली- देवर जी, आप हमारे साथ अन्दर कमरे में सो जाना ! पूनम कह रही थी कि आपको मच्छरों की वजह से नींद नहीं आई।

मुझे लगा जैसे मेरे मन की मुराद पूरी हो गई हो।
उन्होंने कमरे में तीन चारपाई बिछा दी। भाभी और पूनम अगल्बगल वाली चारपाइयों पर थी। मैं पूनम के पीछे वाली पर अब मेरा और पूनम का सर पास पास था। काफी देर तक बातें की फिर सोने लगे।

मुझे नींद नहीं आ रही थी, मेरे हाथ चारपाई से नीचे पीछे की तरफ थे तभी मुझे लगा की जैसे किसी ने मेरे हाथों को छुआ हो। मैं सोच ही रहा था कि फिर से कुछ चीज मेरे हाथों से टकराई। अब की बार स्पर्श कुछ पल लम्बा था। मेरी धड़कनें तेज हो गई।

कमरे में चाँद की चाँदनी का उजाला था जो खिड़की से होकर आ रहा था, रोशनी कम थी।
मैंने पीछे देखा तो पूनम के हाथ भी पीछे की तरफ चारपाई से नीचे थे। अब मेरे मन में अजीब सी हलचल होने लगी। कुछ देर बाद मैंने अपने हाथ पीछे की तरफ बढ़ाए और पूनम के हाथों के पास ले जाकर धीरे से उन्हें छुआ। मेरी धड़कनें और तेज हो गई ओर गला सूख सा गया। मैंने हिम्मत करके उसके हाथ पकड़ लिए कुछ पल रुकने के बाद मैंने उसके हाथ अपनी तरफ खींचे, उसने समर्पित विरोध किया। इससे मेरी हिम्मत और बढ़ गई, मैं उसकी उँगली अपने मुँह में डालकर चूसने लगा, मुझे एक अजीब सा आनन्द आने लगा। मैं धीरे धीरे अपने हाथ उसके कंधों पर ले गया और उसकी गर्दन के आसपास हाथ फिराने लगा। उसने विरोध नहीं किया तो मेरी हिम्मत और बढ़ गई, अब मैं अपने हाथों को उसके उभारों की गोलाई तक ले गया और उन्हें प्यार से मसलने लगा।

अब मैं अपनी चारपाई से उठ कर उसकी चारपाई के पास गया और धीरे से उसके पास लेट गया।

मेरे लेटते ही उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया। हमारी साँसें बहुत तेज चल रही थी।
मैंने अपने हाथ से उसका कमीज निकाल दिया और उसकी गोलाइयों को आजाद करके उन्हें अपने हाथों में समा लिया।

क्या एहसास था वो ! जिसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। मैंने अपने लब उसके लबों पर रख दिये और उनका रस पीने लगा। मुझे ऐसा लगा जैसे दुनिया में इससे ज्यादा नशा और किसी चीज में ना हो।

धीरे धीरे मेरे हाथ फिसलते गए। अब मेरा हाथ उसकी सलवार के ऊपर से उसकी योनि के पास गया तो उसने मुझे कसकर भींच लिया। वो मदहोश हो चुकी थी, उसके शरीर से एक अजीब सी पर मदहोश करने वाली खुशबू आ रही थी।

अब तक मेरा बुरा हाल हो चुका था। मैंने उसकी चूचियों को अपने मुँह में भर लिया और उन्हें चूसने लगा। वह सिसकारियाँ भरने लगी। मैंने उसके सलवार का नाड़ा खोल कर उसकी सलवार उसकी एक टांग से बाहर निकाय दी और उसकी योनि को प्यार से सहलाने लगा। कुछ देर बाद मैंने अपनी पैंट भी निकाल दी, मैं नीचे से नंगा हो गया। फिर मैंने उसका हाथ अपने लंड पर रख दिया। उसने उसे हल्का सा दबाया, उसके दिल की धड़कनें बढ़ गई थी और उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया। इसके साथ ही उसने अपने पैर ऊपर उठाए और मेरे पैरों पर लपेट लिए, बोली- कब तक मेरी परीक्षा लोगे?

मैंने अपना लंड पकड़ कर उसकी योनि के छेद पर रखा और जैसे ही मैं उसे अन्दर डालने वाला था, मुझे लगा जैसे भाभी जाग गई है। हम शान्त लेटे रहे एक ही झटके में हमारा नशा उतर गया और हमें डर लगने लगा।

तभी भाभी उठ कर कमरे से बाहर चली गई। हमने जल्दी से अपने कपड़े सही किए और मैं अपनी चारपाई पर आकर लेट गया।

भाभी कमरे में आई, इधर उधर देख कर अपनी चारपाई पर लेट गई और करवटें बदलने लगी।
दोस्तो, अब तक हमारी हसीन रात का अन्त हो चुका था। मन एक अन्जान से दुःख में डूब रहा था पर हर अंधेरी रात के बाद उजियारा फिर आता है। मेरे जीवन में भी वो अदभुत उजियारा फिर आया, पर कैसे, यह मैं आपको फिर कभी बताऊँगा।

आप अपनी राय और प्यार अवश्य देना।

आपका दोस्त
राज मेरठी

[email protected]

प्रकाशित : 8 सितम्बर 2013

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