फेसबुक सखी-2

स्नेहा रीमा से बात करने लगी।

रीमा उसे कुछ बोली, बदले में स्नेहा बोली- ठीक है, यह अच्छी बात हैं हमें इससे कोई तकलीफ नहीं होगी, कोई बात नहीं आ जाओ।

यह बोलकर स्नेहा ने फोन बंद कर दिया।

मैंने पूछा- क्या बात है? क्या कहा उसने?

स्नेहा बोली- उसकी एक सहेली और आ रही है साथ में रश्मि नाम की, कह रही हैं कि अकेले का सफर कैसे करूंगी, यह बोलकर पापा ने उसके साथ जाने कहा।

रीमा ने अपनी इसी सहेली का नाम हमें पहले बताया था जो हमारी रिश्तेदार और रीमा की सहेली है। अब मुझे समझ आया कि रीमा मेरे लिए कुछ ला रहीं हूँ बोली थी, तो इसे ही ला रही है, मेरा दिल उछलने लगा।

मैंने स्नेहा से कहा- तो इनके लिए अलग रूम तो तैयार कर दो, और कल सुबह ही लेने जाना है, बाकी तैयारी भी कर लो ताकि फिर काम के समय हड़बड़ी मत हो।

स्नेहा बोली- रूम तैयार है, बेड एक ही है, वहाँ दोनों लड़कियाँ हैं तो एक ही बेड में उनका काम चल जाएगा।

मैं बोला- ठीक है, ज्यादा होगा तो नीचे एक गद्दा डाल देंगे।

मैंने कहा- वैसे स्नेहा इन दो में से एक तो मुझे मिलेगी ना? देखो तुमने रीमा के बारे में कहा तो मैंने मान लिया। पर यह रश्मि तो चलेगी ना?

स्नेहा बोली- पहले उन्हें आने तो दीजिए फिर बात करके बताती हूँ।

मैंने सोचा कि पहले रीमा से तो पूछ लूं कि इसे मेरे लिए ही ला रही हैं ना। सो मैं बाहर निकला और रीमा को फोन लगाया।

उसने कहा- कहाँ चले गए थे आप? अभी आप को फोन लगाया था।

मैं बोला- यहीं था बोलो, क्या बात है?

रीमा बोली- मैं अपनी एक सहेली को लेकर आ रही हूँ।

मैं बोला- किसे?

वह बोली- रश्मि नाम है उसका, इसे आपसे मिलने की इच्छा थी, और मुझे भी आपके लिए कुछ लाना था तो इसे ही तैयार किया। अब वहाँ स्नेहा जी को आप संभाल लीजिएगा।

मैं बोला- ठीक हैं आप पहुँचिए तो !

यह रात जैसे तैसे कर के काटी और सुबह उन्हें लेने मैं व स्नेहा दोनों ही स्टेशन आए, नियत समय पर ट्रेन पहुँची, रीमा ने अपनी बोगी का नंबर बता दिया था, इसलिए हम उस बोगी के संकेत के पास जाकर खड़े हो गए। कुछ ही देर में ट्रेन आई, और उस बोगी से दूसरे यात्रियों के साथ दो खूबसूरत लडकियाँ भी उतरी। मुझे इनके रीमा व रश्मि होने का अंदेशा हुआ, तो मैंने स्नेहा को इनकी ओर भेजा। तभी उनमें से एक अपने बैग से मोबाइल निकालकर डायल करने का प्रयास करने लगी।

तब तक स्नेहा ने उनके पास पहुँचकर पूछा- रीमा?

फोन कर रही लड़की उल्लासित चेहरे से बोली- आप स्नेहाजी?

स्नेहा ने हाँ कहा तो वह खुशी से उसके गले लग गई। अब मैं इनके पास आया और दोनों को विश किया। रीमा तो मुझे हल्की सी पहचान आ रही थी क्योंकि इसने अपनी फोटो मुझे दिखाई थी पर रश्मि मेरे लिए नई थी। देखने में यह रीमा से ज्यादा सुंदर थी, और इसके वक्ष व पीछे चूतड़ों का हिस्सा काफी उठा हुआ था। किसी को भी इन दोनों के बीच एक को पसंद करने कहा जाता तो कोई भी रश्मि को ही पसंद करता। अब हम सभी स्टेशन से निकल कर घर की ओर बढ़े।

रीमा हम लोगों से बहुत खुल कर बात कर रही थी। हाँ, रश्मि उसके मुकाबले कम बोल रही थी।

घर पहुँचकर स्नेहा ने इन्हें हमारा गेस्ट रूम दिखाया, जहाँ अब उन्हें आराम करना था। दोनों को फ्रेश होने उसी रूम से अटैच में बाथरूम में जाना था इसलिए मैं व स्नेहा बाहर आ गए।

मैंने स्नेहा से कहा- अब तो बताओ ना, रश्मि मिलेगी ना मुझे।

स्नेहा बोली- वो रीमा की सहेली है, पहले रीमा से पूछिए।

मैं बोला- अच्छा रीमा मान गई तो वो मिलेगी ना मुझे?

स्नेहा बोली- पहले पूछिए तो सही।

मैं बोला- अभी पूछ कर आता हूँ।

“रूकिए, खाने के बाद पूछिएगा।”

कुछ देर बाद हम खाने की मेज पर थे। नहाने के बाद दोनों ने लोवर, टीशर्ट पहनी थी। दोनों अब पहले से सुंदर लग रही थी।

स्नेहा ने सबको खाना परोसा, रीमा ने इसमें उसकी सहायता की।

मैंने रश्मि से पूछा- आप कहाँ तक पढ़ी हैं?

रश्मि बोली- हम दोनों साथ ही हैं, मेरी सगाई अभी कुछ दिन पहले हुई है, और मेरे ससुराल वाले मुझे आगे पढ़ाना नहीं चाहते, ना ही नौकरी करवाना, इसलिए अब रीमा अकेले ही आगे की पढ़ाई करेगी।

स्नेहा ने पूछा- कहाँ तय हुई है आपकी शादी? क्या करते है आपके साहब?

रीमा बोली- इसकी ससुराल रांची में होगी, और हमारे जीजाजी मेडिकल रिप्रेजेंटिव हैं।

स्नेहा बोली- वाह, बहुत अच्छी जगह जा रही हो रश्मि।

रश्मि ने शरमा कर सिर नीचे कर लिया। खाने के बाद यूं ही सामान्य बातें हुई और तय हुआ कि कल कोचिंग जाएँगे। खाने के बाद स्नेहा ने दोनों को गेस्ट रूम में आराम करने भेज दिया।

अकेले में मैंने स्नेहा से कहा- मैं भी उनके पास जाकर बात करता हूँ, और अपना जुगाड़ भी जमाता हूँ।

स्नेहा बोली- आप उनके पास जाइए, पर आपकी सेटिंग किसके साथ जम रही है, यह जरूर बता देना।

मैं ‘ठीक है’ बोलकर गेस्टरूम की ओर बढ़ा। कमरे में दोनों आजू-बाजू लेटकर बातें कर रहीं थी।

मैंने रीमा से कहा- रीमा, तुम तो मेरे लिए उपहार लाने वाली थी ना, क्या हुआ?

रीमा रश्मि की ओर हाथ करके बोली- ये है आपका गिफ्ट।

मैं बोला- पर इनकी तो शादी तय हो गई है, ये तो किसी और का साथ पाकर खुश है।

रीमा बोली- अरे यह कौन कहता है कि जिसकी शादी तय हो गई हो वह किसी और से सैक्स नहीं कर सकती?

रीमा की खुली बात सुनकर मैंने पूछा- रश्मि यह तुम्हारा भी विचार है ना? नहीं तो मैं अपना मूड बनाऊँ, और तुम मना कर दो?

रश्मि से पहले ही रीमा बोली- यह बिचारी सिर्फ आपके साथ मजा करने यहाँ आई हैं और आप फालतू की फारमेल्टी में अटके पड़े हैं। अब मैं बिस्तर पर दोनों के बीच आ गया और रश्मि से चिपक कर पूछा- तो अपन अभी शुरू करें?

रश्मि ने सशंक भाव से रीमा की ओर देखा।

रीमा बोली- जवाहरजी, चुदाई का कार्यक्रम तो रात को ही करना, अभी अपने पास होने का मजा लीजिए और हम लोगों के बीच इतना चलता है।

अब मैं रश्मि के उरोजों को टीशर्ट के ऊपर से ही टटोलने लगा तो पता चला कि इसने अंदर ब्रा नहीं पहनी थी। मस्त कड़े व उठे स्तन को चूसने के लिए मैंने इसकी टीशर्ट ऊपर कर वक्ष को निरावृत किया और उसके भूरे निप्पल चूसने लगा। रश्मि ने दोनों हाथों से मेरा सिर पकड़ रखा था।

एक के बाद दूसरा निप्पल चूसने के बाद मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ लगा दिए। हम चुम्बन ले ही रहे थे, तभी रीमा मेरी लुंगी के भीतर हाथ डालकर अंडरवियर के ऊपर से मेरे लौड़े का नाप लेने लगी।

मैं हमारे खेल में उसके शामिल होने से थोड़ा हड़बड़ा गया और उसका हाथ हटाकर थोड़ा इंतजार करने कहा।

वह बिस्तर से उतरकर नीचे खड़ी हो गई।

उसे जाते देखकर रश्मि ने कहा- क्या हुआ? तू कहाँ जा रही है।

रीमा बोली- जवाहरजी को मैं ठीक नहीं लगी ना, इसलिए वो मुझे अलग रख रहे हैं।

मैं बोला- अलग नहीं कर रहा हूँ, स्नेहा आ जाएगी, तो सारा खेल बिगड़ जाएगा। इसलिए आपको दरवाजे के पास रहकर उनकी निगरानी करने को कह रहा हूँ।

रीमा बोली- ठीक है, पर मुझे आपका लौड़ा देखना हैं पहले उसे दिखाइए ! फिर जा रही हूँ।

मैंने अपना लंड बाहर निकाल दिया। रश्मि भी इसे देखने आगे को झुक गई।

मैंने रश्मि का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रखा, रीमा भी इसे ललचाई नजर से देख रही थी। मैंने रश्मि का सिर पकड़ा और अपनी कमर को ऊपर उठाया ताकि मेरा लौड़ा उसके मुंह में आ जाए, पर उसने अपना सिर हिलाकर लौड़ा लेने में मना कर दिया।

मैं भी उसे खींचकर होंठ चूसने लगा।

रीमा गई तो बाहर नजर रखने थी,पर उसका पूरा ध्यान हमारी ओर ही लगा था। अचानक गेस्टरूम का इंटरकाम घनघनाया। रिसीवर मैंने उठाया। स्नेहा मुझे बुला रही थी।

मैं रश्मि व रीमा को ‘अभी आता हूँ’ बोलकर बाहर निकल गया।

स्नेहा अपने बिस्तर पर लेटी हुई थी, मैं गया वैसे ही बोली- क्या हुआ, अभी दिन में ही शुरू कर दिया क्या?

मैं बोला- अरे वो अभी कहाँ। अभी तो रश्मि अपने मंगेतर के बारे में बता रही थी।

स्नेहा बोली- देखिए, रश्मि तो आपको चोदने नहीं देगी, और रीमा को आपको चोदना नहीं हैं तो अब चुदाई की बात छोडकर वो जिस काम से यहाँ आई हैं उसे करवा दीजिए बस।

स्नेहा को हमारे इस प्रेमालाप के बारे में पता नहीं चला है, यह सोचकर मैं खुश हुआ, पर रश्मि को चोदने से पहले स्नेहा को भरोसे में लेना होगा, नहीं तो चुदाई कर ही नहीं पाऊँगा, यह सोचकर मैंने स्नेहा से कहा- रश्मि बहुत सुंदर है यार, उसे चोदने का बहुत मन हो रहा है।

स्नेहा बोली- उसकी शादी तय हो गई है, अब वह अपने आदमी से चुदवाएगी।

मैं बोला- वो तो ठीक है पर तुम थोड़ा ट्राई मारो ना, हो सकता है तैयार हो जाए।

स्नेहा बोली- नहीं मैं उसे इस बारे में नहीं बोलूंगी।

मैं बोला- स्नेहा खड़े लंड को धोखा दे रही हो ना?

वो बोली- आप जो समझो।

कहानी जारी रहेगी !
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