दिल्ली की दीपिका-5

दीपिका 2012-12-29 Comments

राहुल बोला- तो मुझे तुमसे कुछ कहना है।

मैं सोचने लगी कि कहीं यह मुझसे चोदने को तो नहीं कहेगा, सो मैं बोली- किस बारे में बोलना है आपको?

राहुल बोला- अरे मुझे आज के इस खास दिन के लिए कहना है। तुम्हारे जन्मदिन के लिए कहना है।

मैंने सोचा कि यह गधा अब तक मेरे जन्मदिन पर ही अटका हुआ है पर जाहिर तौर पर बोली- हाँ बोलो ना?

राहुल बोला- बचपन से अब तक मैं अपने जितने दोस्तों की बर्थडे पार्टी में गया हूँ, सबने मुझे पार्टी के बाद रिटर्न गिफ्ट दिया है। आप नहीं देंगी हमें रिटर्न गिफ्ट?

मैं उसके इस सवाल से हड़बड़ा गई और बोली- तो क्या हुआ मुझसे भी मांग लिजिए रिटर्न गिफ्ट।

तीनों ने एक दूसरे की ओर देखा और मुझसे बोले- क्या गिफ्ट लेना है, इसके लिए हम आपस में बात करना चाहते हैं।

मैं बोली- ठीक है, कर लीजिए, आपस में बात।

मेरे इतना कहते ही तीनों एक दूसरे के पास आए और मुझसे थोड़ा दूर हटकर बात करने लगे। कुछ देर बाद वे मेरे पास आए।

साहिल बोला- दीपिका, मैं आपसे रिटर्न गिफ्ट के रूप में आपको पूरी तरह से नंगी देखना चाहता हूँ ताकि मैं कभी याद करके इस बात पर इठला सकूं कि मैंने कुदरत के सबसे हसीन तोहफे को बिना किसी आडम्बर के उसी कुदरती रूप में देखने का सुख हासिल किया है। मैंने वहीं बैठे हुए अपने सिर पर हाथ रख लिया। मैंने राहुल की ओर देख कर पूछा- तुम्हें क्या चाहिए?

राहुल बोला- साहिल की बात से मैं सहमत नहीं हूँ इसलिए हम दोनों में बहस भी हुई।

मैं सोचने लगी कि इसे मैं बेकार में ही नकारा समझ रही थी, यह तो साहिल और आदि से ज्यादा शरीफ निकला, उसकी ओर देखते हुए मैं बोली- हाँ फिर, तुमने क्या तय किया है?

राहुल बोला- जब आप इसके लिए नंगी होगी ही तो मुझे अपनी चूत का रस पिला देना। यानि मैं आपकी चूत को चाटकर उसका रस पीना चाहता हूँ।

राहुल के लिए मेरा भ्रम टूट गया, यह तो साहिल से भी एक कदम आगे निकल गया।

अब मैंने अभि की ओर देखा, अभि मुझे देखते साथ ही बोला- इन दोनों की ही डिमांड पूरी कर दीजिए बस।

मैं बोली- नहीं, नहीं अब आप भी बोल दीजिए कि आपको क्या चाहिए?

अभि बोला- मैं आपको प्यार करना चाहता हूँ बस।

मैं बोली- ठीक है।

यह बोलकर मैं अभि को बोली- ठीक है, आप लोगों का गिफ्ट मैं खुले कमरे में तो नहीं दे सकती। इसलिए जाइए पहले दरवाजे को बंद करके आइए।

साहिल दरवाजे के पास था, वह बढ़ा और दरवाजा बंद करके आ गया। तब तक अभि मेरे पास आया और मुझे अपनी बाहों में ले लिया। अब तक मैं उन दोनों की मौजूदगी से अभि के साथ सामान्य नहीं हो पाई थी, इस कारण सब कुछ वह ही कर रहा था। अभि मेरे अधरों से लग गया, मुझे चूमने लगा।

तभी राहुल मेरे पीछे आया और टीशर्ट के भीतर हाथ डालकर मेरे उरोजों को पकड़कर सहलाने लगा।

तभी साहिल का हाथ मुझे अपनी जांघ पर महसूस हुआ। अब मेरी स्थिति गजब की थी। शायद ही किसी लड़की के जीवन में ऐसा

होता हो जब तीन-तीन लड़के उसकी एक चूत पाने में लगे हों। उस समय अपने शरीर का नजारा मैं आपको बता रही हूँ।

मेरे होंठों पर अभि के होंठ जमे हुए थे, उसकी जीभ मेरी जीभ के संग मुँह के भीतर घूम रही थी। थोड़ा सा नीचे आएँ तो राहुल के हाथ मेरे वक्ष पर थे, वह मेरी चूचियाँ मसल रहा था, उससे नीचे साहिल के हाथ थे जो अब पैर, घुटनों से होते हुए मेरी योनि के पास जांघ पर थे।

समझे आप?

अब मैं आपसे अपने मन की बात भी कहना चाहूंगी कि इन तीनों की हरकत से मेरी चूत में मानो पानी का झरना बहने लगा हो, पर मन थोड़ा डर भी रहा था, कहीं कल जैसी तकलीफ हुई तो?

यह ख्याल भी आ रहा था पर अपने मन से इन ख्यालों को झटककर मैं इस समय को इन्जाय करने में लगी। सोचने लगी कि अभी

इतने दिन अपनी इसी चूत में एक लण्ड लेने के लिए मैं इतना तरसी, अपने रसोइया, ड्राइवर सहित ना जाने और कितनों को सिगनल देकर उनके लौड़े की दया मुझ पर बरसने के लिए प्रयास और मिन्नतें करते रही। और आज जब एक साथ तीन-तीन लण्ड मुझे चोदने के लिए फुदक रहे हैं, तो मैं फिर अब क्यों डर या यह सब सोच रही हूँ।

आखिर में इन विचारों के साथ मैंने इस समय का भरपूर लुत्फ़ उठाने का फैसला लिया और इनकी हरकतों में सहयोग देने लगी। मेरे शांत रहने से इन तीनों को ताकत मिली और अभि ने मेरी शर्ट को उतार दिया। यह उतरते ही राहुल ने पीछे मेरी ब्रा का हुक खोला और इन लोगों ने इसे उतारकर फेंक दिया। मेरे ऊपर का शरीर नंगा होते ही साहिल मेरे स्कर्ट का हुक खोला और उसे खोल दिया।

मेरे शरीर में अब केवल पैन्टी बची थी। इसे भी राहुल ने पागलों के जैसी हड़बड़ी में नीचे कर दिया। अब मैं मादरजात नंगी थी, मेरी चूत से निकला पानी मेरी जांघ तक को नम कर दिया था। तीनों अब मेरे बदन को चाट रहे थे। इनकी जीभ मैं अपने बूब्स चूत और जांघ में महसूस कर रही थी।

इससे मुझ पर भी उत्तेजना का खुमार चढ़ गया, खड़े होकर उनकी जीभ मेरी चूत के अंदर तक नहीं जा पा रही थी इसलिए मैं बिस्तर की ओर आ गई और यहाँ आकर लेट गई, लेटकर मैंने अपने पैरों को फैला कर अपनी जाँघे उन्हें परोस दी।

साहिल मेरी चूत में जहाँ तक।उससे संभव हुआ, वह जीभ पहुँचा रहा रहा था। एक बारगी ऐसा लगा मानो वह चूत में ही घुसना चाहता हो। अभि मेरे एक दुग्ध-कपोत को हाथों से दबा रहा था, और दूसरे पर अपने लब जमाए हुए था। राहुल साहिल के साथ ही मेरी चूत को चाटने के बाद अब मेरी गाण्ड को चाटने में लग गया था। मेरा बदन ‘बाप रे बाप’ यौनाग्नि में तप रहा था। यदि अभी थर्मामीटर लगाकर बदन का तापनान मापा जाता तो यकीनन वह बुखार के सभी रिकार्ड तोड़ देता।

मेरी गाण्ड के छेद चाट रहा राहुल पहले उठा और बोला- अब कंट्रोल नहीं हो रहा है यार !

यह बोलकर उसने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए, जल्दी ही वह नंगा हो गया। अपना लौड़ा हाथ में लेकर वह मेरे मुँह के पास पहुँचा और मेरे होंठों में रगड़ने लगा। मेरा भी मुंह खुला और उसके लंड को चूसने लग गई। यह देखकर अभि हटा व अपने कपड़े उतारने लगा। उसे देखकर साहिल भी। इस तरह ये तीनों भी नंगे हो गए। राहुल का लौड़ा मेरे मुँह में था।

अभि भी उसके पास पहुँचा व उसका लण्ड निकलवाकर उसे पीछे किया, अब वह मेरे कान के पास आकर बोला- कल मैंने तुझे चोदा था ना, आज तू मुझे चोद।

मैंने कंपकंपाते हुए पूछा- कैसे?

वह बोला- मैं नीचे लेटता हूँ, तू मेरे ऊपर आ जा !

यह बोलकर वह मेरे बाजू में लेटा, और मुझे पकड़कर अपने ऊपर ले आया। उसके ऊपर आकर मैं अपनी चूत उसके लौड़े पर लगा रही थी, तभी साहिल का लंड मेरे मस्तक पर लगा। मैंने सिर उठाया तो वह बोला- वह तो नीचे रहेगा, मैं ऊपर ! प्लीज मुंह में ले लो ना इसे !

बिना कुछ बोले मैंने उसका लौड़ा अपने मुंह में ले लिया।

तभी अपनी गांड के छेद पर मुझे राहुल का हाथ लगा। ऐसा महसूस हुआ कि वहाँ वह कोई क्रीम या चिकनाई लगा रहा है। मैंने अपनी कमर नीचे कर अभि का लौड़ा अपने चूत में टिकाया।

तभी राहुल ने अपना लंड मेरी गांड के छेद में रखा और उसने जोर लगाया। चिकनाई के कारण उसका लंड़ मेरी गाण्ड में अंदर हुआ। उफ्फ्फ ! बाप रे ! मानो मेरी जान ही निकल गई, मैं जोर से चीखी।

पर अभि ने मेरे मुँह को हाथ से दबाकर चीख की आवाज को कम कर दिया। वह मेरे नीचे से निकलकर अब अपना लंड ताने मेरे चेहरे के पास था। उसके बदले साहिल मेरे नीचे आकर लेट गया।

राहुल बिना रूके मेरी गांड में लंड डाल रहा था, उसका दर्द अभी मैं ठीक से सह भी नहीं पाई थी, कि साहिल ने नीचे से अपनी कमर उठाकर अपना लंड मेरी चूत पर लगाया और झटका मारा जिससे उसका लिंग मेरी चूत में घुस गया। पहले मुझे भंयकर पीड़ा हुई। दर्द मेरी सहनशक्ति से ज्यादा था। पर कोई रूकने का नाम नहीं ले रहा था। मैं दर्द से चीख ना पाऊं, इसलिए अभि ने पहले मेरा मुंह बंद कर रखा था। अब उसने हाथ हटाकर अपना लण्ड मेरे मुंह में दे दिया। देखिए कल तक एक लौड़ा पाने के लिए इस लड़की के बदन के अन्दर अब तीन-तीन जवान लौड़े थे। मुझे इसे शरीर में लेने पर शुरू में तकलीफ हुई। पर बाद में मेरा शरीर इसके लिए अभयस्त सा हो गया।

राहुल का काम सबसे पहले हुआ। मेरी गांड को लहुलुहान करके अपना माल मेरी गाण्ड में ही छोड़कर वह हटा।

साहिल अपना लम्बा लोला मानो मेरे पेट तक घुसा देने के फेर में उछल-उछलकर शाट लगा रहा था। इधर अभि भी अपना पूरा लौड़ा मेरे मुंह में गले तक डाल रहा था, यह सच में मेरे हलक तक जा रहा था।

अब अभि का माल छूटा। इसने भी मेरे मुंह में ही अपना झड़ाया पर मैं उसे वहीं थूक दिया।

साहिल लगा हुआ था, जोर से उछल कर शाट मारना जारी रख्र हुए था पर कुछ ही देर में यह भी शांत होकर मुझसे चिपक गया। इनका काम निबटने के बाद मैं उठी, वाशरूम गई, वहाँ से फ्रेश होकर आने के बाद मैंने उनसे कहा- तुम तीनों की जरूरत पूरी करने के फेर में मेरी जरूरत तो बाकी ही रह गई।

अब राहुल बोला- यार इस बार मैं तुम्हारे पीछे लगा तो मैं भी पूरा मजा नहीं पा पाया।

अभि बोला- तो भोसड़ी के किसने तुझे इसकी गांड मारने कहा था?

वह बोला- यार हम तीन थे और पूदी एक, तो मुझे मालूम था कि तुम दोनों ही आगे लगते फिर मैं तो लटक ही जाता ना। कुंए के पास से प्यासा चल देना अच्छा नहीं था। पानी ना पी सको तो कोई बात नहीं किनारे बैठकर उस पर और पत्थर फेंक कर उसकी गहराई तो देखी ही जा सकती है ना।

इनकी बात और चलती तभी मैं बोली- अब जो करना है, जल्दी करो। नहीं तो रसोईया यहाँ आ जाएगा।

कौन कहाँ लगेगा, तीनों ने इसकी बात शुरू कर दी पर मैं बोली- अब बारी-बारी से तीनों ही मेरी चूत चोदना। अब कोई भी मेरी गांड या मुंह में लंड नहीं डालेगा।

“तो ठीक है, पहले मैं !” यह बोलकर राहुल पहले मुझ पर चढ़ा। अभि व साहिल मेरे पास दोनों तरफ़ बैठकर मेरे निप्पल चूसने लगे। इसका जोश मुझे अच्छा लगा। इसके बाद साहिल ने मेरी चुदाई की। इसका लंड राहुल से थोड़ा बड़ा था और स्पीड भी ठीक थी। आखरी में अभि ने चोदा।

अब मैं बहुत थक गई थी, आज की चुदाई में मेरी चूत से 5 बार रज निकला। अभि का काम होते ही मैंने इन्हें जाने कहा। सब कपड़े पहनकर तैयार हुए इन्हें छोड़ने मैं बाहर तक आई। इनके जाने के बाद बाहर का गेट बंद करते हुए रसोइए की लाइट जली देखकर ध्यान आया कि मैंने रसोईए को तो उसके कमरे तक जाते देखा ही नहीं। हमें खाना देने के बाद कहीं ये कुछ और देने या पूछने के लिए यह अन्दर आया हो और हमें चुदाई करते हुए ना देख लिया हो?

यह ख्याल आते ही मैं उसके कमरे की ओर बढ़ी और वहाँ देखा तो सन्न रह गई। हमारा रसोईया दीपक पूरा नंगा होकर अपना लौड़ा हिला रहा है।

उसे इस हाल में देखकर मैं डर गई। मुझे यह समझ में आ गया कि इसने हमें चुदाई करते हुए देख लिया है।

यहाँ से चुपचाप मैं अपने हाल में आई, फिर सोचा कि देखा होगा तो कल देखा जाएगा, इससे बात करके देखूँगी।

यह सोचकर सब दरवाजे बंद करके मैं अपने कमरे की ओर सोने के लिए बढ़ ली।

तो दोस्तो, यह थी मेरे सैक्स जीवन में झटका लगाने वाली पहली ताबड़तोड़ चुदाई।

जैसा मुझे अंदेशा है कि हमारी इस चुदाई को रसोइए दीपक ने देख लिया है। अब कल मैं उससे क्या बात करूँगी और उसने क्या देखा है।

कहानी का यह भाग आपको कैसा लगा, कृपया मुझे मेल करें !

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