बीच नदी में पानी के अन्दर

playboyz4you 2013-04-19 Comments

लेखक : राज कुमार

लण्ड की प्यासी हर औरतों को मेरे लण्ड का सलाम। मेरा नाम राज है। मैं 26 साल का एक हट्टा-कट्टा जवान लड़का हूँ, ओडिशा के संबलपुर जिले में रहता हूँ। मैं पेशे से एक फिजिकल ट्रेनर हूँ। मेरा लण्ड करीबन 8 इंच का है और बहुत मोटा भी है जिसे देख कर किसी के भी होश उड़ जायेंगे।

यह मेरा पहला और सच्चा अनुभव है। बात तब की है जब मैं पढ़ता था। दोस्तो, मैं बचपन से ही मार्शल आर्ट, डांस किया करता था। मैं दिखने में बहुत ही तगड़ा हूँ।

मैं हर रोज सुबह 4 बजे उठ कर मार्शल आर्ट की क्लास में जाता था। उसके बाद 7.30 पर नहाने के लिए नदी जाता, महानदी हमारे घर के पास ही है। मैं घर में नहीं नहाता था और स्विमिंग के लिए नदी जाता, नहाते वक़्त बस सिर्फ एक चड्डी में ही नहाता था। नदी में नहाने वाली हर लड़की, हर औरत मेरे बलिष्ठ शरीर को और मेरे लण्ड को देख कर पागल सी हो जाती थी।

एक दिन जब मैं सुबह नहाने के लिए नदी पहुँचा तो देखा कि नदी में कोई नहीं था। बस एक लड़की नहा रही थी। लड़की दिखने में बहुत ही खूबसूरत थी। मस्त गोरे-गोरे गाल, जांघें तो सुभान-अल्लाह ! क्या चिकनी थी। उसके दूध तो पूछो मत यार ! गोरे-गोरे, बहुत ही बड़े-बड़े, गीले कपड़ों में पूरे और साफ़ नज़र आ रहे थे।

मैं तो पागल सा हो गया। लेकिन फिर उसे देखा तो सोचा कि वो तो मुझसे उमर में बहुत ही बड़ी थी तो मन मार कर मैं नहाने लगा। मैं कम उम्र का लड़का और वो तो मुझसे बहुत ही बड़ी थी।

वो हर रोज नहाने आती थी। मैं उसे देखता और वो मुझे। हर रोज़ मैं उसके सपने देखा करता था और मुठ मारता। मुझे सेक्स के बारे में कुछ ज्यादा ज्ञान नहीं था। बस यह पता था कि लड़की की चूत में लण्ड डाल कर चोदा जाता है। पर कैसे, वो पता नहीं था। मैं हर रोज़ उसको सपनों में देखता और चोदता था और सोचता कि काश ! यह हकीकत में हो जाये।

आखिरकार वो दिन आ ही गया। एक दिन जब मैं नदी पर पहुँचा तो देखा, वो नहीं थी, तो मेरा मन नहाने में नहीं लगा। मैं नदी के किनारे जा कर आँखें मूँद कर बैठ गया।

कुछ देर बाद मुझे ऐसा लगा कि जैसे मेरे लण्ड को कोई छू रहा है। मैंने अपने दायें तरफ मुँह घुमा कर देखा तो वो ही लड़की बैठी थी और मेरे लण्ड को जोर से दबा रही थी। मैंने कभी भी ऐसा कुछ सोचा भी नहीं था। अचानक हुई इस क्रिया से मैं बहुत ही घबरा गया। डर के मारे मेरे तो पसीने छूट गए, मैं तो कुछ बोल ही नहीं पाया।

इतने में उसने कहा- मेरा नाम दीपिका है।

और मेरे लण्ड को और भी जोर से मसलना शुरु कर दिया। मैं डर भी रहा था और मुझे अच्छा भी लग रहा था। वो खड़ी हुई और मेरे सामने से आगे की ओर चलने लगी।

मैं कुछ समझ ही नहीं पाया कि वो आखिर जा कहाँ रही है। अचानक वो रुकी, मुड़ कर मुझे एक प्यारी सी स्माइल दी और इशारे से मुझे बुलाने लगी। मैं कुछ समझ ही नहीं पाया, मैं पूरा सम्मोहित होकर उसके पीछे-पीछे चलता गया। मुझे तो होश ही नहीं कि मैं किधर जा रहा हूँ।

हम लोग महानदी में जहाँ नहाने जाते हैं, वहाँ से नदी के उस पार तक जाने के लिए करीब ५ किलोमीटर का एक पतला सा रास्ता है। रास्ते में 3 जगह पानी को रोकने के लिए बाँध बनाए गए हैं। उस रास्ते पर चलते-चलते मैं कब दूसरे बाँध में चला गया, मुझे पता ही नहीं चला।

ज्यादातर लोग पहले बाँध में ही नहाते हैं। दूसरे और तीसरे बाँध में तो कोई आता ही नहीं है। शायद ही कभी-कभार कोई जाता होगा। हम दूसरे बाँध से भी आगे चले गए थे। दूसरे और तीसरे बाँध के बीच में कई जगह पानी बहुत ही कम है और वहाँ बहुत बड़े-बड़े पत्थर और झाड़ियाँ हैं।

मैं उसके पीछे-पीछे पत्थर और झाड़ियों के बीच चलता गया। वो उधर जाकर एक बड़े से पत्थर के पास पहुँची, वो स्थान चारों तरफ से पत्थर और झाड़ियों से घिरा था। उस जगह पर घुटने तक ही पानी था।

वो उधर जाकर एक छोटे से पत्थर पर बैठ कर पानी में अपने पैर हिलाने लगी। मैं उसके सामने जाकर खड़ा हो गया। मुझे कुछ पता नहीं था कि मुझे क्या करना चाहिए.. वो मेरे पास आई और पानी में घुटनों के बल बैठ गई और मेरी पैंट खोलने लगी।

वो मेरा मोटा और बड़ा लण्ड देख कर पहले तो घबरा गई, फिर वो अपने हाथों से पानी भर कर मेरे लण्ड को धोने लगी। इसके बाद वो मेरा लण्ड अपने मुँह से चूसने लगी।

मैं तो जैसे जन्नत की सैर कर रहा था, पहली बार कोई मेरा लण्ड चूस रही थी। वो तो रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी। करीबन दस मिनट तक चूसती रही। मैं तो पगला सा गया था।

फिर उसने मेरा लण्ड छोड़ दिया और पानी में जा बैठी और मुझे बुला कर बोली- मेरी देखोगे क्या?

मैंने सर हिला कर हामी भरी तो उसने कहा- मेरे कपड़े उतार दो और देख लो।

मैंने उसके कपड़े उतार दिये और जब नग्न अवस्था में उसकी चूत पर गई तो मेरा मन झूम उठा। वो पानी में बैठी थी। साफ़ पानी के अन्दर उसकी चूत, पूरी चिकनी और गुलाबी दिख रही थी।

उसने आँखों से मुझे इशारा किया और मैं समझ गया। मैं उसकी चिकनी चूत पर अपना हाथ फेरने लगा। उसने मुझे मना करते हुए कहा- हाथ से नहीं, अपने मुँह से करो।

पहले तो मुझे अच्छा नहीं लगा, पर जब मैंने पानी के अन्दर उसकी चूत पर अपना मुँह रखा, तो ऐसा लगा जैसे मैंने मलाई के ढेर पर अपना मुँह रख दिया हो। मैं उसकी चूत को बस चाटता और चूसता ही रहा।

वो पानी में हाथ-पैर मार कर ऐसे मचलती रही जैसे मछली पानी के बाहर तड़पती है। यह हसीन मछली तो पानी के अन्दर तड़प रही थी। चाट-चाट कर और चूस-चूस कर मैंने उसका पानी निकाल दिया।

उसका सारा रस पानी में घुल गया था। अब मैंने उसके सुडौल और पानी में तने हुए एकदम गोल और दूध से गोरे मम्मों को चूसा। वो भी पागल सी हो कर सिसकारियाँ निकालती रही।

उसने मुझे जल्दी से चोदने को कहा और एकदम कम पानी वाली जगह पर लेट गई।

मैं उसके ऊपर चढ़ गया उसकी चूत पानी के अन्दर थी। मैंने लण्ड को उसकी चूत पर थोड़ा रगड़ा और एक जोर का झटका दिया तो वो चिल्ला उठी और बोली- धीरे से करो, मैं भी पहली बार करवा रही हूँ, और तेरा लण्ड भी बहुत ही बड़ा है।

मुझे क्या पता था कि कैसे चोदते हैं, मुझे तो सिर्फ इतना पता था कि लण्ड को चूत में घुसाते हैं। खैर, मैंने धीरे से उसकी चूत के छेद पर लण्ड रखा और धीरे-धीरे घुसाने लगा।

अब लण्ड एक इन्च अन्दर घुस गया था। मैंने सोचा अब तो लौड़ा फिट हो ही गया है, सो मैंने फिर एक जोर का झटका दिया और इस बार मेरा पूरा लौड़ा उसकी चूत में घुस गया।

वो तो दर्द के मारे चिल्ला उठी- कुत्ते अईई… कमीनेएएएए… मादरचोद… अईई…ईईईईई… छोड़ मुझे…

बोल कर मुझे धकेलने लगी पर मैंने उसको नहीं छोड़ा, मैंने और भी जोर से उसको चोदना चालू कर दिया। वो जोर-जोर से चिल्लाती रही।

“मुझे छोड़ दे साले, हरामी, मैं मर जाऊँगी, छोड़ दे मुझे, मादरचोद छोड़ दे, मुझे।”

वो बोलती रही, चिल्लाती रही, उसकी आँखों से आँसू बहने लगे। मैंने उस पर थोड़ा भी रहम नहीं किया। वहाँ उसकी चीख सुनने वाला भी कोई नहीं था, मैं उसको जोर-जोर से चोदता रहा।

मुझे बहुत ही मजा आ रहा था।

धीरे-धीरे वो भी शान्त होने लगी और मेरा साथ देने लगी, बोली- अच्छा हुआ, तू नहीं रुका अब मुझे बहुत मजा आ रहा है, और चोद मुझे और चोद मुझे।

कहते हुए उसने मुझे अपनी बाँहों में जोर से जकड़ लिया। थोड़ी देर के बाद वो झड़ गई।

मैं भी झड़ने ही वाला था, करीब बीस धक्के के बाद मैं भी उसकी चूत में ही झड़ गया। कुछ देर हम दोनों यूँ ही पानी में पड़े रहे फिर मैं खड़ा हो गया, जैसे ही खड़ा हुआ, वो मेरे लण्ड को पकड़ कर मुँह में लेकर चूसने लगी और मेरा बचा हुआ रस पीने लगी। मेरी निगाह पानी पर गई तो मैंने देखा कि पूरा पानी उसके खून से लाल हो गया था। मैंने तो डर गया पर वो मुस्कुराती रही।

फिर हमने एक साथ नहाए, कुछ देर मस्ती करने के बाद हम दोनों अपने-अपने घर चले आए।

उसके बाद मैंने उसको कुछ दिन और चोदा, फिर पता नहीं वो अचानक कहाँ गायब हो गई। वो नहाने ही नहीं आई। मैंने कई दिन तक उसका इन्तजार किया पर एक दिन…

चलो छोड़ो अब बाकी की कहानी अगली बार !

आपको मेरी कहानी कैसी लगी? मुझे जरूर बतायें।

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