औरतों की यौन-भावनाएँ-1

जय कुमार 2007-04-19 Comments

लेखक : जय कुमार

मैं जय कुमार, कालबॉय हूँ, रंग साफ, कद 5 फीट 8 इन्च एकदम से स्लिम, दिल्ली में रहता हूँ, एक बार फिर से एक नई कहानी लेकर हाजिर हूँ जो हकीकत है, आप लोग मानो या मानो ! एक कड़वा सच है जो मेरा भुगता हुआ है।

कहानी पर आता हूँ :

मुझको एक मेल आया- जय कुमार आप मुझको अपना फोन नम्बर दे सकते हो ?

मैंने कहा- नहीं।

क्योंकि मुझे लगा कि मेल किसी लड़के का था। अगले दिन फिर से उसका मेल आया और कहने लगी- मैं एक लड़की हूँ और मैं आपके बारे में जानना चाहती हूँ !

मैंने कहा- आप अपना फोन नम्बर मुझको मेल करो।

उसने मुझको अपना फोन नम्बर मेल किया तो मैंने उस नम्बर पर फोन किया। किसी लड़की ने फोन उठाया तो मैंने कहा- मेरा नाम जय कुमार है।

तो वो कहने लगी- आपको किससे बात करनी है?

मैं कहने लगा- लगता है, गलत नम्बर मिल गया है।

कहकर फोन काट दिया।

लेकिन 4-5 मिनट के ही बाद मेरे फोन पर उसका फोन आया कि मुझको जय कुमार से बात करनी है।

तो मैंने कहा- यह पी सी ओ का नम्बर है !

कहकर फोन रख दिया।

उसी दिन फिर से उसका मेल आया, उसमें उसने लिखा- सॉरी जय ! आप उसी नम्बर पर काल करना। मेरा नाम मिसेज कला है और मेरी उम्र 35 साल है।

मैंने अगले दिन दोपहर को दो बजे मिसेज कला को फोन किया तो फोन उसी लड़की ने उठाया।

मैं कहा- मेरा नाम जय कुमार है और मुझे मिसेज कला से बात करनी है।

उसने कहा- हाय जय ! कैसे हो?

मैंने कहा- मैं ठीक हूँ !

तो मिसेज कला कहने लगी- जय जी ! आज शाम को मेरे घर आ सकते हो?

मैंने कहा- जी, आज नहीं !

तो मिसेज कला कहने लगी- आज क्यूँ नहीं ?

तो मैंने कहा- आज मुझको कुछ काम हैं !

तो मिसेज कला कहने लगी- काम कल कर लेना !

मैंने कहा- कुछ ज्यादा ही जरुरी है।

तो मिसेज कला हँसने लगी और कहने लगी- चलो कोई बात नहीं पर कल पक्का?

मैंने कहा- हाँ, कल पक्का !

कोई 10-15 मिनट के बाद मेरे फोन पर मिसेज कला का फोन आया और कहने लगी- मुझे जय से बात करनी है।

मैंने कहा- बात अभी तो हुई थी।

मिसेज कला कहने लगी- हाँ, पर मैं आपसे कुछ जानना चाहती हूँ जय !

मैंने कहा- जो भी जानना है, कल जान लेना !

तो मिसेज कला कहने लगी- मेरा यह सब कुछ पहली बार है जय !

मैंने कहा- कोई बात नहीं ! जो भी है, मुझको कोई फर्क नहीं पड़ता।

मिसेज कला कहने लगी- आप कैसे लगते हो?

मैंने झुंझला कर कहा- जैसा कि आम आदमी, न कि कोई राजकुमार।

तो मिसेज कला कहने लगी- जय, आप तो नाराज़ हो गये ! मैं आपसे माफी चाहती हूँ पर मुझको यह सब कुछ जानने का हक है जय।

मैंने कहा- मिसेज कला जी ! बोलो, क्या-क्या जानना चाहती हो?

मैंने अपने बारे में मिसेज कला को बताया कि मेरा नाम जय, रंग साफ, कद 5 फीट 8 इन्च और स्लिम हूँ और कुछ?

मिसेज कला ने कहा- यह तो ठीक है, आप ड्रिंक करते हो? क्या खाते हो? मैं सबका पहले से ही इंतजाम रखूँगी।

मैंने कहा- मिसेज कला जी, आप ड्रिंक लेती हो?

तो कहने लगी- हाँ, कभी कभी।

तो मैंने कहा- जो आप लेती हो, वो सब कुछ चलेगा ! अब ठीक है, कल शाम को मिलता हूँ। बस आप अपना पता एस एम एस कर देना !

और फोन काट दिया। थोड़ी देर के बाद मिसेज कला का एसएमएस आ गया। मिसेज कला ने अपनी पता शालीमार बाग का दिया।

अगले दिन मैंने शाम को 8 बजे मिसेज कला के घर पर पहुँचकर घण्टी बजाई तो एक 40-45 साल की औरत ने दरवाजा खोला।

मैंने कहा- मेरा नाम जय कुमार है, मुझे मिसेज कला से मिलना है।

तो उस औरत ने मुस्कुराकर कहा- जय अन्दर आ जाओ !

मैं अन्दर पहुँच गया और मुझको उस औरत ने ड्राइंगरूम में बैठने को कहा। मैं सोफे पर बैठ गया। थोड़ी देर के बाद वही औरत पानी लेकर आई। मैंने पानी पिया तो वह औरत मुझको देखकर मुस्कुराने लगी।

तो मैंने कहा- मुझे कला जी से मिलना है।

तो उस औरत ने कहा- मैं ही कला हूँ !

उसको देखकर तो मेरे होश ही उड़ गये, मैं सोचने लगा- जय, आज कहाँ फंस गया ? उसका साँवला चेहरा, फिगर 38-34-38 की थी, चेहरे पर हल्की हल्की झुर्री साफ दिखाई दे रही थी।

मैं यह सोच सोच कर परेशान हो रहा था कि इतने में मिसेज कला ने मुझको पूछा- जय, कहाँ खो गये ? जय क्या हुआ ?

मैंने कहा- कुछ नहीं !

तो फिर आपके चेहरे पर हवाइयां क्यों उड़ रही हैं?

मैंने कहा- मिसेज कला जी, चलो अब क्या प्रोग्राम है? हो जायें शुरु?

तो मिसेज कला कहने लगी- जय, ऐसी भी क्या जल्दी है?

और मेरे पास आकर बैठ गई और मेरे बारे में पूछ्ने लगी- जय क्या करते हो आदि !

मैं भी जवाब देता रहा। 15-20 मिनट तक इधर उधर की बातें करते रहे। फ़िर मिसेज कला जी मेरे पैर पर हाथ फेरने लगी तो मैं बोला- कला जी, चलो मूड बनाते हैं !

तो कला जी कहने लगी- क्यों नहीं ! बताओ क्या लोगे बीयर या विहस्की?

मैंने कहा- जो आप लेंगी, मैं वही ले लूँगा !

क्योंकि मैं तो मन ही मन सोच रहा था कि आज कहाँ फँस गया।

तो कला जी कहने लगी- जय, आप कुछ परेशान लग रहे हो? मैंने कहा- कला जी, ऐसी कोई बात नहीं ! आपको जो पसंद हो वही चलेगा !

यह कहकर मैं हँस पड़ा। मेरे हँसते ही कला जी ने मुझको बाहों में भर लिया। मैंने भी कला जी के होंठों को चूम लिया और हम दोनों की छेड़छाड़ शुरु हो गई तो कला की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा।

मैंने कला जी से कहा- चलो बीयर पीते हैं।

तो कला जी बोली- जय, आप विहस्की नहीं लोगे?

तो मैंने कहा- मैं विहस्की कभी कभी ही लेता हूँ, पर कोई बात नहीं ! आप जो भी लेंगी, चलेगा कला जी !

कला जी कहने लगी- जय, सिर्फ़ कला बोलो !

मैंने कहा- ठीक है, आप क्या लेंगी?

तो कला बोली- बहुत दिन हो गये, आज तो विहस्की लेंगे !

मैंने भी कहा- ठीक है कला, विहस्की लेते हैं, पर मैं कुछ जानना चाहता हूँ।तो कला बोली- जय, जो भी जानना, वो बाद में जान लेना ! पहले एक-एक पैग !

मैंने कहा- पैग हैं कहाँ ?

तो कला बोली- दो मिनट दो, अभी तैयार करती हूँ !

मैंने कहा- मैं भी साथ हाथ बटाऊँ?

तो कला कहने लगी- नहीं, मैं कर लूँगी !

फिर हम दोनों ने विहस्की और नमकीन और थोड़ी सलाद काटी और एक मेज पर लगाई, साथ में एक जग पानी का रखा और एक एक पैग बनाया, दोनों ने गिलास आपस में टकरा कर चीयर किया और अपना गिलास खाली किया। और फ़िर आपस में बात करने लगे।

फिर से कला ने दोनों गिलास में विहस्की डाली और हम दोनों ने फिर से अपना अपना गिलास खत्म किया। तो कला कहने लगी- जय, मैं कपड़े बदल कर आती हूँ।

तो मैं कहने लगा- कला जी, कपड़े क्या बदलना ! अभी सब कुछ निकल जाना है !

कला बोली- जब निकलेगा, तब निकलेगा ! अभी तो नहीं !

तो मैं कहने लगा- नहीं कला जी ! अभी ही निकाल देता हूँ !

और यह कहकर मैंने कला को बाहों में भर लिया तो कला ने भी मेरा साथ देते हुए मेरे गले में अपनी बाहें डाल दी और हम दोनों एक दूसरे से चिपक गये। तो मैंने कहा- कला जी, आपके बदन से बड़ी खुशबू आ रही है, ऐसा क्या लगा रखा है?

यह कहकर मैं कला जी के होठों को चूसने लगा और कला भी मेरा पूरा साथ देने लगी। मैं फिर कला के कमर पर और फिर नीचे जाने लगा तो कला के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी। फिर मैं कला की साड़ी को उतारने लगा और कला भी मेरा पूरा सहयोग करते हुए घूमने लगी।

मैंने कला की साड़ी को उतार कर एक तरफ फेंक दिया तो कला कहने लगी- जय, बेडरूम में चलते हैं !

तो मैंने बोला- नहीं कला जी, एक-एक पैग और लेते हैं !

कला कहने लगी- जय, आप मेरी शक्ल देखकर खुश नहीं हुए ?

मैंने कहा- कला जी, ऐसा कुछ नहीं ! मेरा काम अपने ग्राहक को खुश करना ही है।

तो कला कहने लगी- जय, चलो पैग बनाते हैं।

मैंने कहा- ठीक है।

फिर हम दोनों ने अपना पैग खत्म किया।

उसके बाद मैंने कहा- कला जी, यहीं शुरु हो जायें?

तो कला कहने लगी- बैडरुम में चलते हैं।

तो मैंने भी कहा- ठीक है, चलो, जहाँ भी आपको चलना है।

हम दोनों को नशा हो चुका था। फिर हम दोनों कला जी के बैडरुम में गये तो जाते ही कला मेरे ऊपर भूखे शेर की तरह से झपटी और मुझे दबोच लिया और मुझे बुरी तरह से नोचने लगी।

मैंने कला को पीछे की तरफ धकेला और कला की पकड़ से बाहर आ गया। फिर मैंने कला से कहा कि मैं पहले आपके कपड़े उतार देता हूँ।

कला कहने लगी- मैं पहने हुए ही क्या हूँ ? सिर्फ़ एक ब्लाउज और एक पेटीकोट ! ये लो, मैं अभी उतार देती हूँ !

और कला ने हँसते हुए अपने सारे कपड़े उतार दिए। कला के बदन पर सिर्फ़ एक लाल रंग की ब्रा और एक पैन्टी रह गई। कला का बदन हल्के सांवले रंग का, पेट बाहर को निकला हुआ था। मैं मन ही मन सोचने लगा- जय, आज तो इसको देखकर मेरा लन्ड खडा़ भी होगा या नहीं?

मैं तो यही सोचकर डर रहा था कि कला ने मुझे बाहों में भर लिया और मेरे कपड़े उतारने लगी। कुछ ही देर में कला ने मेरे सारे कपड़े उतार दिये और मेरे अन्डरवियर से मेरे लन्ड को निकालकर चूसने लगी। मैं यही सोच रहा था कि मेरा लन्ड खडा़ होगा भी या नहीं, पर कला ने तो मेरे लन्ड को मुँह में लेकर ऐसे चूसा कि मुझे लगने लगा कि मैं तो जन्न्त में पहुँच गया।

मैं भी कला की चूचियों को दोनों हाथों से दबाने और मसलने लगा। 2-3 मिनटों के बाद मैंने अपना लन्ड कला के मुँह से निकाल लिया और कला को बाहों में भर लिया। कला भी मेरे से लिपट गई। मैं कला के होठों को चूसने लगा और कला भी अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल कर अन्दर-बाहर करने लगी। मैं अपने हाथों से कला की गाण्ड को सहलाने लगा। कुछ देर ऐसा ही करने के बाद मैंने कला को बैड पर लिटाया और उसकी ब्रा को खोलकर कला की दोनों बड़ी बड़ी चूचियों को आजाद कर दिया। कला की चूचियाँ थोड़ी सी सख्त हो गई थी पर वो अभी भी नीचे को लटकी हुई थी और कला की चूचियों के काले काले निप्पल और उसका काफी बड़ा काला घेरा था।

मैं कला के एक निप्प्ल को मुँह में लेकर चूसने लगा और एक हाथ से कला की एक चूची को दबाने लगा। कला के मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी। मैं कभी एक चूची को मुँह से चूसता तो कभी दूसरी को !

8-10 मिनट तक मैं ऐसे ही चूसता तो कभी मसलता रहा और कला जी परम आन्न्द में गोते लगा रही थी।

फिर मैं कला की चूचियों को छोड़कर कला के पेट पर हाथ फिराने लगा और धीरे धीरे अपना हाथ नीचे ले जाने लगा। फिर मैं कला की पैन्टी को उतारने लगा, कला ने भी पैन्टी को उतारने में मेरा साथ देते हुए अपने बदन को ऊपर उठा दिया और मैंने पैन्टी को उतार कर एक तरफ फ़ेंक दिया। कला की क्लीन शेव की हुई चूत पर हाथ फेरने से कला के शरीर में जैसे की कोई करंट लगा हो उसका शरीर अकड़ने लगा, कला की आँखें भी बन्द होने लगी, चूत में से सफेद सफेद पानी निकलने लगा।

कला झड़ गई और एक तरफ लुढ़क गई और मैं भी कला की बराबर में ही लेट गया क्योंकि मेरा काम तो ग्राहक को सन्तुष्ट करना था।

मैंने राहत की सांस ली कि कला जी इतनी जल्दी सन्तुष्ट हो गई।

इससे आगे की कहानी दूसरे भाग में !

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