औरत की धधकती आग-1

(Aurat Ki Dhadhakti Aag- Part 1)

जय कुमार 2006-05-12 Comments

This story is part of a series:

हाय दोस्तो, मेरा नाम जय है और मैं एक काल बॉय हूँ। अन्तर्वासना डोट काम पर मेरी पहली कहानी औरत की चाहत प्रकाशित हुई, मेरी दिल को बड़ी ही खुशी हुई और पाठकों के बहुत सारे मेल मेरे पास आये जिनको पढ़कर बहुत ही ज्यादा खुशी मिली। मैं अपने हृदय से धन्यवाद करता हूँ कि आप को मेरी कहानी पसन्द आई। मैंने जो कहानी लिखी थी वो वास्तव में सच थी और जो कहानी अब लिख रहा हूँ वो भी सच ही है। पाठक जो भी समझें, पर यह एक हकीकत है क्योंकि मेरे पास इतना लिखने को है कि मैं रोज एक कहानी लिखूं तो भी तीन चार साल लग जायेंगे जो कि काल्पनिक नहीं हकीकत है।

इस समाज का एक कड़वा सच और मेरा भुगता हुआ। चलो अब अपको मैं अपना परिचय एक बार फिर से कराता हूँ !

मेरा नाम जय रंग साफ, कद ५ फीट ८ इंच, एकदम से स्लिम हूँ। मैं दिल्ली में रहता हूँ।

अब मैं दोस्तो अपनी कहानी पर आता हूँ।

मेरी नौकरी तो शिवानी मैडम ने अपने पति के ही ऑफिस में लगवा दी और मैं अब बड़ा ही खुश रहने लगा। दो महीने के बाद रंजीत मेरे घर पर आया और कहने लगा- जय क्या बात है यार ! आप तो हम को भूल ही गये ? क्या हुआ ?

मैंने कहा- यार रंजीत ! आपने तो मेरी जिन्दगी ही बदल दी ! आपका अहसान तो मैं जिन्दगी भर नहीं भुला सकता ! रंजीत आप क्या कह रहे हो ! मैं तो आपका जिन्दगी भर आभारी रहूँगा।

रंजीत ने कहा- तो फिर आप ना तो हमसे मिलने के ही लिए आये और ना ही फोन किया? हम तो समझे कि आप तो हमको भूल ही गये, जय।

मैंने कहा- नहीं रंजीत ! बात ही कुछ ऐसी है कि समय ही नहीं मिला। यार रंजीत, नौकरी जो कर ली है !

रंजीत कहने लगा- नौकरी कहां पर कर ली है?

तो मैंने कहा- मैडम शिवानी जी ने अपने पति के ऑफिस में ग्राफिक्स डिजायनर की नौकरी दिला दी है।

तो रंजीत कहने लगा- यह तो बहुत ही खुशी की बात है यार ! आपने तो मुँह भी मीठा नहीं करवाया !

मैंने कहा- दोस्त रंजीत, ये लो अपना मुँह मीठा करो।

तो रंजीत ने मिठाई खाने के बाद कहा- यार जय, आपने तो फोन भी ले लिया है ! यार ऐसी क्या लाटरी लग गई?

मैंने कहा- नहीं रंजीत, यह तो आपकी ही मेहरबानी है कि आज मेरे पास सब कुछ है। और मुझे क्या चाहिए मेरे दोस्त रंजीत। आपने जो मुझ गरीब पर अहसान किया हैं वो आज के जमाने में कौन किस पर करता हैं रंजीत। आप तो मेरे लिए भगवान हैं।

थोड़ी देर के बाद रंजीत बोला- यार जय, यह क्या हुआ ? आपने हमारे लिए पार्टी का भी इंतजाम नहीं किया ? ये तो कोई बात नहीं हुई जय।

मैंने कहा- मेरे दोस्त रंजीत, बोलो आपको क्या चाहिए।

रंजीत ने कहा- यार कुछ बीयर-शीयर हो जाए।

मैंने कहा- हाँ यार, क्यों नहीं ! अभी आपके लिए हाजिर करता हूँ !

तो मैंने फ्रिज से दो बीयर निकाली और मेज़ पर रख दी, दो गिलास में डाल दी और फ्रिज से पनीर निकाल कर उसको टुकड़ों में काटकर प्लेट में रखकर कहा- लो यार रंजीत।

हम दोनों ने एक एक गिलास बीयर पी। और फिर मैंने दो गिलास में डाल दी तो रंजीत कहने लगा- यार जय, आपको हमारा काम अच्छा नहीं लगा।

मैंने कहा- नहीं यार रंजीत आपके काम की ही वजह से तो मैं सब कुछ हूँ, नहीं तो मेरे पास क्या था ? जो भी आज मेरे पास वो सब कुछ आपका ही तो दिया हुआ है, आप तो मेरे लिए भगवान के समान हो। आप जो भी कहें मैं वही करने के लिए हमेशा ही तैयार हूँ और रहूँगा।

फिर मैंने दो गिलास में बीयर डाली और रंजीत को कहा- यार पियो और मेरे लिए कोई काम हो तो बताओ, मैं अपना सारा काम छोड़कर आपका जो भी काम होगा मैं करने के लिए हमेशा तैयार हूँ।

रंजीत ने कहा- यार जय, मुझको आपके बारे में सब कुछ पता है जो आपको भी नहीं पता।

तो मैंने कहा- रंजीत भाई ऐसी क्या बात हुई कि आप इतने ज्यादा परेशान हो गये?

रंजीत कहने लगा- यार आपको मेरे काम के बारे में तो पता ही है, तो मेरी भी मजबूरी समझो, मैं इसलिए ही आपके पास आया हूँ ! आप तो एक काल करके खुश हो और अपनी जिन्दगी आराम से काट रहे हो, पर मेरी तो जिन्दगी ही दूभर हो गई है और मैं परेशानी में घिर गया हूँ क्योंकि हर कोई अब आपकी ही डिमान्ड करने लगी है, पर हमें तो पता ही नहीं था कि आप कहाँ पर हो।

मैंने कहा- यार रंजीत, मेरा जो भी हैं वो सब आपकी ही तो देन हैं तो आप परेशान क्यों हो?

रंजीत ने कहा- जय अपना पहले तो फोन नम्बर दो !

और मैंने अपना फोन नम्बर रंजीत को दिया तो रंजीत ने कहा- आपको एक हफ़्ते तक रोज काल पर जाना है।

मैंने कहा- रंजीत भाई, ऐसा तो मत करो, मुझे भी तो काम करना होता है।

रंजीत ने कहा- अभी तो कह रहे थे कि जो भी आप कहोगे मैं वही करुँगा ! तो अब क्या हुआ?

मैंने कहा- यार रंजीत मुझे दिन भर नौकरी भी तो करनी है और फिर काम का बोझ भी तो बहुत ही ज्यादा है।

रंजीत ने कहा- कोई बात नहीं ! आपको जो चाहिए वो सब मिलेगा।

फिर मैंने हामी भर दी तो रंजीत बोला- जय यार आप तो कभी कुछ लेते ही नहीं थे पर आपके तो फ्रिज में तो बहुत ही बीयर रखी हैं और आप मेरे साथ भी पी रहे हो ! माजरा क्या है?

मैंने कहा- रंजीत यह आपकी ही सोहबत का ही तो असर है।

रंजीत बोला- अब आप मेरे ही साथ काम करोगे।

मैंने कहा- ठीक है, आप जैसा कहोगे, मैं तैयार हूँ !

तो रंजीत ने कहा- मैं आपको फोन नम्बर दूंगा और आप उस पर फोन करना !

मैंने कहा- नहीं रंजीत, मुझे नहीं उनको आप मेरा फोन नम्बर देना ! मैं जवाब दूगाँ जैसा आप चाहोगे और आप जो भी दोगे मुझे मंजूर है।

रंजीत ने कहा- जय ऐसी बात है तो ६०-४० कर लेते हैं।

मैंने कहा- ठीक है, पर कीमत मेरे ही हिसाब से लगाना !

रंजीत ने कहा- ठीक है यार आज आप की ही माँग है, जैसा आप कहोगें वही होगा। बस आप फोन का जवाब देना।

फिर रंजीत जाने लगा तो मैंने कहा- यार रंजीत यह तो कोई बात नहीं हुई, यह बीयर तो खत्म कर देते हैं !

हम दोनों ने एक-एक गिलास बीयर और पी और फिर रंजीत जाने लगा तो मैंने कहा- यार चलो अब खाना खा लेते हैं।

रंजीत ने कहा- नहीं यार, फिर कभी साथ में खायेंगे।

मैंने कहा- चलो बाहर खा लेते हैं !

तो रंजीत ने कहा- आज नहीं यार ! टाइम बहुत हो चुका हैं और मुझे भी तो कुछ अरेन्ज करना है।

मैं रंजीत को बाहर तक छोड़ने के लिए आया।

अगले दिन मुझे साढ़े ग्यारह बजे एक मैडम का फोन आया कि मैं मिस्टर जय से बात कर सकती हूँ? तो मैंने कहा- हाँ ! मैं जय बोल रहा हूँ ! आप कौन ?

मैडम ने कहा- मैं रूबी बोल रही हूँ !

मैंने कहा- हाँ बोलिये रूबी जी ! मैं आपके लिए क्या कर सकता हूँ ?

रूबी मैडम ने कहा- मुझे रंजीत ने आपका नम्बर दिया है !

मैंने कहा- हाँ ठीक है, कोई बात नहीं! आप कहिए !

रूबी कहने लगी- मेरा नाम रूबी है और मेरी उम्र २६ साल है।

मैंने कहा- रूबी मैम कहिए, मैं आपके लिए क्या कर सकता हूँ?

तो रूबी बोली- आज आपको हमारे घर पर शाम को नौ बजे आना है और सही टाइम पर आना हैं हम आपका इन्तजार करेंगे। आपको जरूर आना है।

मैंने कहा- रूबी जी ! पता तो बता दो !

तो रूबी ने अपना पता नोएडा सेक्टर १४ बताया। मैंने कहा- ठीक है, आपको फीस का तो पता है ना ?

रूबी मैम बोली- फीस की आप चिन्ता मत करो, आपको आपकी फीस के हिसाब से ज्यादा ही मिलेगा।

कहा- रूबी मैडम, ठीक है, मैं पहुँच जाऊँगा।

फिर मैंने रंजीत को फोन किया तो रंजीत ने कहा- हाँ यार ! रूबी को मैंने ही आपका फोन दिया था, उसकी काल आई होगी !

मैंने कहा- हाँ ! मुझे क्या करना होगा?

रंजीत ने कहा- यार वही सब कुछ जो आपने पहले किया था बस अब घबराना मत ! सही समय पर पहुँच जाना।

मैं शाम को ठीक समय पर रूबी मैडम के घर पर पहुँचा तो एक मैम ने दरवाजा खोला, पूछा कि आपको किससे मिलना है?

मैंने कहा- मुझे रूबी मैडम से मिलना है !

तो मैडम मुझे देखकर मुस्कुराने लगी और कहने लगी- आप जय हो? आप तो टाईम के बड़े ही पाबन्द हो !

मैंने कहा- मैम मेरा तो सारा ही काम टाईम के हिसाब से चलता है!

रूबी की लम्बाई ५ फीट ४ इंच, कमर ३० इंच, हिप्स ३६, चेस्ट ३२, रंग गौरा और रूबी ने नीले रंग की जीन्स और सफेद का रंग का टॉप पहना था। रूबी को देखकर मैं मन ही मन बहुत खुश हुआ। रूबी ने मुझे अन्दर आने को कहा और मैं पीछे-पीछे अन्दर चला गया।

रूबी ने ड्राइंगरूम में मुझको बिठाया और खुद ही पानी लेकर आई। फिर हम दोनों एक दूसरे के बारे में बात करने लगे। रूबी ने कहा- जय आप इस प्रोफेशन में कितने दिनों से हो?

मैंने कहा- मैडम, यही कोई दो तीन महीने से।

रूबी हँसने लगी और कहने लगी- जय आपकी तारीफ तो बहुत सुनी है, पर आप देखने में तो कमजोर से लगते हो।

मैंने कहा- रूबी जी ! देखने या सुनने से क्या होता है, जो भी है वो तो अभी सब कुछ आपके सामने आ जाएगा।

फिर रूबी खिलखिलाकर हँसने लगी। थोड़ी देर के बाद रूबी जी ने कहा- जय आप क्या लोगे?

मैंने कहा- कुछ भी चलेगा !

रूबी कहने लगी- मेरा मतलब हैं कि विस्की, रम या बीयर?

मैंने कहा- आप जो लेंगी वही हम भी ले लेंगे।

तो रूबी जी ने कहा- बीयर चलेगी?

मैंने कहा- चलेगी क्या दौडेगी।

रूबी दो गिलास और दो बोतल बीयर लेकर आई और खोलकर गिलास में डाली, एक गिलास मुझे दिया और एक खुद ऊपर उठाकर चियर्स किया। हम दोनों ने अपना अपना गिलास खत्म किया।

मैंने कहा- रूबी जी, आपका घर तो अच्छा खासा है ! यहाँ पर और कोई रहता हैं क्या?

क्योंकि घर पर तो रूबी जी अकेली ही थी।

रूबी कहने लगी- मेरे पति कनाडा में रहते हैं और साल में एक दो बार ही आते हैं, मेरे साथ में मेरे सास व ससुर जी रहते हैं, एक नौकरानी हैं जो आज छुटटी पर है, इसलिए मैंने रंजीत से सम्पर्क किया कि अकेले अकेले बोर होने से अच्छा है कि कुछ एन्जोय ही कर लिया जाय।

मैंने कहा- बच्चे नहीं हैं क्या?

तो रूबी जी कहने लगी- नहीं ! अभी तक तो कोई नहीं ! आगे का पता नहीं।

मैंने कहा- चलो कोई बात नहीं इन्जोय करते हैं और आज आपकी रात को हसीन बना देते हैं !

और मैंने उठकर बाकी की बची बियर दोनों गिलास में डाली और एक गिलास रूबी को दिया और हम दोनों ने एक ही बार में अपना गिलास खत्म किया। मैं रूबी के पास जाकर बैठ गया और अपना हाथ रूबी के कंधे पर रखकर कहने लगा- रूबी जी, आपने इससे पहले भी किसी गैर मर्द के साथ सैक्स किया है?

रूबी कहने लगी- शादी से पहले दो-चार बार अपने बायफ्रेन्ड के साथ किया था और उसके बाद अपने पति के साथ।

मैं कहने लगा- नहीं शादी के बाद ! जैसे आप मेरे साथ करने जा रही हो !

तो रूबी कहने लगी- नहीं आज पहली बार करने जा रही हूँ ! वो भी अपनी सहेली के कहने पर कि घर पर पडे पडे बोर होने से अच्छा हैं कि अपने अन्दर की आग को कुछ शान्त कर लो।

क्योंकि इसके अलावा कोई चारा भी तो नहीं है।

मैंने अपने हाथ रूबी के कन्धे पर से हटाकर रूबी की चूचियों पर फिराने लगा, कपडों के ऊपर ही और उनको धीरे धीरे मसल भी देता। रूबी को नशा चढ़ने लगा था, कुछ तो पहले ही बीयर का नशा और फिर सैक्स का नशा, वो भी किसी गैर मर्द के साथ। रूबी बहकी बहकी आवाज में बोली- जय यार ! यह क्या कर रहे हो? ऊपर से ही करने का इरादा है क्या ?

मैंने कहा- नहीं यार रूबी ऐसा कोई इरादा नहीं ! चलो थोड़ी-थोड़ी बीयर और लेते हैं।

रूबी ने मुझको कस के बाँहों में भर लिया और कहने लगी- पीने के अलावा भी हम भी तो हैं ! आज हमें ही पी लो ! और अपने होंठों को मेरे होठों से सटा दिया। रूबी मेरे होंठों को चूसने लगी। मैं भी अब रूबी के सर को पकड़कर उनके होंठों को बेतहाशा चूसने लगा और अपनी जीभ रूबी के मुँह में डाल दी। रूबी भी मेरा पूरा साथ दे रही थी। तीन चार मिनट तक हम एक दूसरे को ऐसे ही चूमते रहे।

उसके बाद रूबी ने अपना हाथ मेरी पैन्ट के अन्दर डाल दिया, मेरे लन्ड को पकड़ लिया और कहने लगी- जय, जो आपके बारे में सुना था, यह तो सचमुच में ही उतना ही बड़ा है !

मैं भी रूबी की गाँड को एक हाथ से सहलाने लगा और एक हाथ से रूबी की चूची को मसलने लगा। तो रूबी मेरे लन्ड को छोड़कर मेरी शर्ट के बटन खोलने लगी, शर्ट को उतार फेंका और कहने लगी- जय बैडरूम में चलते हैं।

मैंने कहा- रूबी मेरी जान ! आप जहाँ कहो, मैं तो आपकी सेवा में वहीं हाजिर हूँ ! जहाँ कहो वहीं पर चुदाई कर देंगे आपकी रूबी जी।

रूबी हँसने लगी और कहने लगी- चलो ना बैडरूम में !

मैंने रूबी को छोड़ दिया और अपने आपको संभाला और रूबी के पीछे पीछे उसके बैडरूम में चला गया। रूबी बैडरूम में जाकर बैड पर लेट गई और मुझे इशारा करने लगी- आ जाओ जय। मेरे तन की प्यास बुझा दो जय।

मैंने अपने कपड़े उतार दिये और मेरे शरीर पर अब सिर्फ अन्डरवीयर ही बचा था तो रूबी उसको देखकर कहने लगी- जय इसको भी उतार दो ना।

मैंने कहा- मेरी जान रूबी ! सब कुछ उतार दूँगा ! पहले आपके बदन की नुमाईश तो कर लूँ देखूँ कि आपका शरीर कैसा हैं क्योंकि अभी तक तो उपर से देखा है, अब अन्दर भी देख लेता हूँ !

क्यों नहीं जय। आज हमारा पूरा का पूरा शरीर आपके लिए हाजिर हैं आप जो भी करना चाहो, आप हर तरह से आजाद हो ! पर ये देख लेना कि हमको पूरी तरह से खुश करके जाना है, हमें निराशा नहीं मिलनी चाहिए जय।

मैंने कहा- रूबी जी ! अगर हमने आपको खुश नहीं किया तो हमारा नाम भी जय नहीं।

और हम दोनों फिर हँसने लगे। और एक दूसरे के बदन से छेडछाड़ करने लगे। हम दोनों बच्चों की तरह से एक दूसरे को कभी चूमते तो कभी मैं रूबी की चूचियों को भींच देता तो कभी रूबी की गाँड के अन्दर उँगली डाल देता कपड़ों के उपर से ही और कभी रूबी की चूत को भींच देता। रूबी भी कहाँ कम रहने वाली थी, वो भी कभी मेरे गालों को पकड़कर खींचती तो कभी मेरे लन्ड को पकड़ के हद से ज्यादा दबा देती और हम दोनों ८-१० मिनट तक एक दूसरे को ऐसे ही छेड़ते रहे। फिर मैं रूबी को लिटाकर उसके ऊपर चढ़ गया और रूबी नीचे लेट गई।

मैंने पहले रूबी का टॉप निकाला और रूबी की चूचियों को उसकी सफेद ब्रा के ही उपर से दबाने लगा। रूबी की चूचियाँ एक दम से गर्म होने के कारण टाईट हो गई थी, उनको दबाने लगा फिर मैंने रूबी की ब्रा भी उतार फेंकी और रूबी के मम्मों को आजाद कर दिया। वाह ! क्या मम्में थे- गोल गोल सफेद रंग के और निप्पल तो पूरे गुलाबी रंग के ! वाह उनको देखकर मेरे मुहँ में पानी आ गया और उनको चूसने लगा, बार बार एक दूसरे को बदल बदल के चूसने लगा और रूबी के मुहँ से आवाज आने लगी- आ आ ई ई ऐ ऐ आ आ !

और मैं भी तेजी से रूबी के बदन को चूसने-चाटने लगा। रूबी बड़बड़ाने लगी- जय बड़ा ही मजा आ रहा है ! लगे रहो जय ! ओ जय।

और रूबी ने मेरे अन्डरवीयर को उतार फेंका, मेरे लन्ड को पकड़कर सहलाने लगी। मैं भी अब रूबी की चूचियों को छोड़ कर रूबी की जीन्स के बटन को खोलकर पैरों से बाहर निकाल फेंका। अब रूबी के शरीर पर सिर्फ एक सफेद रंग की पैन्टी ही बची।

मैं रूबी की जांघों का सहलाने लगा। रूबी बोली- जय अब रूका नहीं जाता ! अब अपना लन्ड जल्दी से मेरी चूत में डाल दो।

मैंने रूबी को बाहों में लेकर कहा- रूबी जी ! पूरा मजा लो और लेने दो क्योंकि बाद में आपको हमसे कोई भी शिकायत न रह जाए।

रूबी जी कहने लगी- जय मैं क्या करूँ, अपने आपको रोकना मेरे बस की बात नहीं है, जय अब कुछ करो नाऽऽआ जय करो ना।

मैंने रूबी की पैन्टी को उतार फेंका और रूबी की गुलाबी और क्लीन-शेव चूत को देखकर पागल होने लगा। रूबी की चूत पर एक भी बाल नहीं था और उसमें से पानी रिस रिस कर बह रहा था। रूबी की चूत की खुशबू मुझको मदहोश करती जा रही थी। फिर मैंने रूबी की चूत को किस किया और उसको चूमने लगा।

रूबी कहने लगी- जय अब अन्दर डाल दो ना ! मेरी तो बर्दाश्त से बाहर हो गया है, जय डालो भी ना।

तो मैंने अपना लन्ड रूबी के होंठो पर लगा दिया, ६९ की पोजीशन में आ गया। मैं रूबी की चूत को चाटने लगा और रूबी मेरे लन्ड को मुँह में लेकर चूसने लगी और ७-८ मिनट तक हम दोनों एक दूसरे को ऐसे ही मुँह से चोदते रहे। उसके बाद रूबी ने मेरे लन्ड को छोड़ दिया और मेरे नीचे से खिसकने लगी तो मैंने अपनी जीभ को रूबी की चूत में अन्दर तक डाल दिया, रूबी का शरीर ऐंठने लगा और रूबी की चूत ने मेरे मुँह में ही अपना पानी छोड़ दिया और मैं उसके नमकीन पानी को पी गया।

अब मैंने रूबी की चूत को छोड़कर अपनी जेब से कन्डोम निकाला पर रूबी ने मुझको रोक दिया और कहने लगी- जय, बिना कन्डोम के ही करो, ज्यादा मजा आयेगा ! मुझको कोई भी परेशानी नहीं और न ही कोई यौन रोग है।

मैंने कहा- रूबी जी जैसा आप कहो, हम तैयार हैं क्योंकि आज के लिए हम आपके गुलाम जो ठहरे।

रूबी कहने लगी- नहीं जय ! ऐसे नहीं कहते ! हम दोनों क्या दोस्त नहीं बन सकते?

मैं कहने लगा- रूबी जी, दोस्त तो बन जायेंगे, पर अगर घोड़ा घास से दोस्ती कर लेगा तो खायेगा क्या?

तो रूबी हँसने लगी- नहीं जय मेरा मतलब यह नहीं था ! आपकी फीस आपको हमेशा मिलेगी। और ओरों से भी ज्यादा !

तो मैं कहने लगा- यह हुई ना बात रूबी जी !

और मैंने रूबी को कस के पकड़ लिया और अपना लन्ड रूबी को पकड़ा दिया। तो रूबी उसको मुँह में लेकर चूसने लगी और एक हाथ से मुठ मारने लगी। मेरे मुँह से सिसकारी निकलने लगी और दो मिनट के बाद मैंने अपना लन्ड रूबी के मुँह से निकालकर रूबी की चूत पर टिका दिया तो रूबी कहने लगी- जय चूत तो गीली है पर अपना लन्ड धीरे धीरे से घुसाना ! क्योंकि आपका लन्ड तो बहुत मोटा और बड़ा है, मैंने आज तक इतना बडा लन्ड अपनी चूत में नहीं लिया है!

तो मैंने रूबी की टांगों को थोड़ा चौड़ा करके अपना लन्ड रूबी की चूत पर सैट करके एक हल्का सा धक्का मारा और मेरा आधा लन्ड रूबी की चूत में समां गया तो रूबी के मुँह से चीख निकल पड़ी और कहने लगी- जय अभी अन्दर मत करना ! जहाँ हैं वहीं पर रहने दो ! मुझको बहुत तेज दर्द हो रहा है।

रूबी की चूत ने मेरे लन्ड को चारों ओर से जकड़ लिया और मैं रूबी की चूचियों को चूसने और मसलने लगा दो मिनट के बाद रूबी को थोड़ी राहत महसूस हुई और मैं अपने लन्ड को वहीं पर आगे पीछे करने

रूबी को मजा आने लगा तो रूबी बोली- जय बस अब अबकी बार अपना पूरा का पूरा लन्ड अन्दर उतार देना ! मेरी परवाह मत करना ! जय बड़ा ही मजा आ रहा है !

और फिर मैंने अपना लन्ड रूबी की चूत से बाहर खींचा और एक बहुत ही तेज धक्का मारा और मेरा पूरा का पूरा लन्ड रूबी की चूत में जड़ तक समा गया और रूबी के मुँह से घुटी घुटी सी चीख निकलने लगी। रूबी का चेहरा लाल हो गया और आँखों से आँसू आने लगे पर रूबी बोली- कुछ भी नहीं हुआ जय ! आप फिकर मत करो जय !

फिर मैंने रूबी की चुचियों को सहलाना शुरू किया तो कुछ ही देर में रूबी कहने लगी- जय धीरे धीरे से करो ना ! रूक क्यों गये ? मुझको तो मजा आ रहा है !

मैं भी धीरे धीरे अपने लन्ड को रूबी की चूत में आगे पीछे करने लगा। अब रूबी को मजा आने लगा और कहने लगी- जय अपनी स्पीड बढ़ा दो ! बड़ा ही मजा आ रहा है !

उसके मुँह से आ आ आ ई ई ई ई ई उ उ उ उ उ ऐ ऐऐए जय जय ययययय मार डाल ! आज तो मेरे कस कस के सारे बल निकाल दे जय ! ओ जय माई डियर ! फक मी ! फक मी ! फक मी हार्डर ! जय वास्तव में ही आप जय हो !

यह कहते कहते रूबी की चूत ने पानी छोड़ दिया और रूबी ढीली पड़ गई। पर मेरा कहाँ इतनी जल्दी छूटने वाला था, मैं तो रूबी पर सवार था और धक्के पे धक्के लगाये जा रहा था। फिर मैंने रूबी को कहा- रूबी जी, अब आप बैड से नीचे खड़ी हो जाओ !

रूबी बेड से नीचे खड़ा हो गई तो मैंने रूबी से कहा- अपने हाथ बैड पर रखकर झुक जाओ !

तो रूबी ऐसे ही झुक गई और मैंने अपना लन्ड रूबी की चूत में पीछे से डाल दिया और धीरे धीरे धक्के मारने लगा और रूबी को मजा आने लगा। मैंने अपने धक्कों की स्पीड धीरे धीरे बढ़ानी शुरू कर दी और रूबी को मजा आने लगा- आ आ आ आआ आआआ ईईईई इ एएएएए ओओओ आहा आहा !

और फिर मैंने अपने घक्कों को स्पीड फुल कर दिया। १०-१२ मिनट के बाद मेरे लन्ड का पानी छुटने को हुआ तो मैंने रूबी को बैड पर लिटाकर, ऊपर लेटकर खूब तेजी से धक्के पे धक्के लगाकर अपना पानी रूबी की चूत में छोड़ दिया और रूबी भी उसी दौरान झड़ गई।

मैं रूबी के उपर दो तीन मिनट तक लेटा रहा। १०-१५ मिनट के बाद मैंने कहा- रूबी जी आपको मजा आया या नहीं?

तो रूबी कहने लगी- इतना मजा पहली बार ले रही हूँ ! आज तक जिन्दगी में इतना मजा और तृप्ति मुझको कभी नहीं मिली !

तो मैं कहने लगा- रूबी, अब मैं चलता हूँ !

तो रूबी कहने लगी- अभी नहीं ! एक बार और हो जाये जय !

तो मैंने कहा- रूबी जी ! आपको खुश कर दिया, यही मेरा काम था। यहीं पर मेरा काम खत्म हो जाता हैं। अब रूबी जी मेरी फीस दो ! मैं चलता हूँ !

तो रूबी नशीली आँखों से मुझको देखकर बोली- आपकी फीस मिल जायेगी और वो भी मुँह माँगी। मुझको पता है कि आप फीस अपने हिसाब से लेते हो ! पर कोई बात नहीं अभी एक बार मेरी आग शान्त करके जाना जोकि बहुत दिन से भड़की हुई थी जय। यार जय ! ओ मेरे जय ! बस एक बार ! आप नाराज तो नहीं हो गये?

आगे क्या हुआ- अगले भाग में !

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