कचिया उमर की नेहा जैन

Kachiya Umar Ki Neha Jain

मेरा नाम हरप्रीत है, पंजाब का रहने वाला हूँ, उमर 26 साल है और अविवाहत हूँ।

हमारा फ़िलिंग स्टेशन है यानि पैट्रोल पम्प, वो मैं ही देखता हूँ। कभी सेलमैन तो कभी चौकीदार भागा ही रहता है इसलिये कभी कभी मुझे रात को भी वहाँ रुकना पड़ जाता है।

वहाँ पर हमने बढ़िया बिल्डिंग बना रखी है जिसमें एक ऑफ़िस, रेस्टरूम भी है।

बात कुछ समय पहले की है, मैं रात को ऑफ़िस में सोया हुआ था, तभी मेरे मोबाईल की घण्टी बजी।

‘हेलो…’ मैंने कहा।

‘मैं रवि बोल रहा हूँ’ रवि मेरा दोस्त था जिसने फोन किया था।

‘रात के 11 बज़ रहे हैं, इतनी रात को कैसे फोन किया?’

‘यार एक काम है तुमसे, बडी मुश्किल में फ़ंस गए हैं हम…’

‘बात बताओ क्या हुआ?’ मैंने कहा।

‘मेरे साथ बिट्टू भी है और एक लड़की भी है।’ रवि ने कहा।

बिट्टू भी मेरे एक दोस्त का नाम है।

‘पूरी बात तो बताओ यार !’ मैंने कहा।

‘हमारे पास गाड़ी है, तुम्हारे पास आ रहे हैं और हम आकर ही सारी बात बताएँगे।’

‘ठीक है, आ जाओ।’ मैंने कहा।

थोड़ी देर में वे मेरे पास आ गये।

उनके साथ एक बड़ी हसीन लड़की थी जिसकी उम्र मुश्किल से 20-21 साल होगी।

मैंने उन्हें रेस्टरूम में बिठा दिया। रेस्ट रूम में बेड लगे हुए हैं।

‘मेरे साथ बाहर आओ।’ रवि ने कहा।

और हम तीनों दोस्त सड़क पर आकर बात करने लगे, लड़की रूम में ही थी।

‘ये हसीना कहाँ से मिली?’ मैंने कहा।

‘यार बिट्टू की नई गर्लफ्रैंड है, हमने इसे गर्ल होस्टय से लिया है।’ रवि ने कहा।

बिट्टू ने बोलना शुरु किया- हम इसे सेक्स के लिये मेरे दोस्त के फ़ार्म हाऊस पर ले गये, वहाँ पर मेरा दोस्त और कुछ लड़के दारु पी रहे थे।’ बिट्टू बोला।

‘उन सभी ने लड़की से सेक्स की जिद की और लड़की को जबरदस्ती दारु भी पिला दी। हम बड़ी मुश्किल से वहाँ से भाग कर आये हैं। रवि ने कहा।

‘हमें सेक्स के लिये रेस्ट रूम दे दो यार…’ बिट्टू ने कहा।

‘एक शर्त पर, पहले मैं सेक्स करूँगा।’ मैंने कहा।

‘ठीक है, पर लड़की काफ़ी गुस्से में है, मना लो, अगर मानती है।’ मेरे दोनों दोस्तों ने कहा।

उन्होंने गाड़ी से दारू निकाली और ऑफ़िस में बैठ कर पीने लगे।

‘अपना दरवाजा बन्द कर लो।’ मैंने कहा और उन्होंने दरवाजा बन्द कर लिया।

और मैं लड़की के लिये एक कोल्ड ड्रिन्क लेकर उसके रूम में आ गया।

‘वो दोनों कहाँ हैं?’ लड़की गुस्से में बोली।

‘वो दारू पी रहे है और मैं आराम करने के लिये यहाँ आ गया हूँ, लो कोल्ड ड्रिन्क पी लो।’ मैंने कहा।

‘नहीं, मुझे नहीं पीना !’

‘इसमें दारू नहीं है, पी लो।’ मैंने जरा मुस्करा कर कहा और उसने मेरी बात मान ली।

जब वो कोल्ड ड्रिन्क पी रही थी तो मैं मुझे उस पर तरस आने लगा और उन लड़कों पर गुस्सा जिन्होंने इसके साथ बुरा बर्ताव किया।

कैसे लोग होते हैं जो लड़कियों की इज्जत नहीं करते, प्यार करने वाली चीज के साथ जबरदस्ती करते हैं।

‘तुम्हारा नाम क्या है?’ मैंने लड़की से पूछा।

‘नेहा जैन…’ लड़की ने कहा।

उसका गुस्सा कम हो रहा था।

‘तुम यहाँ आराम से सो सकती हो, कोई मुश्किल नहीं आयेगी।’ मैंने कहा।

और वो लेट गई, मैं भी साथ ही लेट गया पर मैंने उसको छुआ नहीं था।
पर कुछ देर में मैंने अपना हाथ उसके पेट पर रख दिया।

उसने मेरे हाथ को हटा दिया।

‘मुझे हाथ मत लगाओ।’ नेहा ने कहा।

‘मैं तुम्हारे साथ कोई जबरदस्ती नहीं करुगा, मुझे मालूम है तुम्हारे साथ अच्छा नहीं हुआ। तुम्हारी मर्जी के बिना मैं कुछ नहीं करूँगा।’ मैंने कहा।

मैंने देखा उसकी आँखों में आँसू थे।

मैंने उसे चुप करवाया।

पहले से उसका मूड ठीक था।

‘क्या मैं हाथ तुम्हारे ऊपर रख सकता हूँ?’ मैंने कहा।

वो छत की तरफ़ देख रही थी और मेरे चेहरा उसकी तरफ़ था।

‘रख लो।’ उसने थोड़ा बेरुखी से कहा।

इतना तो तय था कि लड़की में सेक्स की चाहत थी इसलिये तो रात को इस तरह धक्के खा रही थी।
पर गलत लोगों के हत्थे चढ़ गई थी क्योंकि मेरे दोस्त इस मामले में अच्छे नहीं थे।

नेहा ने सलवार कमीज पहना हुआ था, उसका रंग गोरा था।
नेहा की फ़िगर क्या बताऊँ कमाल थी, लड़की बिल्कुल कचिया उमर की थी।
बाडी स्लिम थी उसके मम्मे बिल्कुल कच्चे आमों की तरह थे और होंठ गुलाबी रंग के थे जिन्हें चूसने को दिल करता था।

‘तुम बहुत सुन्दर हो, क्या एक किस कर लूँ?’ मैंने कहा।

नेहा कुछ ना बोली, मैं समझ गया कि उसकी हाँ है।

वो अभी भी छत की तरफ़ ही देख रही थी, मैंने उसकी गाल पर किस किया और उसके कान की लटकन को मुँह में लेकर चूसने लगा।

नेहा आहें भरने लगी और आँखें बन्द कर ली।

मैंने टी शर्ट और निकर पहनी हुई थी।

मेरा लन्ड पहले ही खड़ा हो चुका था और नेहा के साथ घिसने लगा था।

अचानक ही नेहा मेरी तरफ़ घूम गई और मेरे होंठों को चूमने लगी।

मैंने बड़े प्यार से उसका नीचे वाला होंठ अपने होंठों में लिया और चूसने लगा।

नेहा ने आहें भरना शुरु कर दिया।

वो मेरे साथ जोर से लिपट गई और मेरे लन्ड को हाथ में ले लिया।

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‘इस निकर को तो उतार दो, क्यों पहन रखी है?’ नेहा ने कामुक आवाज में कहा।

मैंने झट से अपने कपड़े उतार दिये।

मैं नेहा के गोल गोल मम्मे रगड़ने मसलने लगा।

नेहा काम से भर गई और तड़फ़ने लगी।

मैंने नेहा की कमीज उतार दी उसने हल्के गुलाबी रंग की ब्रा पहनी हुई थी जिसमें वो बड़ी सेक्सी लग रही थी।

मैंने ब्रा भी उतार दी।

‘चूस लो… चूस लो… आह… आह… मैं मर रही हूँ जल्दी करो हाय मेरी जान…’ कह कर नेहा अपना एक हाथ मेरे सिर के बालो में घुमाने लगी और दूसरे हाथ से मेरे लन्ड को सहला रही थी।

मेरा एक हाथ नेहा की पैन्टी में था उसकी चूत बहुत फ़ूली हुई थी।

थोड़े ही समय में चूत से पानी आने लगा।

मैंने सलवार और पैन्टी उतार दी।

क्या चूत थी… चूत पर भूरे रंग के छोटे छोटे बाल थे और चूत का रंग गुलाबी था।

मैंने अपनी जिन्दगी में सेक्स तो कई लड़कियों के साथ किया पर ऐसी फ़्रेश चूत नहीं देखी थी।

मैं नेहा की चूत चाटने लगा, चूत से पानी आ रहा था और मैं चाटता जा रहा था।

‘मुझे बहुत मजा आ रहा है, लगता है मैं पागल हो जाऊँगी… चूत चटवाने का मजा क्या होता है… आज पता चला… हाय… अ…हा… उफ़… आ… आ… ओ… ऽआ…’ नेहा अपनी चरम सीमा पर थी कुछ ही समय बाद वो झड़ गई।

‘क्या तुमने कभी सेक्स नहीं किया?’ मैंने पूछा।

‘एक बार किया है, पर चूत आज तुमने पहली बार चाटी है, तुम पहले क्यूँ नहीं मिले…’ नेहा ने कहा।

‘मेरा लण्ड तो चूसो, कभी चूसा है?’

‘नहीं, पर आज जरूर लन्ड का स्वाद देखूँगी।’ कहते ही नेहा ने अपने गुलाबी होंठों में मेरा लन्ड ले लिया।

वो चूसने में अनाड़ी थी पर मुझे बहुत मजा आ रहा था।

‘लन्ड को आगे से अपनी जीभ से चाटो… हाँ इस तरह… आ…ऽआ… सही जा रही हो मेरी जान… अब लन्ड को मुँह में लेकर आगे पीछे करो… हाँ… आ… क्या बात है…’ मैंने अपनी आँखें बन्द कर ली।

‘तुम मेरे ऊपर आ जाओ… अपनी चूत को मेरे चेहरे पर रख दो… मुझे चाटनी है।’ मैंने कहा और नेहा ने चूत को मेरे चेहरे पर टिका दिया।

‘तुम्हारी चूत का स्वाद बहुत बढ़िया है, जी करता है बस चाटता ही रहूँ।’

‘तो चाटो ना, किसने रोका है, लन्ड चूसने में मुझे भी बड़ा मजा आ रहा है…’

‘नेहा अब मेरा होने वाला है, जो माल निकले उसे पी जाना…’

नेहा ने ऐसे ही किया सारे का सारा माल पी लिया।

‘कैसा स्वाद था? अच्छा लगा?’ मैंने नेहा से पूछा।

‘हाँ, मजा आ गया… मेरी चूत को और चाटो… बड़ा मजा आता है जब चाटते हो।’

मैंने नेहा को झुकने के लिये कहा और पीछे से चाटने लगा।

‘उफ़… आ… मर गई… आ हा… आ… आई… हाय…’ नेहा आहें भरती अपनी गाण्ड को हिलाने लगी।

मैंने अपनी उँगली चूत में डाल दी।

‘हय… ऽआ… क्या करते हो… मेरी जान लोगे क्या… हए… आ…हा… आज मैं सेक्स का पूरा आनन्द ले रही हूँ !’ नेहा ने कामुक अन्दाज में कहा।

‘मेरी जान मजा तो अभी और आयेगा जब मेरा लन्ड तुम्हारी चूत में जाएगा।’ मैंने कहा।

‘इतना मोटा कहीं मेरी चूत ना फ़ाड़ दे… मुझे तो ये डर है… हा …ऽआ… आउच… ऽअहाह्हा… ऽआआआ…ह्हाआ… चाटो… मजा… आ गया।’ नेहा पागलों की तरह चिल्ला रही थी।

मेरा लन्ड दुबारा खड़ा हो चुका था।
मैंने नेहा को लेट जाने को कहा, वो लेट गई और मैंने उसकी टांगों को फ़ैला दिया।

‘धीरे से करना मेरी जान… अब ये चूत सारी उमर तुम्हारी ही रहेगी, इसको संभाल के रखना…’ कह कर नेहा मेरे होंठ चूमने लगी।

थोड़ी मुश्किलों के बाद लन्ड चूत में चला ही गया पर नेहा को थोड़ा दर्द था।

मैं धीरे से आगे पीछे करने लगा, लन्ड चूत में टाइट होने से मुझे बहुत मजा आ रहा था।

अब नेहा को भी मजा आने लगा था, वो अपने चूतड़ हिलाने लगी थी, हम एक दूसरे को चूम रहे थे।

‘धीरे धीरे हिलाओ… मुझे जोर से अपनी बाहो में भर लो… ऽआ… ऽआ… हाआआअ…ऽआ… आओ… तुम बहुत मजा दिया…’ नेहा ने कहा।

मैंने नेहा को अपनी बाहों में जोर से दबा लिया और नेहा भी मुझसे लिपट गई।

‘मेरे ऊपर आ जाओ…’ मैंने कहा।

आनन्द के मारे हम एक दूसरे को चाट रहे थे। नेहा मेरे ऊपर आ गई और मेरे लन्ड पर उछलने लगी।

मैं उसके मम्मे दबाने लगा और नेहा लागातार आहें भर रही थी।

‘मेरा काम होने वाला है… आ… हाए… आ हा… उफ़्फ़… मेरे मम्मे जोर से दबाते रहो… आम्म्ह… आअ आ अ हा… बस होने वाला है… और जोर से… आह… मैं मर रही हूँ … आ हा… हो… गया… ऽआआ अई…’ नेहा जोर से हिल रही थी।

और अचानक ही वो निढाल हो गई, वो झड़ गई थी।

चूत से निकल कर गरम पानी लन्ड पर फ़ैल गया।

‘नेहा थोड़ा और जोर लगा दो… मेरा भी होने वाला है।’ कहते ही मैंने भी नीचे से धक्के मारने शुरु कर दिये और मैं भी झड़ गया।

नेहा मेरे ऊपर लेट गई।

‘क्या तुम मेरे बॉयफ़्रेन्ड बनोगे? मैं हमेशा ही तुमसे सेक्स करना चाहती हूँ।’ नेहा ने कहा।

‘मैं तुम्हें अपनी जान से भी बढ़ कर प्यार करूँगा।’ कह कर मैंने नेहा को चूम लिया।

नेहा ने मेरा फ़ोन नंबर ले लिया और मुझे अपना नंबर दे दिया।

कुछ देर बाद मेरे दोस्त बिट्टू ने आवाज लगाई।

हमने कपड़े पहने और दरवाजा खोला।

मेरे दोस्त अन्दर आ गये।

‘हमें भी तो मौका दो दोस्त…’ बिट्टू बोला।

‘तुम जैसे घटिया इन्सान के साथ मैं कभी भी सेक्स नहीं करूँगी जो अपनी गर्लफ्रैंड को सिर्फ़ इस्तेमाल की चीज समझता है और मुझे आज के बाद कभी भी फोन ना करना…’ नेहा ने उन्हें साफ़ मना कर दिया।

मेरे दोस्त भी समझ चुके थे कि अब यह लड़की उनके हाथ नहीं आयेगी और जबरदस्ती के बारे में मेरे होते वो सोच भी नहीं सकते थे।

‘अब नेहा तुम्हारी भाभी है।’ मैंने कहा और मैं ही नेहा को उसके हॉस्टल में छोड़ कर आया।

नेहा और मैंने ना जाने कितनी बार सेक्स किया अब वो अपनी पढ़ाई पूरी कर कनाडा चली गई है।

पर उसकी याद अब भी मेरे साथ है।

कहानी पर अपने विचार मुझे मेल करें।

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