मेरी अन्तर्वासना कॉलब्वॉय से चुत चुदवाकर मिटी

(Indian Hot Bhabhi Sex Kahani Hindi)

हैडी 2021-12-03 Comments

इंडियन हॉट भाभी सेक्स कहानी शौहर की कमजोरी से परेशान एक महिला की है. उसका पति शराब से नाकारा हो गया था. उसकी अन्तर्वासना कैसे शांत हुई?

दोस्तो, मेरा नाम मरियम है. मैं मुंबई से हूं, मेरी उम्र 34 साल है. दिखने में मैं एकदम औसत महिला दिखती हूं, लेकिन आकर्षक हूं.

मेरी शादी 26 साल की उम्र में हुई थी.

शुरुआत में मेरे और मेरे शौहर के बीच सब कुछ अच्छा चल रहा था.

उन्हें शराब की आदत कॉलेज के दिनों से लग गई थी लेकिन उनकी इस आदत ने शादी के 3-4 साल बाद मेरे शौहर को पूरा बर्बाद कर दिया था.
अब वो एक नपुसंक इंसान हो चुके थे जो मुझे संतुष्ट नहीं कर सकते थे.

मैं कभी कुछ बोल ही नहीं पाई. शराब की इनकी इसी आदत के कारण मैंने भी काम करना शुरू कर दिया था.

इसी दौरान कई दिलफेंक मर्द मिले, दिल फेंक क्यों ना मिलते, मेरा फिगर ही कातिल था.
मेरा फिगर 34D-32-36 का था और उस पर मेरा गेहुंआ रंग और कमर तक लंबे बाल मुझे सेक्सी बनाते थे.

सेक्सी इंडियन हॉट भाभी को सेक्स की क्या कमी हो सकती थी … फिर भी मैं इन सब चीजों से दूर थी और मैंने अपने शौहर को धोखा देने का कभी नहीं सोचा.
पर ऐसी बेरंग सी शादी को चलाते चलाते मैं थक गई थी.

कई सारे ऑफर मुझे मिलते … मगर मैं मना कर देती.
इसका कारण सीधा सा था. मैं इन सबके कारण बदनाम नहीं होना चाहती थी.

मेरी कई ऑफिस की सहेलियां बाहर से किसी कॉलब्वॉय को बुलाने के लिए भी बोलीं मगर मेरा मन नहीं माना.

कुछ दिन पहले इस लॉकडाउन के दौरान मुझे घर से काम करना शुरू करना पड़ा, जिसने मुझे और गुस्से वाली बना दिया.

जब सितंबर में काम शुरू हुआ, तो मुझे किसी काम से देश के सबसे साफ शहर इंदौर जाना पड़ा.

मैं बड़ी खुश थी. इंदौर पहुंच कर पता चला कि उधर पर सब बंद है.

दिन में मेरी मीटिंग अच्छी रही लेकिन रात को जब मुझसे न रहा गया तो मैंने इंदौर में कॉल ब्वॉय को सर्च किया.
एक दो लड़कों से बात करने के बाद मन ठंडा हो गया और फिर से वही उधेड़बुन शुरू हो गई.
मैंने कॉलब्वॉय सर्च करना बंद दिया.

अब टीवी ऑन किया तो हॉलीवुड फिल्म के सेक्स सीन ने मुझे फिर से परेशान करना शुरू कर दिया.

अब सब कुछ सोच कर मैंने एक कॉल ब्वॉय को बुलाने का मन बना लिया.

मैंने एक को सर्च करके उसे मेल किया और अपना नम्बर दे दिया.

मैं उसकी तरफ से कॉल या मैसेज का इन्तजार करने लगी.

उसकी तरफ़ से लगभग आधे घंटे में कॉल आया.
मैं फोन उठाने में घबरा रही थी कि क्या बोलूं.

फोन आया और कट गया, मैंने फोन नहीं उठाया.

फिर जब उसका दूसरी बार फोन आया तो मैंने उससे कहा- मैं फलां होटल में रुक हुई हूं और मुझे सिर्फ तुमसे बात करनी है … क्या तुम आ सकते हो!
उसने हां कर दी.

उस इंदौरी कॉल ब्वॉय का नाम हैडी था.
उसका बदन गठीला था और वो काफी आकर्षक लड़का था. उसका जिस्म काफी कसरती और मर्दाना था. दिखने में औसत शक्ल का था मगर बहुत मिलनसार लगा.

वो जब आया तो मैं उसे सीधे होटल के रेस्टोरेंट में मिली, उससे बात की.

वो मुझसे ऐसे बात कर रहा था, जैसे मेरा दोस्त हो … या मेरा ब्वॉयफ्रेंड हो.
मुझे उसकी ये अदा दिल पर लग रही थी.

फिर मैं थोड़ा असहज हुई तो वो बोला- आप कहां रुकी हो, रूम तो बताओ!

मैं उसे रूम की तरफ ले कर चल दी.
वो मेरे पीछे चल रहा था.

मैंने उसे रूम में अन्दर बुला कर बैठाया.
वो मेरे पास आकर बैठ गया.
शायद वो समझ चुका था कि मैं अभी तैयार नहीं हूं.

उसने मुझसे मेरे बारे में पूछा.
मैंने उससे बात करना शुरू की.
वो काफी अच्छे से बात कर रहा था और उसे किसी तरह की जल्दीबाजी नहीं थी.

उसकी बातों से मैं थोड़ा शांत हो गई थी और सहज हो चुकी थी.

चूँकि मैंने अभी खाना नहीं खाया था तो उसने मुझसे खाने के लिए पूछा.
मैंने कहा- हां, मुझे अभी खाना खाना है.

उसने मेरी तरफ देखा तो मैंने रूम में ही खाना ऑर्डर कर दिया.

खाना आने तक हम दोनों यूं ही साधारण बातें करते रहे.

मैं उससे अपनी जिंदगी की बात करते करते बहुत नज़दीक आ गई थी.
उसके साथ मैं एक अपने अकेलेपन के अहसास से जुड़ गई थी.

ये ही बात हैडी को बाकी सबसे अलग बना रही थी.
वो मेरे साथ ऐसे व्यवहार कर रहा था जैसे वो मेरा पति हो या ब्वॉयफ्रेंड हो.

जिन्हें लगता है कि कॉलब्वॉय सिर्फ सेक्स के लिए ही आता है, तो हैडी के साथ ऐसा नहीं था.
वास्तविक जीवन में भावनात्मक लगाव भी ज़रूरी होता है, जो हैडी में दिख रहा था.

मैं उसके साथ बातचीत करते हुए जब रोने लगी तो उसने मुझे अपनी बांहों में कस लिया.
मैं भी उसमें समाती जा रही थी.

फिर उसने कब मेरे होंठों से अपने होंठ मिला दिए और मुझे चूसने चूमने लगा, कुछ पता ही न चला.

चूंकि मुझे सॉफ्ट सेक्स पसंद है और पता नहीं कैसे … मेरे बताए बिना वो ये समझ गया था.

उसने मेरी टी-शर्ट के ऊपर से ही मेरे स्तन थाम लिए और कुछ देर बाद मेरी टी-शर्ट को हटा दिया.

मैं किसी भी तरह से परेशान महसूस नहीं कर रही थी.
मुझे हैडी अच्छा लग रहा था.

कुछ देर बाद मेरे स्तन पूरे नंगे उसके हाथों में थे, साथ ही मेरा पूरा शरीर उसकी बांहों में कांप रहा था.

उसने मुझे वैसे ही उठा कर बिस्तर में लिटा दिया.
अब वो मेरे निप्पल चूस रहा था और नाभि पर हाथ घुमा रहा था.

मुझे एक अलग ही सुख और आनन्द मिल रहा था.
वो मेरे कान पर काटता और कभी निप्पल पर चूसता, मेरे स्तन को मसलता.

फिर उसने एक हाथ नीचे बढ़ा दिया और मेरी जांघ को सहलाने लगा.

वो ये सब कुछ बिल्कुल शांतचित्त से कर रहा था. वो मुझे पूरा मज़ा दे रहा था और खुद भी पूरा मज़ा ले रहा था.

फिर उसने कब मेरे नीचे से लोअर उतार दिया, मुझे पता ही नहीं चला.
अब मेरी ब्राउन पैंटी पर और जांघ पर उसका हाथ चल रहा था.

वो अब धीरे धीरे पैंटी के साइड से मेरी चुत को सहलाने लगा था.
मैं पूरी तरह से खुद के आपे से बाहर हो गई थी और उसके नियंत्रण में चली गई थी.

हैडी इस खेल में बड़ा माहिर खिलाड़ी था.
मैं उसके सामने पूरी नंगी थी. वो मेरे एक एक अंग को चूमते हुए नीचे आ गया और मेरी चुत और भग्नाशय तक पहुंच गया.

फिर जैसे ही उसकी जीभ ने मेरी चुत और भग पर हरकत की, मैं सातवें आसामान में उड़ने लगी थी.
उसकी जीभ मेरी चुत पर चल रही थी और कभी चुत के अन्दर चली जा रही थी तो कभी चुत के दाने को चाटने काटने लगती थी.

उसकी इस हरकत की गति भी धीरे धीरे बढ़ती जा रही थी.

कुछ देर बाद उसने अपना पूरा मुँह मेरी चुत में डालकर मेरे एक स्तन को अपने एक हाथ से पकड़ लिया, दूसरे हाथ से वो मेरे चूतड़ों को दबाने लगा.

मैं सिहर रही थी और मचल रही थी.

कुछ देर बाद मैं ठहर सी गई और इसके बाद मैंने तीव्र ओर्गास्म उसके मुँह पर ही छोड़ दिया और बेसुध हो गई.

इस सबमें हमें कब तीन घंटे निकल गए, कुछ पता ही नहीं चला.
मैं निढाल लेटी रही.

कुछ पल बाद उसने मुझे पानी पिलाया और बाथरूम में खुद को साफ करके आ गया.

बाथरूम से आकर वो मेरे पास आकर मुझे किस करने लगा. ना जाने क्या हुआ … मैं उसके ऊपर हो गई और उसके ऊपर ऐसे हावी होने लगी, जैसे वो मेरा हो.

मैं उसे पूरा चूमते हुए उसकी गोद में बैठ गई.
अब मुझे उसका लंड चाहिए था.

उसे लेटा कर मैंने उसका लंड हर तरह से चाटना शुरू कर दिया और वो भी शुरू हो गया.
वो कभी मेरे कभी स्तन मसलता तो कभी मेरी चुत, तो कभी मेरे चूतड़ों को भींचता.

मैं और वो दोनों ही कुछ देर में सेक्स के लिए रेडी हो गए थे.

उसने मुझे लेटा दिया और अपना लंड मेरी चुत पर सैट करके मेरी चुत के दाने को अपने लंड से सुपारे से रगड़ने लगा.

इससे मुझे बेहद सनसनी होने लगी और ऐसा लगने लगा कि मैं जल्दी से इसका लंड अपनी चुत में ले लूं.

फिर वो मुझे किस देते हुए और अपने एक हाथ से मेरा स्तन और निप्पल मसलते हुए आगे बढ़ा.
उसने अपना लंड मेरी चुत में पेल दिया.

उसका लंड मुझे ऐसा लगा कि उसने मेरी चुत को मानो आधा चीर दिया हो.
मैं दर्द से कसमसाने लगी.

वो मेरी पीड़ा देख कर रुक गया.
कुछ पल उसने मुझे थोड़ा आराम करने का अवसर दिया … फिर उसने वापस अपना लंड मेरी चुत के और अन्दर धकेल दिया.

उसका लंड औसत लंबा था मगर उसके लंड की मोटाई ग़जब की थी जिसने मेरी चुत में एक जबरदस्त खिंचाव पैदा कर दिया था.
चूंकि लंड एकदम कड़क था तो वो उसे अन्दर तक पेलने लगा था.

उसका मोटा लंड मेरी बच्चेदानी तक छू रहा था.
कुछ ही धक्कों बाद मुझे एक मीठा दर्द मिलने लगा था.

मेरे चेहरे पर आनन्द की रेखाएं उभरने लगी थीं.
इसे देख कर उसने अपने दोनों हाथों से मेरे स्तनों को दबोच लिया और उनका मर्दन शुरू कर दिया.
मुझे और भी सुख मिलने लगा.

उसकी रफ्तार धीरे धीरे तेज होती जा रही थी.
मुझे उसके लंड से चुदने में बेहद मजा आ रहा था.

जब जब मैं उफान पर आती, तो वो रुक जाता और फिर से तेज होकर लंड अन्दर बाहर करने लगता.

इस तरह से वो मुझे रोक रोक कर चुदाई का मज़ा दे रहा था.
उसका ये अंदाज कातिलाना था.

इन सब में वो मुझे कभी खुद के ऊपर ले आता, मुझे अपने घोड़े की घुड़सवारी करवाता, तो कभी बेदर्दी के साथ पटक कर मेरी लेने लगता.

मैं सिर्फ ‘अहाह … आंह …’ कर रही थी.
लंड और चुत के तेज घर्षण से मैं स्खलन के लिए रेडी थी.

उसकी इस तूफानी चुदाई में मैं एक तेज गहरे झटके के साथ उसको अपने मम्मों से चिपका कर उसकी पूरी पीठ पर अपने नाखून गाड़ने लगी थी.

इसी दौरान कब मेरा बदन ऐंठ गया और मैं झड़ कर निढाल हो गई.

फिर उसने मुझे अपना लंड मेरे मुँह में दे दिया.
मैंने न जाने कैसे उसका लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगी.

जब वो झड़ा तो उसने अपने लंड से वीर्य की पिचकारियां मेरे स्तनों और चेहरे पर मार दीं.
कुछ रस मेरे मुँह में भी आ गया था.

मैं पता नहीं कैसे उसके वीर्य के तेज फव्वारे को अपने अन्दर ले गई.
उसके लंड का गर्म रस, जैसे कोई ज्वालामुखी का लावा हो, उसे पी भी गई.

अब सुबह के 4:30 हो गए थे.
वो थोड़ी देर मुझसे और मेरे मम्मों से खेलता रहा. उसके हाथ कभी मेरी चुत पर चलने लगते थे.

इस सबमें वो दुबारा तैयार हो गया था लेकिन मेरी अब हिम्मत नहीं थी कि उसके साथ एक राउंड और करूं.
मैं थक गई थी और नींद में चली गई.

उसने भी मुझे फ़ोर्स नहीं किया.

सुबह 8 बजे उसने मुझे उठाया.
मैंने उठ कर देखा कि उसने मुझे रात को चादर से कवर कर दिया था.
मुझे जगाकर उसने पानी दिया और कॉफी दी.

मैं उसकी इस अदा पर फिदा हो गई थी.
शायद ये मेरे हनीमून से कई गुना बेहतर सीन था और शायद मेरे जीवन का सबसे शानदार समय गुजरा था.

मैंने हैडी को मुस्कुरा कर देखा और उसे अपनी बांहों में खींच लिया.
हम दोनों इस बार फिर से सेक्स में लग गए.

मैंने इस बार बिना किसी हिचक के उसका लंड चूसा और उसने मेरी चुत चूस कर मुझे गर्म कर दिया.

सुबह का ये सेशन करीब आधा घंटा चला और वो मुझे तृप्त करके अलग हो गया.

कुछ देर बाद वो नहा कर आया और हम दोनों ने किस किया.

फिर वो अपना कार्ड रख कर चला गया.

अब जब भी मैं इंदौर जाती हूं, तो हैडी से मिलना नहीं भूलती.

बाकी की बात अगली सेक्स कहानी में लिख कर बताऊंगी. अगली बार की सेक्स कहानी मेरे पीछे से सेक्स करने की कहानी है.

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