अंगूर का मजा किशमिश में-1

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नमस्कार मेरा नाम सारिका है। मैंने अपने बारे में पहले ही बता दिया है। कहानी ‘यौन लालसा तृप्ति अमर रस से‘ में।
मेरे 3 बच्चे हैं, जिनमें से तीसरा बच्चा अभी 5 साल का है।
शादी के बाद मेरी जिन्दगी में नाम मात्र का सम्भोग और रतिक्रिया रह गई थी। दूसरे बच्चे के बाद तो स्थिति और भी खराब हो गई है इसलिए मुझे जब मौका मिला, तो मैंने दूसरों के साथ सम्भोग कर लिया।
यh इसलिए मुमकिन हुआ, क्योंकि मैं उड़ीसा में थी और मेरे पति काम पर चले जाते थे। उसी दौरान मुझे मौका मिल जाया करता था। उड़ीसा में मैं 13 साल रही और इस दौरान मैंने अपने पति के अलावा 4 और लोगों के साथ शारीरिक सम्बन्ध बनाए जिनमें से अमर के साथ लम्बे समय तक सहवास किया।
बाकी में से एक के साथ 2 साल तक, एक के साथ 7 महीने और एक के साथ 3 दिन तक शारीरिक सम्बन्ध रखे, पर मेरे लिए मुसीबत तब हो गई, जब पति का तबादला झारखण्ड हो गया।
मेरे पति ने मुझे बच्चों के साथ गांव मे रहने को कहा क्योंकि रांची से एक या दो दिन में घर आ-जा सकते थे।
उनका आना मेरी रात्रि के अकेलेपन को दूर नहीं करता था।
मेरी उमर अब 39 वर्ष की होने को थी और पता नहीं क्यों, मेरी काम वासना और भी ज्यादा होने लगी थी।
उसी बीच पति ने बच्चों के लिए एक कंप्यूटर खरीदा। मेरा एक भतीजा आया हुआ था, तो उसने मुझे इंटरनेट पर बात करना सिखा दिया।
फ़िर मेरी एक सहेली जिसका नाम सुधा है, जो बैंगलोर में रहती है, उससे मैं बात करने लगी।
बच्चे जब स्कूल चले जाते, तो हम दोनों खूब लिख-लिख कर बातें करते।
हम बचपन की सहेलियाँ हैं इसलिए हम खुल कर बातें करते थे। इसलिए मैंने उसे ये सब बातें बता दीं।
उसने मुझे बताया कि शायद मैं रजोनिवृति की तरफ़ जा रही हूँ इसलिए मुझे काम की इच्छा अधिक हो रही है। रजोनिवृति 45 से 50 के बीच हो जाता है, पर मेरी उमर 39 साल ही थी।
मैं और मेरे पति के घरवाले एक और बच्चा चाहते थे क्योंकि दो लड़के थे और हम एक लड़की चाहते थे पर पति का सहयोग नहीं मिल रहा था।
मैंने पति से बात भी की कि अगर बच्चा चाहिए तो जल्दी करना होगा क्योंकि ये उमर बच्चे पैदा करने के हिसाब से स्त्री के लिए खतरनाक होता है।
पर पति ने कह दिया कि इसमें ज्यादा जोर नहीं देना है, अगर हुआ तो ठीक और नहीं हुआ तो कोई बात नहीं और जरुरी नहीं कि बच्ची ही पैदा हो।
तब मैंने यह बात अपनी सहेली को बताई।
हम यूँ ही कुछ दिन ऐसे ही बातें करते रहे। फ़िर एक दिन उसने मुझे बताया कि अगर ऐसी बात है, तो किसी का वीर्य ले लो।
मुझे यह बात समझ नहीं आई, तब उसने मुझे बताया कि जैसे ब्लड-बैंक होता है, वैसे ही वीर्य बैंक होता है जहाँ से किसी मर्द का वीर्य चिकित्सक सुनिश्चित कर के देता है कि बच्चा कैसा होगा, फ़िमेल होगा या मेल होगा, इस तरह अधिक गुंजायश के साथ आपकी योनि में कृत्रिम रूप से गर्भ धारण करवाते हैं।
मुझे यह तरकीब अच्छी लगी, पर पति को नहीं तो फ़िर मैंने उम्मीद करना ही बन्द कर दिया।
तभी एक दिन सहेली से बात करते हुए हम अपने सम्भोग के बारे में बात करने लगे।
उसने मुझे बताया कि बैंगलोर जैसे शहरों में सम्भोग बड़ी बात नहीं है, वहाँ आसानी से कोई भी किसी के साथ सेक्स कर सकता है क्योंकि वहाँ लोग आपस में काफी व्यस्त रहते हैं।
किसी को दूसरों के जिन्दगी में झाँकने का समय ही नहीं है। इसलिए लोग छुप कर कहीं भी किसी के साथ सम्भोग कर लेते हैं।
तभी उसने मुझे अपना राज बताया कि उसके पति काम के सिलसिले में पार्टियों में जाते हैं वहाँ तरह-तरह के लोगों से उसकी मुलाकात करवाते हैं इसलिए उसकी दोस्ती बहुत से मर्दों के साथ है और उनमें से कुछ लोगों के साथ अक्सर बाहर घूमने-फ़िरने जाती है तथा उनके साथ सम्भोग भी करती है।
इसके अलावा अगर उसे किसी दूसरे मर्द से सम्भोग करना हो तो उसका भी इन्तजाम हो जाता है।
क्योंकि ये लोग आपस में एक-दूसरे को जानते हैं इसलिए अगर इनमें से कोई साथी बदलना चाहे, तो बदल लेते हैं।
खैर.. यह तो रही उसकी बात, अब मैं अपने पर आती हूँ, इन सारी बातों को जानने के बाद मेरी सहेली ने मुझे एक तरकीब बताई।
उसने मुझसे कहा कि नेट पर देखो, बहुत से मर्द मिल सकते हैं जो सम्भोग करना चाहते हैं और सब कुछ राज रखते हैं।
पहले तो मैंने नखरे दिखाए, तब उसने कहा कि ऐसा पहली बार तो नहीं कि पराये मर्द से सम्भोग करोगी।
तब मैंने भी ‘हाँ’ कर दी, पर मुसीबत यह थी कि अब पहले की तरह मैं आजाद नहीं थी। यहाँ हर कोई मुझे जानता था, मैं किसी दूसरे मर्द से मिली, तो मेरी बदनामी होती, इसलिए मैंने मना कर दिया।
पर कुछ दिनों के बाद उसने मुझसे कहा- अगर मैं कुछ दिनों के लिए अपने पिता के घर चली जाऊँ तो काम बन सकता है।
मुझे भी पिताजी से मिले काफ़ी समय हो चुका था, सो मेरे लिए यह आसान था। तब मैंने अपनी सहेली से बात की, “कैसे होगा ये सब और किसके साथ..!”
तब उसने मुझे बताया कि उसका एक समाज सेवा केंद्र में एक दोस्त है, जो यह कर सकता है। वो दोनों हफ़्ते में एक दिन मिलते हैं। और सम्भोग भी करते हैं।
मैं उसको सुनती रही।
उसने आगे बताया- उसका भी किसी दूसरी औरत के साथ सम्भोग का मन है, इसलिए तुमसे यह बात कही। संयोग की बात यह है कि वो इस बार हमारे गांव आना चाह रहे हैं क्योंकि वो एक किताब लिख रहे हैं, जो भारत के गांवों पर है इसलिए कुछ दिन यहीं रहेंगे।
तब हमने भी समय तय कर लिया, दो हफ़्ते के बाद मेरी सहेली और उसका दोस्त आ गए मैं भी पति से कह कर पिता के घर चली गई।
बच्चों के स्कूल की वजह से उनको घर पर ही रहने दिया उनकी बड़ी माँ के साथ।
मेरे दिल में अब एक ही चीज थी कि वो कैसा होगा, क्या उसके साथ सब कुछ सहज होगा या नहीं, क्योंकि ये पहली बार था जब मैं बिना किसी को जाने सम्भोग के लिए राजी थी।
मैं पहले दिन पिताज़ी के साथ ही रही, क्योंकि बहुत दिनों के बाद मिली थी। घर पर भाई और भाभी थे, जो रात होते ही अपने कमरों में चले जाते थे।
क्योंकि गाँवों में लोग जल्दी सो जाते थे, पर पिताजी उस दिन मुझसे करीब 10 बजे तक बातें करते रहे, तो उस दिन देर से सोये।
अगले दिन मेरी सहेली अपने दोस्त के साथ मुझसे मिलने आई, उसने मुझसे मुलाकात करवाई, उसका नाम विजय था।
कद काफी लम्बा करीब 6 फिट से ज्यादा, काफी गोरा, चौड़ा सीना, मजबूत बाजू देख कर लगता नहीं था कि उम्र 54 की होगी।
बाकी मेरे घरवालों से भी मिलवाया। मैंने उनको नास्ता पानी दिया फ़िर इधर-उधर की बातें करने लगे।
कहानी जारी रहेगी।
मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें।
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