साली और साली की बेटी संग मज़े किए-2

(Sali Aur Sali Ki Beti Sang Maze Kiye- Part 2)

This story is part of a series:

सुबह उठा तो देखा के साली साहिबा नहा धोकर फ्रेश होकर घूम रही थी।
मुझे बड़ी मुस्कुरा कर चाय भी दे गई।

मैं सोचने लगा क्या रात कि बात का इसको पता नहीं चला, या ये सब कुछ जान कर भी अंजान बनी हुई है?
चलो देखते हैं।

उसके बाद मैंने भी अपना नहाना धोना कर लिया, फिर वैसे ही बाज़ार घूमने चले गए।
जब वापिस आए तो बहुत गर्मी लग रही थी, फिर से ए सी चलाया और फिर से हमारा पेग का दौर चला।

उसके बाद दोपहर का खाना खाने लगे।
खाना खाने के बाद, सब फिल्म देखने बैठ गए।
मैं और साढ़ू साहब फिर से लेट गए और सो गए।

करीब 3 बजे मुझे लगा, जैसे किसी ने मेरे लंड को छुआ हो!
मैंने आँखें खोली और देखा, मेरी साली ने मेरे तने हुये लंड को मेरी निक्कर के ऊपर से ही पकड़ रखा था।

मैं उठ कर बैठ गया, मगर जब उसको पकड़ना चाहा तो वो बस मुस्कुरा के भाग गई। मतलब साफ था कि वो भी सेक्स की तलबगार थी।

मैंने सोच लिया कि आज रात को तो पक्का इसको चोदूँगा।

मगर उससे पहले ही शाम को एक और वाक़या हुआ।
मेरी बीवी और मेरी साली दोनों रसोई में काम कर रही थी, मैं पानी पीने के बहाने किचन में गया तो बहाने से मैंने अपनी साली के
पीछे से गुजरते हुये उसके चूतड़ को छू लिया, जैसे एक संदेश दिया हो।

जब मैं पानी पी के गिलास रख रहा था वो एक चम्मच धोने के बहाने से मेरे पीछे से आई और अपना विशाल बोबा मेरी बाजू से सटा कर, उसने चम्मच धोया।
दोनों ने एक दूसरे की आँखों में देखा, उसकी आँखों में शरारत थी कि अगर तुम मुझे छूना चाहते हो तो लो मैं खुद तुम्हें अपने बदन को छूने का मौका देती हूँ।

अब तो मेरे बदन में करंट दौड़ गया था।
मैंने अपनी पत्नी से कहा- अरे सुनो, एक गिलास पानी भाई साहब को भी दे आओ।

जब वो पानी का गिलास लेकर रसोई से बाहर निकली मैंने तभी पीछे से अपनी साली को पकड़ लिया और उसके दोनों बड़े बड़े स्तन अपने हाथों में पकड़ के दबा दिये- ओह, गुड्डी, मेरी जान, तुम बहुत सेक्सी हो, मैं तुम्हें चोदना चाहता हूँ, प्लीज़ यार!
मेरे मुँह से अपने आप निकल गया।

तो वो अपने आप को मेरी गिरफ्त से छुड़ाते हुये बोली- रात तक इंतज़ार करो।
मतलब मेरे लिए तो साफ हरी झंडी थी।
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मैं उसे छोड़ कर रसोई से बाहर चला गया, शाम बीत गई, उसके बाद रात आई, सबने खाना खाया, बातें हंसी मज़ाक सब चला मगर मेरी किसी चीज़ में कोई रुचि नहीं थी, मुझे तो अपनी साली गुड्डी की चूत ही दिख रही थी बस… मैं सोच रहा था कि ये कैसे मान गई, मुझसे सेक्स करने को।
कब रात होगी और कब सब सोएँगे।

खैर पिछली रात की तरह सब लेटने लगे मगर तभी साली के बच्चे भी आ गए, बोले कि उनके कमरे का ए सी ठीक नहीं चल रहा, वो भी वहीं सोएँगे।
उनके बिस्तर भी साइड में लग गए।

मैं सोच रहा था कि लो गई भैंस पानी में। इनका ए सी भी आज ही खराब होना था।

साली की छोटी बेटी भी 20 साल की थी और बेटा 18 का…

फिर मेरा निगाह साली की बेटी पर गई… थी वो दुबली पतली सी , मगर चूचे तो उसके भी थे। छोटे से चूतड़, पतली पतली टाँगें मगर मैंने सोचा ‘नहीं यार, साली के गदेले बदन का ही मज़ा लूँगा।’

रात को सोने से पहले रोज़ की तरह साली दूध ले कर आई। सबने पिया और सब थोड़ी देर बात बातें करते करते सो गए, मैं भी सो गया कि बाद में उठ कर देखूंगा।

मगर थोड़ी देर बाद ही साली ने मुझे जगाया, कमरे की बत्ती जल रही थी, मैं उठा और आस पास देखा, साली बोली- आओ, नीचे मेरे पास आ जाओ।

मैं अभी उठ कर अपनी आँखें ही मल रहा था, साली अपनी नाईटी के सारे बटन खोले और नाईटी उतार के साइड पे रख दी।
मैं तो देख कर हैरान रह गया… खूबसूरत गोरा बदन मेरे सामने बिल्कुल नंगा!

मैंने कहा- अरे बत्ती तो बंद कर दो, कोई उठ जाएगा।
वो बोली- चिंता मत करो, मेरा बनाया दूध पी के सुबह से पहले कोई नहीं उठता।

मैंने भी झट पट अपने कपड़े उतारे, और जाकर गुड्डी को अपनी बाहों में कस लिया।
ताज़े गूँथे आटे की तरह नर्म और सफ़ेद, मांस ही मांस मेरी बाहों में था। गोरे विशाल बोबे मेरे सीने से चिपके थे, नीचे मोटा पेट और मैंने भी अपनी एक जांघ उसकी दोनों जांघों के बीच में फंसा दी और अपनी खुरदरी जांघ से उसकी मुलायम चूत रगड़ने लगा।

उसको भी शायद यह पसंद आया, उसने खुद ही अपने होंठ मेरे होंठों के पास कर दिये, मैंने उसके होंठ अपने होंठों में लिए और हम दोनों एक दूसरे के होंठ चूसने लगे।

होंठ चूसते चूसते मैंने उसे नीचे लेटा दिया और खुद उसके ऊपर लेट गया। मेरे लेटते ही उसने अपनी टाँगें फैला कर मेरी कमर को अपनी जांघों में कैद कर लिया।
‘डालो अंदर…’ वो आँखें बंद किए बोली।

मैंने कहा- अभी से? अभी तो बहुत चूसना चाटना है, थोड़ा मज़ा करते हैं, फिर डाल दूँगा।
वो बोली- नहीं, मज़ा दूसरे राउंड में करेंगे, अभी तो बस डाल दो और मेरी प्यास बुझा दो।
मैंने कहा- क्यों बहुत प्यासी हो, भाई साहब नहीं करते?

‘नहीं, अब ये सख्ती नहीं रही उनमें!’ वो बोली- तुम्हारा बहुत सख्त है, मुझे अभी ये लोहा अपने अंदर चाहिए, बाकी बाद में देख लेंगे।
मैंने अपना लंड उसकी चूत पे रखा और अंदर घुसेड़ दिया। पहले से ही पानी पानी हुई उसकी चूत मेरे लंड को एक बार में ही निगल गई।
‘आह…’ उसके मुँह से निकला- कितने समय बाद एक कड़क लंड का स्वाद आया है।

उसकी आँखें बंद थी, और वो पूरी तसल्ली से चुदाई का आनन्द ले रही थी।
जब लंड उसकी चूत में अंदर बाहर हो रहा था तो मैं कभी उसके मोटे मोटे चूचे चूस रहा था, कभी उसके होंठ, गाल चाट रहा था, मगर
वो अपनी आँखें बंद किए बस चुदाई का आनन्द ले रही थी।

तभी मेरी निगाह पड़ी, उसके पीछे लेटी उसकी बेटी पर… मैंने सोचा, माँ को तो चोद ही रहा हूँ, क्यों न थोड़ी हाथ की सफाई बेटी पर ही दिखाई जाए।
अब दूध पिया है सबने कोई उठने वाला तो है नहीं।

बस फिर क्या था, मैंने अपना हाथ थोड़ा सा आगे बढ़ाया और अपनी साली की बेटी की छाती पर रखा।
थी तो वो दुबली सी तो एक छोटा सा चूचा मेरे हाथ में आ गया।
यह भी बड़ी गजब की फीलिंग थी कि जिस औरत को मैं चोद रहा था साथ की साथ उसकी बेटी के बोबे भी दबा रहा था।

अब मेरी इच्छा हो रही थी कि बेटी भी उठ कर आ जाए और मैं माँ के सामने बेटी को भी चोद दूँ।
मगर वो तो गहरी नींद में थी।
थोड़ा बहुत और उसके बोबे दबा कर मैं वापिस अपनी साली पर ही आ गया कि पहले इसको ही चोद लूँ, बाकी बाद में देखा जाएगा।

मैंने उसकी दोनों टाँगें टखनों से पकड़ी और पूरी तरह से उसकी टाँगें चौड़ी कर के अपना लंड उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगा। पूरी लाइट जल रही थी, सारा परिवार हमारे आस पास सोया था, और हम दोनों जीजा साली बिल्कुल नंगे चोदापट्टी में लगे थे।

मगर जितना मैं प्यासा था, गुड्डी तो उससे भी ज़्यादा प्यासी थी, वो तो बस 5-6 मिनट की चुदाई में ही झड़ गई।
कोई ज़्यादा शोर तो नहीं मचाया उसने मगर ‘हाय… हाय… उफ़्फ़ उफ़्फ़…’ करके उसने अपनी टाँगें भींच ली।
मैंने पूछा- हो गया तुम्हारा?

वो बोली- हाँ।
फिर मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी और 3-4 मिनट की और चुदाई के बाद मैं गुड्डी के पेट पर ही झड़ गया और उसकी बगल में ही लेट गया।
कहानी जारी रहेगी।
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