सलहज ने मुरझाये लंड में नई जान फूंकी-6

(Salhaj Ne Murjhaye Lund Me Nai Jaan Funki- Part 6)

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सलहज की चूत चुदाई के बाद मैं अपनी मलाई उसके मुंह में डालने लगा तो उसके पूरे चेहरे पर मेरा वीर्य लग गया, होंठों से तो सारा वीर्य चाट गई और मुंह धोने बाथरूम में चली गई!

थोड़ी देर बाद नीलू वापस ऊपर आई, मेरे बगल में लेट गई और अपनी एक टांग मेरी जांघ के ऊपर रख दी और अपने सिर को मेरे सीने से लगा दिया और अपने हाथो से मेरे लंड को हौले हौले से सहला रही थी।

हम दोनों के बीच कोई बात नहीं हो रही थी, कि अचानक मैंने नीलू से अपनी बीवी के बारे में पूछा तो नीलू ने उसके सोने के बारे में बता दिया।
फिर हम दोनों के बीच एक लम्बी चुप्पी छा गई।

सलहज की गांड में उंगली

थोड़ी देर के बाद मैंने नीलू की तरफ करवट ली, अपनी एक टांग उसके ऊपर चढ़ा कर उसको दबोच लिया और उसकी गांड में उंगली करने लगा।
हम दोनों के हाथ एक-दूसरे के जिस्म पर धीरे-धीरे ही चल रहे थे, पर चल तो रहे ही थे। दोनों एक बार फिर खुमारी की आगोश में आने लगे।

नीलू मेरे सुपाड़े को अपने नाखूनो से खरोंच रही थी, जबकि मेरी उंगली भी उसके गांड के छेद के अन्दर और आस पास भी वही काम कर रही थी।
मैं बीच-बीच में उसके पुतिया भी रगड़ देता था।

ताव दोनों के बढ़ रहे थे, मेरे सीने से चिपकी हुई नीलू की जीभ की हरकत मेरे निप्पल पर मुझे महसूस हो रही थी, वो लगातार मेरे निप्पल को एक छोटे बच्चे की तरह चूसने का प्रयास कर रही थी।

धीरे धीरे मेरे लंड में तनाव आने लगा था, मैंने नीलू को अपने आगोश से अलग किया और उसको पट लेटा दिया और उसके कूल्हे को उसके मम्मे समझ के दबाने लगा और बीच-बीच में उसकी गांड को फैलाकर उसमें थूकने लगा और फिर उंगली से उस थूक को उसकी गांड के अन्दर करता जा रहा था।

नीलू मस्त लेटी हुई थी, स्वतः ही मेरी जीभ उसके खुली हुई गांड की छेद में हिलौरें मारने लगी। मेरी जीभ का अहसास जब नीलू को अपनी गांड पर महसूस हुई वो सिसकारते हुये बोली- जीजा जी मत करो!
‘मेरी जान, बस मजा लो, अभी तो तुम्हारी इस गांड के साथ बहुत कुछ होना है।’

मुझे मेरे लंड पर एक अजीब सी खुजली महसूस हो रही थी, इस वजह से उसकी गांड पर मेरी जीभ चलने के साथ ही मेरा हाथ मेरे लंड को भी मसल रहा था।

मैंने नीलू से उसके कूल्हे फैलाने के लिये बोला, नीलू ने भी मेरी मदद की और अपने कूल्हे फैला लिए। मैंने पास पड़ी हुई शीशी से तेल उसकी गांड में डाल दिया और थोड़ा सा अपने लंड पर मल लिया, उसकी गांड काफी चिकनी हो चुकी थी।

सलहज की अनचुदी गांड में लंड

लंड से थोड़ा सा उसकी गांड को सहलाया और फिर थोड़ा सा दवाब दिया, सुपाड़े की नोक भी न फंस पाई थी कि नीलू बोली- जीजू॰॰॰
मैं बात समझ गया और बोला- तुम्हें तो सुहागरात के मजे मालूम हैं, बस थोड़ा सा बर्दाश्त कर लो!
कहते हुए थोड़ा सा और दवाब दिया कि सुपारा मेरा नीलू की गांड में फंस चुका था।

मेरे लंड की खुजली बढ़ती जा रही थी, उधर नीलू की सीत्कारें तेज होती जा रही थी, पर मैंने अपने लंड को दवाब देना जारी रखा, जिसके नतीजे के स्वरूप सुपारा पूरा अन्दर घुस चुका था।

सलहज की गांड फ़ट गई

नीलू के मुंह से दबी हुई चीख निकली- जीजा जी निकाल लो, बहुत दर्द हो रहा है।

‘मेरी रानी, थोड़ा सा बर्दाश्त कर लो! मुझे भी मेरे लंड पर खुजली के साथ साथ जलन सी महसूस हो रही है।’ मैं नीलू को अपनी बातों में लगाये हुए अपने लंड पर दवाब दिये जा रहा था।

मुझे लग रहा था कि अगर मैं न रूका तो लंड का चमड़ा छिल भी सकता है। जलन भी बहुत तेज होने लगी थी, मैं नीलू के ऊपर लेट गया, नीलू अपनी गांड हिला डुला कर लंड को बाहर निकालने की कोशिश कर रही थी।

पर जब मैं उसके ऊपर लेट गया और उसके गालों को चूमने लगा तो दो बातों की वजह से उसने हिलना बन्द कर दिया। एक तो मेरे जिस्म का दबाव और दूसरा उसके गालों को चूमना!

करीब दो मिनट के बाद ही मुझे जलन में कुछ कमी नजर आई, मैंने एक बार फिर कोशिश करने की सोची, मैंने अपने लंड को थोड़ा बाहर किया और फिर धीरे से अन्दर डाला। मैं जोर जबरदस्ती नहीं करना चाहता था पर लंड की खुजली भी बढ़ रही थी।

लेकिन धैर्य के साथ मैंने लंड को अन्दर बाहर करना जारी रखा, इससे नीलू को भी अपने दर्द में कुछ कमी लगी, उसकी वो दर्द वाली सिसकारी, उन्माद वाली सिसकारी उम्म्ह… अहह… हय… याह… में तबदील होने लगी और मेरा शेर मेरा लंड धीरे धीरे गांड में जगह बनाने लगा।

फिर वो वक्त भी आया कि मेरे लंड की जलन भी खत्म हो गई थी, नीलू का दर्द मस्ती में तबदील हो चुका था और मेरा पूरा लंड नीलू की गांड के अन्दर जा चुका था और अब बड़ी आसानी से अन्दर बाहर हो रहा था, स्पीड भी बढ़नी चालू हो गई थी।

मैंने नीलू की कमर को थोड़ा सा अपनी तरफ खींचा, वो घोड़ी स्टाईल में आ चुकी थी, मैं थोड़ा सा उकड़ू होकर उसकी गांड चुदाई का मजा लेने लगा, नीलू भी मुक्त कंठ से मेरी चुदाई की प्रशंसा करते हुए मुझे और जोर लगाने के लिये उकसा रही थी।
गांड का छेद अच्छे से खुल चुका था, मेरी खुजली और तेज हो गई थी और मेरी स्पीड उससे ज्यादा तेज थी, नीलू का हाथ भी अपनी चूत को जोर-जोर से सहलाने में लगा था।

मैंने लंड को उसकी चूत में डाला, सहलाते सहलाते उसकी चूत ने काफी पानी छोड़ दिया था, गप्प से लंड पूरा अन्दर चला गया।
चूत, गांड और लंड के मिलन से निकलने वाली फच-फच की आवाज से कमरा गूंज रहा था।

मैं भी अब झड़ने वाला था तो नीलू की गांड को एक बार फिर चोदने लगा, उसके बाद 10-12 धक्के के बाद लंड ने झटके से अपने पानी को गांड के अन्दर निकाल दिया, उसके गांड से लंड निकलाने के साथ ही वीर्य भी बाहर आने लगा, मैंने एक बार फिर उसी वीर्य को उसके गांड के अन्दर करने लगा।
फिर दोनों एक साथ चिपक गये।

अब टाईम हो रहा था कि मैं वापिस घर आऊं ताकि मेरी बीवी यह समझ सके कि मैं घर पर नहीं था।
मैं दिखाने के लिये घर आ चुका था, नीलू रसोई का काम निपटाने में लग गई थी, मैं बीवी के साथ बैठा हुआ उससे बातें कर रहा था।

सलहज की मस्ती

नीलू अब एक मंझी हुई खिलाड़िन हो चुकी थी, मेरे कहने पर वो अपने पूरे कपड़े उतार कर खाना बना रही थी लेकिन वो बीच-बीच में मुझे बुला लेती और फिर कुर्सी पर बैठ जाती और अपनी चूत को आगे करके बड़ी ही अदा से कहती- जानेमन, मिठाई का स्वाद तो चख लो।
कह कर वो रसगुल्ले का शर्बत अपनी चूत के ऊपर गिरा देती और मैं उसे मजे से चाट लेता, इसी तरह वो मेरे लंड को पकड़ कर सिरे में डुबो लेती और फिर उसको चाटती।

इस तरह मजा लेते लेते, नीलू ने खाना तैयार कर लिया। एक बार हम सभी फिर से साथ खाना खाया और सोने के लिये चल दिये।

कहानी जारी रहेगी।
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