कमाल की हसीना हूँ मैं -7

(Kamaal Ki Haseena Hun Mai-7)

शहनाज़ खान 2013-04-29 Comments

This story is part of a series:

जावेद की नींद खुल गई। वो पेशाब करने उठा था। हम दोनों की हालत तो ऐसी हो गई मानो सामने शेर दिख गया हो।

सलमान सोफ़े के पीछे छिप गया। मैं कहीं और छिपने की जगह ना पा कर बेड की तरफ़ बढ़ी। किस्मत अच्छी थी कि जावेद को पता नहीं चल पाया। नींद और नशे में होने की वजह से उसका दिमाग ज्यादा काम नहीं कर पाया होगा।

उसने सोचा कि मैं बाथरूम से होकर आ रही हूँ। जैसे ही वो बाथरूम में घुसा सलमान जल्दी से आकर बिस्तर में घुस गया।

‘कल सुबह कोई बहाना बना कर होटल में ही पड़े रहना।’ उसने मेरे कान में धीरे से कहा और समीना की दूसरी ओर जाकर लेट गया।

कुछ देर बाद जावेद आया और मेरे से लिपट कर सो गया।

मेरी चूत से अभी भी सलमान का रस टपक रहा था। मेरे मम्मों का तो मसल-मसल कर और भी बुरा हाल कर रखा था। मुझे अब बहुत पछतावा हो रहा था कि क्यों मैं जिस्म की गर्मी के आगे झुक गई? क्यों किसी गैर-मर्द से मैंने रिश्ता बना लिया। अब मैं एक गर्त में गिरती जा रही थी जिसका कोई अंत नहीं था।

मैंने अपने जज़्बातों को काबू करने की ठान ली। अगले दिन मैंने सलमान को कोई मौका ही नहीं दिया। मैं पूरे समय सबके साथ ही रही जिससे सलमान को मौका ना मिल सके। उसने कई बार मुझसे अकेले में मिलने की कोशिश की मगर मैं चुपचाप वहाँ से खिसक जाती। वैसे उसे ज्यादा मौका भी नहीं मिल पाया था।

हम तीन दिन वहाँ एन्जॉय करके वापस लौट आये। हनीमून में मैंने और कोई मौका उसे नहीं दिया। कई बार मेरे जिस्म को मसल जरूर दिया था उसने, लेकिन जहाँ तक चुदाई की बात है, मैंने उसकी कोई प्लानिंग नहीं चलने दी।

हनीमून के दौरान हमने मसूरी में खूब मजे किये। जावेद तो बस हर वक्त अपना हथियार खड़ा ही रखता था।

सलमान अक्सर मुझसे मिलने के लिये एकान्त की खोज में रहते थे जिससे मेरे साथ बदमाशी कर सकें लेकिन मैं अक्सर उनकी चालों को समझ के अपना पहले से ही बचाव कर लेती थी।

इतना ध्यान और बचाव रखने के बाद भी कई बार मुझे अकेले में पकड़ कर चूम लेते या मेरे कानों में फुसफुसा कर अगले प्रोग्राम के बारे में पूछते। उन्हें शायद मेरे उरोज सबसे ज्यादा पसंद थे, अक्सर मुझे पीछे से पकड़ कर मेरे मम्मों को अपने हाथों से मसलते रहते थे, जब तक कि मैं दर्द के मारे उनसे छिटक कर अलग ना हो जाऊँ।

जावेद तो इतनी शैतानी करता था कि पूछो मत, काफी सारे फ़ोटो भी लिये अपने और मेरे, कुछ अंतरंग फ़ोटो भी खिंचवाये। खींचने वाले सलमान जी ही रहते थे।

उनके सामने ही जावेद मुझे चूमते हुए, बिस्तर पर लिटा कर, मेरे चूचों को ब्लाऊज़ के ऊपर से दाँतों से काटते हुए और मुझे अपने सामने बिठा कर मेरे ब्लाऊज़ के अंदर हाथ डाल कर मेरे मम्मों को मसलते हुए कईं फोटो खींचे।

एक बार पता नहीं क्या मूड आया, मैं जब नहा रही थी तो बाथरूम में घुस आये। मैं तब सिर्फ एक छोटी सी पैंटी में थी। वो खुद भी एक अंडरवीयर पहने हुए थे।

‘इस पोज़ में एक फोटो लेते हैं !’ उन्होंने मेरे नंगे स्तनों को मसलते हुए कहा।

‘नहीं ! मैं सलमान के सामने इस हालत में..? बिल्कुल नहीं.. पागल हो रहे हो क्या?’ मैंने उसे साफ़ मना कर दिया।

‘अरे इसमें शर्म की क्या बात है। सलमान भाई तो घर के ही आदमी हैं। किसी को बतायेंगे थोड़े ही। एक बार देख लेंगे तो क्या हो जायेगा। तुम्हें खा थोड़ी जायेंगे|’ जावेद अपनी बात पर जिद करने लगा।

‘जावेद इतना खुलापन अच्छी बात नहीं है। सलमान घर के हैं तो क्या हुआ… हैं तो पराये मर्द ही ना… और हमसे बड़े भी हैं। इस तरह तो हमारे बीच पर्दे का रिश्ता हुआ। पर्दा तो दूर, तुम तो मुझे उनके सामने नंगी होने को कह रहे हो। कोई सुनेगा तो क्या कहेगा,’ मैंने वापस झिड़का।

‘अरे मेरी जान ! ये दकियानूसी ख्याल कब से पालने लग गई तुम? कुछ नहीं होगा ! मैं अपने पास एक तुम्हारी अंतरंग फोटो रखना चाहता हूँ जिससे हमेशा तुम्हारे इस संगमरमर जिस्म की खुश्बू आती रहे।’

मैंने लाख कोशिशें की मगर उन्हें समझा नहीं पाई। आखिर में राज़ी हुई मगर इस शर्त पर कि मैं जिस्म पर पैंटी के अलावा ब्रा भी पहने रहूँगी, उनके सामने। जावेद इसके लिये राज़ी हो गये।

मैंने झट से होल्डर पर टंगे अपने टॉवल से अपने जिस्म को पोंछा और ब्रा लेकर पहन ली।

जावेद ने बाथरूम का दरवाजा खोल कर सलमान को फोन किया और उन्हें अपनी प्लानिंग बताई। सलमान मेरे जिस्म को नंगा देखने की लालसा में लगभग दौड़ते हुए कमरे में पहुँचे।

जावेद ने उन्हें बाथरूम के अंदर आने को कहा। वो बाथरूम में आये तो जावेद मुझे पीछे से अपनी बाँहों में संभाले शॉवर के नीचे खड़े हो गये।

सलमान की नज़र मेरे लगभग नंगे जिस्म पर घूम रही थी। उनके हाथ में पोलैरॉयड कैमरा था।

‘म्म्म्म्म… बहुत गर्मी है यहाँ अंदर। अरे साले साहब ! सिर्फ फोटो ही क्यों, कहो तो कैमकॉर्डर ले आऊँ। ब्लू फ़िल्म ही खींच लो।’ सलमान ने हंसते हुए कहा।

‘नहीं जीजा जी ! मूवी में खतरा रहता है। छोटा सा स्नैप कहीं भी छिपा कर रख लो।’ जावेद ने हँसते हुए अपनी आँख दबाई।

‘आप दोनों बहुत गंदे हो।’ मैंने कसमसाते हुए कहा तो जावेद ने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख कर मेरे होंठ सिल दिये।

‘शॉवर तो ऑन करो… तभी तो सही फोटो आएगा !’ सलमान ने कैमरा का शटर हटाते हुए कहा।

मेरे कुछ बोलने से पहले ही जावेद ने शॉवर ऑन कर दिया। गरम पानी की फुहार हम दोनों को भिगोती चली गई। मैंने अपनी छातियों को देखा। ब्रा पानी में भीग कर बिल्कुल पारदर्शी हो गई थी और जिस्म से चिपक गई थी। मैं शर्म से दोहरी हो गई।

मेरी नजरें सामने सलमान पर गईं तो मैंने पाया कि उनकी नजरें मेरे नाभि के नीचे टाँगों के जोड़ पर चिपकी हुई हैं। मैं समझ गई कि उस जगह का भी वही हाल हो रहा होगा। मैंने अपने एक हाथ से अपनी छातियों को ढका और दूसरी हथेली को अपनी टाँगों के जोड़ पर अपने पैंटी के ऊपर रख दिया।

‘अरे-अरे क्या कर रही हो… पूरा स्नैप बिगड़ जायेगा। कितना प्यारा पोज़ दिया था जावेद ने… सारा बिगाड़ कर रख दिया।’

मैं चुपचाप खड़ी रही। अपने हाथों को वहाँ से हटाने की कोई कोशिश नहीं की। वो तेज कदमों से आये और जिस हाथ से मैं अपनी बड़ी-बड़ी छातियों को उनकी नजरों से छिपाने की कोशिश कर रही थी, उसे हटा कर ऊपर कर दिया, उसे जावेद की गर्दन के पीछे रख कर कहा- तुम अपनी बांहें पीछे जावेद की गर्दन पर लपेट लो।’

फिर दूसरे हाथ को मेरी जाँघों के जोड़ से हटा कर जावेद की गर्दन के पीछे पहले हाथ पर रख कर उस मुद्रा में खड़ा कर दिया। जावेद हमारा पोज़ देखने में बिज़ी था और सलमान ने उसकी नज़र बचा कर मेरी चूत को पैंटी के ऊपर से मसल दिया। मैं कसमसा उठी तो उसने तुरंत हाथ वहाँ से हटा दिया।

फिर वो अपनी जगह जाकर लेंस सही करने लगा। मैं जावेद के आगे खड़ी थी और मेरी बांहें पीछे खड़े जावेद की गर्दन के इर्दगिर्द थी। जावेद के हाथ मेरे मम्मों के ठीक नीचे लिपटे हुए थे। उसने हाथों को थोड़ा सा उठाया तो मेरे बूब्स उनकी बाँहों के ऊपर टिक गये। नीचे की तरफ़ से उनके हाथों का दबाव होने की वजह से मेरे उभार और उघड़ कर सामने आ गए थे।

मेरे जिस्म पर कपड़ों का होना और ना होना बराबर था। सलमान ने एक तस्वीर इस मुद्रा में खींची।

तभी बाहर से आवाज आई… ‘क्या हो रहा है तुम तीनों के बीच?’

कहानी जारी रहेगी।
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