कमाल की हसीना हूँ मैं -5

(Kamaal Ki Haseena Hun Mai-5)

शहनाज़ खान 2013-04-27 Comments

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उन्होंने मेरे निप्पल को अपनी उँगलियों से छूते हुए मेरे कान में कहा- बाई गॉड… बहुत सैक्सी हो। अगर तुम्हारा एक अंग ही इतना लाजवाब है तो जब पूरी नंगी होगी तो कयामत आ जायेगी। जावेद खूब रगड़ता होगा तेरी जवानी। साला बहुत किस्मत वाला है। तुम्हें मैं अपनी टाँगों के बीच लिटा कर रहूँगा।’

उनके इस तरह खुली बात करने से मैं घबरा गई। मैंने सामने देखा तो दोनों भाई-बहन अपनी धुन में थे। मैं अपना निचला होंठ काट कर रह गई।

मैंने चुप रहना ही उचित समझा। जितनी शिकायत करती, दोनों भाई बहन मुझे और ज्यादा खींचते। उनकी हरकतों से अब मुझे भी मज़ा आने लगा। मेरी चूत गीली होने लगी। लेकिन मैं चुपचाप अपनी नजरें झुकाये बैठी रही।

सब हंसी मजाक में लगे थे। दोनों को इसकी बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि उनकी पीठ के ठीक पीछे किस तरह का खेल चल रहा था। मैं नई नवेली दुल्हन कुछ तो शर्म के मारे और कुछ परिवार वालों के खुले विचारों को देखते हुए चुप थी।

वैसे मैं भी अब कोई दूध की धुली तो थी नहीं, ससुर जी के साथ हमबिस्तर होते-होते रह गई थी, इसलिये मैंने मामूली विरोध और कसमसाने के अलावा कोई हरकत नहीं की।

उसने मुझे आगे को झुका दिया और हाथ मेरी पीठ पर ले जाकर मेरी ब्रा के स्ट्रैप खोल दिये। ब्लाऊज़ में मेरे उरोज ढीले हो गये। अब वो आराम से ब्लाऊज़ के अंदर मेरे उभारों को मसलने लगे। उसने मेरे ब्लाऊज़ के बटन खोल कर मेरे बूब्स बिल्कुल नंगे कर दिये।

सलमान ने अपना सर कंबल के अंदर करके मेरे नंगे मम्मों को चूम लिया। उसने अपने होंठों के बीच एक-एक करके मेरे निप्पल लेकर कुछ देर चूसा। मैं डर के मारे एकदम स्तब्ध रह गई। मैं साँस भी रोक कर बैठी हुई थी।

ऐसा लग रहा था मानो मेरी साँसों से भी हमारी हरकतों का पता चल जायेगा। कुछ देर तक मेरे निप्पल चूसने के बाद उन्होंने वापस अपना सिर बाहर निकाला।

अब उन्होंने अपने हाथों से मेरे हाथ को पकड़ लिया। मेरी पतली-पतली उँगलियों को कुछ देर तक चूसते और चूमते रहे। फिर धीरे से उसे पकड़ कर पैंट के ऊपर अपने लंड पर रखा। कुछ देर तक वहीं पर दबाये रखने के बाद मैंने अपने हाथों से उनके लंड को एक बार मुठ्ठी में लेकर दबा दिया।

वो तब मेरी गर्दन पर हल्के-हल्के से अपने दाँत गड़ा रहे थे। मेरे कानों की एक लौ अपने मुँह में लेकर चूसने लगे। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

पता नहीं कब उन्होंने अपने पैंट की ज़िप खोल कर अपना लंड बाहर निकाल लिया। मुझे तो पता तब लगा जब मेरे हाथ उनके नंगे लौड़े को छू गये। मैं अपने हाथ को खींच रही थी मगर उनकी पकड़ से छुड़ा नहीं पा रही थी।

जैसे ही मेरे हाथ ने उसके लण्ड के चमड़े को छुआ तो पूरे जिस्म में एक सिहरन सी दौड़ गई। उनका लिंग पूरी तरह तना हुआ था। लंड तो क्या, मानो मैंने अपने हाथों में कोइ गरम सलाख पकड़ ली हो। मेरी ज़ुबान तालू से चिपक गई और मुँह सूखने लगा।

मेरे शौहर और ननद सामने बैठे थे और मैं नई दुल्हन एक गैर मर्द का लंड अपने हाथों में थामे हुए थी। मैं शर्म और डर से गड़ी जा रही थी। मगर मेरी ज़ुबान को तो मानो लकवा मार गया था। अगर कुछ बोलती तो पता नहीं सब क्या सोचते।

मेरी चुप्पी को उन्होंने मेरी रज़ामंदी समझा। उन्होंने मेरे हाथ को मजबूती से अपने लंड पर थाम रखा था। मैंने धीरे-धीरे उनके लंड को अपनी मुठ्ठी में ले लिया। उन्होंने अपने हाथ से मेरे हाथ को ऊपर नीचे करके मुझे लंड को सहलाने का इशारा किया।

मैं उनके लंड को सहलाने लगी। जब उन्हें यकीन हो गया तो उन्होंने मेरे हाथ को छोड़ दिया और मेरे चेहरे को पकड़ कर अपनी ओर मोड़ा। मेरे होंठों पर उनके होंठ चिपक गये। मेरे होंठों को अपनी जीभ से खुलवा कर मेरे मुँह में अपनी जीभ घुसा दी।

मैं डर के मारे काँपने लगी। जल्दी ही उन्हें धक्का देकर अपने से अलग किया। उन्होंने अपने हाथों से मेरी साड़ी ऊँची करनी शुरू की। उनके हाथ मेरी नंगी जाँघों पर फिर रहे थे। मैंने अपनी टाँगों को कस कर दबा रखा था इसलिये उन्हें मेरी चूत तक पहुँचने में कामयाबी नहीं मिल रही थी।

मैं उनके लंड पर जोर-जोर से हाथ चला रही थी। कुछ देर बाद उनके मुँह से हल्की हल्की ‘आआह ऊऊह’ जैसी आवाजें निकलने लगी जो कि कार की आवाज में दब गई थी। उनके लंड से ढेर सारा गाढ़ा-गाढ़ा वीर्य निकल कर मेरे हाथों पर फ़ैल गया।

मैंने अपना हाथ बाहर निकाल लिया। वो वापस मेरे हाथ को पकड़ कर मुझे जबरदस्ती उनके वीर्य को चाट कर साफ़ करने लिये मजबूर करने लगे मगर मैंने उनकी चलने नहीं दी। मुझे इस तरह की हरकत बहुत गंदी और वाहियात लगती थी इसलिये मैंने उनकी पकड़ से अपना हाथ खींच कर अपने रुमाल से पोंछ दिया। कुछ देर बाद मेरे शौहर कार रोक कर पीछे आ गये तो मैंने राहत की साँस ली।

हम होटल में पहुँचे। दो डबल रूम बुक कर रखे थे। उस दिन ज्यादा घूम नहीं सके। शाम को हम सब उनके कमरे में बैठ कर ही बातें करने लगे। फिर देर रात तक ड्रिंक करते हुए ताश खेलते रहे। जब हम उठने लगे तो सलमान ने हमें रोक लिया।

‘अरे यहीं सो जाओ… अब इस हालत में कैसे चल कर अपने रूम तक जाओगे?’ उन्होंने गहरी नजरों से मुझे देखते हुए कहा।

जावेद ने सारी बात मुझ पर छोड़ दी- मुझे क्या है… इससे पूछ लो।’

सलमान मेरी तरफ़ मुस्कुराते हुए देख कर बोले- लाईट बंद कर देंगे तो कुछ भी नहीं दिखेगा और वैसे भी ठंड के मारे रज़ाई तो लेनी ही पड़ेगी।’

‘और क्या… कोई किसी को परेशान नहीं करेगा। जिसे अपने पार्टनर से जितनी मर्ज़ी हो, खेलो !’ समीना आपा ने कहा।

जावेद ने झिझकते हुए उनकी बात मान ली। मैं चुप ही रही। वैसे भी नशे की हालत में मुझे कुछ सूझ नहीं रहा था।

लाईट बन्द करके हम चारों एक ही डबलबेड पर लेट गये। मैं और समीना आपा बीच में सोये और दोनों मर्द किनारे पर।

जगह कम थी इसलिये एक दूसरे से सट कर सो रहे थे। हम चारों के कपड़े बहुत जल्दी जिस्म से हट गये। हल्की-हल्की रोशनी में मैंने देखा कि सलमान ने समीना आपा को सीधा कर के दोनों पैर अपने कंधों पर रख दिये और धक्के मारने लगे।

कंबल, रज़ाई सब उनके जिस्म से हटे हुए थे। मैंने हल्की रोशनी में उनके मोटे-तगड़े लंड को देखा। समीना आपा लंड घुसते समय ‘आआह’ कर उठी।

जावेद का लंड उससे छोटा था। मैं सोच रही थी समीना आपा को कैसा मज़ा आ रहा होगा। सलमान समीना आपा को धक्के मार रहा था।

जावेद मुझे घोड़ी बना कर मेरे पीछे से ठोकने लगा। पूरा बिस्तर हम दोनों जोड़ों के धक्कों से बुरी तरह हिल रहा था। कुछ देर बाद सलमान लेट गया और समीना आपा को अपने ऊपर ले लिया। अब समीना आपा उन्हें चोद रही थी।

मेरे चूचे जावेद के धक्कों से बुरी तरह हिल रहे थे। थोड़ी देर बाद मैंने महसूस किया कि कोई हाथ मेरे हिलते हुए बूब्स को मसलने लगा है। मैं समझ गई कि वो हाथ जावेद का नहीं बल्कि सलमान का है। सलमान मेरे निप्पल को अपनी चुटकियों में भर कर मसल रहा था।

मैं दर्द से कराह उठी। जावेद खुश हो गया कि उसके धक्कों ने मेरी चीख निकाल दी। काफी देर तक यूँ ही अपनी-अपनी बीवी को ठोक कर दोनों निढाल हो गये।

दोनों जोड़े वहीं अलग-अलग कम्बल और रज़ाई में घुस कर बिना कपड़ों के ही अपने-अपने पार्टनर से लिपट कर सो गये। मैं और समीना आपा बीच में सोये थे और दोनों मर्द किनारे की ओर सोये थे। आधी रात को अचानक मेरी नींद खुली।
कहानी जारी रहेगी।
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