प्यासी साली

एस पी 2008-09-15 Comments

सभी पाठकों को मेरा सलाम! मैं पिछले तीन सालों से अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ। पिछले तीन सालों में मैंने मुश्किल से ही कोई कहानी छोड़ी होगी। ऑफिस में जब भी कभी समय मिलता है तो मैं अन्तर्वासना की नई कहानियाँ पढ़ता हूँ।

काफी सोचने के बाद मैं आज अपनी कहानी लिखने जा रहा हूँ।

मेरी उम्र 32 साल है। मैं ठाणे का रहने वाला हूँ। मेरी शादी को पाँच साल हो चुके हैं। बात तब की है जब मेरी पत्नी पेट से थी। उस कारण मैं कुछ कर नहीं पाता था।

सेक्स पहले सी ही मेरी कमजोरी रहा है पर जब वो गर्भवती हुई तो मुश्किल से ही कुछ हो पाता था।
तब मेरे मन में कुछ ख्याल आने लगे। सोचा कुछ तो इन्तजाम करना चाहिए।

तभी मेरे दिमाग में एक बात आ गई। मेरे एक साली है अंकिता (नाम बदला हुआ) जो मेरी बीवी से छोटी है, तब उसकी उम्र 28 साल की थी।

उसकी शादी भी हमारी शादी के तुरंत बाद ही हो गई थी। अंकिता मेरे ससुराल वाले शहर में ही रहती है। वो बहुत सुंदर थी और मजे अच्छी भी लगाती थी।

उसका नाम अंकिता (नाम बदल हुआ है) है। अंकिता और उसके पति की खास जमती नहीं। वो ज्यादातर शराब के नशे में ही घर आता था। उस वजह से उनका यौन-जीवन कुछ ठीक नहीं था।

मैंने सोचा कि इसी चीज का फायदा क्यूँ न उठाया जाये।

अंकिता और मेरी पत्नी की आपस में इस बारे में बातें होती थी जो मेरी पत्नी अकेले में मुझसे बता दिया करती थी।
उसके कहने के अनुसार अंकिता और उसके पति के बीच में कुछ ज्यादा शारीरिक सम्बन्ध नहीं थे।

तो मैंने मन ही मन में अंकिता के साथ रिश्ता बढ़ाने की ठान ली और मौका तलाश करने लगा।

एक बार जब मैं और मेरी बीवी मेरी ससुराल में गए तो मेरी सास ने मुझे अंकिता को लिवाने भेज दिया।

जब मैं उसके घर पहुँचा तो वो घर पर अकेली थी। उसका पति दो-तीन दिन के लिए टूर पर गया हुआ था।

मैं वहाँ पहुँचा तो वो फ्रेश होकर आई थी और नाइटी पहने हुई थी।
उसकी फिगर 32-28-34 की होगी।

उसने चाय बनाई तो हम इधर उधर की बातें करके चाय पीने लगे।
फिर वो बोली- मैं दस मिनट में तैयार होती हूँ आप तब तक बैठिये।
और वो कप उठाकर चल दी।

मैं तो मौके की तलाश में ही था। उसके जाने के बाद मैं उसके कमरे के पास चला गया और दरवाजे के पास से, जो थोड़ा खुला था, वहाँ से अन्दर देखने लगा।

उसने नाइटी उतार दी थी और वो सिर्फ चड्डी पहने थी। उसके हाथ में ब्रा थी और वो उसे पहनने वाली थी।
मैंने पहली बार उसे इस रूप में देखा था।

मेरा लंड जो साधारण ही है करीब पाँच-साढ़े पाँच इंच का पूरी तरह से तैयार था।
उसे इस हालत में देख कर मन कर रहा था कि दरवाजा खोल कर अन्दर चला जाऊँ और उसे अपने आगोश में ले लूँ!
पर डर भी लग रहा था।

उसने ब्रा पहन ली और ड्रेस लेने अलमारी की तरफ गई। दरवाजे से अलमारी नजर नहीं आती थी तो वो कुछ समय के लिए मेरी आँखों के सामने से ओझल हो गई। फिर वो सामने आई और बाल संवारने लगी।

वो वापस अलमारी की तरफ चली गई, मैं उधर से ही उसे देख रहा था कि वो वापस आयेगी पर अचानक दरवाजा खुला।

उसने देखा कि मैं दरवाजे के सामने से उसे देख रहा था।
वो बोली- जीजू, आप यह क्या कर रहे हो?

मैं तो इस अचानक घटी घटना से थोड़ा घबरा गया था फिर भी थोड़ी हिम्मत जुटा ली, मैंने बिना कुछ बोले उसे अपनी बाँहों में भर लिया।
वो थोड़ी कसमसाई पर कुछ बोली नहीं।

फिर मैंने कहा- अंकिता, मैं जानता हूँ कि तुम्हें आज तक जरा भी शारीरिक सुख नहीं मिला हैं। मैं वो तुम्हें देना चाहता हूँ।
वो बोली- नहीं जीजू, मैं आपके बारे में ऐसा नहीं सोच सकती। दीदी क्या सोचेगी!

मैंने उसे काफी समझाया कि पेट की भूख की तरह यह भी एक भूख है। अगर आपको घर पर खाना नहीं मिलता तो आप बाहर जाकर खाते हो ठीक वैसा ही यह भी है।

उसका ध्यान मेरी पैंट की तरफ था, मेरे ख्याल में वो भी शायद यही चाहती थी।

उसने सिर्फ मुझसे इतना कहा- जीजू, मुझसे वादा करो कि यह बात मेरे और आपके सिवा किसी को पता नहीं चलेगी।
जब उसने इतना कहा तो मारे ख़ुशी के मैं फूला ना समाया।

मैंने झट से अपने होंट उसके होठों पर रख कर वादा किया तो वो मुस्कुराई।
वो झट से उठी और बोली- माँ और दीदी राह देख रहे होंगी, हमें चलना चाहिए। यह सब बाद में!
और अपने बेडरूम की तरफ चली गई।

मैं उसके पीछे-पीछे अंदर चला गया।
वो बोली- आप बाहर बैठो, मुझे शर्म आती है।
पर मैं कहाँ मानने वाला था, मैं वहीं बैठ कर उसे तैयार होते देखने लगा।

जब वो तैयार हुई तो हम लोग घर की तरफ निकल पड़े।

घर पर खाना होने के बाद मैं निकलने वाला था। मैंने मौका देखकर उससे उसके घर की चाबी मांग ली और कहा- मैं तुम्हारे घर पर तुम्हारा इन्तज़ार करूँगा।

फिर थोड़ी देर के बाद मैं अपनी बीवी को बाय करके यह बोल कर निकला- मैं ठाणे वापिस जा रहा हूँ।

वहाँ से निकल कर मैं सीधा अंकिता के घर पहुँचा। वहाँ कोई नहीं था और अंकिता की राह देखने लगा।

शाम को करीब पाँच बजे घण्टी बजी, मैंने दरवाजा खोला।

जब वो अन्दर दाखिल हुई तो मैं उसे उपनी बाँहों में भर के सीधा बेडरूम की तरफ चल पड़ा।

मैंने उसे पूरी जोश के साथ चूमना चालू किया।
उसने भी मेरा साथ देना चालू किया।
क्या करती! उसकी बरसों की प्यास जो बुझने वाली थी आज।

मैंने उसे बिस्तर पर उल्टा लेटा दिया। इतना सब करते समय मेरा लण्ड खड़ा हो गया था।

उसकी बहुत ही मुलायम गोल और भारी गांड ऊपर की तरफ थी।
मैंने उसकी कमीज़ का पल्लू उठाया, बिस्तर पर बैठा और उसकी गांड पर हाथ फेरने लगा।

फिर धीरे-धीरे मैंने उसकी सलवार घुटनों तक उतार दी। उसकी गांड अब छोटी सी लाल चड्डी में बहुत ही प्यारी लग रही थी।
क्या मुलायम गांड थी उसकी।

फिर मैंने उसके कूल्हों पर चूमना शुरू किया और साथ ही साथ थोड़ा काटता भी गया।
साथ ही उसकी सलवार भी पूरी उतार दी।

फिर उसे सीधा किया और उसकी टांगों पर चूमना शुरू किया।
धीरे से उसकी टाँगें खोल दी और फुद्दी पर जब मैंने अपनी जुबान रखी तो उसकी तो जैसे जान ही निकल गई।

उसकी फुद्दी पहली बार किसी ने चाटी थी, वो बहुत खूबसूरत थी और मैं जब उसकी फुद्दी चाट रहा था वो मछली की तरह तड़प रही थी और साथ साथ मुँह से सेक्सी आवाजें ऊं अः आह निकाल रही थी।

चार-पाँच मिनट तक मैं उसे ऐसे ही मज़ा देता रहा।
फिर मैंने कहा- अपने सारे कपड़े उतार दे।
उसने उतार दिए।

वाह क्या फिगर था! मैंने उसके चुचूकों को चूसना शुरू किया।
उसने कहा- जीजू, अपने कपड़े भी उतार दो!
तो मैंने कहा- तू ही उतार दे।

उसने पहले मेरा टीशर्ट और फिर पैंट उतार दी।

फ्रेंची में से मेरा लण्ड बाहर मुँह निकालने की कोशिश कर रहा था।
उसने तिरछी नजर से उसे देखा और उस पर हाथ रखते हुए मेरी फ्रेंची निकाल दी।

फिर उसली बगल में लेट कर मैंने उसके होंटों पर चूमना शुरू किया।

वो कहने लगी- जीजू, आपको बहुत अच्छी तरह प्यार करना आता है। मैं कसम से आज जिंदगी मैं पहली बार यह सब कर रही हूँ! कहाँ से सीखा है यह सब कुछ?

मैंने कहा- जब तुम जैसी खूबसूरत लड़की सामने हो तो सब कुछ खुद ही आ जाता है।

वो बोली- अगर ऐसा होता तो आज तक मैं अपनी पति के होते हुए भी प्यासी नहीं होती। वो तो बस चूमते वक़्त ही ढल जाता है और कुछ कर ही नहीं पाता।

मैंने पूछा- तुम्हें फुद्दी चटवाना कैसा लगा?
कहने लगी- ऐसा लगा कि मैं हवाओं में उड़ रही हूँ।

मैंने कहा- मुझे भी मज़ा दो!
उसने पूछा- कैसे?
तो मैंने अपना लंड उसकी होंटों के पास किया, वो मुस्कुराई और मेरा लंड अपने मुँह में डाल कर चूसने लगी।

लौड़ा चुसवाने के बाद मैं उसके ऊपर आया और अपना लंड उसकी फुद्दी पर रख दिया।
वो तड़प उठी जैसे कोई गर्म लोहे का टुकड़ा उसकी फुद्दी पर रख दिया हो।

फिर मैंने धीरे धीरे लंड अन्दर करना चालू किया। पर बड़ी मुश्किल हो रही थी।

मैंने लंड को एक झटका दिया तो मेरा सुपारा ही अन्दर घुस पाया।
उतने से ही वो रोने लगी जैसे कि वह पहली बार चुद रही हो।

फिर थोड़ी देर के बाद मैंने एक-दो जोर के धक्के लगाये।
उसकी सील फट गई और वह जोर से चिल्लाई और बोली- बहुत दर्द हो रहा है।

मैंने कहा- बस अब अन्दर जा चुका है अब और दर्द नहीं होगा।
मैं दो मिनट तक वैसे ही पड़ा रहा और उसे चूमता रहा।

फिर धीरे धीरे झटके शुरू किये और तेज़ होते गया।
अब उसका दर्द भी कम हो गया था और उसे मजा भी आने लगा।

कभी मैं उसकी टाँगें कंधे पर रख कर, तो कभी ऊपर से उसकी फुद्दी मारता रहा।
वो जोश में आहें भरती हुई मुँह से आवाजें निकालने लगी।

फिर थोड़ी देर के बाद घोड़ी बना कर उसकी फुद्दी मारी क्योंकि उसका पहली बार ही था, वो ज्यादा देर तक टिक नहीं पाई और बदन तो ऐंठते हुए झड़ गई।
उसके चेहरे पर खुशियाँ झलक रही थी।

क्योंकि मैंने भी काफी दिनों से सेक्स नहीं किया था, मैं भी उसके पीछे पीछे झड़ गया।
मेरी साली अंकिता बहुत खुश थी मुझसे चुदवा कर।

थोड़ी देर बाद वो उठी उसने खून से भरी चादर उठाई और बाथरूम की तरफ चल पड़ी।
दर्द के मारे वो ठीक से चल नहीं पा रही थी।

फिर वो रसोई में जाकर दूध ले आई। मैं उसके बेड पर नंगा ही लेटा था।

जब वो आई तो मैंने जानबूझ कर आँखें बंद की हुई थी जैसे मैं सो रहा हूँ।
उसने आते ही मेरे लंड को हाथों से खड़ा किया और चूसना शुरू कर दिया।

फिर दोबारा मैंने उसकी फुद्दी मारी। अबकी बार काफी देर तक हम दोनों नहीं झड़ पाए।

अंकिता बहुत खुश थी कि उसे इतना मज़ा देने वाला मिल गया जिसकी उसे तलाश थी।

उस रोज मैं उसके घर में ही रुका और उसे रात भर में पाँच बार चोद दिया।

अब जब भी मौका मिलता है मैं उसे मजा देता हूँ पर अफसोस है कि मैं उसे बच्चा नहीं दे सकता।

नहीं तो उसके पति को शक हो जायेगा कि वो किसी और से चुदती है।
उसके बाद हम लोग कभी घर पर तो कभी होटल में मिलते रहे।
आपको कहानी कैसे लगी, जरूर लिखिए।

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