मेरी साली पिंकी-3

(Meri Sali Pinki- Part 3)

वरिंदर 2008-12-16 Comments

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मेरा नाम है वरिंदर, मैं गाज़ियाबाद का रहने वाला हूँ, मैं अन्तर्वासना का बेहद शौक़ीन आदमी हूँ। इसकी हर चुदाई को पढ़-पढ़ कर मुझे बहुत आनंद आता है।
आपने मेरी कहानी के दो भाग पढ़े, अब आगे:

कुछ ही देर में वो सिर्फ ब्रा-पैंटी में थी।
उसने भी मेरे लोअर को खोल दिया, बाकी का काम मैंने अपने आप उतार कर कर दिया।

वो लिपट गई, बोली- उस दरिन्दे की पिटाई झगड़े से तंग हूँ।
‘बस, अब सब भूल जाओ! अपने हाथ से एक पैग बनाओ। ऐसे ही चलकर आना मॉडल की तरह!’
वो पैग बना लाई, मैंने कहा- एक बात कहूँ? लगता नहीं है कि तेरी दस साल की बेटी होगी।

उसने पैग पकड़ा दिया और खुद का पी लिया, मुझे लगा अब उसको और नहीं पीने दूंगा, वरना वो सो जायेगी और मेरा मूड खराब होगा।

मैंने अब उसको बाँहों में उठाया और अपने बिस्तर पर जा पटका, लाईट बंद कर दी, लाल रंग का जीरो वाट का बल्ब जला लिया। उसकी रोशनी में उसके अंग और मस्त लगने लगे।
वरिंदर, मैं कबसे तुम्हें पसंद करती थी!
तेरा झगड़ा किस बात पर होता है?

अब क्या कहूँ? उसकी गैर-मौजूदगी में उसके एक दोस्त के साथ मेरे संबंध बन गए थे, उस कमीने ने मुझे कई बार चोदा और जब मैंने एक दिन मना किया तो उसने मुझे फंसा दिया, पति के दिमाग में शक डाल दिया कि उसकी बीवी उसके पीछे से गैर-मर्दों से मिलती है। बस तब से लड़ाई होने लगी है। हालाँकि उन्होंने कभी मुझे किसी के साथ रंगे-हाथ नहीं पकड़ा!
छोड़ो जीजू सबको!

वो मेरे होंठ चूसने लगी। मैंने भी अपना पूरा सहयोग दिया। मैंने उसको उल्टा लिटा लिया और उसकी गर्दन से चूमता हुआ नीचे आता गया और फिर धीरे से उसकी ब्रा की हुक खोल दी जिससे उसके दोनों कबूतर आज़ाद होकर फड़फड़ाने लगे। मैंने हाथ घुसा उसके चुचूक को चुटकी में लिया और मसल दिया।
वो गर्म होने लगी।

मैंने उसकी ब्रा पूरे तरीके से अलग कर दी और उसको पलट कर पहले उसके गुलाबी होंठों से शराब पी और फिर धीरे से उसका एक चूची मुँह में ली।
वाह! क्या मस्त चूची थी!
मैंने उसके चुचूक को अंदर ही अंदर चूस लिया।
वो कसमसा गई, सिमटने लगी।

मैंने उसकी दूसरी चूची चूसी, मुझे इतना आनंद आ रहा था, सच में कयामत थी, न जाने कितनी लड़कियों को नंगी कर चुका था, लेकिन साली का शबाब था कि सबसे अलग!
ऊपर से उसके नखरे, अंदाज़ साफ़ दिखाते थे कि वो कितनी चुदक्कड़ औरत होगी।
उसने भी मुझे अपने ऊपर से धकेल दिया, मैं सीधा लेट गया, मेरा लौड़ा कच्छे में तम्बू बना कर खड़ा था।

उसने पहले मेरी छाती को सहलाया, बालों से खेली, धीरे से नीचे सरकी और एकदम से उसने मेरा लौड़ा निकाल लिया- वाह जीजू! कितना बड़ा लौड़ा है आपका? छुटकी के तो वारे-न्यारे होंगे! क्या
पति मिला है उसको! काश मुझे पहले मिल गए होते तो उस लंगूर के प्रेम में न पड़ती।
मैं भी तो तेरा हूँ! साली आधी घरवाली होती है!

उसने पहले मेरे लौड़े को सहलाया, फिर उसके सुपारे को चूमा, मांस नीचे करते हुए उसने मुंह में ले लिया और चूसने लगी।

फिर उसने लौड़े को चूसना चालू कर दिया, मेरा सांवला लौड़ा अकड़ रहा था पर वो थी कि उसकी अकड़ को अपने होंठों से निकाल रही थी- अह अह!

‘बहुत मस्त लग रही हो साली साहिबा!’
‘पिंकी कहो वरिंदर!’
‘हाँ पिंकी! बहुत मस्त लगती हो जब लौड़ा चूसती हो!’
वो पूरे नशे में थी।
‘वरिंदर, तेरे तो आज वारे-न्यारे हो गए! सोचा भी नहीं था परसनल माल खुद घर आ जाएगा।’

मैंने उसकी टाँगें खुलवा ली और बीच लेट अपनी जुबां से उसकी चूत के दाने को रगड़ने लगा। वो कांप उठी!
जब जोर से जुबां चलती तो थरथराने लगती।

69 की अवस्था में आकर मैं एक साथ उसकी चूत चाट रहा था और वो मेरा लौड़ा चूस रही थी।
‘वरिंदर, आपका सच में बहुत बड़ा लौड़ा है!’
‘साली, मैं जब तेरी बहन को ठोकता हूँ तो कभी-कभी आंखें बंद कर लेता हूँ, तेरा चेहरा सामने रखकर उसकी मारता हूँ!’

‘हाय मेरे वरिंदर शेर! मुझे क्या मालूम था कि घर में इतना बड़ा मूसल है!’
दोनों हल्फ नंगे होकर चिपकने लगे। दोनों उठे और वो घोड़ी बन गई, बोली- चल वरिंदर घुसा दे! नहीं रहा जा रहा!

मैंने उसकी चूत में लौड़ा घुसाना शुरु कर दिया।
हाय! धीरे करो! बहुत बड़ा और मोटा है! ऐसे की आदत नहीं है राजा!

मैंने पूरा लौड़ा घुसा दिया।
हाय जीजू! आपका तो मेरी बच्चेदानी से रगड़ खा रहा है!
मैंने गति बढ़ा दी, उसकी दोनों चूचियाँ लटक रही थी, जब झटका लगता तो वो झूलने लगती।

मैंने उनको हाथों में पकड़ लिया और ठोकने लगा।
कुछ देर बाद मैंने उसको सीधा लिटाया और उसके ऊपर सवार हो चला। इससे दोनों की छाती घिसने लगी तो आग निकलती।

बिस्तर में एक घंटा उथल-पुथल करने के बाद जब हम हाँफने लगे तो कमरे में तूफ़ान के बाद वाली शांति थी, सिर्फ सांसें सुन रही थी।
मैंने उसको मोना की सबसे सेक्सी नाईटी पहना दी और खाना खाने लगे। खाने से पहले एक-एक पैग ठोक लिया।

बिस्तर में जाकर मैंने दोबारा उसका दूध पीना चालू किया और मेरा लौड़ा भी खड़ा हो गया। उसने दुबारा चूसना चालू कर दिया।
अब मैंने उसकी गाण्ड में ऊँगली घुसा दी, फिर दो ऊँगलियाँ, फिर तीन! अंगूठा चूत में, चार ऊँगली गाण्ड में!

मैंने पीछे से उसकी टांग उठाई और उसकी गाण्ड में सुपारा घुसा दिया।
वो थोड़ी हिल गई, लेकिन साली ने रोका तक नहीं।

मेरा हौंसला बढ़ा तो मैंने झटके से आधा लौड़ा घुसा दिया उसको दर्द हुई लेकिन फिर से सह गई।
पता नहीं साली किस मिट्टी से बनी थी, मैंने पूरा उतार दिया और रगड़ने लगा। साथ साथ वो खुद अपनी चूत के दाने को मसल रही थी और मैं उसकी चूचियों को और गाण्ड को दबा कर चोद रहा था। पूरी रात हमने नज़ारे लूटे!

सुबह जब उसकी आँख खुली तो खुद को पूरी नंगी मेरे साथ चादर में पाया तो मेरी भी आंख खुल गई।
मैंने उसको खींच लिया।
‘जीजू, यह क्या हो गया?’
उसकी गालें शर्म से सुर्ख लाल होने लगी, वो आँख मिलाने से बचना चाहती थी।

मैंने उसको दबोच कर उसके होंठ चूम लिए ताकि उसकी शर्म उतरे और वो आगे भी मेरी सेवा करती रहे।
‘मुझे शर्म आती है!’ वो उठी, कपड़े पहनने लगी, बोली- जीजू सर चकरा रहा है, बदन टूट रहा है।

दोस्तो, अभी तो असली मजा बाकी है! वो सब अगले भाग में लिख रहा हूँ…
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