चिरयौवना साली-25

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लेखिका : कमला भट्टी

वे अपने कपड़े उठाकर बाथरूम में घुस गए, मैंने अलमारी से कपड़े निकाले और फटाफट पहन लिए ! जीजाजी बाथरूम से कपड़े पहन कर निकले तो मैं बाथरूम में घुस गई !

हम दोनों लिफ्ट से नीचे आ गए और खाना खाने लगे !

खाना खाकर हम दोनों फिर से कमरे में थे। साढ़े आठ ही बजे थे, जीजाजी ने चाय मंगवा ली, कहा इससे जल्दी नींद नहीं आएगी।

मैं मुस्कुरा कर बोली- क्या रात जागने की सोची है क्या?

कोई नया वेटर था जो चाय लाया और अर्थपूर्ण मुस्कान से मुझे देखते हुए चाय रख कर चला गया। मैंने उसकी तरफ देखा ही नहीं, मोबाइल में व्यस्त होने का दिखावा किया।

जीजाजी ने चाय पीते ही इन्टरकॉम पर कह दिया कि किसी को भेज दो ताकि चाय के बर्तन ले जाये। वे नहीं चाहते थे कि कोई बार बार परेशान करे !

वेटर आकर बर्तन ले गया, वेटर के जाते ही उन्होंने अन्दर से सिटकनी लगा कर दरवाज़ा लॉक कर दिया और आकर मुझे कहने लगे- चलो अब यह साड़ी आदि उतार दो, सलवटें पड़ जाएँगी।

मुझे पता था कौन सी सलवटें पड़ेगी पर मैंने अपनी ब्रेजरी और पेटीकोट पहने रखा बाकी सारे कपड़े जीजाजी को दे दिए, उन्होंने उन्हें अलमारी में रख दिया !

जीजाजी ने भी अपने कपड़े उतारे सिर्फ बनियान और चड्डी पहने रखी और फटाफट मेरे कम्बल में घुस गए। मैं अधलेटी सी टीवी देख रही थी, मैंने कहा- अभी रुको यार, टीवी देखने दो !

उन्होंने कहा- तुम देखो टी वी ! मैं कौन सा रोक रहा हूँ। मैं तो अपना काम कर रहा हूँ।

और उन्होंने धीरे से मेरे पेटीकोट का नाड़ा खोल कर मुझे ऊँचा कर पेटीकोट भी मेरे पैरों से निकाल दिया और लगे हाथ मेरी ब्रेजरी का हुक भी खोल कर उसे भी उतार दिया !

मैंने कहा- क्या करते हो यार? मुझे ठण्ड लग रही है !

वे बोले- अभी थोड़ी देर में तुम कहोगी कि गर्मी लग रही है, हम दोनों साथ हों तो ठण्ड बेचारी कहाँ टिकेगी !

यह सुनकर मैं मुस्कुरा दी !

अब जीजाजी मेरी जांघों पर हाथ फेर रहे थे और चूम रहे थे। उनके चुम्बन मेरी कमर और नाभि पर भी हो रहे थे। मैं भी धीरे धीरे नीचे सरक कर पूरा लेट चुकी थी। अब जीजाजी के पैर तो पलंग के सर की तरफ थे और उनका मुँह मेरे जन्घो से होते होते मेरी चूत पर आ गया था, पर चूँकि वे तिरछे थे इसलिए मेरी चूत चटाई उतनी अच्छी तरह से नहीं हो रही थी !

मैं उनको बार बार अपनी टांगें मेरे सीने के दायें बाएं रखने का कह रही थी ताकि मेरी चूत में उनकी जीभ अन्दर तक जाये पर उन्हें पता था कि मैं लण्ड चूसती नहीं हूँ और मेरे मुँह के पास आ जाये तो भी मुझे बुरा लगता है, इसी डर से वे अपनी टांगें मेरे सीने के दायें बाएं नहीं कर रहे थे पर मेरे बार बार कहने पर उन्होंने 69 का आसन बनाया पर अपनी गाण्ड उन्होंने मेरे चेहरे के काफी ऊपर रखी। वो मेरी चूत अब गहराई तक चाट रहे थे मेरी आँखें गुलाबी और सांसें भारी हो रही थी, मैंने भी मस्ती में भरकर उनके कूल्हों पर हाथ फेरना शुरू कर दिया !

उन्हें भी अच्छा लग रहा था, मैंने फिर उनका गुदा द्वार टटोला, मेरे जितना ही छिद्र था उनका और उसके आस-पास काफी बाल भी थे। मैंने अब तक किसी मर्द की गाण्ड पर हाथ नहीं फेरा था, अपने पति के भी नहीं, इसलिए मुझे अचम्भा हुआ कि इस गाण्ड के छिद्र पर भी बाल होते हैं क्या क्यूंकि मेरे नहीं आते हैं ! यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर पढ़ रहे हैं।

उनकी गाण्ड के आस पास कुछ उभरी हुई सी चमड़ी थी शायद उन्हें थोड़ी मस्से की बीमारी थी। पर मैं उनके छिद्र के आस पास हाथ फेर रही थी और मुझे कुछ शरारत सूझी, मैंने अपनी अंगुली पर पास में पड़ी पोंड्स क्रीम लगाई और और अंगुली छिद्र के आसपास घुमाने लगी और धीरे से अन्दर को दबा दी। उन्होंने जो अपनी गाण्ड को ढीली छोड़ रखी थी अंगुली के दबाव से दर्द महसूस कर अपनी गाण्ड भींच ली और उछल पड़े।

मेरी अंगुली जो एक पोरवे तक अन्दर धंसी थी वो भी बाहर आ गई। जीजाजी ने अपना मुँह मेरी चूत से हटा कर मेरी तरफ गुस्से से देखा और बोले- मादरचोद, क्या कर रही है? मेरी गाण्ड दुखती है !

उनका मुँह मेरे पानी से और उनकी लार से सना हुआ था !

मैंने कहा- आपके तो यह छोटी अंगुली ही दर्द करने लग गई और जब आप हमें गाण्ड मरवाने का कहते तो कुछ नहीं? मैं आपको यह अहसास करना चाहती थी कि औरत सिर्फ दबाव में गाण्ड मराती है, उसे कोई मज़ा नहीं आता है !

वे बोले- यार, मेरी गाण्ड में अंगुली मत करो, मुझे नहीं मारनी तुम्हारी गाण्ड ! अब तो खुश?

और फिर से मेरी चूत पर झुक गए !

मैंने भी उनकी गाण्ड से हाथ हटा लिया ! वे अपने घुटनों के बल थे इसलिए मेरे सीने से ऊँचे थे मैंने उनके पप्पू पर ध्यान लगाया जो सीधा खड़ा था और वे खुद घोड़ी बने हुए थे उसका मुँह उनके पेट की सुँडी की तरफ था, खूब तना हुआ था, थोड़ा तिरछा था और सुपारे पर से पूरी चमड़ी नीचे नहीं हो रही थी जैसे कोई लड़की आधा घूँघट निकाले हो !

मुझे पता था कि उनका बचपन से ही ऐसा ही है। उनकी चमड़ी पूरी तरह से नीचे नहीं होती जब उनका लण्ड उठा हुआ हो और ये ऐसे ही सेक्स का आनन्द ले सकते हैं। उन्होंने एक बार कहा था- यह उत्पादन दोष है, इसको या तो खतना करवाओ जो मुस्लिम धर्म में होता है या डॉक्टर से सर्जरी करवाओ तो सही रहता है। मैंने दोनों ही काम नहीं किये, मुझे कोई परेशानी नहीं है, उस चमड़ी को काटने पर मुझे कई दिन बिना चोदे रहना पड़ता जो मुझे मंजूर नहीं है।

हाँ, जब मैं उनके लण्ड की मुठ्ठी मारती तो वे सावधानी से हाथ चलाने का कहते ताकि ज्यादा नीचे करने से चमड़ी के खिंचाव से उन्हें दर्द ना हो ! और मैं भी उनकी इस बात को ध्यान रखती !

अब मैंने उनके तने हुए लण्ड को हाथ में पकड़ा, उनका लण्ड नारी के हाथ का स्पर्श पाकर फुफकार उठा और एक जोर का झटका खाकर मेरे हाथ से फिसल गया और ठुमके लगाने लगा। उनके मुँह को भी जोश आ गया जो मेरी चूत पर घूम रहा था। मैंने इस बार उनके लण्ड को कस के पकड़ा उसके ठुमके लगाने पर भी छोड़ा नहीं। लण्ड बहुत गर्म हो रहा था और मैं हौले हौले उसे आगे पीछे करने लगी।

मेरे इस प्रकार मुठ्ठिया देने से उनके मुँह को भी जोश आ गया था और वे अपनी जीभ को नुकीली कर मेरे चूत में गहराइयों में घुसेड़ रहे थे जो मेरे आनन्द की वजह बन रही थी !

अभी तक जो ठण्डी चूत चटाई हो रही थी, मेरे हाथ में उनका लण्ड पकड़ने के बाद उसमे जबरदस्त जोश और गति आ गई थी, मेरे भी मुँह से आहें-कराहें निकल रही थी और हाथ भी गति से चल रहा था। मुझे उनके झड़ने का डर नहीं था, मैं उनके स्टेमिना के बारे में जानती थी। हाँ, मैं उनको मुठ्ठिया देने में कई बार अपने हाथ दुखने के कारण हाथ बदल रही थी।उनका लण्ड बहुत मोटा और गर्म हो गया था। मेरे पानी का झरना छुट गया और उस जोश में मैंने उनका लण्ड ज्यादा पीछे खींच लिया तो उनके दर्द हुआ और वे मेरे सीने पर बैठ गए मैंने जल्दी से अपना हाथ उनके नीचे से खींच लिया। अब उनकी गाण्ड मेरे स्तनों के ऊपर थी और वे अपने लण्ड को देख रहे थे क्यूंकि उन्हें दर्द हुआ था।

वे बोले- साली चुदाना नहीं हो तो मना कर दो, तुम्हें पता है मेरे ऐसे दर्द होता है !

मैंने उनके सीने पर हाथ फेरा, वे अभी मेरे ऊपर ही बैठे हुए थे, मुझे बोझ भी लग रहा था, मैं बोली- आप नीचे तो उतरो, मुझे साँस भी नहीं आ रही है यार ! जोश में हाथ ज्यादा चल गया और चुदाने के लिए तो आपके पास आई हूँ, नहीं तो आती ही क्यों?

मेरे ऐसे बात करने से और उनके सीने पर हाथ फेरने पर उनकी छाटी की घुण्डियाँ मसलने से उनका गुस्सा कुछ ठण्डा हुआ। वे मुस्कुराने लगे और मेरे ऊपर से हट कर मेरे पास में लेट गए। वास्तव में उनका लण्ड दर्द की वजह से मुरझा गया था !

मैंने फिर से उस पर हौले हौले प्यार से हाथ फेरना शुरू कर दिया और नाग ने धीरे धीरे फन उठाना शुरू कर दिया !

उन्होंने जोश में मुझे चूमना चाहा पर मैंने हाथ से उन्हें रोक दिया, बोली- पहले मेरे चूत चटाई का मुँह धोकर आओ तब चुम्बन मिलेगा, नहीं तो अपना मुँह मेरे मुँह से दूर रखो।उनके मुँह से मेरे लिए माँ की गाली निकली और बोले- अरे तेरा ही तो पानी है मेरा थोड़े ही है !

मैंने कहा- मुझे सब पानी एक जैसे लगते हैं, आप मुँह धोकर कुल्ला करके आये तो आपको होंट भी चूसने दूंगी जो मैं कभी कभी चूसने ही देती हूँ।

इस होंठ चूसने की बात सुनकर जीजाजी उठे और नंगे ही बाथरूम की तरफ गए। उनका लण्ड सीधा खड़ा था और हवा में ही ठुमके लगा रहा था। मैं उसे तब तक देखती रही जब तक वो दूर होकर दिखना बंद नहीं हुआ।

बाथरूम से जीजाजी मुँह धोकर और कुल्ले करके आये तो फिर उनका तना हुआ लण्ड मेरे सामने था। मजाल थी कि इतनी देर में वो नर्म पड़ा हो, जैसे गया वैसे ही आया !

अब जीजाजी मेरे ऊपर लेट गए, लण्ड उनके और मेरे पेट के बीच था और वे अपना बोनस वसूल करने लगे थे जो उनको बहुत प्रिय था यानि मेरे होंट चूसना ! वे कस के मेरे होंट चूस रहे थे और कुछ जगह छोड़ थी, लिप लॉक नहीं किया था, उन्हें पता था कि मेरा दम घुटता है लिप लॉक से इसलिए वे थोड़ी थोड़ी देर में मेरे होंट भी अपने होंठों से छोड़ देते थे ताकि मैं लम्बी लम्बी सांस ले सकूँ !

अब मेरे होंठ दर्द करने लग गए थे। मैंने जीजाजी को बताया तो वे होंट छोड़ कर स्तनों पर आ गए, अब वे उन्हें पूरा पूरा मुँह में भर रहे थे और साँस के साथ और अन्दर की तरफ खींच रहे थे। उत्तेजना के मारे मेरा बुरा हाल था, मेरी योनि में संकुचन तेज़ हो गया था, मैं शर्म के मारे कह नहीं पा रही थी कि अब डाल दो, पर मेरी गर्म सांसें, अधखुली मदभरी आँखें, दांतों से कटते होंट, उनको पकड़ के भींचना, और अपनी टांगें उनके कमर में बांधना और मस्ती की कराहों आदि ने उन्हें बता दिया था कि लोहा गर्म है, अब चोट मारने का समय आ गया है !

वे मेरे स्तनों में मुँह मारना बंद कर नीचे खिसके, मेरी टांगें तो पहले से ही उनकी कमर पर थी उन्होंने अपने हाथ की अँगुलियों से मेरी चूत का छेद टटोला उस पर थूक लगा कर चिकना किया और एक अंगुली डाल कर उसे अन्दर बाहर किया। उत्तेजना में मेरी चूत की फांकें उस पतली सी अंगुली को भी कसने का असफल प्रयास कर रही थी ! मेरी चूत से आग के भभके से निकल रहे थे क्योंकि जीजाजी कोई एक घंटे से मेरे बदन से खेल रहे थे ! उनकी स्थिति ऐसी थी जैसे किसी बच्चे को कोई मनपसंद टॉफ़ी कई दिनों के बाद मिले और वो उसके ख़त्म हो जाने के डर से उसे खाए नहीं और सिर्फ चाट चाट के रखे !

जीजाजी को पता था कि पानी निकल जाने के बाद क्या मज़ा है, वो तो आना ही है पर इसका मज़ा लम्बे समय तक फोरप्ले से ही लिया जा सकता है।

पर यह हर किसी के बस की बात नहीं है उसके लिए जीजाजी जितनी स्तंभन शक्ति चाहिए जो मेरे पति में नहीं है अगर इतनी देर वे उत्तेजित अवस्था में रह जाये तो उनकी पिचकारी बिना डाले ही छुट जाये !

इसी लिए मुझे जीजाजी सेक्स में बहुत प्रिय हैं भले ही उनका लण्ड मेरे पति से पतला और छोटा हो पर हर बार वे मुझे पूरी तरह से संतुष्ट कर निचोड़ डालते हैं !

मेरी कमर भी जीजाजी के नीचे दबी होने बावजूद उस अंगुली की हरकत के साथ ऊपर नीचे हो रही थी !

जीजाजी मुझे बहुत तड़फा रहे थे पर मुझे पता था कि वे भी तड़फ रहे हैं !आखिर लिंग प्रवेश का मुहूर्त आया और जीजाजी ने अपना लण्ड थूक से चिकना कर मेरी चूत के छोटे से छिद्र पर अटका दिया जो उसके स्वागत में मच-मच कर रही थी और डिपर की तरह खुल और बंद हो रही थी। मेरी चूत के पास की हड्डी की बनावट ऐसी है कि बिना चूत में घुसे लण्ड को भी वहाँ टिकने की जगह मिल जाती है, उस जगह पर उनका लण्ड टिका हुआ था और उन्होंने मेरे कंधे और स्तन पकड़ कर अपने कूल्हों को नीचे दबाना शुरू किया, उनका लण्ड मेरी चूत में फिसलने लगा, धीरे धीरे अपने गंतव्य स्थान पर जाकर रुक गया और वहाँ जाकर ऐसे ठुमके लगाने लगा जैसे घोड़ा अपना सर हिला रहा हो !

फिर धीरे धीरे जीजाजी की कमर लयबद्ध थिरकन करने लगी जो मेरी उत्तेजना को बढ़ा रही थी। मैं भी अपनी कमर को ऊँची नीची कर उनके साथ तारतम्य बिठा रही थी।

वे बस मंथर गति से अपनी कमर हिला रहे थे, मेरे मुँह से मादक आहें निकल रही थी- आआआ…ह ईईईए…..जीजू मज़ा आआ रहाआआ रहाआ है… जीजू तुम चुदाई के भी मास्टर हो। (मेरे जीजाजी सरकारी स्कूल में अध्यापक हैं) क्या चोदते हो यार ! वास्तव तुम किसी को आनन्द दिला सकते हो। एक साथ दो को संतुष्ट कर सकते हो ऊऊउ ….ह्ह्ह…..!

मेरी चूत में उनके लण्ड का घर्षण बहुत भला लग रहा था, मैं बार बार उनके गाल को काट रही थी पर उन्होंने अपनी रफ़्तार वही रखी !

अब वास्तव में उनकी यह रफ़्तार मुझे अच्छी लग रही थी, वे भी बार बार मेरे कान की लो को चूम रहे थे, हल्के हल्के काट रहे थे और मैं उत्तेजना से पागल हो रही थी। मुझे पता भी नहीं था कि कान की लो चूमने पर भी नीचे आग लग सकती है, उन्हें ना जाने कैसे पता था !

मेरा स्खलन शुरू हो गया था, मैं जोर से चिल्ला रही थी, चीख रही थी पर वे बिना ध्यान दिए मेरे खेत में हल चला रहे थे उसी गति में, उन्हें मेरी चीखों, आहों कराहों से कोई मतलब नहीं था, बस सट सट उनका लण्ड अन्दर-बाहर हो रहा था, मेरी चूत में खलबली मची हुई थी और वो पानी पर पानी छोड़ रही थी जो उनके सूख चुके लण्ड को गीला कर रही थी !

कोई एक मिनट तक मेरी चूत में बारिश बरस कर रुक चुकी थी पर उनका मेरे खेत में ट्रैक्टर चलन नहीं रुका था, वे तो बस जैसे मशीन की तरह मुझे चोद रहे थे !

मेरा बदन ढीला पड़ चुका था, मेरे स्तन ढलक गए थे और मेरी कमर भी ऊपर नीचे होना बंद हो चुकी थी पर उनका सुपारा बस अपना रास्ते पर चलता जा रहा था ! उनके हाथ मेरे स्तनों को गोल-गोल घुमा रहे थे। हल्के हल्के उमेठ रहे थे। मेरी स्तनों की भूरी घुन्डियों को हल्का हल्का दबा रहे थे और उनकी इतनी कोशिश के कारन मेरे चुचूक फिर से कठोर होने शुरू हो गए थे।

जीजाजी के हाथों और होटों के कमाल से मैं फिर से उत्तेजित होना शुरू हो गई थी ! जब जीजाजी सेक्स करते हैं तो मैं अब यह याद नहीं रखती कि मैं कितनी बार स्खलित हुई क्यूंकि उनके चूमने चाटने और मेराथन चुदाई से में कम से कम 5-6 बार तो स्खलित होती ही हूँ !

मैं फिर से गर्म हो रही थी, मस्ती के कारण मेरी चूत फिर से चिकनी हो गई थी !

जीजाजी ने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया, मैंने सवालिया नज़रों से उनकी तरफ देखा, मेरी टाँगें अभी हवा में ही थी, उन्होंने हाथ से उन्हें सीधा कर दिया और मुझे कंधे से पकड़ कर अपनी तरफ मेरी पीठ करने लगे !

सेक्स करते वक़्त वो कुछ बोलते नहीं हैं, सारा काम इशारों से ही करते हैं। मैं समझ गई कि वे पीछे से मेरी चूत मारेंगे !

मैं बिना बोले पलट गई और थोड़ी अपनी टांगें भी उठा दी ताकि मेरी चूत का छेद चौड़ा हो जाये !

उन्होंने पीछे चिपक कर अपने लण्ड को मेरी चूत में थूक लगा कर एडजस्ट किया और मेरी चूत में सर्रर्र से सरका दिया जो चिकनी हो रही थी। अब उनका हाथ मेरे स्तन आसानी से मसल रहा था जो ऊपर चढ़ के मसल नहीं पाते थे, मुझ से जीजू की लम्बाई ज्यादा होने के कारण दिक्कत आती है, मेरे पति की लम्बाई मेरे बराबर होने के कारण उन्हें यह दिक्कत नहीं आती !

अब वे तूफानी गति से धक्के लगा रहे थे कि अचानक कालबेल बज उठी !

कहानी जारी रहेगी।

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