भोपाल में ट्रेनिंग-2

(Bhopal Me Training-2)

उर्मिला 2011-12-11 Comments

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अगले दिन सुबह हम सब भोपाल घूमने गए, शॉपिंग भी की और खाना भी बाहर ही खाया। रात की गाड़ी से कमल और अर्ची वापिस आगरा चले गए और हम लोग वापिस अपने घर आ गए।

लेकिन उस रात को मैंने अपने जिंदगी में एक बदलाव देखा, मुझे दिन रात कमल के आठ इंच लंबे और दो इंच मोटे तथा ढाई इंच मोटे सुपारे के सपने आने लगे। कमल के लौड़े की चाहत में मुझे पति के छोटे और पतले लौड़े से संतोष मिलना भी बंद हो गया था। इसलिए कमल के लौड़े को पाने के लिए मेरी इतनी तड़प बढ़ गई थी और मैं कई बार उंगली, बैंगन या खीरे का प्रयोग करके अपने आप को संतुष्ट कर लेती थी !

तीन माह के बाद एक दिन अर्ची का फोन आया और उसने बताया कि कमल अगले सोमवार को एक सप्ताह के लिए भोपाल में ट्रेनिंग के लिए आ रहा था और हमारे पास ही रहेगा।

मैंने उसे कहा कि यह तो अच्छी बात है और आग्रह किया कि वह भी साथ में आ जाये, तो वह कहने लगी कि शादी के बाद वह माँ और पिताजी के पास नहीं गई थी, इसलिए वह इन दिनों उनके पास मथुरा जा रही थी।

कमल अकेला ही आ रहा था यह सुन कर मुझे बहुत खुशी हुई, मुझे ऐसा लगने लगा कि जैसे मन की मुराद पूरी हो गई हो और मुझे कमल का लौड़ा मिल गया हो !

कमल को चोदने के लिए कैसे राज़ी किया जाए इसकी तरकीब सोचने लगी, लेकिन दो बातें समझ नहीं आ रहीं थी। पहली यह कि कमल चोदने को राज़ी भी होगा या नहीं और दूसरी कि मेरे पति के घर में होते हुए मैं और कमल चुदाई कैसे कर पायेंगे!

इसी उलझन में समय बीत गया और सोमवार सुबह कमल आ गया। मैंने इस बार भी कमल को अपने बेडरूम के बगल वाले बेडरूम में ही ठहराया और उसकी सुख सुविधा कि सभी वस्तुओं को खुद ही उस कमरे में रख दीं। कमल सुबह आने के बाद नहा धोकर तैयार हुआ और नाश्ता कर के ट्रेनिंग पर चला गया। दोपहर को मेरे पति जब घर आये तो उन्होंने बताया कि उन्हें उसी रात को व्यापार के सिलसिले में चार दिनों के लिए चेन्नई, बंगलोर और हेदराबाद जाना है और वह शुक्रवार सुबह तक ही वापिस आयेंगे।

उन्होंने कहा कि मैं उनका सामान तैयार कर के रख दूं ताकि वह शाम को घर से सामान लेते हुए हवाई अड्डे चलें जायेंगे।

पति के मुख से यह समाचार सुन कर मुझे लगा कि मेरी लाटरी निकल आई है, अपनी किस्मत पर बहुत खुशी हुई और मुझे लगा कि शायद भगवान भी यही चाहते हैं कि मैं कमल के दमदार लौड़े का खूब मज़ा लूँ !

पांच बजे मेरे घर पति आये और अपना सामन लेकर हवाई अड्डे चले गए। शाम छह बजे कमल आ गया और चाय पीकर अपने कमरे में आराम करने चला गया। मैंने भी उसे परेशान नहीं किया और आराम करने दिया क्योंकि मैं जानती थी कि मैं उसे रात को बहुत परेशान करने वाली थी।

आठ बजे मैं कमल के कमरे में गई तो देखा के वह गहरी नींद में सो रहा था। तब मैंने उसके और अपने कमरे के बीच वाले दरवाज़े की चिटकनी खोल दी। इसके बाद मैंने अपने कमरे में आकर उस दरवाज़े को खोल कर तस्सली भी कर ली और अपने कपड़े बदल कर नाइटी पहन ली।

रात नौ बजे मैंने कमल को जगाया और हम दोनों ने खाना खाया और कुछ देर बाहर गार्डन में टहलते रहे।

लगभग दस बजे हम अंदर आये तो मैंने कमल से पूछा कि क्या वह कॉफी पीयेगा तो उसने हाँ कह दी।

मैंने उसे कमरे में जाने को कहा और कॉफी बनाने चली गई। रसोई में मैंने गैस पर पानी उबलने के लिए रखा और जल्दी से अपनी नाइटी के नीचे पहनी हुई ब्रा और पैंटी उतार कर वहीं रसोई में रख दी। अब मैं चुदने के लिए मानसोक और शारीरिक तौर पर बिल्कुल तैयार थी, मेरी आँखों के आगे कमल का लंबा, मोटा और तगड़ा लौड़ा दिखाई देने लगा था और मेरी चूत में थोड़ी खलबली भी शुरू हो गई थी।

जैसे ही कॉफी बन गई, मैं उसे कमल के कमरे में ले गई तो देखा कि बेड पर उसका सामान बिखरा हुआ था और कमल सिर पकड़े बैठा हुआ था।

मैंने पूछा- क्या हुआ?

तो उसने बताया- अर्ची ने रात के सोने वाले कपड़े तो बैग में रखे ही नहीं!

शायद पहली बार सामान बाँधा था इसलिए उसने बैग में पेंट और कमीज तो रख दी थी, लेकिन बनियान और जांघियाँ भी नहीं रखे थे ! मैंने उसे कहा- इसमें परेशान होने की बात नहीं!

और मैंने उसे रात के लिए अपने पति की लुंगी दे दी।

काफी पीने के बाद मैंने कमल से कहा कि वह अपना बनियान और जांघियाँ उतार दे ताकि मैं उन्हें अभी धो दूँ ताकि सुबह तक सूख जाएँ ! वह कल वही पहन जाए और कल ही मैं उसके लिए नए बनियान और जांघियाँ ला दूँगी!

मेरी बात मान कर कमल कपड़े बदलने के लिए बाथरूम में घुस गया ! उसे अंदर गए अभी कुछ सेकण्ड ही हुए थे कि मैं भी बाथरूम का दरवाज़ा खोल कर उसमे घुस गई।

मैंने देखा कि कमल बिल्कुल नंगा खड़ा मूत रहा था !

मुझे बाथरूम के अंदर देख कर वह हकबका गया और एकदम घूम गया!

मैंने उसे सँभालने का मौका ही नहीं दिया और मैं उसके पास जाकर उसकी पीठ पर हाथ फेरते हुए कहा कि उसे घबराने और हैरान होने कि जरूरत नहीं है। मैंने उसे कंधों से पकड़ कर घुमाया और उसे अपने सामने कर उसके लौड़े को पकड़ लिया और बताया कि मैं उसके लौड़े को अच्छी तरह देखा हुआ है!

कमल अपने लौड़े को छुड़ाने की कोशिश करता रहा पर मैंने उसको नहीं छोड़ा। उस समय उसका लौड़ा छोटा सा हो रखा था इसलिए मैं उसको मसलने लगी और आगे पीछे हिला कर बड़ा करने लगी।देखते ही देखते उसका लौड़ा तन कर लोहे की छड़ जैसा हो गया, तब मैंने नीचे बैठ कर उसे अपने मुँह में ले लिया और जोर जोर से चूसने लगी।

कमल तो बहुत मना करता रहा लेकिन मैं ही नहीं मानी और चुसाई चालू रखी। क्योंकि कमल को कुछ समझ नहीं आ रहा था इसलिए वह वहीँ खड़ा खड़ा आह्ह… आह्ह्ह्ह… आह्ह… करता रहा!

फिर मैंने तेज़ी से चूसना शुरू किया और उसके ढाई इंच के टट्टों को भी हल्के हल्के मसलना शुरू कर दिया। मेरे ऐसा करने से चुसाई का असर दुगना हो गया और दो मिनट में ही कमल ने आह्ह्ह्ह… की ज़ोरदार आवाज़ निकलते हुए अपनी पिचकारी मेरे मुँह में छोड़ दी।

इसके लिए मैं तैयार थी और उसका बहुत ही स्वादिष्ट, कुछ नमकीन और कुछ खट्टा जैसा वीर्य रस मैंने गटागट पी लिया तथा लौड़े के छेद में से भी बचा हुआ रस चूस कर खींच लिया। फिर मैंने कमल के लौड़े और टट्टों को चाट कर साफ़ किया और उसे बेडरूम में जाने दिया।

इसके बाद मैंने कमल के बनियान और जांघिये को धोया और बेडरूम में पंखे के नीचे सूखने को फैला दिए। कमल ने बेड पर फैले सामान को समेट कर, लुंगी पहने बेड पर बैठा हैरान सा मुझे यह सब करते हुए देखता रहा था!

कहानी जारी रहेगी।

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