दिल्ली की लड़की की सेक्सी स्टोरी: उसे दर्द भरी चुदाई चाहिए

(Delhi Ki Ladki Ki Sexy Story: Use Dard Bhari Chut Chudai Chahiye)

राज गर्ग 2016-03-18 Comments

दोस्तो, मैं आपका दोस्त राज गर्ग, दिल्ली से!
आप सबने मेरी नवीनतम कहानी, जन्मदिन का तोहफा – हब्शी का लौड़ा को बेहद पसंद किया उसके लिए धन्यवाद।
मेरी कहानी पढ़ कर मुझे दिल्ली की ही एक लड़की का ईमेल आया कि कहानी में जिस तरह हब्शियों ने मेरी बीवी को चोदा, वो भी उसी तरह चुदना चाहती है, उसे तो बल्कि और क्रूर सेक्स पसंद है।

तो मैंने उसे कहा- तुम हमारे वाइफ़ स्वेपर्स क्लब में आ जाओ, तुम भी आओ अपने पति को भी लाओ और सबके साथ एंजॉय करो।
तो वो बोली कि पति को ये सब पसंद नहीं, बल्कि वो तो खुद भी बहुत प्यार से धीरे धीरे सेक्स करता है, मगर मुझे मारना पीटना, गाली गलौच, बांध कर, गुलाम बना कर और बेहद जलील करके सेक्स करना पसंद है। इतना क्रूर कि मैं रो दूँ, माफी मांगू कि मुझे छोड़ दो, बख्श दो, मगर मुझ पर कोई रहम न किया जाये।

अब यह तो बड़ी अजीब सी इच्छा थी।
इसके लिए मैंने अपने वाइफ़ स्वेपर्स क्लब के कुछ दोस्तों से बात की, मगर वो भी इस बात के लिए राज़ी न हुए कि प्यार में मार कैसी।
प्यार से चोदो औरत को ताकि उसको भी मज़ा आए।
मगर अब यह लड़की तो मार पीट में ही मज़ा चाहती थी।

मैंने फिर अपने एक दोस्त वरिंद्र सिंग (जिसने मुझे कहानी लिखने के लिए प्रेरित किया) से बात की।
उसने बताया के उसका एक और फेसबुक पर दोस्त है, जो ये सब करना चाहता है, इसलिए लड़की से पूछ लो कि तीन मर्दों का ज़ुल्म बर्दाश्त कर लेगी?
मैंने पूछा तो वो तो खुश हो कर बोली- अरे वाह, तीन तीन लोग मारेंगे, कोई प्रोब्लम नहीं, आने दो!

तो जब उसकी हाँ मिल गई तो मैंने प्रोग्राम फिक्स किया, इसके लिए अपने ही एक दोस्त का घर था, जो शहर से दूर था और उसने बेचने के लिए लगा रखा था, उस घर के आस पास भी कोई घर नहीं था, और सारा घर खाली था।

निर्धारित दिन, वरिंद्र और उसका दोस्त सुनील पाठक मेरे पास दिल्ली आ गए। मैंने उनके ठहरने के इंतजाम एक होटल में किया था। शाम को बैठ कर पेग शेग पिया तो हम सबने आपस में अपने अपने विचार एक दूसरे को सुनाये तो ऐसा लगा के जैसे हम तीनों की सोच बिल्कुल एक जैसी ही थी, ‘लुच्चे को लुच्चा मिले कर कर लंबे हाथ’ वाली बात थी हमारी!

अगले दिन सुबह मैंने अपने गाड़ी में एक डबल बेड का गद्दा, चादर, और कुछ ज़रूरी समान गाड़ी की डिक्की में रखा। अपनी पत्नी को मैंने बता दिया था कि मैं कहाँ जा रहा हूँ और क्या करने जा रहा हूँ।
उसने कहा- मेरा बदला लेने जा रहे हो, जो हब्शियों ने मेरे साथ किया, वो तुम किसी और से करोगे।
मैं उसकी बात पर हंस दिया।

पहले मैं होटल में गया और वरिंद्र और सुनील के पास।
होटल में वरिंद्र ने कड़क चाय मँगवाई और चाय से पहले उसने तीन गोलियाँ सी दी, काले रंग की।
मैंने पूछा- क्या है ये?
वो बोला- काली नागिन!
मैं समझ गया कि कोई सेक्स बढ़ाने वाली गोली है, ‘इसका फायदा?’ मैंने पूछा।
वो बोला- हर काम को स्लो कर देती है, मतलब यह कि लगे रहो लगे रहो, मगर झड़ेगा नहीं।

बस तीनों ने झट से गोली अंदर की और ऊपर से कड़क चाय पी ली।
उसके बाद हम तीनों गाड़ी में आकर बैठे और उस लड़की को लेने गए।
उसे मेट्रो स्टेशन से लेना था।

मैंने भी उसकी सिर्फ एक फोटो ही देखी थी मगर फिर भी दूर से ही उसे पहचान लिया, करीब 5 फुट 3 इंच का कद, गोरी चिट्टी, 32 साइज़ की ब्रेस्ट, सपाट पेट, 38 की कमर, और 25 साल की भरपूर जवान उम्र।
सब कुछ कातिल था।
सफ़ेद रंग का टॉप और नीचे सफ़ेद और पीले रंग की घुटनों तक की खुली सी स्कर्ट। घुटनों से नीचे बहुत ही बढ़िया से वेक्स की हुई गोरी टाँगें।
चिकनी बाहें, खूबसूरत गोरे हाथ, सुर्ख लाल लिपस्टिक और नेल पोलिश।

उसकी खूबसूरती ने हम तीनों का मन मोह लिया।
जितनी सुंदर वो खुद थी उतना ही सुंदर नाम, सोनल!

मैंने उसके पास जा कर गाड़ी रोकी, मैं खुद ड्राइव कर रहा था, वरिंद्र और सुनील पीछे बैठे थे, आगे की सीट खाली थी, वो आगे मेरे साथ आ कर बैठ गई।
उसके बदन से उठने वाली परफ्यूम की खुशबू से सारी गाड़ी महक गई।
गाड़ी में बैठते ही उसने सब को बड़े गौर से देखा और मुस्कुरा कर उसने हमसे हाथ मिलाकर हैलो कहा और वो ऐसे हमारी कार में बैठ गई, जैसे सब को बहुत अरसे से जानती हो।

रास्ते में हम सबने उससे अपना अपना परिचय दिया, बहुत कुछ उसके बारे में भी पूछा।
वो बड़े ही आत्मविश्वास से हम सबसे बात कर रही थी, उसके चेहरे पर या बातों में इस बात का कोई डर नहीं दिखा कि वो तीन अंजान लोगों के साथ सेक्स करने जा रही है, और वो भी क्रूर सेक्स।

रास्ते से मैंने उन सबसे पूछ कर खाने पीने का सामान लिया, एक बोतल व्हिस्की की, पानी, सोडा, नमकीन और थोड़ा बहुत और खाने का सामान।
सब लेकर हम अपने दोस्त के घर पहुंचे।

पहले सारे घर को देखा, सारा खाली था। फिर एक रूम में गद्दा चादर बिछा दी, सब उस पर बैठ गए।
हम तीनों कमीनों का ध्यान उसकी गोरी टाँगों और टॉप में से झाँकते उसके क्लीवेज पे था, तीनों के मन में इस बात को लेकर काफी उत्साह था कि क्या शानदार चीज़ मिली है चोदने को, और यह खुशी हम तीनों के चेहरों पर थी।
और देखने वाली बात ये थी कि हम चारों एक दूसरे से आज पहली बार मिले थे मगर फिर भी थोड़ी ही देर में बहुत घनिष्ठ हो गए।
फिर अपनी गाड़ी में से मैं एक छोटा सा सन्दूक निकाल कर लाया और उसे भी एक तरफ रख दिया।
सबसे पहले खाने पीने का दौर शुरू हुआ, पहला जाम सबने एक दूसरे से टकरा कर पिया।

जब एक एक हो गया तो सबसे पहले जो सवाल मुझसे अक्सर पूछा जाता है, सबने वही पूछा- मेरे वाइफ़ स्वेपर्स क्लब के बारे में।
मैंने उन सबको बड़े विस्तार से अपने क्लब के बारे में समझाया और क्लब कि मीटिंग में हम सब इकट्ठे हो कर एक दूसरे की बीवियों के साथ क्या क्या करते हैं।
यह भी बताया किसोनल को भी ये सब बहुत पसंद है, मगर उसके पति को पसंद नहीं।

तो मैंने सोनल से कहा कि अगर वो चाहे तो अकेली भी क्लब जॉइन कर सकती है, क्योंकि ऐसी औरतें बहुत ही कम होंगी, जो अकेले क्लब जॉइन करना चाहें, मगर मर्द बेइंतेहा होंगे। क्लब का बैलेन्स बनाने के लिए लेडीज को एडजस्ट किया जा सकता है।
बल्कि मैंने कहा- हमारे क्लब में तो लेस्बीयन लड़कियाँ और गे लड़के यानि लौंडों को भी प्रवेश मिल सकता है।

सब मेरी बातें बड़े ध्यान से सुन रहे थे, जैसे मैं उन्हे किसी परी लोक की कथाएँ सुना रहा हूँ।
जाम पे जाम चलते रहे।
करीब 3-4 पेग जब सब ने गटक लिए तो वरिंद्र ने कहा- यार दारू पे दारू पिये जा रहे हैं, मगर जो काम करने आए हैं, वो कब शुरू होगा?
सुनील बोला- यार, मेरा पप्पू तो सोनल को देख कर सलामी पे सलामी दे रहा है, मगर सलामी लेने वाली अभी तक नहीं दिखी।
और सच था, सुनील का लंड तो उसकी पेंट में ही अकड़ा हुआ साफ दिख रहा था।

मैंने सोनल से पूछा- क्यों सोनल, कारवाई शुरू की जाए?
वो बोली- मैं तो कब से तैयार हूँ, मैं तो ये देख रही थी कि आप सब कब तैयार होते हैं, सुनील तो तैयार है, आप भी अपनी तैयारी दिखायें।

मैंने पूछा- मेरे पास कुछ सामान है, जो बोंडेज सेक्स में इस्तेमाल होता है, हम क्लब की मीटिंग में कभी कभी इस्तेमाल करते हैं।
मैंने उन्हें दिखाया, मेरे बैग में रस्सियाँ, ज़ंजीरें, चाबुक, नकली लंड, नकली चूतें, चिकनाहट की क्रीमें, मारने पीटने और बांधने का और भी साजो सामान था।

तो सबसे पहले यह ज़रूरी था कि हम अपने अपने कपड़े उतारे।
हम तीनों ने तो एक मिनट में ही अपने सारे कपड़े उतार दिये, सिर्फ चड्डियाँ छोड़ कर। तीनों की चड्डियों में हमारे तने हुये लौड़े दिख रहे थे।

‘वाउ…’ सोनल बोली- औज़ार तो बड़े शानदार दिख रहे हैं।
हमने गद्दे से से खाने पीने का सारा सामान हटाया और बिस्तर सेट कर के सोनल को बीच में लिटा दिया, एक साइडमैं और एक साइड सुनील लेट गया, वरिंद्र उसके पैरों के पास बैठ गया।

मैंने सबसे पहले सोनल के गाल पे किस किया और उसके नर्म चेहरे को सहलाया, दूसरी तरफ से सुनील ने भी उसको चूमा। उसके एक बोबे पर मेरा हाथ था तो दूसरे पर सुनील का।
नर्म रुई जैसे उसके बोबे, जिनको उसने शायद सॉफ्ट ब्रा में ही कैद कर रखा था।

वरिंद्र ने पहले उसके दोनों सेंडल उतरे और पाँव के अंगूठे को मुँह में लेकर चूसा, और फिर सारे पैर को चाटता हुआ उसकी एड़ी तक आया।
और फिर एड़ी के पीछे से होकर अपनी जीभ से उसके घुटने तक चाट गया।

सोनल ने भी एक हाथ मेरी चड्डी में डाल लिया और दूसरा हाथ सुनील की चड्डी में डाल कर हम दोनों के लौड़े सहलाने लगी।
मैंने सोनल का टॉप ऊपर उठाया और धीरे धीरे करके गर्दन तक ले आया और फिर उसका टॉप उतार दिया।
नीचे उसने सुर्ख लाल रंग की ब्रा पहनी थी, जिसके स्ट्रैप पतली डोरी के बने थे, सिर्फ सामने ही थोड़ा सा कपड़ा था जिससे उसके बूब्स ढके थे, बाकी सारी तो डोरी ही थी।
और ब्रा में से ही उसके कड़क हो चुके निप्पल भी उभर कर दिख रहे थे।

वरिंद्र ने उसकी स्कर्ट ऊपर उठाई तो नीचे से गोरी चिकनी जांघें प्रकट हुई।
क्या ज़बरदस्त जांघें थी, हम दोनों भी उठ कर बैठ गए और तीनों मर्द उसकी जांघों पर हाथ फेर कर देखने लगे।
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‘क्या मस्त जांघें हैं, मादरचोद की…’ मैंने कहा।
सोनल जो अपनी जांघों पर फिरने वाले हमारे हाथों के स्पर्श से रोमांचित हो उठी थी बोली- आह, और गाली दो, मुझे गाली देने वाले मर्द बहुत पसंद हैं।
तो सुनील भी बोला- साली रंडी को चोद के मज़ा आ जाएगा आज, क्यों भाई?
‘हाँ’ वरिंद्र ने भी कहा- आज तो हरामज़ादी की चूत, गांड और मुँह तीनों को फाड़ देंगे।

तो सोनल बोली- अरे सालो, कुछ करोगे भी या बातें ही बनाओगे?
उसने कहा तो हमने उसकी स्कर्ट भी उतार दी, ब्रा भी खोल दी और पेंटी भी उतार दी जो सिर्फ एक धागा ही तो थी।

उसे नंगी करके हम उस पर टूट पड़े, कोई उसके बोबे चूस रहा था, कोई उसकी चूत चाट रहा था, कोई जांघें, तो कोई कमर।
जिसको जहाँ जो जगह मिली वो वहीं से उसे चूम चाट रहा था।

फिर मैंने अपनी चड्डी उतारी और अपना तना हुआ लंड उसके मुँह में दिया- ले माँ की लौड़ी, चूस इसे!
कह कर मैंने उसके बाल पकड़े और अपना लंड उसके मुँह में ठूंस दिया।
बाल क्या पकड़े, बेचारी का जूड़ा ही खुल गया।

उसके बाद वरिंद्र और सुनील ने भी अपनी अपनी चड्डी उतार दी। अब हम चारों नंगे हो चुके थे।
मैं उसके बाल पकड़ पकड़ कर उसका मुँह चोद रहा था, सुनील उसकी चूत चाट रहा था और वरिंद्र उसके बोबों को ऐसे निचोड़ रहा था, जैसे उसमें से रस निकालना हो।

चाटते चाटते सुनील ने सोनल की चूत को अपने दाँतों से काट खाया। सोनल को दर्द हुआ, उसने मेरा लंड अपने मुँह से निकाला और सुनील के बाल खींच कर बोली- और ज़ोर से काट, कुत्ते की तरह चाट इसे!

सुनील भी बोला- चिंता मत कर रानी, तुझे आज कुतिया ही बनाना है, तीन कुत्ते तुझे आज नोच खाएँगे!
फिर मैं अपनी टाँगें फैला कर बैठ गया और सोनल को ऊपर कर लिया, वरिंद्र ने मेरे बैग से एक चाबुक निकाली और सोनल की गांड पे दे मारी।
‘शटाक…’ से आवाज़ और सोनल के चूतड़ पे एक लंबा निशान बन गया।
‘आह’ कर करके सोनल के मुँह से चीख निकली।

मैंने फिर से उसके बाल खींच कर उसकामुँह अपने लंड से लगा लिया- इसे चूस, कुतिया, मादरचोद साली!
वो फिर से मेरा लंड चूसने लगी तो सुनील ने मेरी टाँगें साइड को की और नीचे लेट कर उसने अपना लंड सोनल की चूत पे रख दिया। सोनल ने उसे अपनी चूत में ले लिया और ऊपर नीचे होकर चुदने लगी, सुनील भी नीचे से कमर उचका उचका कर उसे चोद रहा था।
वरिंद्र ने रस्सी निकाली और सोनल के दोनों हाथ बांध दिये, उसके बाद ऊपर छत के हुक में रस्सी डाल कर सोनल के दोनों हाथ ऊपर बांध दिये।
‘हाँ, अब कुछ मज़ा आ रहा है’ वो बोली।

उसके बाद सुनील ने उसकी एक टांग उठा कर अपने कंधे पे रखी और नीचे से अपना लंड उसकी चूत में घुसा दिया।
मैंने उसका बूबा पकड़ा और उसके निप्पल को अपनी चुटकी में पकड़ के बार बार ज़ोर ज़ोर से खींचा, इससे सोनल को दर्द हुआ मगर वो तड़प कर भी बहुत खुश थी।
वरिंद्र बार बार उसके चूतड़ों पर और जांघों पर चाबुक से वार कर रहा था, जिस वजह से उसकी जांघों और चूतड़ों पर लाल लाल निशान पड़ गए।

जब भी उन निशानों पर हम हाथ फेरते, सोनल को टीस उठती मगर वो इस दर्द को उतना ही पसंद करती।
उसके दोनों बूब्स पर हम तीनों मर्दों ने ना जाने कितनी बार काटा, हर जगह उसके बोबों पर हमारे दाँतों के निशान थे।
इसके बावजूद हम उसके बोबों को और ज़ोर से दबाते ताकि जहाँ जहाँ दाँतों से काटा है वहाँ और दर्द हो।

सुनील उसे वहशी की तरह चोद रहा था।

फिर मैं अपने बैग से कपड़े टाँगने वाली चुटकियाँ लाया और उन्हे सोनल के बदन पे यहाँ वहाँ लगाया।
दो तो उसके निपल्स पे भी लगाई। वो तड़प उठी, उसकी आँखों से निकलने वाले आंसुओं से उसकी आँखों का काजल उसके चेहरे पे बह निकला।

फिर ऊपर छत से बंधी रस्सी खोल ली गई मगर इसी रस्सी से सोनल के पाँव पीछे की तरफ से बांध दिये गए।
अब वरिंद्र को नीचे लेटा कर सोनल को उसके ऊपर लेटाया गया और जब वरिंद्र का लंड सोनल की चूत में घुस गया तो मैंने पीछे से आकर सोनल की गांड में अपना लंड घुसेड़ा वो भी बिना कोई थूक या चिकनाई लगाए।
बहुत मुश्किल से मेरे लंड का टोपा उसकी गांड में घुसा!

रो पड़ी सोनल…
मगर मैं ज़ोर लगाता रहा, इस बात का भी खयाल रखा कि उसे ज़्यादा दर्द न हो, इस लिए उससे बार बार हम तीनों पूछते रहे, ज़्यादा दर्द तो नहीं हो रहा, ज़्यादा दर्द तो नहीं हो रहा।
और उसकी हाँ होने पर ही और आगे बढ़ते।

फिर सोनल ने कहा- राज, थोड़ा थूक लगा लो, सूखे में दर्द ज़्यादा है और मज़ा कम!
मैंने ऊपर से ही थोड़ी लुब्रिकेशन टपकाई और फिर हल्के हल्के चोदा तो ‘पिचक पिचक’ करके मेरा लंड उसकी गांड में घुस गया।

नीचे से वरिंद्र उसको चोद रहा था, पीछे से मैं उसकी गांड मार रहा था और सुनील ने उसके मुँह को ही चूत बना लिया था और धाड़ धाड़ उसका मुँह चोद रहा था।
मैंने पीछे से उसके सर बाल पकड़ रखे थे और बालों से पकड़ कर उसकी गांड मार रहा था।
और तब इतने दर्द में सोनल चीखी- आह, कुत्तो, और ज़ोर से मादर चोदो, फाड़ दो मेरी चूत, कमीनों और ज़ोर से गांड मारो मेरी!
यह आवाज़ इतनी ऊंची थी कि अगर हम अपने घर में कर रहे होते तो आस पास सब मोहल्ले वालों को पता चल जाता।

बहुत तड़पी सोनल, बहुत उछली, मगर हम तीनों ने उसे पूरी तरह से जकड़ के रखा।
वो बार बार हमें ‘मादरचोद, बहनचोद, गश्तीचोद, कुत्ते, कमीनों और न जाने क्या क्या गाली दे रही थी, मगर गाली की किसे परवाह थी। हम तो इस बात से खुश थे, के साली की माँ चोद कर रख दी, और हम तीनों में से अभी एक भी स्खलित नहीं हुआ था।
हम तीनों का झड़ना बाकी था।

झड़ने के बाद सोनल एकदम से ढीली पड़ गई, हमने उसकी रस्सियाँ वगैरह सब खोल दी, वो एक तरफ लेट गई, हमने एक एक पेग और बनाया तो सोनल ने भी हाथ के इशारे से अपने लिए एक पेग मांगा।
मैंने उसे पेग बना कर दिया।
वो उठ बैठी और पीने लगी। उसका सारा बदन लाल हो रहा था, कूट कूट के चूतड़ लाल, काट काट के बोबे लाल… हर जगह बदन पे
काटने नोचने के निशान।
मगर वो शांत थी और पेग पी रही थी।

मैंने पूछा- सोनल कैसा लग रहा है?
वो बोली- बहुत मज़ा आया। यह बताओ तुम लोग खा कर क्या आए हो, तुम में से एक भी नहीं झड़ा?
तो मैंने उसे अपना सीक्रेट बताया।
वो बोली- यह तो बढ़िया चीज़ है, मुझे भी लाकर देना, अपने पति को दूँगी।
सुनील बोला- पति की क्या ज़रूरत है, हम मर गए हैं क्या, हमें सेवा का मौका देती रहो। तुम्हारे भी मज़े और हमारे भी मज़े!

वरिंद्र ने कहा- सच है यार, घर में बीवी के साथ तो ये सब क्रूर सेक्स कर नहीं सकते, पर सोनल के साथ क्रूर सेक्स करके सच में ज़िंदगी का मज़ा आ गया।

मैंने सोनल से पूछा- और आगे का क्या प्रोग्राम है?
वो बोली- देखो, मेरी तो तसल्ली हो गई, अगर तुम लोगो को अपनी तसल्ली करनी है तो एक बार और कर लो। मगर इस बार प्यार से करना, क्योंकि इन ज़ख्मों में अब दर्द होता है, बर्दाश्त करना मुझे मुश्किल होगा।

हम तीनों ने हामी भरी और अपना अपना पेग खत्म करके मैं नीचे लेट गया और सोनल से कहा- सोनल, तुम ऊपर बैठ कर मेरा लंड अपनी मादरचोद गांड में लो, मुझे तुम्हारी गांड मारने में बहुत मज़ा आया और मैं सिर्फ तेरी गांड ही मारूँगा।
सोनल आई और मेरे लंड पे लुब्रिकेशन लगा कर अपनी गांड पे रखते हुये बोली- एक नंबर का कुत्ता है तू!
मैं ढीठ की तरह हंस पड़ा तो वरिंद्र बोला- यही कमीना नहीं, हम सब एक नंबर के कमीने है।

जब मेरा लंड सोनल की गांड में घुस गया तो सामने से सुनील ने आकर अपना लंड सोनल की चूत में डाला और सोनल को मेरे ऊपर ही लेटा दिया और वरिंद्र ने अपना लंड सोनल के मुँह में डाल दिया जिसे वो लोलिपोप की तरह चूसने लगी।

और उसके बाद शुरू हुआ सेक्स उत्पीड़न का अगला दौर। इस दौर में लड़की के झड़ने की किसी को फिक्र नहीं थी, अब तो हम सबने अपना अपना पानी गिराना।
किसी गुलाम से भी बदतर हालत कर दी थी उस बेचारी की!
ताबड़तोड़ चुदाई उसके तीनों सूराखों में हो रही थी।

बेशक उसने कहा था कि प्यार से करना मगर जोश में हम सब भूल गए।
और इस बार तो उसके बाल खींचे, उसके चांटे मारे, उसके बदन पर चिपकाई चुकटियों को खींच खींच के उतारा।
इस बार तो उसे पहले से भी ज़्यादा तड़पाया।
इतना सताया कि रोते रोते उसने हाथ जोड़ दिये- बस अब झड़ जाओ और उसे इस दर्द से मुक्ति दो।

करीब आधा घंटा लगातार उसकी जोरदार चुदाई हुई, सबसे पहले वरिंद्र ने उसके मुँह में अपना माल छुड़वाया और उसे ज़बरदस्ती पीने को मजबूर किया। फिर सुनील ने उसकी चूत से लंड निकाला और उसके मुँह में डाल दिया और अपना माल उसके मुँह में छुदवाया। ढेर सारा वीर्य उसे फिर से पीना पड़ा।

और उसके बाद मैंने सोनल को धक्का दे कर नीचे गिराया और उसकी छाती पर जा बैठा, अपने दोनों हाथों के अंगूठे उसके मुँह में डाल कर उसका मुँह चौड़ा किया और अपना लंड उसके मुँह में ठूंस दिया।
उसके चेहरे पर यहाँ वहाँ वरिंद्र और सुनील के वीर्य के छींटे गिरे हुए थे।
मैंने पूरी बेदर्दी से उसका मुँह चोदा, कई बार तो उसको सांस लेने में तकलीफ और उल्टी आने जैसे हुआ।

मगर मैं नहीं रुका, जब तक के मेरा माल न झड़ गया, मैं भी उसके मुँह में ही स्खलित हुआ और मेरा माल भी उसने पी लिया।
करीब ढाई घंटे ये सब करवाही चली और इतने लंबे सेक्स के बाद हम तीनों मर्दों की हालत भी खस्ता हो चुकी थी, और बेचारी सोनल का हाल ही मत पूछो।

मैंने सोनल से पूछा- सोनल, अपने बदन पर इतने निशान लेकर घर जाओगी तो पति नहीं पूछेगा, ये सब कहाँ से करवा कर आ रही हो। तो सोनल बोली- मैं उसको बता कर आई थी, के आज मुझे तीन मर्द अपनी पूरी बेदर्दी से चोदेंगे, जो तुम नहीं कर सकते मैं उनसे करवा कर आऊँगी, मेरे पति की चिंता मत करो।

मैंने फिर कहा- सोनल यार, तुम मेरा वाइफ़ स्वेपर्स क्लब जॉइन करो, तुम्हारे पति को मैं देखता हूँ, अगर बात बन गई तो क्लब में भी ऐसे ही मज़े करेंगे। मेरी ई मेल आई डी याद है न [email protected] अपने पति से कहो कि मुझसे बात करे, मैं समझाऊँगा उसे।
सोनल बोली- ठीक है, अगर माना तो ठीक, नहीं तो तो आप तीनों तो हो ही, चाहो तो अगली बार चार कर लेना।

उसकी बात सुन कर हम तीनों हक्के बक्के एक दूसरे का मुँह ताकते रह गए।

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